Category: खबरें और राजनीति

  • कृषि कानूनों पर गतिरोध दूर करने के लिए किसान संगठनों के साथ केंद्र की वार्ता

    कृषि कानूनों पर गतिरोध दूर करने के लिए किसान संगठनों के साथ केंद्र की वार्ता

    कृषि कानूनों पर एक महीने से ज्यादा समय से चल रहे गतिरोध को खत्म करने के लिए प्रदर्शनकारी किसानों के संगठनों और तीन केंद्रीय मंत्रियों के बीच छठे दौर की वार्ता बुधवार दोपहर शुरू हुई।

    केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, रेलवे, वाणिज्य और खाद्य मंत्री पीयूष गोयल तथा वाणिज्य राज्य मंत्री सोम प्रकाश यहां विज्ञान भवन में 41 किसान संगठनों के प्रतिनिधियों के साथ चर्चा कर रहे हैं।

    कुछ दिनों के अंतराल के बाद दोनों पक्षों के बीच छठे दौर की वार्ता आरंभ हुई है। पिछली बैठक पांच दिसंबर को हुई थी।

    आंदोलन कर रहे किसान अपनी मांगों पर डटे हुए हैं कि केवल तीनों नए कृषि कानूनों को निरस्त करने की प्रक्रिया और एमएसपी पर कानूनी गारंटी प्रदान करने समेत अन्य मुद्दों पर ही चर्चा होगी।

    केंद्र ने सितंबर में लागू तीनों नए कृषि कानूनों पर गतिरोध दूर करने के लिए ‘‘खुले मन’’ से ‘‘तार्किक समाधान’’ तक पहुंचने के लिए यूनियनों को 30 दिसंबर को वार्ता के लिए आमंत्रित किया था।

    ‘संयुक्त किसान मोर्चा’ ने मंगलवार को अपने पत्र में कहा था कि एजेंडा में तीनों विवादित कानूनों को निरस्त करने और न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर कानूनी गारंटी देने के विषय को शामिल करना चाहिए।

    छठे दौर की वार्ता नौ दिसंबर को ही होने वाली थी लेकिन केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और यूनियन के कुछ नेताओं के बीच बातचीत में कोई नतीजा नहीं निकलने पर बैठक रद्द कर दी गयी थी।

    शाह से मुलाकात के बाद सरकार ने किसान संगठनों को एक प्रस्ताव भेजा था जिसमें नए कानून में सात-आठ संशोधन करने और एमएसपी पर लिखित आश्वासन देने की बात कही थी। सरकार ने तीनों कृषि कानूनों को निरस्त किए जाने से इनकार कर दिया था।

    कृषि कानूनों के खिलाफ पिछले एक महीने से भी ज्यादा समय से हजारों किसान राष्ट्रीय राजधानी की अलग-अलग सीमा पर प्रदर्शन कर रहे हैं। प्रदर्शन में ज्यादातर पंजाब और हरियाणा के किसान हैं।

    सरकार ने कहा है कि इन कानूनों से कृषि क्षेत्र में सुधार होगा और किसानों की आमदनी बढ़ेगी लेकिन प्रदर्शन कर रहे किसान संगठनों को आशंका है कि नए कानूनों से एमएसपी और मंडी की व्यवस्था ‘कमजोर’ होगी और किसान बड़े कारोबारी घरानों पर आश्रित हो जाएंगे।

    डिसक्लेमर: यह आर्टिकल भाषा पीटीआई न्यूज फीड से सीधे प्रकाशित किया गया है.

  • दिल्ली सरकार मध्याह्न भोजन योजना (Mid Day Meal) के तहत अपने छात्रों को छह महीने तक सूखा राशन देगी : केजरीवाल

    दिल्ली सरकार मध्याह्न भोजन योजना (Mid Day Meal) के तहत अपने छात्रों को छह महीने तक सूखा राशन देगी : केजरीवाल

    दिल्ली के मुख्यमंत्री ( Delhi CM ) अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) ने मंगलवार को कहा कि दिल्ली सरकार मध्याह्न भोजन योजना (Mid Day Meal) के तहत अपने छात्रों को छह महीने तक सूखा राशन देगी।

    Covid-19 वैश्विक महामारी के कारण स्कूलों के मार्च से बंद होने के मद्देनजर यह कदम उठाया गया है।

    मंडावली (Mandawali) इलाके के एक सरकारी स्कूल (Government School) में सूखा राशन बांटने के लिए आयोजित एक कार्यक्रम में केजरीवाल ने कहा, ‘‘ जब स्कूल बंद थे, तो हमने मध्याह्न भोजन योजना के लिए अभिभावकों को पैसे भेजने का फैसला किया था, लेकिन अब हमने छात्रों को छह महीने तक सूखा राशन देने का निर्णय किया है।’’

    देश में कोविड-19 के मद्देनजर मार्च से स्कूल बंद है। 15 अक्टूबर को कुछ राज्यों में आंशिक रूप से स्कूल खोले गए थे।

    दिल्ली सरकार (Delhi Government) ने हालांकि कहा है कि कोरोना वायरस का टीका आने तक राष्ट्रीय राजधानी में स्कूल नहीं खुलेंगे।

    डिसक्लेमर: यह आर्टिकल भाषा पीटीआई न्यूज फीड से सीधे प्रकाशित किया गया है.

