Category: खबरें और राजनीति

  • कोविशील्ड की खुराकों के बीच अंतराल को लेकर विचार-विमर्श चल रहा है: अरोड़ा

    कोविशील्ड की खुराकों के बीच अंतराल को लेकर विचार-विमर्श चल रहा है: अरोड़ा

    नयी दिल्ली, 16 जून (भाषा) सरकार के राष्ट्रीय टीकाकरण तकनीकी सलाहकार समूह (एनटीएजीआई) के कोविड-19 संबंधी कार्यसमूह के प्रमुख डॉ. एनके अरोड़ा ने कहा है कि आंशिक टीकाकरण तथा पूर्ण टीकाकरण की प्रभावशीलता के बारे में सामने आ रहे साक्ष्यों पर विचार किया जा रहा है और यह मंथन भी चल रहा है कि क्या भारत को कोविड-19 रोधी टीके कोविशील्ड की दोनों खुराकों के बीच अंतराल को घटाकर फिर से चार से आठ हफ्ते कर देना चाहिए।

    कोविशील्ड की दोनों खुराकों के बीच अंतराल

    अरोड़ा ने कहा कि कोविशील्ड की दो खुराकों के बीच अंतराल को 4-6 हफ्ते से बढ़ाकर 12-16 हफ्ते करने का फैसला वैज्ञानिक आधार पर लिया गया था और इस बारे में एनटीएजीआई के सदस्यों के बीच कोई मतभेद नहीं थे।

    उन्होंने कहा, ‘‘कोविड-19 और टीकाकरण परिवर्तनशील हैं। कल को यदि टीका निर्माण तकनीक (वैक्सीन प्लेटफॉर्म) में कहा जाता है कि टीके की खुराकों के बीच अंतराल कम करना लोगों के लिए फायदेमंद है चाहे इससे महज पांच या दस फीसदी ही अधिक लाभ मिल रहा हो तो समिति गुण-दोष के आधार तथा ज्ञान के बूते पर इस बारे में फैसला लेगी। वहीं दूसरी ओर, यदि ऐसा पता चलता है कि वर्तमान फैसला सही है तो हम इसे जारी रखेंगे।’’

    खुराकों के बीच अंतराल कम करना

    स्वास्थ्य मंत्रालय के वक्तव्य के मुताबिक अरोड़ा ने डीडी न्यूज को बताया कि टीके की खुराकों के बीच अंतर बढ़ाने का आधार ‘‘एडेनोवेक्टर टीकों’’ से जुड़े बुनियादी वैज्ञानिक कारण थे।

    अप्रैल माह के अंतिम हफ्ते में ब्रिटेन के स्वास्थ्य विभाग की एजेंसी ‘पब्लिक हैल्थ इंग्लैंड’ ने आंकड़े जारी कर बताया था कि टीके की खुराक के बीच 12 हफ्ते का अंतराल होने पर इसकी प्रभावशीलता 65 से 88 फीसदी के बीच रहती है।

    खुराकों के बीच अंतराल बढ़ा

    अरोड़ा ने कहा, ‘‘इसी वजह से वे अल्फा स्वरूप के प्रकोप से बाहर आ सके। वहां टीके की खुराकों के बीच अंतर 12 हफ्ते रखा गया था। हमारा सोचना था कि यह एक अच्छा विचार है और इस बात के बुनियादी वैज्ञानिक कारण भी मौजूद हैं कि अंतराल बढ़ाने पर एडेनोवेक्टर टीके बेहतर परिणाम देते हैं। इसलिए टीके की खुराकों के बीच अंतराल बढ़ाकर 12 से 16 हफ्ते करने का 13 मई को फैसला लिया गया।

    उन्होंने कहा कि कोविशील्ड टीके की दो खुराकों के बीच अंतराल को बढ़ाने का निर्णय वैज्ञानिक प्रमाणों के आधार पर पारदर्शी तरीके से लिया गया है। उन्होंने कहा कि इस संबंध में समूह के सदस्यों के बीच कोई मतभेद नहीं था।

    सरकार ने 13 मई को कहा था कि उसने कोविड-19 कार्यकारी समूह की अनुशंसाओं को स्वीकार करते हुए कोविशील्ड टीके की दो खुराकों के बीच के अंतराल को 6-8 सप्ताह से बढ़ाकर 12-16 सप्ताह कर दिया है।

    बयान के मुताबिक अरोड़ा ने कहा कि कनाडा, श्रीलंका और कुछ अन्य देशों के उदाहरण भी हैं जहां एस्ट्राजेनेका टीके के लिए 12 से 16 हफ्ते का अंतराल रखा गया है।

    उन्होंने बताया, ‘‘खुराकों के बीच अंतर बढ़ाने का जब हमने फैसला लिया उसके दो से तीन दिन बाद ब्रिटेन से खबरें आईं कि एस्ट्राजेनेका टीके की एक खुराक से महज 33 फीसदी बचाव ही होता है जबकि दो खुराकों से 60 फीसदी तक बचाव होता है। मई माह के मध्य से ही यह विचार विमर्श चल रहा है कि क्या भारत को खुराकों के बीच अंतराल फिर से चार से आठ हफ्ते कर देना चाहिए।’’

