Category: सामाजिक

  • श्री कृष्ण और कर्ण संवाद – जीवन का सार

    श्री कृष्ण और कर्ण संवाद – जीवन का सार

    महाभारत के बारे में कौन नहीं जानता, यह युद्ध धर्म की रक्षा हेतु पांडवों और कौरवों के बीच लड़ा गया. कुरुक्षेत्र में लड़ा गया यह धर्म युद्ध असीम जन-धन हानि के लिए विख्यात है साथ ही इस युद्ध से गीता जैसा  महाग्रन्थ मिला जो जीवन के गूढ़ रहस्यों से हमें अवगत कराता है. कहा गया है की गीता में जीवन के हर सवाल का जवाब है.

    महाभारत की बात करें तो इसका हर चरित्र और उनका जीवन हमें कुछ न कुछ सीख देते हैं. इस युद्ध को   मुख्यतः पांडव और कौरवों के नजरिये से देखा गया है, लेकिन इस पूरी महाभारत में का एक किरदार की हमेशा अनदेखी हुई है, वो है कर्ण.

    कर्ण को हमेशा ही दुर्योधन के समर्थक के रूप में देखा गया, लेकिन अगर इसे मित्रता के रूप में देखें तो हमेशा ही कर्ण सबसे आगे दिखाई देता है. कर्ण को जब सबने दुत्कार दिया, चाहे वो कर्ण की माँ कुंती हो या गुरु द्रोणाचार्य हों, तब दुर्योधन ने मित्रता निभाई. उस मित्रता का बदला कर्ण ने महाभारत  में दुर्योधन के पक्ष में युद्ध लड़कर और अपनी जान देकर निभाया.

    कर्ण का चरित्र अपने आप में वीरता की मिसाल है और हमें कई सीख देता है.

    महाभारत युद्ध में श्री कृष्ण और कर्ण के बीच हुए संवाद की बात करें तो यह भी जीवन का गूढ़ ज्ञान है और जीवन के कई सवालों का हल मिलता है.

    आइये देखें श्री कृष्ण और कर्ण के बीच हुए संवाद के मुख्य अंश:

    कर्ण:

    हे कृष्ण, जन्म लेते ही मेरी माँ ने मुझे छोड़ दिया, गरीब घर में होते हुए भी मैं शूरवीर पैदा हुआ तो इसमें मेरा क्या दोष है? गुरु द्रोणाचार्य ने पांडवों और कौरवों को शिक्षा दी लेकिन मुझे शिक्षा नहीं दी क्यूंकि मैं क्षत्रिय नहीं था.

    मैंने परशुराम से शिक्षा ली, लेकिन यह जानने के पश्चात् की मैं क्षत्रिय नहीं हूँ, मुझे सब शिक्षा भूल जाने का श्राप दिया.

    द्रौपदी के स्वयंवर में मेरा सिर्फ इसलिए अपमान हुआ क्यूंकि मैं क्षत्रिय नहीं था. मेरी माता ने भी सिर्फ अपने पांच पुत्रों की रक्षा करने के लिए यह सत्य बताया की मैं उनका पुत्र हूँ.

    जो कुछ आज मैं हूँ वो सब दुर्योधन की देन है. तो फिर मैं उसके पक्ष में युद्ध करके भी क्यों गलत हूँ.

    श्री कृष्ण का उत्तर:

    हे कुंती पुत्र कर्ण, हाँ तुम्हारे साथ बहुत बुरा हुआ. लेकिन मेरी कहानी तुमसे कुछ ज्यादा अलग नहीं है. मेरा जन्म कारागार में हुआ और जन्म के तुरंत बाद ही माँ बाप से बिछड़ गया. मेरी मृत्यु जन्म से पहले ही तय कर दी गयी.

    तुम कम से कम धनुष वाण और घोड़े और रथ के साथ खेलते हुए बड़े हुए, लेकिन मैं गाय, बछड़े, गोबर और झोपडी में बड़ा हुआ. चलना सीखने से पहले ही मुझ पर कई प्राणघातक हमले हुए. कभी पूतना तो कभी बकासुर…

    मैं सोलहवें साल में गुरु संदीपनी के पास शिक्षा लेने जा पाया. लेकिन हमेशा ही लोगों को यह लगता था की मैं उनके कष्ट हरने के लिए पैदा हुआ हूँ.  तुमने कम से कम अपने प्रेम को पा लिया और उस कन्या से विवाह किया जिसे तुम प्रेम करते थे. लेकिन मैं अपने प्रेम को विवाह में नहीं बदल पाया. और तो और  मुझे उन सब गोपियों से विवाह करना पड़ा जो मुझसे प्रेम करती थी या जिन्हें मैंने राक्षसों से मुक्त कराया.

    इतना सब कुछ होने के बावजूद तुम शूरवीर कहलाये जबकि मुझे भगोड़ा कहा गया.

    इस महाभारत के युद्ध में अगर दुर्योधन जीता तो तुम्हें इसका बड़ा श्रेय मिलेगा लेकिन अगर पांडव युद्ध जीते भी तो मुझे क्या मिलेगा. सिर्फ यही की इतने विनाश का कारण मैं हूँ.

    इसलिए हे कर्ण! हर किसी का जीवन हमेशा चुनौतियों भरा होता है. हर किसी के जीवन में कहीं न कहीं अन्याय होता है. न सिर्फ दुर्योधन बल्कि युधिष्ठिर के साथ भी अन्याय हुआ है. किन्तु सही क्या है ये तुम्हारे अंतर्मन को हमेशा पता होता है. इसलिए हे कर्ण अपने जीवन में हुए अन्याय की शिकायत करना बंद करो और खुद का विवेचन करो. तुम अगर सिर्फ जीवन में अपने साथ हुए अन्याय की वजह से अधर्म के रास्ते पर चलोगे तो यह सिर्फ तुम्हें विनाश की तरफ ले जाएगा.