  • Moon Village: कैसा होगा चांद पर बना इंसानी घरौंदा? तस्वीरों में दिखा आने वाला कल

    Moon Village: कैसा होगा चांद पर बना इंसानी घरौंदा? तस्वीरों में दिखा आने वाला कल

    Moon Village: चांद पर गांव बसाने के लिए यूरोपियन एजेंसी ने तैयारी शुरू कर दी है। ये घर कैसे होंगे, इसकी झलक ताजा तस्वीरों में दिखाई देती है।

    Moon Village

    किसी जमाने में चांद पर दुनिया बसाने के वादे किए जाते थे और आने वाले सालों में यह हकीकत हो सकती है। कम से कम यूरोपियन स्पेस एजेंसी के एक एक्सपर्ट का तो यही दावा है। हाल ही में Moon Village यानी चांद के गांव की तस्वीरें सामने आई हैं और माना जा रहा है कि आने वाले 10 साल में इसका काम शुरू हो सकता है। ESA अडवाइजर एडेन काउली का कहना है कि वहां बसे ढांचों के लिए चांद की मिट्टी का इस्तेमाल भी किया जा सकता है जो उन्हें -190 डिग्री सेल्सियस के तापमान और रेडिएशन से बचाने के काम आ सकती है।

    कैसे दिखेंगे ये ‘घर’?

    Moon Village

    चार तले की सिलिंडर के आकार की इमारतों की तस्वीरों में निचले क्षेत्र को स्टडी एरिया और मंगल पर मिशन भेजने के लिए लॉन्चपैड के तौर पर इस्तेमाल किया जा सकेगा। ESA के डायरेक्टर जनरल जैन वॉर्नर का कहना है कि उनका मकसद चांद पर स्थायी बेस बनाने का है जिसका इस्तेमाल दुनिया के दूसरे देश भी कर सकेंगे। काउली का कहना है कि अब सवाल यह नहीं है कि ‘क्या’ ऐसा हो पाएगा, बल्कि यह है कि ऐसा कब होगा।

    कैसे बनेंगे ये घर?

    Moon Village

    काउली ने कहा है, ‘ऐसा करना होगा क्योंकि अगर हम चांद, मंगल या उससे आगे किसी जगह को एक्सप्लोर करना चाहते हैं, तो हमें इस टेक्नॉलजी को मास्टर करना होगा।’ वह चांद की मिट्टी का इस्तेमाल एक मीटर चौड़ी दीवार बनाने के लिए करना चाहते हैं जिसके अंदर ऐस्ट्रोनॉट रहेंगे। चांद की यह मिट्टी रोबॉट इकट्ठा करेंगे और इसमें कांच जैसे पार्टिकल होते हैं। 3D प्रिंटर से इन्हें ईंटों में बदला जाएगा जिन्हें सूरज में सूखने के लिए रखा जाएगा।

    Moon Village

    NASA की टीम में शामिल राजाचारी

    वहीं, अमेरिका की स्पेस एजेंसी NASA साल 2024 तक एक महिला और एक पुरुष ऐस्ट्रोनॉट को चांद पर भेजने की तैयारी में है। इस Artemis मिशन के साथ चांद पर जाने वाले दूसरे मिशन्स के लिए एजेंसी ने 18 ऐस्ट्रोनॉट्स के नाम का ऐलान किया है। इनमें से एक भारतीय मूल के राजाचारी भी हैं जिनके पिता हैदराबाद से निकलकर अमेरिका में जाकर बस गए। इस टीम में दूसरे देशों के ऐस्ट्रोनॉट भी शामिल किए जाएंगे।

    Raja Chari

    साभार: नवभारत

  • संसद पर हुए कायराना हमले को हम कभी नहीं भूलेंगे : प्रधानमंत्री मोदी

    संसद पर हुए कायराना हमले को हम कभी नहीं भूलेंगे : प्रधानमंत्री मोदी

    नयी दिल्ली, 13 दिसंबर (भाषा) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 13 दिसंबर 2001 को संसद पर हुए आतंकवादी हमले में शहीद हुए सुरक्षाकर्मियों को रविवार को श्रद्धांजलि दी और कहा कि भारत अपनी संसद पर हुए कायराना हमले को कभी नहीं भूलेगा।

    प्रधानमंत्री मोदी ने ट्वीट किया, ‘‘हम हमारी संसद पर आज ही की तारीख में 2001 में हुए कायराना हमले को कभी नहीं भुलाएंगे। हम हमारी संसद की रक्षा करते हुए अपनी जान गंवाने वालों के बलिदान एवं बहादुरी को याद करते हैं। हम हमेशा उनके शुक्रगुजार रहेंगे।’’

    पाकिस्तानी आतंकवादी संगठनों के आतंकियों के हमले में आठ सुरक्षाकर्मियों समेत नौ लोगों ने जान गंवाई थी। सुरक्षा बलों ने सभी पांच आतंकवादियों को मार गिराया था। इस घटना के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बहुत बढ़ गया था।

    डिसक्लेमर: यह आर्टिकल भाषा पीटीआई न्यूज फीड से सीधे प्रकाशित किया गया है.