    आंशिक टीकाकरण की पूर्ण टीकाकरण से तुलना

    उन्होंने पीजीआई चंडीगढ़ में हुए एक अध्ययन का जिक्र किया जिसमें आंशिक टीकाकरण की पूर्ण टीकाकरण से तुलना की गई। इस अध्ययन में स्पष्ट रूप से बताया गया कि आंशिक टीकाकरण और पूर्ण टीकाकरण दोनों की प्रभावशीलता 75 फीसदी है। यह अध्ययन अल्फा स्वरूप के संबंध में किया गया था जो पंजाब, उत्तर भारत और दिल्ली में पाया गया था।

    अरोड़ा ने बताया कि सीएमसी वेल्लोर में हुए अध्ययन के परिणाम भी इसके समान ही हैं जिसमें बताया गया कि कोविशील्ड के आंशिक टीकाकरण से 61 फीसदी तक बचाव हो सकता है और दो खुराकों से 65 फीसदी तक बचाव होता है।

    पीटीआई-भाषा संवाददाता

    डिसक्लेमर: यह आर्टिकल भाषा पीटीआई न्यूज फीड से सीधे प्रकाशित किया गया है.

     

  • ट्विटर को डिजिटल मीडिया संबंधी नए आईटी नियमों का पालन करना होगा: उच्च न्यायालय

    ट्विटर को डिजिटल मीडिया संबंधी नए आईटी नियमों का पालन करना होगा: उच्च न्यायालय

    दिल्ली उच्च न्यायालय ने सोमवार को कहा कि यदि डिजिटल मीडिया संबंधी नए सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) नियमों पर रोक नहीं लगाई गई है तो ट्विटर को इनका पालन करना होगा।

    इस टिप्पणी के साथ ही न्यायमूर्ति रेखा पल्ली ने अधिवक्ता अमित आचार्य की याचिका पर केंद्र और सोशल मीडिया मंच ट्विटर को नोटिस जारी कर उन्हें अपना पक्ष रखने का निर्देश दिया है।

    आचार्य ने अपनी याचिका में दावा किया है कि ट्विटर ने नियमों का पालन नहीं किया है।

    दूसरी ओर, ट्विटर ने अदालत के समक्ष दावा किया कि उसने नियमों का पालन किया है और एक शिकायत निवारण स्थानीय अधिकारी नियुक्त किया है, लेकिन केंद्र सरकार ने इस दावे को गलत ठहराया।

    अदालत ने कहा, ‘‘यदि इन (नियमों) पर रोक नहीं लगाई गई है, तो उन्हें इसका पालन करना होगा।’’

    आचार्य ने वकील आकाश वाजपेयी और मनीष कुमार के जरिए दर्ज कराई गई याचिका में कहा कि जब उन्होंने कुछ ट्वीट के बारे में शिकायत दर्ज करवाने का प्रयास किया, तब उन्हें सरकारी नियमों का अनुपालन कथित रूप से नहीं किए जाने के बारे में पता चला।

    सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार के स्थायी वकील रिपुदमन सिंह भारद्वाज ने अदालत से कहा कि ट्विटर ने नियमों का पालन नहीं किया है।

    याचिका में कहा गया है कि ट्विटर ने शिकायत निवारण स्थानीय अधिकारी नियुक्त करने संबंधी केंद्र के आईटी कानून के नियम का पालन नहीं किया है। इसमें अनुरोध किया गया है कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्विटर को इस नियम का अविलंब पालन करने का निर्देश दिया जाए।

    याचिका में कहा गया है कि नए आईटी नियम 25 फरवरी को प्रभाव में आए तथा केंद्र ने ट्विटर समेत सभी सोशल मीडिया मंचों को इनका पालन करने के लिए तीन महीने का वक्त दिया था।

    याचिका में कहा गया कि यह अवधि 25 मई को समाप्त हो गई लेकिन ट्विटर ने इस मंच पर ट्वीट से जुड़ी शिकायतों को देखने के लिए आज तक शिकायत निवारण स्थानीय अधिकारी की नियुक्ति नहीं।

    याचिका में केंद्र को भी निर्देश देने का अनुरोध किया गया कि वह आईटी नियमों का अनुपालन सुनिश्चित करे।

    ट्विटर ने हाल में नए आईटी नियमों की आलोचना की थी और कहा था कि ये नियम ‘‘मुक्त और खुली सार्वजनिक बातचीत को रोकते हैं।’’

    इस पर प्रतिक्रिया में केंद्र ने कहा था कि ट्विटर भारत को बदनाम करने के लिए निराधार और झूठे आरोप लगा रहा है।

    डिसक्लेमर: यह आर्टिकल भाषा पीटीआई न्यूज फीड से सीधे प्रकाशित किया गया है.