    अधर्म का मार्ग केवल और केवल विनाश की तरफ जाता है.

  • क्या जानते हैं आप कानपुर का धार्मिक इतिहास

    क्या जानते हैं आप कानपुर का धार्मिक इतिहास

    वैदिक, पौराणिक और धार्मिक आस्था तथा ऐतिहासिकता को समेटे कानपूर आर्य सभ्यता का प्राचीन केंद्र रहा है. कानपूर जनपद का भू-भाग पुण्यतोया गंगा – यमुना के दोआब भाग में स्थित है. कानपूर के इस भू-भाग में पौराणिक काल के बहुत से ऋषि मुनियों का प्रवास और जन्म स्थान की मान्यता भी है. जनपद में गंगा का प्रवेश आकिन ग्राम से होता है. आकिन ग्राम में सप्त ऋषि प्रधान अंगिरा का आश्रम होने की मान्यता है. ब्रह्मा के मानस पुत्र अंगिरा तपस्या से अग्नि के सामान तेजवान थे. श्री कृष्ण ने पाशुपत योग की प्राप्ति महृषि अंगिरा से ही किया था. अंगिरा को चौथे द्वापर का व्यास भी कहा गया है. इसी तरह गंगा किनारे सैबसू ग्राम में कश्यप पुत्र विभाण्डक के पुत्र श्रृंगी का आश्रम है. श्रृंगी एक कर्मनिष्ठ ब्राह्मण थे. अंगदेश में अकाल होने पर राजा रोमपाद को सुझाव दिया गया की ब्रह्मचारी श्रृंगी के अंगदेश आने पर अकाल समाप्त हो सकता है. रोमपाद ने प्रयास कर उन्हें बुलाया जिससे वर्षा हुई. राजा ने अपनी पालित पुत्री का विवाह श्रृंगी से कर दिया तथा श्रृंगी ने राजा दशरथ के पुत्र्येष्टि यज्ञ को पूरा कराया. गंगा के सुरम्य तट पर बिठूर में बाल्मीकि का आश्रम है. भगवान् राम की पत्नी सीता ने यहीं प्रवास किया था, लव कुश का जन्म भी यहीं हुआ था तथा रामायण महाकाव्य की रचना भी यहीं हुई थी.

    दैत्य राज बलि की राजधानी ‘मूसानगर’ में शुक्राचार्य का स्थान माना जाता है. भगवान वामन के तीन पग भूमि दान में बाधा बनने पर उनकी आँख जाती रही. यहां पर शुक्राचार्य की पुत्री देवयानी के नाम पर सरोवर भी विद्धमान है. देवयानी का विवाह ययाति के साथ हुआ, जिनकी राजधानी जाजमऊ में थी.

    सेंगुर नदी के तट पर निगोही ग्राम में तपस्वी और क्रोधमूर्ति दुर्वासा ऋषि का आश्रम है. उन्होंने भक्त अंबरीश को शाप तथा दुष्यन्तपत्नी शकुंतला को शाप दिया था. इसी तरह ग्राम “परसौरा” भगवान परशुराम और “चिंता निवादा” उनके पिता जमदग्नि ऋषि का आश्रम माना जाता है. भृगु पुत्र ऋचीक और गाधिपुत्री सत्यवती से जमदग्नि ऋषि का जन्म हुआ. भगवान् परशुराम को विष्णु का अवतार माना जाता है. “नार” ग्राम नारदाश्रम के नाम से प्रसिद्ध है. नारद पूर्व में दासी पुत्र थे.

    महाभारत कालीन द्रोणपुत्र चिरंजीवी अश्वत्थामा का जन्मस्थान शिवराजपुर के पास ककयपुर में खेरेश्वर में है. मान्यता है की सप्त चिरंजीवियों में से अश्वत्थामा आज भी खेरेश्वर महादेव का प्रातः अभिषेक करते हैं. भक्तराज ध्रुव की राजधानी बहिर्ष्मतीपूरी बिठूर में मानी जाती है. बालिपुत्र बाणासुर की राजधानी “बनीपारा” में है. वहां पर बना ऊषाबुर्ज आज भी उनकी पुत्री का स्मरण दिलाता है. ययाति से जाजमऊ और माता-पिता के भक्त श्रवण कुमार के नाम से “सरवन खेड़ा” प्रसिद्ध है. आज भी यह पौराणिक धार्मिक तीर्थ आध्यात्मिक पर्यटन की ओर लोगों को आकर्षित करते हैं. इनसभी तीर्थ स्थलों के विकास पर शासन को अवश्य ध्यान देना चाहिए.
    साभार: सचिन तिवारी

  • हिंदी कविता – भविष्य की कल्पना

    हिंदी कविता – भविष्य की कल्पना

    दाने गिनकर दाल मिलेगी,

    गेंहूं की बस छाल मिलेगी.

     

    पानी के इंजेक्शन होंगे,

    घोषित रोज इलेक्शन होंगे.

     

    हलवाई हैरान मिलेंगे,

    बिन चीनी मिष्ठान मिलेंगे.

     

    जलने वाला खेत मिलेगा,

    बस मिट्टी का तेल मिलेगा.

     

    शीशी में पेट्रोल मिलेगा,

    आने वाली पीढ़ी को.

     

    राजनीति में तंत्र मिलेगा,

    गहरा एक षड़यंत्र मिलेगा.

