Category: खबरें और राजनीति

  • देखिये कीट – पतंगों की अजब-गजब दुनिया, प्रकृति आपको कैसे मूर्ख बनाती है?

    देखिये कीट – पतंगों की अजब-गजब दुनिया, प्रकृति आपको कैसे मूर्ख बनाती है?

    इस बार हम लाये हैं आपको मूर्ख बनाने वाले जीव जंतु. इन जीव जंतुओं को देखकर आप खुद अचंभित हो जाएंगे की ये किस प्रकार आपको उल्लू बनाने की ताकत रखते हैं.

    दरअसल ये सिर्फ आपको ही उल्लू नहीं बनाते बल्कि ये अपने दुश्मनों को भी उल्लू बनाते है जिससे ये उनसे अपनी जान बचा सकने में कामयाब हो जाते हैं.

    आइये देखते हैं ये लिस्ट:

    क्या ये गुबरैला/भृंग/मोगरी/Beetle/Ladybug है?

    Insects’ Wonderful World

    न न न , ये एक मकड़ी (Spider) है.

    और ये तो जरूर ही एक मकड़ी (Spider) है?

    Insects’ Wonderful World

    अरे भाई इसकी शक्ल पर मत जाओ, ये एक पतंगा (Moth) है.

    अच्छा ये तो बिलकुल ही उल्लू (Owl) लगता है?

    Insects’ Wonderful World

    आप एक बार फिर धोखा खा गए, ये भी एक पतंगा (Moth) है.

    ये जरूर ही किसी चिड़िया की बीट (Poop) है?

    Insects’ Wonderful World

    हे हे! है न आँखों का धोखा, ये एक मकड़ी (Spider) है.

    एक बार फिर किसी पक्षी की बीट (Poop)?

    Insects’ Wonderful World

    न जी, ये तो एक पतंगा (Moth) है.

    ये तो जरूर ही एक बर्र (Wasp) है?

    Insects’ Wonderful World

    ये है एक बद्धहस्त कीट (Mantis). ये कीट देखने में हर समय प्रार्थना करता हुआ लगता है इसलिए इसे बद्धहस्त कीट कहते हैं.

    ये देखने में तो भंवरा (Wasp) लगता है?

    Insects’ Wonderful World

    बिलकुल नहीं, ये एक पतंगा (Moth) है.

    तो फिर ये जरूर ही भंवरा (Bumblebee) है?

    Insects’ Wonderful World

    आँखों का धोखा, ये एक मक्खी (Fly) है.

    ओह! कितना सुन्दर फूल (Flower).

    Insects’ Wonderful World

    एक बार फिर से नजर मार लो इस फूल पर.

    Insects’ Wonderful World

    फिर से एक बार ये बद्धहस्त कीट (Mantis) है.

    हे भगवान्! सांप (Snake)?

    Insects’ Wonderful World

    खा गए न धोखा, ये एक इल्ली (Caterpillar) है.

    ये है एक पौधा (Plant)?

    Insects’ Wonderful World

    नहीं जी, ये तो एक मकड़ी (Spider) है.

    ये जरूर किसी पेड़ के कटे फटे पत्ते (Leaf/Leaves) हैं.

    Insects’ Wonderful World

    अरे भाई, ये बद्धहस्त कीट (Mantis) आपको ही नहीं बल्कि दुश्मनों को भी मूर्ख बनाने में पूर्णतयः कामयाब है. पत्तों के बीच में इसे पहचानना असंभव सा है.

    सूखे पत्ते (Leaf)?

    Insects’ Wonderful World

    बिलकुल नहीं, ये तो एक तितली (Butterfly) है.

    सड़ी हुई लकड़ी लग रही है ये तो..

    Insects’ Wonderful World

    अरे भाई, बद्धहस्त कीट (Mantis) को पहचानना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन भी है.

    ये तो देखने में चींटी (Ant) लग रही है.

    Insects’ Wonderful World

    ये भी आपकी आँखों का धोखा है, दरअसल यह एक टिड्डा (Katydid) है.