  • कुछ ओटीटी प्लेटफॉर्म कई बार अश्लील सामग्री प्रसारित करते हैं: न्यायालय

    कुछ ओटीटी प्लेटफॉर्म कई बार अश्लील सामग्री प्रसारित करते हैं: न्यायालय

    उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को कहा कि ‘ओवर दी टॉप (OTT) प्लेटफॉर्म’ पर कई बार किसी न किसी तरह की अश्लील सामग्री दिखाई जाती है और इस तरह के कार्यक्रमों पर नजर रखने के लिए एक तंत्र की आवश्यकता है।

    न्यायमूर्ति अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली पीठ ने सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता से कहा कि वह सोशल मीडिया के नियमन संबंधी सरकार के हालिया दिशा-निर्देशों के बारे में शुक्रवार को जानकारी दें। इसी दिन अमेजन प्राइम की इंडिया प्रमुख अर्पणा पुरोहित की याचिका पर भी सुनवाई की जाएगी।

    पीठ ने कहा, ‘‘संतुलन कायम करने की आवश्यकता है क्योंकि कुछ ओटीटी प्लेटफॉर्म पर अश्लील सामग्री भी दिखाई जा रही है।’’

    डिसक्लेमर: यह आर्टिकल भाषा पीटीआई न्यूज फीड से सीधे प्रकाशित किया गया है.

  • UP Panchayat chunav 2021: पंचायत चुनाव में कितना कर सकेंगे खर्च? कितनी जमानत राशि, जानें हर डिटेल

    UP Panchayat chunav 2021: पंचायत चुनाव में कितना कर सकेंगे खर्च? कितनी जमानत राशि, जानें हर डिटेल

    उत्तर प्रदेश में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव (UP Panchayat Election 2021) की कवायद तेज हो गई है। प्रदेश में जिलेवार आरक्षण की लिस्ट ब्लॉक और जिला मुख्यालय पर चस्पा की जा रही है। वहीं फाइनल लिस्ट 15 मार्च को जारी होगी। इसके बाद ही राज्य चुनाव आयोग त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की अधिसूचना जारी करेगा।

    ऐसे में चुनाव की तैयारी में लगे भावी प्रधान समेत अन्य प्रत्याशी चुनाव खर्च का लेखा-जोखा जोड़ने में लगे हैं। चर्चा है कि ग्राम पंचायत सदस्य के चुनाव में 650 रुपये खर्च करने से लेकर 4500 रुपये प्रधान और दूसरे अन्य पदों के लिए खर्च करने पड़ सकते हैं। वहीं रिजर्व कटेगरी के प्रत्याशियों को इसमें भी फायदा मिलेगा।

    ग्राम पंचायत सदस्यके लिए इतना आएगा खर्च

    यूपी चुनाव आयोग के मुताबिक, त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में ग्राम पंचायत सदस्य पद के प्रत्याशी को सबसे कम खर्च करना पड़ेगा। इस पद के लिए 150 रुपये नामांकन पत्र और 500 रुपये की जमानत राशि देनी होगी। ऐसे में ग्राम पंचायत सदस्य के भावी उम्मीदवार को कुल 650 रुपये जमा करना होगा। वहीं चुनाव जीतने के लिए प्रचार में अधिकतम 10,000 रुपये खर्च कर सकता है।

    प्रधान के लिए इतना आएगा खर्च

    प्रधान पद के प्रत्याशी को नामांकन पत्र के लिए 300 रुपये देना होगा। वहीं 2000 रुपये जमानत राशि अदा करनी होगी। चुनाव बाद जमानत जब्त न होने की स्थिति में वापस लिया जा सकता है। यानी प्रधान पद के लिए चुनाव लड़ने की तैयारी करने वाले प्रत्याशी को 2300 रुपये का इंतजाम करना होगा। प्रधान को प्रचार अभियान में 75000 रुपये खर्च करना होगा।

    बीडीसी में लगेगी इतनी फीस

    क्षेत्र पंचायत सदस्य यानी बीडीसी पद के लिए ग्राम प्रधान की तरह ही पैसे का इंतजाम करना होगा। बीडीसी के लिए 300 रुपये नामांकन और 2000 रुपये की जमानत राशि देनी होगी। यानी कुल 23 सौ रुपये बीडीसी लड़ने के लिए जमा करना होगा। वहीं बीडीसी प्रत्याशी को चुनाव जीतने और प्रचार के लिए 75000 रुपये खर्च करना होगा।

    जिला पंचायत के लिए इतनी फीस

    जिला पंचायत सदस्य को 500 रुपये का नामांकन पत्र खरीदना होगा। वहीं 4000 रुपये बतौर जमानत राशि देनी होगी। जिला पंचायत सदस्य का चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशी को कुल 4500 रुपये की व्यवस्था करनी होगी। हालांकि एसटी-एससी, पिछड़ा अथवा महिला वर्ग को फीस में राहत मिलेगी। चुनाव प्रचार के दौरान जिला पंचायत सदस्य अधिकतम डेढ़ लाख खर्च कर सकते हैं।