  • प्रधानमंत्री मोदी ने भूमि पूजन कर किया नये संसद भवन का शिलान्यास

    प्रधानमंत्री मोदी ने भूमि पूजन कर किया नये संसद भवन का शिलान्यास

    मुख्य बिंदु

    • 971 करोड रुपए लागत
    • 64,500 वर्ग मीटर क्षेत्रफल
    • स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ तक पूरा
    • 4 मंजिला होगा नया संसद भवन
    • 888 सदस्यों के बैठने की व्यवस्था
    • संयुक्त सत्र के दौरान 1224 सदस्यों के बैठने की व्यवस्था
    • राज्य सभा कक्ष में 384 सदस्यों के बैठने की व्यवस्था
    • 5 अगस्त 2019 को भवन के निर्माण का प्रस्ताव हुआ
    • डिजाइन अहमदाबाद के मैसर्स एचसीपी डिजाइन और मैनेजमेंट प्राइवेट लिमिटेड द्वारा
    • निर्माण टाटा प्रोजेक्ट्स लिमिटेड द्वारा
    • नई इमारत सुरक्षा सुविधाओं से लैस
    • लोकसभा मौजूदा आकार से तीन गुना बड़ी
    • भारत की गौरवशाली विरासत और सांस्कृतिक विविधता का समावेश
    Central Vista Project
    Central Vista Project

    नयी दिल्ली, 10 दिसंबर (भाषा) प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बृहस्पतिवार को भूमि पूजन करने के साथ ही नये संसद भवन की आधारशिला रखी। चार मंजिला नये संसद भवन का निर्माण कार्य भारत की स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ तक पूरा कर लिए जाने की संभावना है।

    वैदिक मंत्रोच्चार के बीच भूमि पूजन कार्यक्रम आरंभ हुआ और इसके संपन्न होने के बाद शुभ मुहुर्त में प्रधानमंत्री ने परम्परागत विधि विधान के साथ आधारशिला रखी।

    लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, विभिन्न राजनीतिक दलों के नेता, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह सहित कई केंद्रीय मंत्री, बड़ी संख्या में सांसद और कई देशों के राजदूत इस ऐतिहासिक अवसर के गवाह बने।

    नये संसद भवन का निर्माण 971 करोड रुपए की अनुमानित लागत से 64,500 वर्ग मीटर क्षेत्रफल में किए जाने का प्रस्ताव है।

    New Parliament Inside
    New Parliament Inside

    ज्ञात हो कि नये संसद भवन के निर्माण का प्रस्ताव उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू एवं लोक सभा अध्यक्ष ओम बिरला ने क्रमशः राज्यसभा और लोक सभा में 5 अगस्त 2019 को किया था।

    नये संसद भवन का डिजाइन अहमदाबाद के मैसर्स एचसीपी डिजाइन और मैनेजमेंट प्राइवेट लिमिटेड द्वारा तैयार किया गया है और इसका निर्माण टाटा प्रोजेक्ट्स लिमिटेड द्वारा किया जाएगा।

    Triangular Shaped New Parliament
    Triangular Shaped New Parliament

    नये भवन को सभी आधुनिक दृश्य – श्रव्य संचार सुविधाओं और डाटा नेटवर्क प्रणालियों से सुसज्जित किया जाएगा। यह सुनिश्चित करने के लिए विशेष ध्यान दिया जा रहा है कि निर्माण कार्य के दौरान संसद के सत्रों के आयोजन में कम से कम व्यवधान हो और पर्यावरण संबंधी सभी सुरक्षा उपायों का पालन किया जाये।

    लोकसभा सचिवालय के मुताबिक नए संसद भवन के लोकसभा कक्ष में 888 सदस्यों के बैठने की व्यवस्था होगी, जिसमें संयुक्त सत्र के दौरान 1224 सदस्यों के बैठने की व्यवस्था भी होगी। इसी प्रकार, राज्य सभा कक्ष में 384 सदस्यों के बैठने की व्यवस्था होगी।

    Parliament of India
    Parliament of India

    नए संसद भवन में भारत की गौरवशाली विरासत को भी दर्शाया जाएगा। देश के कोने-कोने से आए दस्तकार और शिल्पकार अपनी कला और योगदान के माध्यम से इस भवन में सांस्कृतिक विविधता का समावेश करेंगे।

    संसद भवन से सटी त्रिकोणीय आकार की नई इमारत सुरक्षा सुविधाओं से लैस होगी। नई लोकसभा मौजूदा आकार से तीन गुना बड़ी होगी और राज्‍यसभा के आकार में भी वृद्धि की गई है।

    Parliament from Above
    Parliament from Above

    नया संसद भवन भारत के लोकतंत्र और भारतवासियों के गौरव का प्रतीक होगा जो न केवल देश के गौरवशाली इतिहास अपितु इसकी एकता और विविधता का भी परिचय देगा।

    डिसक्लेमर: यह आर्टिकल भाषा पीटीआई न्यूज फीड से सीधे प्रकाशित किया गया है.

