उत्तराखंड के चमोली जिले में गोविन्द घाट से बृहस्पतिवार को हेमकुंड साहिब (Hemkund Sahib) की यात्रा के लिए पहला जत्था रवाना होने के साथ ही इस वर्ष की हेमकुण्ड यात्रा (Hemkund Travel) की विधिवत शुरुआत हो गयी । हेमकुंड साहिब (Hemkund Sahib) गुरुद्वारे के कपाट शुक्रवार को 10 बजे खुलेंगे ।
पंचप्यारे
गोविंदघाट से हुकमनामा लेकर पंचप्यारों की अगुवाई में रवाना हुए इस वर्ष के पहले जत्थे में सीमित संख्या में श्रद्धालु शामिल हैं ।
शुक्रवार को अरदास के बाद सुबह 10 बजे हेमकुंड सहिब गुरुद्वारे के कपाट श्रद्धालुओं के दर्शनों के लिए खोले जाएंगे। इसके साथ ही वहां स्थित प्रसिद्ध लक्ष्मण मंदिर (Laxman Temple) के कपाट भी कल खुल जाएंगे ।
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शबद कीर्तन
बृहस्पतिवार सुबह से ही गोविंदघाट (Govindghat) गुरुद्वारे में शबद कीर्तन का आयोजन किया गया और गुरुग्रंथ साहिब (Gurugranth Sahib) के पाठ और अरदास के बाद पंच प्यारों की अगुवाई में इस वर्ष के पहले जत्थे को हेमकुंड साहिब के लिये रवाना किया गया। गुरुद्वारा मैनेजमेंट कमेटी के पदाधिकारियों की ओर से यात्रियों को सरोपा भेंट कर हेमकुंड साहिब के लिये रवाना किया।
कोविड-19 का यात्रा पर असर
गोविंद घाट से रवाना हुआ यात्रियों का जत्था आज रात्रि घांघरिया (Ghangharia) में विश्राम करेगा। कोविड-19 के चलते इस बार हेमकुंड साहिब और लक्ष्मण मंदिर की यात्रा तीन माह देरी से शुरू हो रही है।
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मुश्किलों भरी है चढ़ाई हेमकुंड की
हेमकुंड साहिब तक की यात्रा की शुरुआत गोविंदघाट से होती है जो अखलनंदा नदी के किनारे समुद्र तल से 1 हजार 828 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। गोविंदघाट तक तो अच्छी सड़कें हैं और यहां तक गाड़ियां आराम से जाती हैं लेकिन इसके ऊपर यानी गोविंदघाट से घांघरिया तक 13 किलोमीटर की चढ़ाई है जो एकदम खड़ी चढ़ाई है। इसके आगे का 6 किलोमीटर का सफर और भी ज्यादा मुश्किलों से भरा है।
हेमकुंड ट्रेकिंग (Hemkund Trekking) करते हुए जाना होता है
झूलते हुए ब्रिज (Hanging Bridge) के जरिए अलखनंदा नदी को पारकर गोविंदघाट पहुंचा जाता है। इसके बाद टेढ़ा-मेढ़ा रास्ता सीधा हो जाता है जो नीचे जाती हुई घाटी से होकर जाता है जिसमें खेत भी हैं और कई पेड़-पौधे भी। 3 किलोमीटर बाद लक्षमण गंगा (Laxman Ganga) मिलती है जो आगे चलकर अलखनंदा में मिलती है। आगे एक छोटा सा गांव आता है पुलना। इसके बाद की चढ़ाई और भी ज्यादा एक्साइटिंग हो जाती है क्योंकि रास्ते में आपको पत्थरीले पहाड़ और बर्फ से ढ़की पहाड़ की चोटियां दिखने लगती हैं।
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प्राकृतिक नजारों से भरपूर है पूरा रास्ता
पुलना से भयंदर गांव के बीच का 7 किलोमीटर का सफर प्राकृतिक खूबसूरती से भरा है। इसमें आपको कई झरने भी देखने को मिलेंगे। 2 किलोमीटर आगे जाकर घांघरिया बेस कैंप (Ghangharia Base Camp) आता है जहां से आगे वैली ऑफ फ्लावर्स (Valley of Flowers) और हेमकुंड साहिब का रास्ता निकलता है। घांघरिया से हेमकुंड साहिब की दूरी वैसे तो सिर्फ 6 किलोमीटर है लेकिन यहां से पहाड़ की चढ़ाई और भी ज्यादा मुश्किल हो जाती है और इसे पार करने में ही सबसे ज्यादा समय लगता है।
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हेमकुंड कैसे पहुंचे
हवाई मार्ग– देहरादून का जॉली ग्रांट एयरपोर्ट नजदीकी एयरपोर्ट है। गोविंदघाट से जॉली ग्रांट की दूरी 292 किलोमीटर है। यहां से गोविंदघाट तक टैक्सी या बस के जरिए पहुंच सकते हैं। गोविंदघाट से हेमकुंड साहिब तक 19 किलोमीटर की चढ़ाई करनी पड़ती है।
रेल मार्ग– हेमकुंड साहिब का नजदीकी रेलवे स्टेशन ऋषिकेश (Rishikesh) है जो गोविंदघाट से 273 किलोमीटर दूर है। ऋषिकेश से टैक्सी या बस के जरिए श्रीनगर, रुद्रप्रयाग, चमोली और जोशीमठ होते हुए गोविंदघाट पहुंच सकते हैं।