     

    ब्लाक प्रमुख और जिला पंचायत अध्यक्ष का चुनावी खर्च

    ब्लाक प्रमुख का चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवार अधिकतम दो लाख रुपये खर्च कर सकते हैं वहीं जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी पाने के लिए उम्मीदवार 4 लाख रुपये खर्च कर सकते हैं।

    आरक्षण लिस्ट जारी, ब्लॉक और जिला मुख्यालय पर चस्पा

    उत्तर प्रदेश शासन ने त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों के लिए आरक्षण की सूची मंगलवार को जारी कर दी। चुनाव को लेकर महिला, अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति, पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित और अनारक्षित सीटों के आवंटन की सूची का लंबे समय से इंतजार किया जा रहा था। मंगलवार को यह इंतजार खत्म हो गया। पंचायत चुनाव, जिला पंचायत सदस्यों, ब्लॉक प्रमुख और पंचायत सदस्यों के पद पर होने वाले चुनाव के लिए आरक्षण की लिस्ट जारी की गई है।

    देखें आरक्षण का ब्योरा

    ब्लॉक प्रमुख आरक्षण सूची 2021

    अनारक्षित: 314
    महिला: 113
    ओबीसी: 223
    एससी: 171
    एसटी: 05
    कुल: 826

    ग्राम प्रधान आरक्षण सूची 2021

    पद अनारक्षित: 20,368
    महिला: 9,739
    ओबीसी: 15,712
    एससी: 12,045
    एसटी: 330
    कुल: 58,194

    जिला पंचायत अध्यक्ष आरक्षण सूची 2021

    अनुसूचित जाति:

    कानपुर नगर , औरैया, चित्रकूट, महोबा, झांसी , जालौन, बाराबंकी, लखीमपुर खीरी , रायबरेली, मिर्जापुर जिला

    अनुसूचित जाति (स्त्री):

    शामली, बागपत , लखनऊ , कौशांबी , सीतापुर , हरदोई जिला

    अन्य पिछड़ा वर्ग (स्त्री):

    संभल, हापुड़, एटा , बरेली , कुशीनगर, वाराणसी, बदायूं

    अन्य पिछड़ा वर्ग:

    आजमगढ़, बलिया, इटावा, फर्रुखाबाद, बांदा, ललितपुर, अंबेडकर नगर, पीलीभीत , बस्ती, संतकबीरनगर , चंदौली , सहारनपुर , मुजफ्फरनगर

    स्त्रियों के लिए आरक्षित:

    कासगंज , फिरोजाबाद, मैनपुरी, मऊ, प्रतापगढ़ , कन्नौज, हमीरपुर , बहराइच, अमेठी , गाजीपुर , जौनपुर, सोनभद्र

    अनारक्षित:

    अलीगढ़ , हाथरस, आगरा , मथुरा , प्रयागराज , फतेहपुर, कानपुर देहात , गोरखपुर, देवरिया , महाराजगंज , गोंडा , बलरामपुर , श्रावस्ती , अयोध्या, सुल्तानपुर, शाहजहांपुर , सिद्धार्थनगर , मुरादाबाद , बिजनौर , रामपुर, अमरोहा , मेरठ , बुलंदशहर , गाजियाबाद , गौतमबुद्धनगर, उन्नाव, भदोही

    Source: Navbharat Times

  • पकड़ी गई इंसानी चेहरे वाली म्यूटेंट शार्क, दहशत में आए लोग

    पकड़ी गई इंसानी चेहरे वाली म्यूटेंट शार्क, दहशत में आए लोग

    जकार्ता
    इंडोनेशिया के एक मछुआरे ने इंसानी चेहरे वाले एक म्यूटेंट शार्क (Mutant Shark)को पकड़ा है। जिसे देखने के बाद लोग दहशत में आ गए। इंसानों जैसे चेहरे (Looks like Human Face) वाली इस शार्क को एक बड़ी शार्क के पेट से निकाला गया है। इस शार्क को मछुआरे ने बेचने से इनकार करते हुए घर में ही पालना शुरू किया है। जिसके बाद बड़ी संख्या में लोग इसे देखने आ रहे हैं।

    शार्क के पेट से मिला इंसानों जैसे दिखने वाला बच्चा

    इस म्यूटेंट बेबी शार्क को 48 साल के मछुआरे अब्दुल्ला नूरन ने ईस्ट नुसा तेंगारा प्रांत में रोटे नादो के पास से पकड़ा था। इस मछुआरे ने गलती से अपनी जाल में एक गर्भवती शार्क को पकड़ लिया था। जिसके बाद उसने जब शार्क को काटा तो उसके पेट से 3 छोटे-छोटे बच्चे निकले। इनमें से एक का चेहरा इंसानों की तरह मिलता था।

