हिंदी कविता – जलते दिए – शहीदों के लिए

Shaheed

हम शहीदों की राहों के जलते दिए,

हमको आंधी भला क्या बुझा पाएगी.

मौत को हम सुला दें वतन के लिए,

मौत हमको भला क्या सुला पाएगी.

हम भी इस बाग़ के खिल रहे फूल हैं,

जो शहीदों की राहों पर चढ़ते रहे.

बिजलियों को कदम से कुचलते रहे,

सर कटाने का हमने लिया है सबब.

सर झुकाना तो हमने है सीखा नहीं,

वाह रे हिन्द तेरी दुआ चाहिए.

है भला कौन हस्ती, मिटा पाएगी जो,

हम शहीदों की राहों के जलते दिए.

साभार: ऋषि नारायण

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