    जरा दुबारा इस टिड्डे को देख लो, कहीं पहचानने में भूल न हो जाए.

    Insects’ Wonderful World

    अब पहले ही बता दूँ, ये एक मकड़ी (Spider) है.

    Insects’ Wonderful World

    ये भी एक मकड़ी (Spider) है.

    Insects’ Wonderful World

    बद्धहस्त कीट (Mantis) तो कमाल है.

    Insects’ Wonderful World

    मकड़ी (Spider)?

    Insects’ Wonderful World

    ये तो सुन्दर से पंखों (Wings) के साथ एक मक्खी (Fly) है.

    आया न मजा, जीव जंतुओं की इस विचित्र दुनिया के बारे में अपने सभी साथियों को बताएं और सोशल मीडिया पर शेयर करें.

    Image and Post Source: http://danglingmouse.com/dangling/nature-fools-us/

  • स्वतंत्र भारत में लोकतांत्रिक मूल्य, सरकार और कॉर्पोरेट का मीडिया पर प्रभाव और आम जनता

    स्वतंत्र भारत में लोकतांत्रिक मूल्य, सरकार और कॉर्पोरेट का मीडिया पर प्रभाव और आम जनता

    क्या मीडिया/पत्रकारिता पर राजनीति या कॉर्पोरेट का कंट्रोल जायज है?

    ध्यान रहे, मीडिया लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ है.

    इससे पहले की इस प्रश्न पर विचार किया जाए की किसी लोकतान्त्रिक व्यवस्था में मीडिया की भूमिका क्या है, यह स्पष्ट करना अत्यंत आवश्यक है की लोकतंत्र का तात्पर्य क्या है. लोकतंत्र से अभिप्राय उस शासन व्यवस्था से है जो जनता के द्वारा, जनता के लिए बनाई गयी हो और जिसके शासक भी जनप्रतिनिधि ही हों.सुनने में तो यह परिभाषा अत्यंत ही सुन्दर लगती है.

    लोकतंत्र” दुनिया में मनुष्य के द्वारा बनाया गया सबसे खूबसूरत और हसीन शब्द है.

    विडम्बना यह है की लोकतंत्र के शाब्दिक अर्थ को तो हम जानते हैं लेकिन व्यावहारिक तौर पर उसका विकास हम नहीं कर पाए हैं. किसी भी लोकतान्त्रिक व्यवस्था को सुचारु रूप से चलाने के लिए विश्वसनीय सूचना माध्यम की आवश्यकता होती है. इसी सूचना माध्यम से सरकार की नीतियों, विभिन्न योजनाओं से अवगत हुआ जा सकता है. ऐसे में मीडिया ही वह सूचना माध्यम है जिससे विश्वसनीय सूचनाएं पायी जा सकती हैं. यह सच है की किसी भी अखबार या मीडिया हाउस को चलाने के लिए धन की आवश्यकता होती है लेकिन केवल धन कमाने के लिए अखबार या मीडिया हाउस चलाना ठीक नहीं. नवउदारवादी शक्तियों ने सबसे पहले अपने शिकंजे में इन्हीं मीडिया घरानों को लिया क्यूंकि  मीडिया की दखल घर- घर में है और अपना तंत्र फैलाने के लिए मीडिया से ज्यादा और विश्वसनीय माध्यम और क्या हो सकता है. यही वजह है की लगभग हर बड़े कारपोरेट के पास एक खबरिया चैनल है जिन्होंने देश के शीर्षस्थ पत्रकारों को मोटी तनख्वाह देकर खरीद लिया है और इन पत्रकारों की की यह मजबूरी है की अपने मालिकों का यशोगान करें. मीडिया आज अंधविश्वास का पोषक बन गया है. कहाँ तो पत्रकारिता का उत्तरदायित्व समाज में अलख जगाना हुआ करता था, ज्ञान का दीपक जलाना हुआ करता था लेकिन आज हालत यह है की ये समाचार चॅनेल एवं अखबार अंधविश्वासों को फैला रहे हैं.