     

    न सुभाष, न गाँधी होंगे,

    खादी के अपराधी होंगे.

     

    जनता गूंगी बहरी होगी,

    बेबस कोर्ट कचहरी होगी.

     

    मानवता की खाल मिलेगी,

    आने वाली पीढ़ी को.

     

    प्यासों की भी रैली होगी,

    गंगा बिलकुल मैली होगी.

     

    घरों घरों में फैक्स मिलेगा,

    साँसों पर भी टैक्स लगेगा.

     

    आने वाली पीढ़ी पर.

     

    साभार: रावेन्द्र कुमार

    Image Source: https://www.youtube.com/watch?v=jpgyD1Hs_sY

  • हिंदी कविता – जलते दिए – शहीदों के लिए

    हिंदी कविता – जलते दिए – शहीदों के लिए

    हम शहीदों की राहों के जलते दिए,

    हमको आंधी भला क्या बुझा पाएगी.

    मौत को हम सुला दें वतन के लिए,

    मौत हमको भला क्या सुला पाएगी.

    हम भी इस बाग़ के खिल रहे फूल हैं,

    जो शहीदों की राहों पर चढ़ते रहे.

    बिजलियों को कदम से कुचलते रहे,

    सर कटाने का हमने लिया है सबब.

    सर झुकाना तो हमने है सीखा नहीं,

    वाह रे हिन्द तेरी दुआ चाहिए.

    है भला कौन हस्ती, मिटा पाएगी जो,

    हम शहीदों की राहों के जलते दिए.

    साभार: ऋषि नारायण

    Image Source: http://indianexpress.com

  • अयोध्या: सरयू तट पर बहुत कुछ है देखने को

    अयोध्या: सरयू तट पर बहुत कुछ है देखने को

    यूँ तो सभी स्थानों का अपना महत्त्व है फिर भी कुछ स्थानों की कल्पना मात्र से रोमांच उत्पन्न हो जाता है. कुछ स्थान देखने सुनने, में बहुत छोटे होते हैं, परन्तु श्रद्धा,विश्वास और महत्त्व में उतने ही बड़े. सभ्यता और संस्कृति के संगम ये स्थल सुदूर क्षेत्रों में हैं. परन्तु आमजन की पहुँच उतनी भी दूर नहीं, जितने आसमान के तारे. इन स्थानों के ख्याल मात्र से व्यक्ति कल्पना लोक में पहुँच जाता है. जिस प्रकार कल्पना लोक की छवि अद्वितीय होती है, उसी प्रकार इन पवित्र स्थलों का आध्यात्मिक महात्म्य, सभ्यता और संस्कृति स्वच्छ, निर्मल आध्यात्म, महात्म्य, सभ्यता एवं संस्कृति के अनुपम स्वरुप की दास्ताँ आज भी बयां करते प्रतीत होते हैं. आज़ादी के बाद से राम मंदिर(Ram Mandir Ayodhya) और बाबरी मस्जिद(Babri Masjid) के विवाद की वजह से भी अयोध्या(Ayodhya) चर्चा में रही है. सन 1990 में बाबरी मस्जिद विध्वंश के बाद एक बार फिर विवाद बढ़ गया और चुनावों में भी राम मंदिर की गूँज सुनाई पड़ने लगी.

     

    आज बात करते हैं सरयू(Saryu River) तट के आस पास के कुछ प्रमुख स्थानों के बारे में:

     

    फैजाबाद(Faizabad):

    पूर्वांचल का यह क्षेत्र अवधि भाषा का क्षेत्र है. प्राचीन काल में इसका नाम अवध(Awadh) था, मध्य काल में यह जवानो की नगरी बन गयी थी. इस क्षेत्र का प्रमुख आकर्षण अयोध्या(Ayodhya) तहसील है.

     

    अयोध्या(Ayodhya):

    इक्ष्वाकु सूर्यवंशी राजाओं की राजधानी के रूप में प्रसिद्ध अयोध्या का प्राचीन नाम कौशल था. रामायण(Ramayan) में मनु द्वारा स्थापित अयोध्या में श्री राम(Shri Ram) सर्वाधिक प्रसिद्ध राजा हुए, जो भगवान् विष्णु (Lord Vishnu) के अवतार माने जाते हैं. उत्तर-पूर्व में सरयू तट पर स्थित इस क्षेत्र के दर्शनीय स्थल इस प्रकार हैं:

     

    हनुमान गढ़ी(Hanuman Garhi, Ayodhya):

    नगर के मध्य में स्थित है. किलानुमा भवन में हनुमान जी की प्रतिमा स्थापित है. यहीं पर गुफा में रहकर हनुमान जी रामकोट(RamKot) की रक्षा करते थे.

    Ram Janm Bhoomi

    कनक भवन(Kanak Bhawan, Ayodhya):

    यहाँ का वर्तमान मंदिर 1861 में टीकमगढ़ की महारानी वृषभानुकुँवरि द्वारा बनवाया गया है, इसके गर्भगृह में भगवान् राम(Lord Rama) और सीता(Sita) की स्वर्णजणित मूर्तियां हैं. एक जनश्रुति के अनुसार सीता जी के अयोध्या प्रथम आगमन पर कैकेयी द्वारा यह भवन उन्हें दिया गया था.

     

    राम कोट(Ram Kot, Ayodhya):

    अयोध्या के पश्चिम में स्थित प्राचीन पूजा स्थल एवं विवादित क्षेत्र है. विभिन्न लेखों के अनुसार अयोध्या के एक सिरे पर राम कोट और दूसरे पर सरयू नदी थी. राम कोट के 20 द्वार बताये गए हैं. मुख्य द्वार पर हनुमान जी का पहरा रहता था.