    मछुआरे ने शार्क को बेचने से किया इनकार

    अब्दुल्ला नूरन ने ने कहा कि मैंने शुरू में एक बड़ी शार्क को अपने ट्रालर के नीचे जाल में फंसा हुआ देखा। अगले दिन जब मैंने शार्क को काटा तो उसके अंदर तीन बच्चे निकले। उनमें से दो बच्चे तो अपनी मां की तरह दिखते थे, लेकिन एक का चेहरा एकदम इंसानों जैसा था। जिसके बाद मैं इस बेबी शार्क को घर ले आया और उसे पाल रहा हूं।

    Mutant Shark Looks Like Human Face

    शार्क के बच्चे को पाल रहा है मछुआरा

    उन्होंने बताया कि उनके पड़ोसी सहित बहुत से लोग ऐसे हैं जो जो इस शार्क के बच्चे को खरीदना चाहते हैं। लेकिन, मैंने सभी के प्रस्ताव को ठुकरा दिया है। मेरे घर पर उन लोगों की भारी भीड़ उमड़ रही है जो इस शार्क को देखना चाहते हैं। बहुत से लोग इसे खरीदना चाहते हैं, लेकिन मैं इसके बजाय इसे संरक्षित करूंगा। मुझे लगता है कि इससे मेरी किस्मत बदल जाएगी।

    Source: Navbharat Times

  • कौन है दिशा रवि (Disha Ravi) और क्या होता है टूलकिट (Toolkit)

    कौन है दिशा रवि (Disha Ravi) और क्या होता है टूलकिट (Toolkit)

    तीन कृषि कानूनों (Agricultural law) के खिलाफ चल रहे किसानों के प्रदर्शन से जुड़ी ‘टूलकिट’ सोशल मीडिया पर साझा करने के मामले में रविवार को पहली गिरफ्तारी हुई। दिल्ली पुलिस की साइबर सेल ने शनिवार को इसमें संलिप्तता के आरोप में कर्नाटक के बंगलूरू से 21 वर्षीय पर्यावरण कार्यकर्ता दिशा रवि (Disha Ravi) को गिरफ्तार किया है। उसे रविवार को अदालत में पेश करने के बाद 5 दिन की पुलिस हिरासत में भेज दिया गया। उन पर पर्यावरण परिवर्तन कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग (Greta Thunberg) द्वारा साझा की गई टूलकिट (Toolkit) को एडिट करने और बाद में आगे बढ़ाने का आरोप है। अब दिशा की गिरफ्तारी के बाद दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल (Arvind Kejriwal) से लेकर तमाम विपक्षी नेता दिशा की गिरफ्तारी का विरोध कर रहे हैं। जानिए कौन हैं दिशा रवि (Disha Ravi) और सोशल मीडिया (Social media) पर उनकी गिरफ्तारी का विरोध क्यों हो रहा है…

    कौन है दिशा रवि (Disha Ravi)

    नार्थ बंगलुरु के सोलादेवना हल्ली इलाके की रहने वाली व जलवायु कार्यकर्ता (Climate Activist) दिशा ने माउंट कैमेल कॉलेज से बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन स्नातक की डिग्री हासिल की है। इस समय वह गुड माइल्क कंपनी के साथ जुड़ी हुई। पुलिस सूत्रों का कहना है कि गिरफ्तारी के समय वह अपने घर में की काम कर रही थी। दिशा रवि के पिता मैसूर में एक एथलेटिक कोच है। मां एक गृहिणी हैं। दिल्ली पुलिस ने दिशा रवि की गिरफ्तारी को लेकर बंगलुरु पुलिस को जानकारी दी थी।

    Who is Disha Ravi

    टूलकिट में क्या था

    टूलकिट (Tootlkit) में बताया गया था किसान आंदोलन में सोशल मीडिया पर समर्थन कैसे जुटाए जाएं। हैशटैग का इस्तेमाल किस तरह से किया जाए और प्रदर्शन के दौरान क्या किया जाए और क्या नहीं, सब जानकारी इसमें मौजूद थी। तीन फरवरी को एक्टिविस्ट ग्रेटा थनबर्ग ने किसानों का समर्थन करते हुए इस टूल किट को सोशल मीडिया पर शेयर किया था। बाद में इस टूलकिट को सोशल मीडिया ने प्रतिबंधित कर उसे डिलीट कर दिया था।

    Source: Amar Ujala Hindi Dainik

    टूलकिट (Toolkit) में होते हैं विस्तृत सुझाव

    टूलकिट एक तरह का डॉक्यूमेंट होता है जिसमें किसी मुद्दे की जानकारी देने के लिए और उससे जुड़े कदम उठाने के लिए इसमें विस्तृत सुझाव होते हैं। आमतौर पर किसी बड़े अभियान या आंदोलन के दौरान उसमें हिस्सा लेने वाले वॉलंटिअर्स को इसमें दिशा-निर्देश दिए जाते हैं। इसका उद्देश्य खास वर्ग या टार्गेट ऑडियंस को जमीन पर काम करने के लिए गाइडेंस देना होता है।

