Tag: Hindi poem

  • एक सवाल, सवाल क्यों नहीं करते? सवाल करो, पूंछो – हिंदी कविता

    एक सवाल, सवाल क्यों नहीं करते? सवाल करो, पूंछो – हिंदी कविता

    यह कविता मुझे एक पुरानी किताब में मिली. अच्छी लगी तो पोस्ट कर दी. कृपया इस पर विचार जरूर करें.
    सिर्फ दूसरों की मन की बाते मत सुनिए. आपके मन में जो हो वो कहिये. सवाल करिये. पूँछिये, ऐसा क्यों है.

    Ask Questions

    जो हल चलाता है उसके हिस्से में सदा छप्पर ही क्यों आता है?
    जो गोदामों में गेहूं, सरसों भरता है, उसके कोठी बंगले क्यों बन जाते हैं?

    Ask Questions

    शहरों में खूब रौशनी है फिर गाँवों में अँधियारा क्यों है?
    शहरों में चौड़ी सड़के हैं, गाँवों में संकरी गालियां क्यों हैं?
    क्यों रामू, कमरू और हरिया शहर भागते हैं?

    Ask Questions

    पानी कम क्यों हो रहा है? जंगल कौन काट रहा है?
    कटे पेड़ कहाँ जा रहे हैं?

    गाँव के बच्चों का दूध कहाँ जा रहा है?
    आदमी – आदमी के बीच इतना फर्क क्यों है?

    Ask Questions

    कुछ की तोंद इतनी फूली क्यों है?
    हाड तोड़ मेहनत के बाद भी, बहुतों के पेट पिचके क्यों हैं?

    Ask Questions

    जो पत्थर काटते हैं, रिक्शा खींचते हैं, लोहा कूटते हैं,
    उन्हें साफ़ – सुथरे घरों में रहने का हक़ क्यों नहीं है?

    Ask Questions

    इतनी बड़ी दुनिया में कितनी चीजें हैं, कितनी घटनाएं हैं?
    सब कुछ जानने के लिए, सबके बारे में सवाल करो!!

    साभार: अनजान

  • महंगाई – शोभा शर्मा की हिंदी कविता

    महंगाई – शोभा शर्मा की हिंदी कविता

    एक दिन मुझे महंगाई मिली,

    उसका इठलाता यौवन

    उफान पर जवानी देखकर

    मैं दंग रह गई

    मैंने उसे कभी

    बचपन में देखा था,

    जब मैं

    रुपया लीटर दूध

    पांच रुपया किलो

    सेब लाया करती थी,

    तब ये महंगाई

    फटे हाल अधनंगी रहती

    कोई इसे न जानता

    न पहचानता था,

    लेकिन

    आज हर कोई

    इसे अवाक् देखता है

    मैंने महंगाई की

    जवानी का राज

    उससे ही पूछा

    वह तपाक से बोली

    मेरी जवानी का राज

    जानना चाहती हो तो

    उन अमीरों की

    कोठियों में जाओ

    जहां मैं नाचती हूँ

    पैसों के बल पर

    उनके तलुए चाटती हूँ

    हर रोज नै जवान बनकर

    निकलती हूँ.

    तुम जैसे

    मुझे छूना तो दूर

    देखना भी पसंद नहीं करते

    इसलिए

    तुम्हें मैं

    जवान नजर आती हूँ,

    गरीबों को तो मैं,

    बिलकुल नहीं भाती हूँ

    मैं उसका उत्तर सुनकर

    चुप रह गयी

    सोचती रह गयी, सोचती रह गयी

     

    साभार: शोभा शर्मा, सहारनपुर

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  • विनती – एक छोटी सी हास्य कविता रमा तिवारी की

    विनती – एक छोटी सी हास्य कविता रमा तिवारी की

    मोहन पेपर देकर आया,

    मंदिर में जाकर विनती की:

    हे भगवान, बना पेरिस को

    शीघ्र राजधानी इटली की

    (more…)