    जिस प्रकार स्टिंग ऑपरेशन चलाकर भ्रष्ट अधिकारियों को मीडिया ने बेनकाब किया है वह भी तारीफ के काबिल है. सांप्रदायिक दंगों के दौरान मीडिया द्वारा अपने दायित्व का निर्वहन बखूबी किया जा रहा है लेकिन होना यह भी चाहिए की सांप्रदायिक विचार फैलाने वाले चेहरों को भी बेनकाब किया जाए.

    मीडिया को लोकतांत्रिक मूल्यों के लिए पूरी तरह दोषी नहीं ठहराया जा सकता. अगर देश की गरीबी और भुखमरी की ओर मीडिया की नजर नहीं जाती तो इसका दोषी दर्शक वर्ग भी है जो इसे देखना पसंद नहीं करता. मीडिया ने अगर ‘जो दिखता है, वही बिकता है‘ या ‘ जो बिकता है, वही दिखता है‘ को अपना मूलमंत्र बनाया है तो कहीं न कहीं इसमें देखने वालों की रूचि भी शामिल है. अंततः यह नहीं भूलना चाहिए की लोकतांत्रिक मूल्यों को बचाकर रखने की जिम्मेदारी केवल मीडिया की ही नहीं बल्कि उस समाज की भी है जो उस देश का नागरिक है.

    साभार: विनय कुमार पटेल

  • Catch – 22, एक असंभव लेकिन मजाकिया परिस्थिति

    Catch – 22, एक असंभव लेकिन मजाकिया परिस्थिति

    क्या आपने Catch 22 नियम के बारे में सुना है? अगर नहीं तो आइये जानते हैं Catch 22 नियम के बारे में.

    एक ऐसी परिस्थिति जिसका कोई हल नहीं निकलता. इसके नियम इस तरह विरोधाभाषी होते हैं की उनका हल असंभव होता है.

    इसे एक उदहारण से समझते हैं:

    एक लड़के को ट्रैफिक पुलिस वाले ने पकड़ लिया और उससे उसका ड्राइविंग लाइसेंस दिखने को कहा.

    लड़के ने कहा: नहीं है.

    पुलिस: लइसेंस है नहीं या बनवाया ही नहीं?

    लड़का: बनवाया ही नहीं.

    पुलिस: क्यों?

    लड़का: लइसेंस बनवाने तो गया था लेकिन वो वोटर आईडी मांग रहे थे जोकि मेरे पास नहीं थी.

    पुलिस: तो वोटर आईडी बनवा लेनी चाहिए.

    लड़का: वोटर आईडी बनवाने गया था, लेकिन वो राशन कार्ड मांग रहे थे, वो मेरे पास नहीं है.

    पुलिस: तो राशन कार्ड बनवा लो.

    लड़का: राशन कार्ड बनवाने गया था, वो बैंक की पासबुक मांग रहे थे, लेकिन वो भी मेरे पास नहीं है.

    पुलिस: तो इसमें क्या समस्या है, बैंक में अकाउंट खुलवा लो.

    लड़का: बैंक में गया था लेकिन वो ड्राइविंग लइसेंस मांग रहे थे.

    इस उदहारण में कुछ भी गलत नहीं है और इसका कोई भी हल भी नहीं है और यही परिस्थिति Catch – 22 कहलाती है.

    दरअसल Catch – 22 एक उपन्यास है जिसे एक अमेरिकी लेखक जोसफ हेलर ने लिखा था. उन्होंने यह उपन्यास 1953 में लिखना शुरू किया था और 1961 में यह पब्लिश हुआ था. यह उपन्यास बीसवीं सदी के अच्छे उपन्यासों में शामिल है.

    आइये Catch – 22 के कुछ और उदाहरण देखें, ये वास्तविक भी हैं और इन उदाहरणों को पढ़कर आपको हंसी भी आएगी, लेकिन ये गंभीर भी हैं.

    Funny Rule - Catch 22

    1. नौकरी के लिए अनुभव चाहिए

    और

    अनुभव के लिए नौकरी चाहिए.

    है न अद्भुत. अब आप ही बताइये इस परिस्थिति का क्या हल है?