    Toolkit
    Image By: Plan International

    सोशल जस्टिस या ह्यूमन राइट्स कैंपेनर करते हैं प्रयोग

    आमतौर पर टूलकिट (Toolkit) का प्रयोग सोशल जस्टिस और ह्यूमन राइट्स कैम्पेनर करते हैं। इसके जरिये वो प्रदर्शन का स्थल, प्रदर्शन को लेकर जागरुकता फैलाने और प्रदर्शनकारियों को एकत्रित करने और स्ट्रैटेजी बनाने के लिए करते हैं। जो लोग किसी मुद्दे के बारे में जानना चाहते हैं या उसका हिस्सा बनना चाहते हैं, उन्हें टूलकिट से मदद दी जाती है।

    ये लोग भी करते हैं प्रयोग

    टूलकिट का प्रयोग जर्नलिस्ट, टीचर्स, एकेडमिक्स और बिजनेस हेड्स भी अपने टीम मेंबर्स के लिए करते हैं। इसके जरिये वे लोग टीम के सदस्यों को एकत्रित करने, प्लान बनाने और प्रोजेक्ट के तेजी से एक्जिक्यूशन के लिए करते हैं।

    Greta Thunberg
    Greta Thunberg, Image by: AP News

    बड़े प्रोटेस्ट को लेकर चर्चा में रह चुका है टूलकिट (Toolkit)

    टूलकिट साल 2011 में ऑक्यूपाइ वॉल स्ट्रीट, ब्लैक लाइव्ज मैटर 2020, हॉन्गकॉन्ग प्रोटेस्ट 2019 में काफी चर्चा में रहा था। इसके साथ ही देश में पिछले साल सीएए के खिलाफ प्रोटेस्ट में भी टूलकिट काफी चर्चा में रहा था।

    एंटी CAA प्रदर्शन में वाट्सऐप पर शेयर किया था टूलकिट (Toolkit)

    एंटी CAA के दौरान वाट्सऐप पर टूलकिट (Toolkit) को शेयर किया गया था। इसमें डिजिटल कैंपेन के लिए ट्विटर हैशटैग सुझाने के साथ ही धरनास्थल और प्रदर्शन के दौरान पुलिस द्वारा हिरासत में लिए जाने पर क्या करें, क्या ना करें आदि के बारे में जानकारी दी गई थी। टूलकिट में प्रदर्शनकारियों के लिए खाना, पानी और दवाई उपलब्ध कराने वाले इच्छुक लोगों के लिए भी गाइडेंस दी गई थी।

    Rihanna
    Rihanna, Image by: Billboard

    हॉन्गकॉन्ग प्रोटेस्ट में दी गई थी मास्क, हेलमेट पहने की सलाह

    हॉन्गकॉन्ग में साल 2019 में हुए प्रोटेस्ट के दौरान टूलकिट के जरिये ही प्रदर्शनकारियों को मास्क और हेलमेट पहनने की सलाह दी गई थी। इसका उद्देश्य था कि लोग अपनी पहचान छुपा सकें और हेलमेट की मदद से घायल होने से बच सकें। पिछले साल अमेरिका में ब्लैक लाइव्ज मैटर प्रदर्शन के दौरान एक एनजीओ ने आंदोलनकारियों के खिलाफ गलत जानकारी रोकने के लिए टूलकिट का प्रयोग किया था।

    Source: Navbharat Times

    राजनीतिक पार्टियां भी करती हैं टूलकिट (Toolkit) का इस्तेमाल

    राजनीतिक पार्टियां भी टूलकिट का प्रयोग करती हैं। जब भी किसी पार्टी को किसी मुद्दे पर या फिर चुनाव में जनता से समर्थन की जरूरत पड़ती है तो हैशटैग को प्रमोट किया जाता है. ताकि ट्रेंडिंग हैशटैग की ओर जनता का ध्यान जा सके।
    इसके लिए पार्टियां टूलकिट में पूरा प्रोसेस देती हैं की कब और क्या पोस्ट करना है और कैसे उसे ट्रेंड करना है। इस टूलकिट को पार्टियां स्टेप्स में अपने प्रतिनिधि, सांसद, विधायकों तक भेजती हैं और वहाँ से बूथ लेवल कार्यकर्ताओं तक सारे नियम और प्लान पहुंचा दिए जाते हैं।
    फिर प्लान के अनुसार ट्वीट/हैशटैग/फेक न्यूज़/ की सोशल पोस्ट की बाढ़ आती है और हैशटैग ट्रेंड होने लगते हैं।
    अभी एक – दो वर्ष पहले गलती से एक बड़ी पार्टी के नेता ने भी सोशल प्लान (टूलकिट) ट्विटर पर शेयर कर दी थी और बाद में उसे डिलीट किया गया था।