    Parliament Similar to 64 Yogini Temple
    Parliament Similar to 64 Yogini Temple
  • अमेरिका में फेसबुक पर छोटे प्रतिस्पर्धियों को ‘कुचलने’ के लिए बाजार की ताकत के दुरुपयोग का मुकदमा

    अमेरिका में फेसबुक पर छोटे प्रतिस्पर्धियों को ‘कुचलने’ के लिए बाजार की ताकत के दुरुपयोग का मुकदमा

    वाशिंगटन, 10 दिसंबर (भाषा) अमेरिका की सरकार और 48 राज्यों ने फेसबुक के खिलाफ समानांतर मुकदमे दायर किए हैं, जिसमें सोशल मीडिया की इस दिग्गज कंपनी पर एकाधिकार बनाने और छोटे प्रतिस्पर्धियों को ‘कुचलने’ के लिए बाजार की ताकत के दुरुपयोग का आरोप है।

    इसके बाद संघीय व्यापार आयोग (एफटीसी) और 48 राज्यों के अटॉर्नी जनरलों ने बुधवार को कंपनी पर मुकदमे की कार्रवाई शुरू कर दी, जिसके बाद फेसबुक के शेयरों में तेज गिरावट हुई।

    न्यूयॉर्क की अटॉर्नी जनरल लेटिटिया जेम्स के नेतृत्व वाले द्विपक्षीय गठबंधन ने आरोप लगाया कि फेसबुक ने अपने एकाधिकार को बनाए रखने के लिए एक व्यवस्थित रणनीति बनाई है। इसमें 2012 में करीबी प्रतिद्वंद्वी इंस्टाग्राम का अधिग्रहण, 2014 में मोबाइल मैसेजिंग ऐप व्हाट्सएप का अधिग्रहण और सॉफ्टवेयर डेवलपर्स पर प्रतिस्पर्धारोधी शर्तें लगाना शामिल है।

    संघीय शिकायत के अनुसार फेसबुक के इस आचरण से प्रतिस्पर्धा को नुकसान पहुंचा, उपभोक्ताओं के लिए सोशल नेटवर्किंग के सीमित विकल्प रह गए और विज्ञापनदाताओं को प्रतिस्पर्धा का लाभ नहीं मिला।

    फेसबुक की उपाध्यक्ष और जनरल काउंसल जेनिफर न्यूस्टेड ने मुकदमे का विरोध करते हुए इसे इतिहास को बदलने की कोशिश बताया।

    डिसक्लेमर: यह आर्टिकल भाषा पीटीआई न्यूज फीड से सीधे प्रकाशित किया गया है.

  • चीन कर रहा है प्रकृति से छेड़खानी, बना रहा है अपना सूरज

    चीन कर रहा है प्रकृति से छेड़खानी, बना रहा है अपना सूरज

    चीन का न्यूक्लियर फ्यूज़न (Nuclear Fusion) उपकरण ‘HL-2M’ टोकामक, जिसे “कृत्रिम सूर्य” भी कहा जा रहा है, चीन के सिचुआन प्रांत के चेंगदू में 4 दिसंबर, 2020 को दक्षिणपश्चिमी भौतिकी संस्थान (Southwestern Institute of Physics – SWIP) में अपना पहला प्लाज्मा डिस्चार्ज (Plasma Discharge) प्राप्त कर लिया है।

    चीन ने एक परमाणु संलयन रिएक्टर(Nuclear Fusion Reactor) को सफलतापूर्वक सक्रिय कर दिया है जो आने वाले वर्षों के लिए अपनी ऊर्जा की जरूरतों को पूरा कर सकता है। इसे चीन अपना “कृत्रिम सूरज” कह रहा है।

    राज्य नियंत्रित मीडिया रिपोर्ट के अनुसार चीन के परमाणु ऊर्जा प्राधिकरण ने शुक्रवार को पहली बार अपने HL-2M टोकामक रिएक्टर (HL-2M Tokamak reactor) को चलाया है।

    चीन का यह छोटा सा प्रयोग परमाणु ऊर्जा के सुरक्षित, स्वच्छ रूपों को विकसित करने के वैश्विक प्रयासों के बीच एक महत्वपूर्ण वैज्ञानिक उपलब्धि के रूप में तैयार किया जा रहा है।

    “पीपुल्स डेली ने कहा है कि परमाणु संलयन ऊर्जा का विकास न केवल चीन की सामरिक ऊर्जा जरूरतों को हल करने का एक तरीका है, बल्कि चीन की ऊर्जा और राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था के भविष्य के सतत विकास के लिए भी बहुत महत्व रखता है।”