    इस नियम का यही नियम है की अगर नियम मानते हो तो कोई हल नहीं है, और अगर हल निकालने की कोशिश करते हो तो नियम टूट जाता है.

    1. बैंक उसको कभी लोन नहीं देती जिसे इसकी जरूरत है.

    यह एक सजीव उदाहरण है, जब तक आपके पास पैसा है तब तक बैंक वाले लोन और क्रेडिट कार्ड लिए आपके पीछे घूमेंगे, और अगर आपके पास जॉब नहीं है और पैसे की जरूरत है तो न तो आपका लोन अप्रूव होगा और न ही क्रेडिट कार्ड अप्रूव होगा. और अगर पैसे की कमी से कभी लोन या क्रेडिट कार्ड का बिल नहीं भर पाए तो समझ लीजिये बैंक वाले आपसे लोन वसूलने के लिए पीछे ही पड़ जाएंगे.

    अरे भाई अगर पैसे ही होते तो लोन या बिल सही समय पर नहीं चुका देते.

    Funny Rule - Catch 22

    1. इस तीसरे उदहारण में भी कोई गलती नहीं है.

    स्कूल में टीचर छात्र से:-

    टीचर : होम वर्क क्यों नहीं किया ??

    छात्र : सर बिजली नहीं थी।

    टीचर : तो ममोमबत्ती जला लेते।

    छात्र : सर माचिस नहीं थी।

    टीचर : माचिस क्यों नहीं थी?

    छात्र : पूजा घर में रखी थी।

    टीचर : तो वहां से ले आते।

    छात्र : नहाया हुआ नहीं था।

    टीचर : नहाया  क्यों नहीं था ?

    छात्र : पानी नहीं था।

    टीचर : पानी क्यों नहीं था ?

    छात्र : मोटर नहीं चल रही थी।

    टीचर : तो, मोटर क्यों नहीं चल रही थी ?

    छात्र : सर यही तो पहले बताया था की लाइट नहीं थी।

    अब आपको समझ आ गया होगा की ये सिर्फ जोक ही नहीं हैं बल्कि Catch 22 के नियम हैं जो असंभव कंडीशन को फॉलो करते हैं.

    Read More about Catch 22: https://en.wikipedia.org/wiki/Catch-22_(logic)

    https://en.wikipedia.org/wiki/Catch-22

  • दिवाली की शुभकामनाएं और फोटो यहां से फ्री डाऊनलोड करें

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  • रेप के दोषी राम रहीम – अंधभक्तों का धार्मिक उन्माद, हिंसा और मौतें, सरकारी सम्पत्तियों का नुकसान

    रेप के दोषी राम रहीम – अंधभक्तों का धार्मिक उन्माद, हिंसा और मौतें, सरकारी सम्पत्तियों का नुकसान

    पंचकूला की विशेष सीबीआई अदालत के डेरा चीफ राम रहीम को रेप का दोषी करार देने के बाद उनके समर्थक हिंसा पर उतर आए हैं। पंचकूला हिंसा में मरने वालों की संख्या बढ़कर 30 हो गई है और 250 लोग घायल हुए हैं। पंचकूला में हुई हिंसा में 100 से ज्यादा गाड़ियों को आग के हवाले कर दिया गया है। अदालत द्वारा दोषी करार दिए जाने के बाद समर्थकों ने मीडियाकर्मियों पर भी हमले किए हैं। इस बीच राम रहीम के फैसले के बाद दिल्ली और उत्तर प्रदेश सीमा पर अलर्ट जारी कर दिया गया है।

    खबरों के मुताबिक, कोर्ट परिसर के बाद डेरा अनुयायियों ने टाइम्स नाउ समेत 3 न्यूज चैनलों की ओबी वैन तोड़ दी है। कुछ ओबी वैन में आग लगा दी गई है। फायर ब्रिगेड और पुलिस की गाड़ियों में आगजनी की गई है। पंजाब के दो रेलवे स्टेशनों में आग लगाने की खबरें आ रही हैं। इसके अलावा, शिमला हाइवे पर भी कारों को रोककर तोड़फोड़ की गई है। पंजाब और हरियाणा में कई जगहों से हिंसा की खबरें आ रही हैं। सरकारी भवनों में हिंसक प्रदर्शनकारियों ने आग लगा दी है।