  • दिशा रवि की गिरफ्तारी कानून के अनुरूप की गई: दिल्ली पुलिस प्रमुख

    दिशा रवि की गिरफ्तारी कानून के अनुरूप की गई: दिल्ली पुलिस प्रमुख

    पीटीआई-भाषा संवाददाता
    नयी दिल्ली, 16 फरवरी (भाषा) दिल्ली के पुलिस आयुक्त एस. एन. श्रीवास्तव ने मंगलवार को कहा कि जलवायु कार्यकर्ता दिशा रवि की गिरफ्तारी कानून के अनुरूप की गई है, जो ‘‘ 22 से 50 वर्ष की आयु के लोगों के बीच कोई भेदभाव नहीं करता।’’

    श्रीवास्तव ने पत्रकारों से कहा कि यह गलत है जब लोग कहते हैं कि 22 वर्षीय कार्यकर्ता की गिरफ्तारी में चूक हुई।

    दिशा रवि को तीन कृषि कानूनों से संबंधित, किसानों के विरोध प्रदर्शन से जुड़ी ‘टूलकिट’ सोशल मीडिया पर साझा करने के आरोप में गत शनिवार को बेंगलुरु से गिरफ्तार किया गया था।

    पुलिस ने दावा किया है कि उन्होंने ‘टेलीग्राम ऐप’ के जरिए जलवायु परिवर्तन कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग को यह ‘टूलकिट’ भेजी थी और इस पर कार्रवाई के लिए ‘‘उन्हे मनाया था।’’

    दिल्ली पुलिस के प्रमुख ने कहा, ‘‘ दिशा रवि की गिरफ्तारी कानून के अनुरूप की गई है, जो 22 से 50 वर्षीय की आयु के लोगों के बीच कोई भेदभाव नहीं करता।’’

    उन्होंने कहा कि दिशा रवि को पांच दिन की पुलिस हिरासत में भेजा गया है और मामले की जांच जारी है।

    दिल्ली पुलिस ने सोमवार को आरोप लगाया था कि रवि और मुम्बई की वकील निकिता जैकब और पुणे के इंजीनियर शांतनु ने ‘टूलकिट’ तैयार की और दूसरों के साथ इसे साझा करके भारत की छवि धूमिल करने की कोशिश की।

    पुलिस ने दावा किया है कि रवि के ‘टेलीग्राम’ अकाउंट से डेटा भी हटाया गया है।

    जैकब और शांतनु के खिलाफ भी गैर-जमानती वारंट जारी किया गया है।

    डिसक्लेमर: यह आर्टिकल भाषा पीटीआई न्यूज फीड से सीधे प्रकाशित किया गया है.

  • प्रधानमंत्री ने ‘भारत माता का एक टुकड़ा’ चीन को दिया: राहुल

    प्रधानमंत्री ने ‘भारत माता का एक टुकड़ा’ चीन को दिया: राहुल

    नयी दिल्ली, 12 फरवरी (भाषा) कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने चीन के साथ सीमा पर गतिरोध को लेकर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (Rajnath singh) की ओर से संसद के दोनों सदनों में दिए गए वक्तव्य की पृष्ठभूमि में शुक्रवार को दावा किया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘भारत माता का एक टुकड़ा’ चीन को दे दिया।

    उन्होंने यह आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री (Prime Minister) चीन के सामने झुक गए और उन्होंने सैनिकों की शहादत के साथ विश्वासघात किया है।

    कांग्रेस नेता ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘कल रक्षा मंत्री ने दोनों सदनों में बयान दिया। कई ऐसी चीजें हैं जिन्हें स्पष्ट करने की जरूरत है। पहली बात यह है कि इस गतिरोध के शुरुआत से ही भारत का यह रुख रहा है कि अप्रैल, 2020 से पहले की यथास्थिति बहाल होनी चाहिए, लेकिन रक्षा मंत्री के बयान से स्पष्ट है कि हम फिंगर 4 से फिंगर 3 तक आ गए।’’

    उन्होंने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री ने भारतीय सीमा चीन को क्यों दी? इसका जवाब प्रधानमंत्री और रक्षा मंत्री को देना है। देपसांग इलाके में चीन हमारी सीमा के अंदर आया है। इस बारे में रक्षा मंत्री ने एक शब्द नहीं बोला।’’

    राहुल गांधी ने दावा किया, ‘‘ सच्चाई यह है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत की पवित्र जमीन चीन को दे दी है….उन्होंने भारत माता एक टुकड़ा चीन को दे दिया है।’’

    गौरतलब है कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बृहस्पतिवार को संसद के दोनों सदनों को बताया कि चीन के साथ पैंगोंग झील के उत्तर एवं दक्षिण किनारों पर सेनाओं के पीछे हटने का समझौता हो गया है और भारत ने इस बातचीत में कुछ भी खोया नहीं है।

    सिंह ने कहा कि पैंगोंग झील क्षेत्र में चीन के साथ सेनाओं के पीछे हटने का जो समझौता हुआ है, उसके अनुसार दोनों पक्ष अग्रिम तैनाती चरणबद्ध, समन्वय और सत्यापन के तरीके से हटाएंगे।

    उन्होंने यह भी बताया कि अब भी पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर तैनाती तथा गश्ती के बारे में ‘‘कुछ लंबित मुद्दे’’ बचे हुए हैं जिन्हें आगे की बातचीत में रखा जाएगा।

    डिसक्लेमर: यह आर्टिकल भाषा पीटीआई न्यूज फीड से सीधे प्रकाशित किया गया है.