     

    राम जन्म भूमि(Ram Janmbhoomi, Ayodhya):

    राजा विक्रमादित्य द्वारा खोजा गया वह पवित्र स्थल जहां विद्धमान बाल-रूप श्री राम चंद्र जी के दर्शन हेतु सम्पूर्ण विश्व से श्रद्धालु आते हैं.

    Sita Ram

    मणि पर्वत(Mani Parvat, Ayodhya):

    यह 65 फ़ीट की ऊंचाई का है. हनुमान जी द्वारा संजीवनी बूटी(Sanjeevni Booti) ले जाते समय हिमालय से टूटकर गिरा हुआ खंड है, ऐसा माना जाता है.

     

    बाल्मीकि भवन(Balmiki Bhawan, Ayodhya):

    इस भवन की दीवारों पर सम्पूर्ण रामायण के श्लोक उत्कीर्ण हैं.

     

    नागेश्वर नाथ मंदिर(Nageshwar Nath Mandir, Ayodhya):

    कुश द्वारा बनवाया गया यह मंदिर अयोध्या का मुख्य आराधना स्थल है. एक कथा के अनुसार स्नान करते हुए कुश का बाजूबंद खो गया था, जो एक नागकन्या को मिला, शिव भक्त नागकन्या द्वारा वापस प्राप्त होने पर वहां पर भगवान् शिव के मंदिर का निर्माण कराया गया.

    Shri Ram

    स्वर्ग द्वार(Swarg Dwar, Ayodhya):

    सहस्रधारा से नागेश्वरनाथ मंदिर तक का भू-भाग स्वर्गद्वार के नाम से जाना जाता है.

     

    त्रेता के ठाकुर(Treta ke Thakur or Kaleram Temple, Ayodhya):

    यह मंदिर श्री राम द्वारा किये गए अष्वमेघ यज्ञ के स्थल पर बना है. किले पाषाण से निर्मित मूर्तियां सरयू नदी से खोजकर स्थापित की गयी हैं. इसे कालेराम का मंदिर भी कहते हैं.

     

    तुलसी स्मारक भवन(Tulsi Smarak Bhawan, Ayodhya):

    तुलसीदास की स्मृति में बना यह भवन, रंगमहल, कौशल्य भवन, क्षीरेश्वरनाथ, तुलसी चौरा, सीता रसोई, रत्न सिंहासन आदि का संगम है.

     

    जैन मंदिर(Jain Mandir, Ayodhya):

    जैनियों के पांच तीर्थंकरों की जन्मस्थली है. केसरी सिंह ने 1781 में आदिनाथ का मंदिर, अनंतनाथ का मंदिर, सुमंतनाथ का मंदिर, दिगंबर अखाडा, बड़ी एवं छोटी छावनी, क्रमशः स्वर्गद्वार, गोलाघाट, रामकोट एवं सतसागर के निकट बनवाया था.

     

    सरयू के घाट(Saryu River Ghat, Ayodhya):

    सरयू तट पर राम की पैड़ी(Ram ki Paidi), नया घाट, जानकी घाट(Janki Ghat) एवं बालममिकी घाट(Balmiki Ghat) प्रमुख स्नान घाट हैं.

     

    कुंड:

    सीता कुंड, विभीषण कुंड, सूरज कुंड, ब्रह्म कुंड तथा दन्त धवन कुंड प्रमुख हैं.

    https://youtu.be/mtibajvoPV4

    टीला:

    सुग्रीव टीला, अंगद टीला, नल-नील तथा कुबेर टीला अयोध्या के मुख्य स्थल हैं.

     

    गुप्तार घाट(Guptar Ghat, Ayodhya):

    सरयू तट का वह प्रसिद्ध घाट जहां पर श्रीराम अपने भाइयों के साथ जल समाधि में लीन हो गए थे.

     

    भरत कुंड(Bharat Kund, Ayodhya):

    अयोध्या के दक्षिण में बसा भरत की तपोस्थली एवं गुफा है. इसे नंदीग्राम(Nandigram, Ayodhya) भी कहते हैं.

     

    विल्वहरी घाट(Vilvhari Ghat, Ayodhya):

    अयोध्या से पूर्व में 8 किमी दूर मुंदडीह गाँव में दशरथ का समाधि स्थल है.

     

    श्रृंगी ऋषि आश्रम(Shringi Rishi Aashram, Ayodhya):

    सरयू किनारे पर बसे इस स्थल पर श्रृंगी मुनि ने राजा दशरथ के लिए पुत्रकामेष्टि यज्ञ का आयोजन किया था.

     

    सूरजकुंड(Surajkund, Ayodhya):

    सूर्यवंशी राजाओं द्वारा सूर्य देवता को श्रद्धांजलि  के रूप में बनवाया था. यह अयोध्या से 3 किमी दूर है.

     

    सी.एम.पी. मंदिर(CMP Temple, Ayodhya):

    फ़ैजाबाद छावनी(Faizabad Cant) में स्थित इस मंदिर में सीता-राम तथा अन्य देवी देवताओं की स्वर्ण जड़ित मूर्तियां हैं.

     

    बहु बेगम का मकबरा(Bahu Beghum ka Makbara, Ayodhya):

    नवाब शुजाउद्दौला की पत्नी के स्मरण में 1816 में यह प्रसिद्ध मकबरा बना.

     

    गुलाबबाड़ी(Gulab Bari, Ayodhya):

    यह मकबरा शुजाउद्दौला की स्मृति में 1775 में बनवाया गया. इस स्मारक में उसके पिता सफदरजंग तथा मान मोती महल की भी कब्रें हैं.