    Rape Case on Ram Rahim, Violence, Injured and Deaths

    Read: http://navbharattimes.indiatimes.com/state/punjab-and-haryana/chandigarh/ram-rahim-verdict-many-people-killed-injured-shifted-to-a-hospital-in-sector-6-of-haryana/articleshow/60222258.cms

    पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख राम रहीम को रेप का दोषी करार दिए जाने के बाद हुई हिंसा में सार्वजनिक और निजी संपत्ति को हुए नुकसान पर बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि हिंसा में हुई नुकसान की भरपाई डेरा की संपत्तियों को जब्त कर किया जाए।

    साध्वी से रेप के मामले में गुरमीत राम रहीम को दोषी ठहराए जाने के बाद उनके समर्थक जगह-जगह हिंसा और आगजनी कर रहे हैं। पंचकूला की सीबीआई अदालक के फैसले के बाद से ही हरियाणा समेत पंजाब, दिल्ली, राजस्थान और यूपी में उग्र डेरा समर्थक जगह-जगह हिंसा कर रहे हैं। तनाव के मद्देनजर दिल्ली के 11 जिलों में 8 सितंबर तक धारा 144 लगा दी गई है। गाजियाबाद में डीएम ने शनिवार को सभी स्कूल बंद रखने का आदेश दिया है। इसके अलावा मेरठ, हापुड़ और बागपत में सीबीएसई के सभी स्कूल शनिवार को बंद रहेंगे। नोएडा में भी सभी प्राइवेट स्कूल शनिवार को बंद रहेंगे।

    पंचकूला में उग्र डेरा समर्थकों ने कई गाड़ियों को आग के हवाले कर दिया। तनाव के मद्देनजर हरियाणा के पंचकूला, सिरसा और कैथल में कर्फ्यू लगा दिया गया है। पंजाब में भी कुछ जगहों पर कर्फ्यू लगाया गया है। नोएडा (गौतमबुद्ध नगर), गाजियाबाद समेत पश्चिमी यूपी के 5 जिलों में एहतियातन धारा 144 लगाई गई है।

    Read: http://navbharattimes.indiatimes.com/metro/delhi/crime/section-144-imposed-in-11-disticts-of-delhi-all-schools-of-ghaziabad-to-remain-closed-on-saturday/articleshow/60224911.cms

    रेप के दोषी राम रहीम का बीजेपी सांसद साक्षी महाराज ने किया बचाव

    रेप के मामले में डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम को कोर्ट द्वारा दोषी ठहराए जाने के बाद जहां उनके समर्थक उपद्रव कर रहे हैं, वहीं बीजेपी सांसद साक्षी महाराज ने गुरमीत का बचाव किया है। उन्नाव से सांसद साक्षी महाराज ने पूरे प्रकरण को भारतीय संस्कृति को बदनाम करने की साजिश बताया है। बीजेपी के राज्यसभा सांसद सुब्रमण्यन स्वामी ने भी इशारो-इशारों में राम रहीम का बचाव किया है।

    रेप के दोषी गुरमीत के बचाव में साक्षी ने कहा कि कोर्ट करोड़ों भक्तों की बात नहीं सुन रहा है, सिर्फ एक शिकायतकर्ता की बात सुन रहा है। बीजेपी सांसद ने सीधे-सीधे कोर्ट के फैसले पर सवाल उठाते हुए कहा कि एक शिकायतकर्ता सही है या करोड़ों भक्त। साक्षी महाराज ने यह भी कहा कि कोर्ट ने सीधे-सादे राम रहीम को बुला लिया, नुकसान के लिए कोर्ट भी जिम्मेदार है।