  • क्या पूरा होगा दिवास्वप्न? हिंदी कविता

    क्या पूरा होगा दिवास्वप्न? हिंदी कविता

    धीरे से, कोई आहट न हुई

    फिर आज तोड़ दी गयी आशंकाएं

    इस बदरंग जमाने में

    कुचल दी गयी संवेदनाएं

    फिर धकेले गए

    निराशा भरे गर्त के अंधेरों में

    आज फिर वह

    लौटा दी गयी अपने घर

    दुर्भाग्य! वहां भी वह हो गयी कोई और

    कल तक जहां

    खिलते और गूंजते थे अपने स्वर

    शब्द, अब उस दहलीज पर

    बरबस ही कर्कश सुनाई देने लगे

    अपना घर…

    जहाँ ईश्वर ने भेजा

    समझा, जाना है कहीं और

    फिर जहाँ समाज ने भेजा

    समझाया गया, हूँ कोई और

    आखिर कब तक…

    सिलसिला यहीहोगा

    और हर बार एहसास होगा

    स्त्री होने के अपराध का.

    बंधनो से मुक्ति का दिवास्वप्न

    क्या कभी पूरा होगा?

    Image Source: http://onlineeducare.com/

     

    ऐश्वर्य राणा, कोटद्वार

  • ऐ खुदा, तुझसे नाराज हूँ – हिंदी कविता

    ऐ खुदा, तुझसे नाराज हूँ – हिंदी कविता

    ऐ खुदा,
    तुझसे नाराज हूँ,
    क्यों?
    शायद मुझे लगता है
    कि
    जिसे जरूरत है
    उसे तूने कुछ दिया नहीं.
    और
    जिसके पास पहले से
    इतना कुछ है
    उसे तू छप्पर फाड़ के
    दिए जा रहा है.
    इसलिए,
    ऐ खुदा,
    तुझसे नाराज हूँ,

    कोई प्यार को तरसे
    किसी को प्यार से
    फुरसत नहीं है.
    किसी के हाथो में
    देकर तूने छीन लिया है.
    और
    किसी कि झोली
    भरे जा रहा है.
    इसलिए,
    ऐ खुदा,
    तुझसे नाराज हूँ,

    जो सच्चा है
    उससे तू छीने जा रहा है
    जो झूठा है
    उसकी झोली
    भरे जा रहा है.
    कानून का जो
    सम्मान करे,
    और
    कानून से जो डरे,
    कानून उसके पीछे पड़े,
    जो कानून को तोड़े,
    और
    अपने हाँथ में
    लेकर खिलवाड़ करे,
    कानून उससे डरे,
    भागता – बचता फिरे.
    इसलिए,
    ऐ खुदा,
    तुझसे नाराज हूँ,

    आँखों में
    सपने दिखाकर
    दिल तोडना
    तेरी फितरत हो गयी है.
    और
    जो दिल तोड़ते हैं
    उनके
    आँखों के सपने
    तू पूरे किये जा रहा है.
    इसलिए,
    ऐ खुदा,
    तुझसे नाराज हूँ,

    साधू संत अब
    माया के पीछे पड़े हैं,
    माया तो छोड़ो,
    चरित्र से भी गिरे हैं.
    और कुछ तो
    अपनी दुकानदारी में लगे हैं.
    आत्मा – परमात्मा
    की बात करने वाले,
    बीसियों पहरेदारों
    से घिरे हैं.
    इसलिए,
    ऐ खुदा,
    तुझसे नाराज हूँ,

    मंदिर – मस्जिद अब
    कहने को तेरा घर हैं,
    वैसे
    ये अब कमाई
    का धंधा बन गये हैं.
    महंत बनने को
    खून किये जा रहे हैं,
    और मस्जिदों से
    हथियारों के जखीरे
    मिल रहे हैं.
    इसलिए,
    ऐ खुदा,
    तुझसे नाराज हूँ,

    और शायद
    इसीलिए
    मैं तुझपर
    विश्वास खोता जा रहा हूँ
    और
    तेरा विश्वास
    मुझ पर से
    उठता जा रहा है.
    इसलिए,
    ऐ खुदा,
    तुझसे नाराज हूँ,
    और
    शायद
    तुझसे
    बहुत नाराज हूँ.