    गर्म प्लाज्मा के एक लूप पर शक्तिशाली चुंबकीय बल (Magnetic Force) का प्रयोग करने पर इसका तापमान 150 मिलियन डिग्री सेल्सियस तक पहुँच जाता है जिससे यह रिएक्टर बिजली उत्पन्न करता है। .यह सूर्य के तापमान की तुलना में 10 गुना अधिक गर्म है, लेकिन चुम्बकीय क्षेत्र और सुपरकूलिंग तकनीक(Supercooling Technique) इसे कंट्रोल में रखती है।

    सुनने में यह कृत्रिम सूरज (Artificial Sun) एक विलेन जैसा लगता है जो पृथ्वी को ख़त्म कर सकता है लेकिन चीन इस अंतर्राष्ट्रीय थर्मोन्यूक्लियर एक्सपेरिमेंटल रिएक्टर (International Thermonuclear Experimental Reactor – ITER) पर अलग से काम करके दूसरे रमाणु शक्ति संपन्न राष्ट्रों से अलग परमाणु संलयन की ऊर्जा से विकास की एक नयी कहानी लिखना चाहता है।

    न्यूक्लियर फ्यूज़न पर वैज्ञानिक दशकों से काम कर रहे हैं। फ्यूजन की क्रिया में परमाणुओं के नाभिक को एक साथ जोड़कर शक्ति उत्पन्न की जाती है, जो बहुत काम मात्रा में परमाणु अपशिष्ट उत्पन्न करता है।
    वर्तमान में परमाणु हथियारों और बिजली संयंत्रों में परमाणु-विखंडन (Nuclear Fission) की प्रक्रिया अपनायी जाती है। विखंडन आसान है लेकिन यह ज्यादा परमाणु कचरा उत्पन्न करता है, जबकि संलयन की प्रक्रिया से बिजली प्राप्त करना कठिन है लेकिन यह एक तरह से साफ सुथरी ऊर्जा प्रदान करता है।

    फ़्यूज़न प्रक्रिया को अभी तक महंगा माना जाता है, लेकिन चीन अपने परीक्षण से लागतों को कम करने की कोशिश कर रहा है जिससे शोधकर्ताओं को मदद मिलेगी।

    ITER फ्रांस में अपने स्वयं के रिएक्टर पर काम कर रहा है, जो 2025 में पूरा होने की उम्मीद है।

  • जनरल नॉलेज अपडेट: माउंट एवरेस्ट की नई ऊंचाई 8848.86 मीटर, नेपाल, चीन ने किया ऐलान

    जनरल नॉलेज अपडेट: माउंट एवरेस्ट की नई ऊंचाई 8848.86 मीटर, नेपाल, चीन ने किया ऐलान

    काठमांडू, आठ दिसंबर (भाषा) नेपाल और चीन ने विश्व की सबसे ऊंची पर्वत चोटी माउंट एवरेस्ट की संशोधित ऊंचाई मंगलवार को संयुक्त रूप से जारी की जो 8848.86 मीटर बताई गई है।

    नेपाल सरकार ने एवरेस्ट की सटीक ऊंचाई मापने का निर्णय किया था । एवरेस्ट की ऊंचाई को लेकर पिछले कुछ सालों से बहस हो रही थी और ऐसा माना जा रहा था कि वर्ष 2015 में आए विनाशकारी भूकंप के साथ ही कई अन्य कारणों से संभवत: चोटी की ऊंचाई में बदलाव आया है।

    विदेश मंत्री प्रदीप ग्यावली ने कहा कि नेपाल ने एवरेस्ट की ऊंचाई 8848. 86 मीटर मापी है।

    नई ऊंचाई, पिछली बार मापी गई ऊंचाई से 86 सेंटीमीटर अधिक है।

    भारत सर्वेक्षण द्वारा 1954 में किए गए मापन के अनुसार माउंट एवरेस्ट की ऊंचाई 8,848 मीटर है।

    डिसक्लेमर: टाइटल को छोड़कर यह आर्टिकल भाषा पीटीआई न्यूज फीड से सीधे प्रकाशित किया गया है.

  • किसान आंदोलन : कड़कड़ाती ठण्ड, दसवां दिन, चार वार्ता फेल, अन्नदाता दिल्ली की सीमा पर अब भी जमे

    किसान आंदोलन : कड़कड़ाती ठण्ड, दसवां दिन, चार वार्ता फेल, अन्नदाता दिल्ली की सीमा पर अब भी जमे

    नयी दिल्ली, पांच दिसंबर (भाषा) तेज ठंड के बीच केंद्र के तीन कृषि कानूनों का विरोध कर रहे हजारों किसान शनिवार को लगातार दसवें दिन भी राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली की सीमाओं पर जमे हुए हैं। वहीं, इन कानूनों को वापस लेने की मांग के साथ किसानों के प्रतिनिधि पांचवे दौर की वार्ता के लिए सरकार से मिलने वाले हैं।