    BJP MP Sakshi Maharaj Supports Ram Rahim

    बीजेपी के एक और नेता राज्यसभा सांसद सुब्रमण्यन स्वामी ने भी बिना नाम लिए राम रहीम का बचाव किया है। स्वामी ने ट्वीट किया, ‘साधुओं के लिए नया खतरा: राजनेता और आश्रमों में रहने वाले स्वामीजी को जेल भेजकर आश्रम की संपत्ति पर कब्जा करना चाहते हैं। साधुओं को अपने उत्तराधिकारियों को आगे बढ़ाना चाहिए।’

    बता दें कि साध्वी से रेप के मामले में पंचकूला की सीबीआई अदालत ने शुक्रवार को गुरमीत राम रहीम को दोषी ठहराया। सजा का ऐलान 28 अगस्त को होगा। गुरमीत को दोषी ठहराए जाने के बाद डेरा समर्थकों ने पंचकूला में हिंसा शुरू कर दी। हिंसा में 30 लोगों के मारे जाने और 250 से ज्यादा के घायल होने की पुष्टि हो चुकी है। पंचकूला से करीब 1,000 डेरा समर्थकों को हिरासत में लिया गया है। पंजाब के संगरूर, बठिंडा और मोगा शहर में जबकि हरियाणा के सिरसा, पंचकूला और कैथल में कर्फ्यू लगा दिया गया है। दिल्ली के सभी जिलों और पश्चिमी यूपी के 5 जिलों में धारा 144 लगा दिया गया है।

    डेरा समर्थकों ने अलग-अलग जगहों पर करीब 100 गाड़ियों को आग के हवाले कर दिया है। हिंसा पर पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने सख्त रुख अपनाते हुए डेरा सच्चा सौदा की संपत्ति को जब्त करने और उससे नुकसान की भरपाई का आदेश दिया है।

    Read: http://navbharattimes.indiatimes.com/india/bjp-mp-sakshi-maharaj-defends-rape-convict-gurmeet-ram-rahim/articleshow/60224286.cms

    राम रहीम: डेढ़ दशक में इस तरह अंजाम तक पहुंचा केस

    साध्वी से रेप केस में डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम को आखिरकार शुक्रवार को अदालत ने दोषी ठहरा दिया। 28 अगस्त को राम रहीम को सजा भी सुना दी जाएगी। नीचे देखिए साल 2002 से 2017 तक इस केस ने लिए कैसे-कैसे मोड़…

    Rape Case on Ram Rahim, Violence, Injured and Deaths

    1. अप्रैल 2002: तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी सहित पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट को डेरा सच्चा सौदा की महिला अनुयायी के यौन शोषण की शिकायत वाली गुमनाम चिट्ठी मिली।
    2. मई 2002: हाई कोर्ट ने सिरसा डिस्ट्रिक्ट और सेशन जज को चिट्ठी में लगाए गए आरोपों की जांच का निर्देश दिया।
    3. सितंबर 2002: जिला अदालत द्वारा यौन शोषण की आशंका जताए जाने के बाद हाईकोर्ट ने केस CBI को सौंप दिया।
    4. दिसंबर 2002: CBI ने गुरमीत राम रहीम के खिलाफ रेप और पीड़ित को धमकाने का केस दर्ज किया।
    5. जुलाई 2006: साध्वी ने बयान दर्ज कराया।
    6. जुलाई 2007: CBI ने अंबाला कोर्ट में चार्जशीट दायर की जिसमें राम रहीम पर 1999 से 2001 के बीच 2 साध्वियों के यौन शोषण का आरोप लगाया गया।
    7. सितंबर 2008: CBI की विशेष अदालत ने राम रहीम के खिलाफ धारा 376 (रेप) और 506 (पीड़ित को धमकी) के तहत आरोप तय किए।
    8. सितंबर 2008: CBI कोर्ट ने राम रहीम पर आरोप तय किए।
    9. फरवरी 2009: एक साध्वी ने कोर्ट में बयान दर्ज कराया।
    10. सितंबर 2010: दूसरी साध्वी ने भी कोर्ट में बयान दर्ज कराया।

    Read: http://navbharattimes.indiatimes.com/chronology-of-rape-case-against-gurmeet-ram-rahim/listshow/60223922.cms

  • पेड़ों से ढकी यह इमारत बनने से पहले ही आकर्षण का केंद्र बनी हुई है

    पेड़ों से ढकी यह इमारत बनने से पहले ही आकर्षण का केंद्र बनी हुई है

    ज्यादातर बनी हुई इमारतें ही लोगो के आकर्षण का केंद्र होती हैं, लेकिन यह अनोखी इमारत बनते हुए भी लोगों के आकर्षण का केंद्र बनी हुई है. यह इमारत चीन के शंघाई शहर में बन रही है और इसकी अनोखी वास्तुकला की वजह से हजारों लोग इसको देखने आ रहे हैं.