  • हिंदी कविता – अंतर्मन

    हिंदी कविता – अंतर्मन

    इस बदलती दुनिया में,
    पल पल होते हैं परिवर्तन.
    देखने में अच्छे लगते,
    पर सच जानता है अंतर्मन.

    परिवर्तनों के साथ जो चलता,
    गिरगिट की तरह रंग बदलता,
    वो ही जीवन में आगे बढ़ पायेगा.
    वरना भीड़ में अकेला रह जाएगा.

    अच्छा जीवन जीने को,
    क्या क्या कर रहा इंसान,
    दो वक्त की रोटी से
    संतुष्ट नहीं वो मेहनती किसान.

    आज के हालात कुछ हैं ऐसे,
    रिश्ते उन्हीं से जिनके पास हैं पैसे
    उन्हीं की होती जग में पूँछ.

    अपने बारे में जब सोचूं,
    खुद को पाती हूँ बहुत पीछे.

    इस रंग बदलती दुनिया में,
    क्या खुद को बदल पाऊँगी,
    गिरगिट बन आगे बढ़ूंगी
    या पीछे रह जाउंगी.

    इसी उलझन में वक्त गंवाकर
    असफल ही न रह जाऊं मैं.

    मेरे अवसर कोई और न चुरा ले,
    हाथ मलती न रह जाऊं मैं.

    ऊपर से दिखने वाले
    अंदर से कुछ और हैं.

    इनके सुन्दर मुखौटे के पीछे
    चेहरा बहुत कठोर है.

    पर मेरा मन एक पंछी बन
    आकाश में उड़ना चाहता है.

    दुनिया की सच्चाई जानकार
    मेरा मन घबराता है.

    लेकिन है अगर आगे बढ़ना,
    होगा मुझे इन सबसे लड़ना.

    अपना आत्म-विश्वास बढाकर
    लक्ष्य को पाने पाना है
    मुझे सफल हो जाना है.

    साभार: सुप्रिया

    रूपायन, अमर उजाला

  • मेरे सब्र का न ले इम्तिहान, मेरी खामोशियों को सदा न दे

    मेरे सब्र का न ले इम्तिहान, मेरी खामोशियों को सदा न दे

    किसी को प्यार करना और उसे हमेशा के लिए पा सकना जिंदगी की सबसे खूबसूरत घटना है…

    लेकिन किसी को बेइंतिहा प्यार करना और उसे खो देना, यह जिंदगी की दूसरी ऐसी घटना है जो हमारी जिंदगी का अहम हिस्सा होती है…

    आखिर खोने से पहले बहुत कुछ जो हमने पाया होता है, उसे हमसे कोई छीन नहीं सकता.

     

    मेरे सब्र का न ले इम्तिहान, मेरी खामोशियों को सदा न दे।
    तेरे बगैर जी न सके, उसे जिन्दगी की दुआ न दे।

    Hindi Poem and Shayari - Mere Sabr ka Na Le Imtihaan

    तू अजीज दिल-ओ-नजर से है, तू करीब रग-ऐ-नजर से है।
    मेरे जिस्म-ओ-जान का ये फासला, कहीं वक्त और बढ़ा न दे।

    तुझे भूल के भी भुला न सकूं, तुझे चाह के भी पा न सकूं।
    मेरी हसरतों को शुमार कर, मेरी चाहतों का सिला न दे।

    जरा देख चाँद की पत्तियों ने, बिखर-बिखर तमाम शब्।
    तेरा नाम लिखा है रेत पर, कोई लहर आके मिटा न दे।

    नए दौर के नए ख्वाब हैं, नए मौसमो के गुलाब हैं।
    ये मोहब्बतों के चिराग है, उन्हें नफरतों की हवा न दे।

    Hindi Poem and Shayari - Mere Sabr ka Na Le Imtihaan

    मैं उदासियों न सजा सकूं, कभी जिस्म-ओ-जान के नजर पर।
    न दिए जले मेरी आँख में, मुझे इतनी सख्त सजा न दे।

    मो. हासिम सिद्दीकी द्वारा भेजी गयी

  • हिंदी कविता – भविष्य की कल्पना

    हिंदी कविता – भविष्य की कल्पना

    दाने गिनकर दाल मिलेगी,

    गेंहूं की बस छाल मिलेगी.