     

    अफीम कोठी(Afim Kothi, Ayodhya):

    यह प्रसिद्ध भवन धरा रोड पर स्थित है. यह भवन शुजाउद्दौला की पत्नी का निवास स्थान था. यहां पर अब नारकोटिक्स विभाग का कार्यालय है.

     

    चौक त्रिपोलिया(Chowk Tripoliya, Ayodhya):

    सफदरजंग द्वारा 1756 में बनवाया गया. वर्तमान में यहां वृहद् द्वारा का निर्माण कराया गया है.

    https://youtu.be/ZeAbCsI4Mkk

    साभार: सौरभ सिंह

    Images: http://indiatoday.intoday.in

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  • बच्चे जिन्हें जंगली जानवरों ने पाला-पोसा

    बच्चे जिन्हें जंगली जानवरों ने पाला-पोसा

    जंगल बुक तो आप सभी ने देखी ही होगी. और “जंगल-जंगल पता चला है, बात चली है. चड्डी पहन कर फूल खिला है……” ये गाना अभी तक लोगों की जुबान पर है.

     

    यह फिल्म एक मोगली नाम के बच्चे पर बनी थी जिसे जंगली भेड़ियों ने पाल पोस कर बड़ा किया था. मोगली भेड़ियों के साथ रह कर भेड़ियों की तरह ही व्यवहार करता था.

     

    लेकिन यह सिर्फ कहानी नहीं है बल्कि हकीकत में मोगली जैसे इंसान हुए हैं जिन्हें जंगली जानवरो ने पाला पोसा और वे उन जानवरों की तरह ही हरकत करते थे. ये वो बच्चे थे जो बचपन में ही जंगल में खो गए थे या फिर उन्हें जंगली जानवर उठा कर ले गए थे, और उन्हें जंगली जानवरों ने मारकर खाने के बजाय पाला पोसा.

     

    आइये जानते हैं उन इंसानों के बारे में जो जंगली जानवरों के साथ पल कर बड़े हुए…

     

    ओक्साना मलाया, यूक्रेन 1991:

    Feral Children Grown Up with Wild Animals

    फ़ुलर्टन बेटन के अनुसार यूक्रेनियन लड़की ओक्साना 1991 में कुत्तों के साथ रहती हुई पायी गयी. वह 8 साल की थी और करीब 6 साल से कुत्तों के साथ रह रही थी. उसके शराबी माता-पिता ने सर्दी की एक रात में उसको घर के बाहर छोड़ दिया. तीन साल की बच्ची कड़कड़ाती ठण्ड में पास बने कुत्तों के घर में पहुँच गयी और कुत्तों के साथ ही रह कर उसकी जान बच सकी. उस घर में वह मोंगरेल नस्ल के कुत्तों के साथ करीब 6 साल तक रही. 1991 में जब उसे खोजै गया तब वह कुत्तों की तरह चार पैरों पर चलती थी, कुत्तों की तरह ही दांत दिखती और उन्हीं की तरह भौंकती थी.

     

    अब ओक्साना डॉक्टरों की देखरेख में है.

     

    साम देव, भारत, 1972:

    Feral Children Grown Up with Wild Animals

    फ़ुलर्टन बेटन के अनुसार ये कहानियां टार्ज़न की तरह नहीं होती हैं. बच्चों को खाने के लिए जानवरों से लड़ना पड़ता है, और जानवरों से अपनी जिंदगी बचाना भी सीखना पड़ता है. उनके पास ऐसे बच्चों के 15 केस हैं. उनके फोटोग्राफ दिखाते हैं की काम उम्र के बच्चे अगर मानवों से दूर होकर जानवरो के बीच जिन्दा बच जाए तो उनका व्यवहार कैसा हो जाता है.

     

    यह कहानी है शामदेव की जो भारत में मुसाफिरखाना के जंगलों में 1972 में पाया गया था और उसकी उम्र केवल चार वर्ष की रही होगी. वह भेड़ियों के बच्चों के साथ खेलता था. उसकी खाल काली, दांत पैने और नाखून लम्बे हो गए थे. वह अपने चारो हाथ और पैरों से कभी पंजों के बल या फिर कुहनी और घुटनों के बल पर चलता था. वह मुर्गों का शिकार करता और खून पीता था, कभी – कभी मिटटी भी खाता था. वह कभी बोलना सीख नहीं पाया लेकिन इशारों को थोड़ा बहुत समझ पाता था. 1985 में मदर टेरेसा के चैरिटी की देखरेख में उसकी मौत हो गयी.

     

    मरीना चैपमैन, कोलम्बिआ, 1959:

    Feral Children Grown Up with Wild Animals

    मरीना का अपहरण दक्षिण अमेरिका के एक गाँव से 5 साल की उम्र में हो गया था और अपहरणकर्ता उसे जंगल में छोड़ कर चले गए थे. वह करीब पांच साल तक कापूचिन बंदरों के साथ रही जहां से उसे शिकारियों ने उसे छुड़ाया. वह बेर, जड़ें और केले खाती और बंदरों की तरह चार पैरों पर चलती थी. वह बंदरों की तरह ही व्यवहार करती और उनकी नक़ल भी करती थी.

     

    मरीना अब यॉर्कशायर में अपने पति और दो बेटियों के साथ रहती हैं. मरीना की कहानी पर लोगों को अब भी भरोसा नहीं होता है.