    1000 Trees Covered Most Attractive Building

    इस इमारत का नाम ही रखा गया है: 1000 Trees, और इस इमारत की छतों और खम्भों पर पूरे पेड़ उगाये गए हैं जिसकी वजह से यह पूरी इमारत हरी-भरी दिखाई देती है.

    यह बिल्डिंग शंघाई के प्रसिद्ध M50 आर्ट एन्क्लेव के पास बन रही है और इसका काम अपने अंतिम चरण में है. यह बिल्डिंग 15 एकड़ में बनाई जा रही है. इसमें खम्भों को छुपाने के बजाये इन्हें छत पर निकाल कर उसके ऊपर पेड़ लगाए गए हैं.

    1000 Trees Covered Most Attractive Building

    इस इमारत को घर, ऑफिस, होटल और स्कूल के रूप में यूज किया जाएगा.
    16 मंजिला यह इमारत 50 मीटर ऊंची है और इसे अगले वर्ष तक आम जनता के लिए खोल दिया जाएगा.

    1000 Trees Covered Most Attractive Building

    Source & Image Credits:

    https://www.lonelyplanet.com/news/2017/08/18/china-shanghai-1000-trees-complex-m50-art-enclave/

  • जैसा बोओगे वैसा ही काटोगे – एक प्रेरणादायक कहानी

    जैसा बोओगे वैसा ही काटोगे – एक प्रेरणादायक कहानी

    बोया पेड़ बबूल का तो आम कहाँ से होय.

    आप लोगों में से कई ने “नमक का दरोगा” नाम की कहानी तो पढ़ी होगी. जिसमे ईमानदारी और किसी भी तरह की रिश्वत स्वीकार न करने के बावजूद नौकरी से हाथ धोना पड़ता है. लेकिन ईमानदारी का फल अंत में मीठा ही मिला.

    इसी तरह की एक कहानी है, आइये इस कहानी से कुछ सीख लें.

    एक बार जब एक सफल बिजनेसमैन बूढा हो गया तो उसने अपने बिज़नेस को योग्य हांथों में सौपने की सोची, जो उसके बिज़नेस को पूरी ईमानदारी से आगे बढाए.

    इस काम के लिए उसने अपने बच्चों या फिर कंपनी के डाइरेक्टरों को चुनने के बजाय कुछ अलग करने की सोची. उसने अपनी कंपनी के सभी नौजवान कर्मचारियों को अपने पास बुलाया.

    उसने कहा: अब मेरे रिटायरमेंट और नए मालिक को चुनने का वक्त आ गया है, और मै चाहता हूँ की वो आप में से कोई हो.

    इस बात को सुनकर सभी कर्मचारी आश्चर्यचकित रह गए. बूढ़े मालिक ने आगे कहा: मैं आप सबको एक-एक बीज दे रहा हूँ, यह बहुत ही स्पेशल बीज है. मैं चाहता हूँ की आप सब इस बीज को बोयें और देखभाल करें. आज से ठीक एक साल बाद आपने इस बीज से क्या उगाया है वो दिखाएं. तब मैं आपके पौधे देखूंगा और अगले CEO का निर्णय करूँगा.

    उनमे एक कर्मचारी जिसका नाम जिम था, उसे भी सबकी तरह एक बीज मिला. जब शाम को वह घर पहुंचा तो उसने पूरी कहानी अपनी पत्नी को सुनाई. यह सुनकर पत्नी भी बहुत खुश हुई और एक गमला लाई, उसमे मिटटी और खाद आदि डालकर उसमे बीज बो दिया. रोज वो दोनों उस गमले में पानी डालते और पौधे के उगने की प्रतीक्षा करते. लगभग तीन हफ्ते के बाद उसके ऑफिस के कुछ कर्मचारी अपने पौधे के उगने और उनके बढ़ने की बाते करने लगे.