    Farmers Protest - Kisan Andolan
    Image Credits: bhaskar.com

    उत्तर प्रदेश और हरियाणा से दिल्ली को जोड़ने वाले रास्तों को पहले ही बाधित कर चुके आंदोलनकारी किसानों ने शुक्रवार को चेतावनी दी थी कि अगर सरकार उनकी मांगें स्वीकार नहीं करती है तो वे दूसरी सड़कों को भी बाधित करेंगे। उन्होंने आठ दिसंबर को भारत बंद का आह्वान भी किया है।

    Farmers Protest - Kisan Andolan
    Image Credits: bhaskar.com

    सरकार के साथ शनिवार दोपहर होने वाली बातचीत से पहले 40 किसान संगठनों के प्रतिनिधि अपनी रणनीति पर चर्चा करेंगे।

    किसान संगठनों ने शनिवार को सरकार और कारपोरेट घरानों के खिलाफ प्रदर्शन करने और पुतला दहन का आह्वान किया है।

    Farmers Protest - Kisan Andolan
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    नए कृषि कानूनों (Agriculture Ordinance Bill 2020) को लेकर जारी गतिरोध को दूर करने के लिए सरकार और आंदोलनकारी किसान संगठनों के बीच बृहस्पतिवार को चौथे दौर की वार्ता बेनतीजा रही।

    वहीं, किसानों ने दिल्ली में दाखिल होने के लिए अहम टिकरी (Tikri Border), सिंघु (Singhu Border), झरोड़ा (Jharoda Border), गाजीपुर (Ghazipur Boredr) और चिल्ला बॉर्डर (Chilla Border) को बाधित कर दिया है जिसकी वजह से यातायात प्रभावित हुआ है।

    Farmers Protest - Kisan Andolan
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    पुलिस ने इन बॉर्डर (Delhi Borders)पर यातायात का मार्ग परिवर्तित (Route Diversion at Delhi Borders) किया है। इसकी वजह से वैकल्पिक मार्गों पर ट्रैफिक जाम लग गया है।

    पुलिस ने लगातर दसवें दिन चल रहे किसान आंदोलन के मद्देनजर दिल्ली-हरियाणा सीमा (Delhi-Haryana Border) के सिंघु, टिकरी, झारोडा, झाटीकड़ा, औचंदी, लामपुर, पियाओ, मनियारी और मंगेश सीमा को बंद कर दिया है।

    Farmers Protest - Kisan Andolan
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    यात्री दरौला, कापसहेड़ा, रजोकरी राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या-8, बिजवासन/बजघेड़ा, पालम विहार और डुंडाहेड़ा सीमा के रास्ते हरियाणा जा सकते हैं।

    पुलिस ने बताया कि केवल दुपहिया और हल्के वाहनों के लिए बड़ूसराय बॉर्डर खुला है।

    Farmers Protest - Kisan Andolan
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    Farmers Protest - Kisan Andolan

     

    Farmers Protest - Kisan Andolan

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  • किसान विधेयक क्या है? क्या है सरकार का दावा और क्यों हो रहा है विरोध?

    किसान विधेयक क्या है? क्या है सरकार का दावा और क्यों हो रहा है विरोध?

    मोदी सरकार ने लोकसभा में तीन कृषि विधेयकों (Agriculture Ordinance Bill 2020) को पारित किया जिसको लेकर किसान दिल्ली में धरना प्रदर्शन (Farmers Protest) कर रहे हैं। बात यहाँ तक बढ़ चुकी है कि बीजेपी के साथ गठबंधन वाली पार्टियां भी इसका विरोध कर रही हैं। सरकार पर किसान विरोधी होने का आरोप लग रहा है। मौजूदा सत्तारूढ़ गठबंधन की वरिष्ठ मंत्री हरसिमरत कौर बादल (Harsimrat Kaur Resigns) ने इनके विरोध में इस्तीफा दे दिया। किसान सड़कों पर उतरकर इन विधेयकों का विरोध कर रहे हैं। ऐसे में तीनों विधेयक क्या हैं और इसका विरोध (Oppose of Farmers Bills) क्यों किया जा रहा है इसे समझने की कोशिश करते हैं।

    Agriculture Ordinance Bill 2020

    1. कृषक उत्पाद व्यापार एवं वाणिज्य (संवर्धन एवं सरलीकरण) विधेयक 2020 (The Farmers’ Produce Trade and Commerce (Promotion and Facilitation) Bill, 2020):

    प्रस्तावित कानून का उद्देश्य किसानों को अपने उत्पाद नोटिफाइड ऐग्रिकल्चर प्रोड्यूस मार्केटिंग कमेटी (APMC) यानी तय मंडियों से बाहर बेचने की छूट देना है। इसका लक्ष्य किसानों को उनकी उपज के लिये प्रतिस्पर्धी वैकल्पिक व्यापार माध्यमों से लाभकारी मूल्य उपलब्ध कराना है। इस कानून के तहत किसानों से उनकी उपज की बिक्री पर कोई सेस या फीस नहीं ली जाएगी।