     

    पानी के इंजेक्शन होंगे,

    घोषित रोज इलेक्शन होंगे.

     

    हलवाई हैरान मिलेंगे,

    बिन चीनी मिष्ठान मिलेंगे.

     

    जलने वाला खेत मिलेगा,

    बस मिट्टी का तेल मिलेगा.

     

    शीशी में पेट्रोल मिलेगा,

    आने वाली पीढ़ी को.

     

    राजनीति में तंत्र मिलेगा,

    गहरा एक षड़यंत्र मिलेगा.

     

    न सुभाष, न गाँधी होंगे,

    खादी के अपराधी होंगे.

     

    जनता गूंगी बहरी होगी,

    बेबस कोर्ट कचहरी होगी.

     

    मानवता की खाल मिलेगी,

    आने वाली पीढ़ी को.

     

    प्यासों की भी रैली होगी,

    गंगा बिलकुल मैली होगी.

     

    घरों घरों में फैक्स मिलेगा,

    साँसों पर भी टैक्स लगेगा.

     

    आने वाली पीढ़ी पर.

     

    साभार: रावेन्द्र कुमार

    Image Source: https://www.youtube.com/watch?v=jpgyD1Hs_sY

  • हिंदी कविता – जलते दिए – शहीदों के लिए

    हिंदी कविता – जलते दिए – शहीदों के लिए

    हम शहीदों की राहों के जलते दिए,

    हमको आंधी भला क्या बुझा पाएगी.

    मौत को हम सुला दें वतन के लिए,

    मौत हमको भला क्या सुला पाएगी.

    हम भी इस बाग़ के खिल रहे फूल हैं,

    जो शहीदों की राहों पर चढ़ते रहे.

    बिजलियों को कदम से कुचलते रहे,

    सर कटाने का हमने लिया है सबब.

    सर झुकाना तो हमने है सीखा नहीं,

    वाह रे हिन्द तेरी दुआ चाहिए.

    है भला कौन हस्ती, मिटा पाएगी जो,

    हम शहीदों की राहों के जलते दिए.

    साभार: ऋषि नारायण

    Image Source: http://indianexpress.com

  • हिंदी कविता – चाहत

    हिंदी कविता – चाहत

    छू लो उन गहराइयों को जिनसे तुम्हें मोहब्बत है,

    छू लो उन ऊंचाइयों को जिनकी तुम्हें चाहत है.

    पा लो उन सच्चाइयों को जिनकी तुमको हसरत है.

     

    मन में एक विचार करो, मन तुम्हारा अपना है,

    तन से तुम वो कार्य करो, तन तुम्हारा अपना है,

    तन, मन, धन से जुट जाओ, दृढ संकल्प तुम्हारा हो.

     

    पा लो तुम उस मंजिल को, जिसकी तुम्हें तमन्ना है,

    छू लो उन गहराइयों को जिनसे तुम्हें मोहब्बत है.

     

    अड़चन कितनी भी आये, कभी न डेग से तुमको हिलना,

    गिर के उठना उठ के गिरना, यही तुम्हारा मकसद हो,

    ठोकर खाकर के संभलना, यही तुम्हारा जीवन हो.

     

    पा लो अपने ध्येय को जिसकी तुमको ख्वाहिश है,

    छू लो उन गहराइयों को जिनसे तुम्हें मोहब्बत है,

    छू लो उन ऊंचाइयों को जिनकी तुम्हें चाहत है.

    पा लो उन सच्चाइयों को जिनकी तुमको हसरत है.
    साभार: रोली गुप्ता