     

    दीना शनिचर, भारत, 1867:

    Feral Children Grown Up with Wild Animals

    दीना शनिचर का नाम भी उन बच्चों में शामिल है जो जंगली जानवरों के बीच जिन्दा रहे. उसे कुछ शिकारियों ने बुलंदशहर के जंगलों से बचाया था. शिकारी तब अचंभित रह गए जब उन्होंने एक बच्चे को भेड़ियों के साथ उनकी गुफा की ओर भागते देखा. उन्होंने भेडियो को गोली मार दी और बच्चे को बचाकर ले आये. वह अन्य जानवरों की तरह ही चारो पैरों पर चलता और जमीन से सीधे कच्चा मांस खाता था. वह पहनाये गए कपड़ों को फाड़ डालता था और कभी बोलना नहीं सीख पाया. लेकिन वह तंबाकू खाना सीख गया था. उसकी मौत सन 1895 में हुई थी.

     

    तेंदुआ लड़का, भारत, 1912:

    Feral Children Grown Up with Wild Animals

    इसे शिकारियों ने भारत में आसाम की उत्तरी कछार की पहाड़ियों (अब दीमा हसाओ ) से 1912 में खोजा था. इसे मादा तेंदुए उठाकर ले गयी थी. वह अपने चारों पैरों पर तेजी के साथ दौड़ता था. वह अन्य तेंदुओं की तरह हर किसी से लड़ता था जो उसकी तरफ जाने की कोशिश करते थे. इस बच्चे ने बोलना सीख लिया था लेकिन उसकी आँखों की रौशनी एक ऑपरेशन में जाती रही थी.

     

    नग छेदी, भारत, 2012:

    Feral Children Grown Up with Wild Animals

    नग छेदी के केस एकदम ताज़ा है. यह बात मिजोरम के बर्मा (म्यांमार) से लगे हुए बॉर्डर के पास की है जब यह लड़की जब केवल 4 साल की थी तब वह खेलते हुए जंगल में खो गयी थी. 38 साल तक उसका कुछ पता नहीं चला उसके माता पिता ने भी उसको मरा हुआ समझ लिया था. लेकिन कभी कभार जंगलों में एक नंगी लड़की के घूमने की बात आने लगी थी तो अन्य लोग तो इसे एक गप्प समझते थे, लेकिन इसके माँ-बाप को वह अपनी ही लड़की लगती थी. इसलिए उन्होंने खोजबीन फिर शुरू कर दी. लेकिन वह लड़की कभी उनके सामने नहीं पड़ी. लेकिन सन 2012 में लोगों को पता चला की बर्मा में बॉर्डर के पास के गाँव में एक जंगली लड़की पकड़ी गयी है. तब उसके माँ बाप उसे देखने गए और जन्म चिन्हों से उसे पहचान लिया और उसे घर लेकर आये. अब वह 42 साल की है और कुछ शब्द बोलना जानती है और अब वह गाँव में सबके साथ खेलती है.

     

    कमला और अमला, भारत, 1920:

    Feral Children Grown Up with Wild Animals

    ये दोनों लड़कियां भेड़ियों द्वारा पाली गयी थी. ये कच्चा मांस खाती थी, चारो पैरों पर चलती थी और रात में भेड़ियों की तरह चिल्लाती थी. जोसफ अमृतो लाल सिंह ने इन दोनों लड़कियों को बंगाल में एक जंगल के पास के एक गाँव से छुड़ाया था और उसे मिदनापुर के अनाथाश्रम में लेकर आये. अमला जो उनमे से छोटी थी उसकी मौत 1921 में हुई जबकि कमला की मौत 1929 में हुई. कमला ने अमला की मौत के बाद सीधा खड़ा होना और कुछ शब्दों को सीख लिया था.

     

    साभार: Julia Fullerton-Batten

    http://www.bbc.com/culture/story/20151012-feral-the-children-raised-by-wolves

    https://www.scoopwhoop.com/indian-children-raised-by-animals

    http://www.dailymail.co.uk/news/article-2201134/Missing-Indian-girl-disappeared-40-years-ago-returns-home-living-Myanmar-jungle-decades.html

    https://en.wikipedia.org/wiki/Amala_and_Kamala

    http://www.huffingtonpost.in/entry/julia-fullerton-batten-feral-children_us_56098e95e4b0dd85030893a9

    https://www.smashinglists.com/10-feral-human-children-raised-by-animals/

    https://www.theguardian.com/science/2013/apr/13/marina-chapman-monkeys

  • क्या कोई समय चुरा सकता है? आइये देखते हैं, कैसे करते हैं लोग समय की चोरी

    क्या कोई समय चुरा सकता है? आइये देखते हैं, कैसे करते हैं लोग समय की चोरी

    आपने लोगों को टाइम पास करते सुना होगा, समय काटते, समय बर्बाद करते सुना होगा लेकिन क्या आपने कभी सुना है की लोग समय की चोरी भी करते हैं.

     

    हाँ जी आपने सही सुना, बहुत सारे लोग करते हैं समय की चोरी. हो सकता है आप में से भी कुछ लोग समय चुराते हों.

     

    आइये देखते हैं कैसे….

     

    क्या कभी आप सरकारी ऑफिस में गए हैं? वहाँ पर कितने कर्मचारी अपना काम करते दिखते हैं, या फिर अपनी कुर्सी पर मिलते हैं? समझ लीजिये जो काम नहीं कर रहा है वह समय की चोरी कर रहा है.

     

    सरकार उनको 8 या 9 घंटे काम करने की तनख्वाह देती है लेकिन क्या वो अपना काम ईमानदारी से करते हैं?

     

    यह हाल सिर्फ सरकारी ऑफिसों का ही नहीं है बल्कि प्राइवेट सेक्टर में भी लोग जम कर समय चुराते हैं.