    फायदा

    यह किसानों के लिये नये विकल्प उपलब्ध करायेगा। उनकी उपज बेचने पर आने वाली लागत को कम करेगा, उन्हें बेहतर मूल्य दिलाने में मदद करेगा। इससे जहां ज्यादा उत्पादन हुआ है उन क्षेत्र के किसान कमी वाले दूसरे प्रदेशों में अपनी कृषि उपज बेचकर बेहतर दाम प्राप्त कर सकेंगे।

    विरोध

    यदि किसान अपनी उपज को पंजीकृत कृषि उपज मंडी समिति (APMC/Registered Agricultural Produce Market Committee) के बाहर बेचते हैं, तो राज्यों को राजस्व का नुकसान होगा क्योंकि वे ‘मंडी शुल्क’ प्राप्त नहीं कर पायेंगे। यदि पूरा कृषि व्यापार मंडियों से बाहर चला जाता है, तो कमीशन एजेंट बेहाल होंगे। लेकिन, इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है, किसानों और विपक्षी दलों को यह डर है कि इससे अंततः न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) आधारित खरीद प्रणाली का अंत हो सकता है और निजी कंपनियों द्वारा शोषण बढ़ सकता है।

    Agriculture Ordinance Bill 2020

    2. किसान अनुबंध विधेयक 2020

    मूल्य आश्वासन और कृषि सेवाओं पर किसान (सशक्तिकरण एवं संरक्षण) अनुबंध विधेयक 2020 (The Farmers (Empowerment and Protection) Agreement of Price Assurance and Farm Services Bill, 2020): इस प्रस्तावित कानून के तहत किसानों को उनके होने वाले कृषि उत्पादों को पहले से तय दाम पर बेचने के लिये कृषि व्यवसायी फर्मों, प्रोसेसर, थोक विक्रेताओं, निर्यातकों या बड़े खुदरा विक्रेताओं के साथ अनुबंध करने का अधिकार मिलेगा।

    Agriculture Ordinance Bill 2020

    लाभ

    इससे किसान का अपनी फसल को लेकर जो जोखिम रहता है वह उसके उस खरीदार की तरफ जायेगा जिसके साथ उसने अनुबंध किया है। उन्हें आधुनिक तकनीक और बेहतर इनपुट तक पहुंच देने के अलावा, यह विपणन लागत को कम करके किसान की आय को बढ़ावा देता है।

    विरोध

    किसान संगठनों और विपक्षी दलों का कहना है कि इस कानून को भारतीय खाद्य व कृषि व्यवसाय पर हावी होने की इच्छा रखने वाले बड़े उद्योगपतियों के अनुरूप बनाया गया है। यह किसानों की मोल-तोल करने की शक्ति को कमजोर करेगा। इसके अलावा, बड़ी निजी कंपनियों, निर्यातकों, थोक विक्रेताओं और प्रोसेसर को इससे कृषि क्षेत्र में बढ़त मिल सकती है।

    Agriculture Ordinance Bill 2020

    3. असेंशियल कमोडिटी बिल 2020

    आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक 2020 (Essential Commodities (Amendment) Bill 2020): यह प्रस्तावित कानून आवश्यक वस्तुओं की सूची से अनाज, दाल, तिलहन, प्याज और आलू जैसी कृषि उपज को युद्ध, अकाल, असाधारण मूल्य वृद्धि व प्राकृतिक आपदा जैसी ‘असाधारण परिस्थितियों’ को छोड़कर सामान्य परिस्थितियों में हटाने का प्रस्ताव करता है तथा इस तरह की वस्तुओं पर लागू भंडार की सीमा भी समाप्त हो जायेगी।

    Agriculture Ordinance Bill 2020

    लाभ

    इसका उद्देश्य कृषि क्षेत्र में निजी निवेश / एफडीआई को आकर्षित करने के साथ-साथ मूल्य स्थिरता लाना है।

    विरोध

    इससे बड़ी कंपनियों को इन कृषि जिंसों के भंडारण की छूट मिल जायेगी, जिससे वे किसानों पर अपनी मर्जी थोप सकेंगे।

    सरकार का पक्ष

    कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा है कि किसानों के लिये फसलों के न्यमनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की व्यवस्था जारी रहेगी। इसके अलावा, प्रस्तावित कानून राज्यों के कृषि उपज विपणन समिति (एपीएमसी) कानूनों का अतिक्रमण नहीं करता है। ये विधेयक यह सुनिश्चित करने के लिये हैं कि किसानों को मंडियों के नियमों के अधीन हुए बिना उनकी उपज के लिये बेहतर मूल्य मिले। उन्होंने कहा कि इन विधेयकों से यह सुनिश्चित होगा कि किसानों को उनकी उपज का बेहतर दाम मिले, इससे प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी और निजी निवेश के साथ ही कृषि क्षेत्र में अवसंरचना का विकास होगा और रोजगार के अवसर पैदा होंगे।

    Agriculture Ordinance Bill 2020

    इन्‍हीं शंकाओं को दूर करने के लिए नरेंद्र मोदी सरकार ने अखबारों में विज्ञापन देकर स्थिति साफ करने की कोशिश की थी। छह बड़े बिंदुओं पर सरकार ने ‘झूठ’ और ‘सच’ को सामने रखा था।

     

    न्‍यूनतम समर्थन मूल्‍य का क्‍या होगा?