  • म्यांमा में तख्तापलट करने वाले नेता ने लोगों से कहा : लोकतंत्र के लिए सेना से हाथ मिलाएं

    म्यांमा में तख्तापलट करने वाले नेता ने लोगों से कहा : लोकतंत्र के लिए सेना से हाथ मिलाएं

    यंगून, 12 फरवरी (एपी) म्यांमा (Myanmar) में तख्तापलट में शामिल एक नेता ने देश में ‘एकता दिवस’ के मौके पर शुक्रवार को लोगों से कहा कि अगर वे लोकतंत्र चाहते हैं तो उन्हें सेना के साथ मिलकर काम करना होगा। वहीं, देश के निर्वाचित नेताओं की रिहाई के लिए लोगों का प्रदर्शन भी जारी है।

    सीनियर जनरल मिन आंग लाइंग ने कहा, ‘‘मैं समूचे राष्ट्र से पूरी गंभीरता से अपील करता हूं कि लोकतंत्र को वास्तव में बहाल करने के लिए लोगों को सेना के साथ हाथ मिलाना चाहिए।’’

    उन्होंने कहा, ‘‘अतीत की घटनाओं ने हमें सिखाया है कि सिर्फ राष्ट्रीय एकता ही देश को विघटन से रोकने और अखंडता एवं संप्रभुता बनाए रखने में कारगर है।’’

    सेना के कमांडर का यह संदेश शुक्रवार को ‘ग्लोबल न्यू लाइट ऑफ म्यांमा’ अखबार में प्रकाशित हुआ है। नए सैन्य शासन ने यह भी घोषणा की कि वह ‘एकता दिवस’ के मौके पर हजारों कैदियों को रिहा करेगी और अन्य कैदियों की सजा कम करेगी।

    मिन आंग लाइंग म्यांमा में एक फरवरी को हुए तख्तापलट में शामिल थे। सेना ने कहा कि उसे यह कदम इसलिए उठाना पड़ा क्योंकि सू ची की सरकार नवंबर में हुए चुनाव में धोखाधड़ी के आरोपों की उचित तरीके से जांच करने में नाकाम रही। हालांकि चुनाव आयोग ने कहा कि इन दावों की पुष्टि के लिए कोई सबूत नहीं हैं।

    एपी सुरभि शाहिद शाहिद 1202 1312 यंगून

    Image Credits: News Nation

    डिसक्लेमर: यह आर्टिकल भाषा पीटीआई न्यूज फीड से सीधे प्रकाशित किया गया है.

  • ट्रम्प ने बाइडन के शपथ ग्रहण समारोह के लिए आपातकालीन घोषणा जारी की

    ट्रम्प ने बाइडन के शपथ ग्रहण समारोह के लिए आपातकालीन घोषणा जारी की

    वाशिंगटन, 12 जनवरी (एपी) अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने नवनिर्वाचित राष्ट्रपति जो बाइडन के 20 जनवरी को शपथ ग्रहण समारोह से पहले और उस दौरान हिंसा की आशंका को लेकर स्थानीय एवं संघीय अधिकारियों की बढ़ती चिंताओं के बीच देश की राजधानी के लिए एक आपातकालीन घोषणा जारी की।

    इस घोषणा के बाद गृह मंत्रालय और संघीय आपातकालीन प्रबंधन एजेंसी को स्थानीय अधिकारियों के साथ आवश्यकतानुसार समन्वय करने की अनुमति मिल गई है।

    ट्रम्प ने यह घोषणा ऐसे समय में जारी की है, जब पांच दिन पहले ट्रम्प समर्थक भीड़ ने कैपिटल (अमेरिकी संसद भवन) पर हमला कर दिया था। यह हमला उस समय किया गया था, जब संसद ने ट्रम्प की हार को प्रमाणित करने के लिए औपचारिक रूप से इलेक्टोरल कॉलेज के वोटों की गिनती शुरू की थी। उस हिंसा में पांच लोगों की मौत हो गई थी।

    इससे पहले कोलंबिया जिले के मेयर म्यूरियल बॉजर, वर्जीनिया के गवर्नर राल्फ नॉर्थम और मैरीलैंड के गवर्नर लैरी होगन ने लोगों से पिछले हफ्ते हुई हिंसा और कोविड​​-19 महामारी के कारण शपथ ग्रहण कार्यक्रम से दूर रहने का आग्रह किया।

    ट्रम्प की आपातकालीन घोषणा सोमवार से प्रभावी हो गई, जो 24 जनवरी तक लागू रहेगी।

    एपी कृष्ण सिम्मी सिम्मी 1201 1040 वाशिंगटन

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