     

    लोग कैसे कैसे तरीके आजमाते हैं समय चुराने के लिए:

     

    1. लंच टाइम या ब्रेक को लम्बा खींचना: अगर कोई कर्मचारी रोज-रोज लंच टाइम ख़त्म होने के बाद भी सीट पर नहीं मिलता है तो समझ लीजिये वो समय चुरा रहा है. सरकारी स्कूल हों या सरकारी ऑफिस, शायद ही कोई समय चोरी न करता हो.

     

    1. दूसरे कर्मचारी की उपस्थिति लगाना: इसे अंग्रेजी में Buddy Punching कहते हैं. अगर कोई कर्मचारी देरी से आता है तो दूसरा सहयोगी उसकी उपस्थिति लगा देता है. यह भी समय चोरी का उपाय है. इस तरह की समय चोरी को कम करने के लिए प्राइवेट सेक्टर जहां सीसीटीवी कैमरा और फिंगर प्रिंट सेंसर का उपयोग करने लगे हैं वहीँ सरकारी ऑफिसों में भी इस तरह की इलेक्ट्रॉनिक मशीनो का उपयोग शुरू हो गया है. लेकिन सरकारी ऑफिस में अगर ये मशीन अगर एक बार खराब हुई तो उसे ठीक होने में भी कई साल लग सकते हैं. क्यूंकि मशीन ठीक करने वाले भी तो समय चुराते हैं.

     

    1. कंपनी के डाटा/इंटरनेट को दूसरे कामों में खर्च करना: आजकल सोशल मीडिया का दौर है और हर कोई फेसबुक और व्हाट्सएप्प चला रहा है. लेकिन इन निजी कामों को भी लोग कंपनी के इंटरनेट से ही करते हैं, और साथ ही कंपनी जिस काम के लिए उन्हें सैलरी दे रही है उस काम के बजाय फेसबुक चलाते हैं. इस तरह की समय चोरी कम करने के लिए कंपनी आजकल कर्मचारियों के कम्प्यूटर पर सोशल साइट्स को ब्लॉक कर रही हैं.

     

    1. ऑफिस में गप्पे मारना: अगर कोई कर्मचारी ऑफिस के समय में गप्पे मार रहा है तो इसका सीधा मतलब है वह दोगुना समय चोरी कर रहा है, अपना तो कर ही रहा है साथ ही एक और कर्मचारी को अपने साथ गप्प मारकर समय चोरी करवा रहा है. इस तरह का माहौल दूसरे कर्मचारियों की एकाग्रता भंग करता है जो काम कर रहे होते हैं.

     

    1. टाइम कार्ड भूलना या खो जाना: समय चोरी रोकने के लिए टाइम कार्ड का इस्तेमाल आजकल चलन में है. लेकिन कुछ घाघ लोग इसकी भी काट निकाल लेते हैं. वह हर दूसरे दिन “टाइम कार्ड घर भूल आया” या “टाइम कार्ड खो गया” जैसे बहाने बनाते हैं.

     

    1. काम को समय पर पूरा न करना: अगर किसी कर्मचारी के सामने फाइलों का ढेर लगा है तो इसका मतलब सिर्फ यह नहीं है की वह बहुत काम करता है, इसका एक मतलब ये भी हो सकता है कि वो बिलकुल काम न करता हो. या फिर समय चोरी कर आज के काम को कल पर छोड़ता हो और कुछ समय पश्चात् न किया कुआ काम उसके मेज पर फाइलों के ढेर के रूप में दिखाई देने लगता है.

     

    1. मीटिंग के बहाने समय चुराना: बेमतलब की मीटिंग को लम्बा खींचकर भी समय चोरी करते हैं लोग.

    Time Theft

    1. ऑफिस के समय को निजी कामों में खर्च करना: अगर इमरजेंसी को छोड़ दे तो भी लोग ऑफिस टाइम में लोग खूब फ़ोन पर बाते करते हैं या फिर अपना निजी काम करते हैं. प्राइवेट ऑफिसों में तो कई जगह फ़ोन को ऑफिस के गेट पर ही जमा करवा लिया जाता है.

     

    1. उस कर्मचारी की सहायता करना जिसे सहायता कि जरूरत न हो: किसी काम को अगर एक कर्मचारी कर रहा है और जानबूझ कर दूसरा कर्मचारी उस काम में पहले कर्मचारी कि सहायता कर रहा है तो इसका साफ़ मतलब है कि वो भी समय चोरी कर रहा है.

     

    Source: http://rmagazine.com/time-theft-10-ways-employees-stretch-time-at-work/

    Image Source: komiclogic.com, mynbc5.com

  • 10 मिनट में हेलीकॉप्टर से दिल्ली दर्शन, वो भी केवल 2500 रुपये में

    10 मिनट में हेलीकॉप्टर से दिल्ली दर्शन, वो भी केवल 2500 रुपये में

    अभी तक केवल वीआईपी लोग ही हेलीकाप्टर में बैठ और घूम पाते थे, लेकिन अब आप भी हेलीकाप्टर से दिल्ली  की सैर कर सकते हैं और वो भी मात्र 2500 रुपये में. पहले दिल्ली और आस पास के इलाकों में हेलीकॉप्टर की सामान्य उड़ानों पर प्रतिबन्ध था लेकिन अब सरकारी हेलिकॉप्टर सेवा देने वाली कंपनी पवन हंस अपने रोहिणी स्थित हेलिपोर्ट से दिल्ली दर्शन सेवा शुरू करने जा रही है. अभी दिल्ली दर्शन सेवा केवल सप्ताहांत में उपलब्ध होगी लेकिन कुछ समय के अंदर इसे रोजाना शुरू किया जाएगा. आप दिल्ली दर्शन के लिए www.pawanhans.co.in पर टिकट बुक करा सकते हैं.