    झूठ: किसान बिल असल में किसानों को न्‍यूनतम समर्थन मूल्‍य न देने की साजिश है।
    सच: किसान बिल का न्‍यूनतम समर्थन मूल्‍य से कोई लेना-देना नहीं है। एमएसपी दिया जा रहा है और भविष्‍य में दिया जाता रहेगा।

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    मंडियों का क्‍या होगा?

    झूठ: अब मंडियां खत्‍म हो जाएंगी।
    सच: मंडी सिस्‍टम जैसा है, वैसा ही रहेगा।

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    किसान विरोधी है बिल?

    झूठ: किसानों के खिलाफ है किसान बिल।

    सच: किसान बिल से किसानों को आजादी मिलती है। अब किसान अपनी फसल किसी को भी, कहीं भी बेच सकते हैं। इससे ‘वन नेशन वन मार्केट’ स्‍थापित होगा। बड़ी फूड प्रोसेसिंग कंपनियों के साथ पार्टनरशिप करके किसान ज्‍यादा मुनाफा कमा सकेंगे।

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    बड़ी कंपनियां शोषण करेंगी?

    झूठ: कॉन्‍ट्रैक्‍ट के नाम पर बड़ी कंपनियां किसानों का शोषण करेंगी।
    सच: समझौते से किसानों को पहले से तय दाम मिलेंगे लेकिन किसान को उसके हितों के खिलाफ नहीं बांधा जा सकता है। किसान उस समझौते से कभी भी हटने के लिए स्‍वतंत्र होगा, इसलिए लिए उससे कोई पेनाल्‍टी नहीं ली जाएगी।

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    छिन जाएगी किसानों की जमीन?

    झूठ: किसानों की जमीन पूंजीपतियों को दी जाएगी।
    सच: बिल में साफ कहा गया है कि किसानों की जमीन की बिक्री, लीज और गिरवी रखना पूरी तरह प्रतिबंधित है। समझौता फसलों का होगा, जमीन का नहीं।

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    किसानों को नुकसान है?

    झूठ: किसान बिल से बड़े कॉर्पोरेट को फायदा है, किसानों को नुकसान है।
    सच: कई राज्‍यों में बड़े कॉर्पोरेशंस के साथ मिलकर किसान गन्‍ना, चाय और कॉफी जैसी फसल उगा रहे हैं। अब छोटे किसानों को ज्‍यादा फायदा मिलेगा और उन्‍हें तकनीक और पक्‍के मुनाफे का भरोसा मिलेगा।

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    किसान बिल की हकीकत

    लेकिन हकीकत में सभी किसानों को न्‍यूनतम समर्थन मूल्‍य नहीं मिल पा रहा है. सरकारी मंडियों में आढ़ती अनाज नहीं खरीद रहे हैं. उन्होंने अपनी आढतें मंडी के बाहर लगनी शुरू कर दी हैं. आढ़तियों का तर्क है की अगर वे न्‍यूनतम समर्थन मूल्‍य पर अनाज खरीदेंगे तो वो बेचेंगे कहाँ. उनका कहना है की उन्हें इस रेट पर खरीददार नहीं मिल रहे हैं. किसान अपनी फसल का स्टॉक नहीं कर सकते हैं क्योंकि उन्हें अगली फसल के लिए भी तयारी करनी है.

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    विरोध कर रहे किसानों की ये है मांगें

    • आंदोलनकारी किसान संगठन तीनों कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग कर रहे हैं।
    • किसानों का कहना है कि ये तीनों बिल कृषि का निजीकरण करेंगे। इनसे बड़े कॉरपोरेट घरानों को ज्यादा फायदा होगा।
    • किसानों को लिखित में आश्वासन दिया जाए कि एमएसपी और कन्वेंशनल फूड ग्रेन ​खरीद सिस्टम खत्म नहीं होगा। इसके लिए चाहे तो सरकार अलग से एक विधेयक लेकर आ जाए।
    • किसान संगठन बिजली बिल 2020 को लेकर विरोध कर रहे हैं। सरकार बिजली वितरण प्रणाली का निजीकरण कर रही है, जिससे किसानों को सब्सिडी पर या फ्री बिजली सप्लाई की सुविधा खत्म हो जाएगी।
    • खेती का अवशेष जलाने पर किसान को 5 साल की जेल और 1 करोड़ रुपए तक का जुर्माना हो सकता है। किसान इसे प्रावधान को भी खत्म करने की मांग कर रहे हैं।
    • पंजाब में पराली जलाने वाले किसानों को सिर्फ जुर्माना लगाकार गिरफ्तार किए गए किसानों को रिहा किया जाए।

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    साभार: नवभारत टाइम्स