     

    आपको बता दें की पवन हंस दिल्ली दर्शन की दो तरह की सेवाएं देने जा रहा है जिसमे 20 मिनट की यात्रा के लिए 5000 रुपये और 10 मिनट की यात्रा के लिए 2500 रुपये वसूलें जाएंगे.

     

    20 मिनट की यात्रा में दिल्ली के पीतमपुरा टॉवर, मजनूं का टीला, लाल किला, राजघाट और अक्षरधाम मंदिर के आसपास के इलाकों के नजारे दिखाए जाएंगे. लेकिन 10 मिनट की सेवा में कवर होने वाले इलाकों की अभी जानकारी नहीं दी गयी है.

     

    दिल्ली के रोहिणी में देश का पहला हेलिपोर्ट अभी कुछ समय पहले ही शुरू किया गया है. यहां से कुछ समय में नजदीकी शहरों के लिए भी उड़ान शुरू करने पर विचार चल रहा है. दिल्ली से मेरठ और मथुरा के लिए सेवाएं शुरू हो सकती हैं परंतु अभी किराया फाइनल नहीं हो पाया है.

  • उत्तर प्रदेश में महिलाओं के पैर छूकर सपा प्रत्याशी के लिए वोट मांग रही है रूसी महिला

    उत्तर प्रदेश में महिलाओं के पैर छूकर सपा प्रत्याशी के लिए वोट मांग रही है रूसी महिला

    यह कोई अचम्भा नहीं बल्कि हकीकत है. हम बात कर रहे हैं उत्तर प्रदेश के औरैया जिले के बिधूना विधान सभा के प्रत्याशी दिनेश वर्मा की. आपको शायद ही पता हो कि उनकी पत्नी एलिसा रूसी हैं. एलिसा को भारतीय पहनावे में देखकर महिलाएं उनकी तरफ आकर्षित हुए बिना रह नहीं पाती हैं. अपने मायके से हजारों किलोमीटर दूर रूस से बिलकुल अलग गाँव के माहौल में रच बस गयी और घर का कामकाज संभाल रही हैं. एलिसा सामान्य दिनों में भी साडी में ही दिखती हैं और भारतीय परम्परा के अनुसार ही बड़े बुजुर्गों के सामने सिर पर पल्लू रहता है. एलिसा शुरुआत से भारतीय संस्कृति से प्रभावित थी जिससे उन्हें एक छोटे से गाँव में भी रहने में परेशानी नहीं हुई. परेशानी थी केवल भाषा की, वो भी एलिशा ने हिंदी  को खूब अच्छी तरह से सीख कर दूर कर ली.  

    Russian Woman Asking for Vote for SP Candidate Dinesh Verma in UP

    दिनेश वर्मा आज किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं. इन्हें अखिलेश यादव ने अपने मौसा प्रमोद गुप्ता की टिकट काट कर सपा प्रत्याशी चुना है. प्रमोद गुप्ता इस समय बिधूना के निवर्तमान विधायक हैं. जबकि दिनेश वर्मा उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के मित्र और ६ बार बिधूना से विधायक और पूर्व विधानसभा अध्यक्ष स्व. धनीराम वर्मा के पुत्र हैं.

    Russian Woman Asking for Vote for SP Candidate Dinesh Verma in UP

    अब जब दिनेश वर्मा घर-घर जाकर वोट मांग रहे हैं तो उनकी पत्नी भला कैसे पीछे रहतीं. एलिसा भी घर-घर जाकर महिलाओं के पैर छूकर वोट मांग रही हैं. एक विदेशी महिला को देखकर महिलाओं का हुज़ूम उन्हें देखने उमड़ पड़ता है. लोगों को तब और भी अचम्भा होता है जब एलिसा फर्राटेदार हिंदी बोलती हैं.

    Russian Woman Asking for Vote for SP Candidate Dinesh Verma in UP

    कैसे बनी एक रूसी लड़की हिन्दू घर की बहू:

    Russian Woman Asking for Vote for SP Candidate Dinesh Verma in UP

    आपको शायद ही पता हो कि दिनेश वर्मा रूस से मेडिकल के डिग्रीधारक हैं. पढ़ाई के दौरान ही इनकी मुलाक़ात एलिसा से हुई और एलिसा भारतीय संस्कृति की मुरीद हो गयीं. बाद में दोनों ने भारत आकर हिन्दू रीति रिवाजों से शादी कर ली.

    Russian Woman Asking for Vote for SP Candidate Dinesh Verma in UPRussian Woman Asking for Vote for SP Candidate Dinesh Verma in UPRussian Woman Asking for Vote for SP Candidate Dinesh Verma in UP

     

    साभार: http://www.amarujala.com/uttar-pradesh/kanpur/russian-wifes-wacky-style

  • हमारे देश में हुनर की कमी नहीं है, बस सरकारें सहयोग नहीं करती हैं

    हमारे देश में हुनर की कमी नहीं है, बस सरकारें सहयोग नहीं करती हैं

    हुनर की बात करें तो क्या हमारे देश में हुनर की कमी है? हम ओलम्पिक जैसी प्रतियोगिताओं में क्यों पदक के लिए पलकें बिछाये रहते हैं? जबकि होनहार रोजी रोटी के चक्कर में सडकों पर अपना हुनर दिखाने को मजबूर हैं.

    https://www.youtube.com/watch?v=Bfs6ZJIMalw