    जिम रोज की तरह गमले को देखता लेकिन उसमे किसी पौधे का कोई नामो-निशान तक नहीं था.
    धीरे-धीरे महीने गुजरने लगे. सभी अपने-अपने पौधों के बढ़ने की बाते करते थे. लेकिन उसके पास बताने के लिए कुछ भी नहीं था. जिम अपने साथियों से इस बारे में कोई बात नहीं करता था.

    लेकिन वह अपने गमले खाद पानी डालना कभी नहीं भूलता था, पता नहीं कब एक छोटा सा पौधा निकल आये.
    आखिकार एक साल पूरा हुआ, सभी कर्मचारी पाने -अपने पौधे लेकर आये.

    वहीँ जिम ने अपनी पत्नी से कहा की वह खाली गमला ले जाकर क्या करेगा? लेकिन उसकी पत्नी ने कहा की ईमानदार रहो और जो कुछ भी हुआ वह बताना. जिम घबरा रहा था क्यूंकि यह उसके जीवन का सबसे शर्मिंदगी वाला दिन था, लेकिन उसकी पत्नी की बात भी सही थी. जब वह अपना खाली गमला लेकर ऑफिस पहुंचा तो देखा की उसके सभी साथी तरह तरह के पौधे के साथ वहाँ पर थे. सभी के पौधे सुन्दर थे, और सब उसके खाली गमले की वजह से उस पर हंस रहे थे.

    तभी मालिक वहां पहुंचा और सबका स्वागत किया और बोलै की आप सबने बहुत ही अच्छे तरह से पौधे उगाये, आज आपमें से कोई एक इस कंपनी का CEO बनेगा. यह सुनकर जिम ने अपना खाली गमला अपने पीछे छुपा लिया.

    तभी अचानक मालिक की नजर सबसे पीछे खड़े जिम को अपने खाली गमले को छुपाते हुए पर पड़ी तो उसने उसे आगे बुलाया. जिम डर गया और सोचा की आज पौधा न उगने की वजह से उसकी नौकरी तो गयी.
    जब जिम आगे आया तो मालिक ने उससे पूंछा, क्या हुआ तो उसने पूरी कहानी बता दी.

    मालिक ने जिम के सिवा सबको बैठने को कहा और घोषणा की, अपने नए CEO का स्वागत करें, उसका नाम है “जिम”.

    जिम को अपने कानों पर विश्वास नहीं हुआ. क्यूंकि वह तो एक बीज भी नहीं उगा सका था.
    सब के सब आश्चर्य में थे की ऐसा कैसे हो सकता है.

    तब मालिक ने कहा, एक साल पहले यहां पर सभी को मैंने एक-एक बीज दिया था और कहा था की इस बीज को बोना और खाद पानी देना और आज मुझे वापस लाकर दिखाना. लेकिन मैंने सबको उबले हुए बीज दिए थे. वो सब मरे हुए बीज थे और उनसे पौधे उगना असंभव था.

    जिम के सिवा आप सब पौधे लेकर आये. जब आपने देखा की पौधे नहीं उग रहे हैं तो आपने बीज बदल दिए. केवल जिम ने ईमानदारी से साहस दिखाया और खाली गमला जिसमे मेरा बीज था, लेकर आया. इसलिए जिम है आपका नया CEO.

    अगर आप ईमानदार है, तो विश्वास जीतेंगे.
    अगर आपमें अच्छाई है, तो आप दोस्ती जीतेंगे.
    अगर आपमें मानवता है, तो आप महानता जीतेंगे.
    अगर आप धैर्यवान हैं, तो आप संतोषी होंगे.
    अगर आप कठिन परिश्रम करते हैं, तो जरूर सफल होंगे.
    अगर आप दयावान होंगे, तो सबसे सामंजस्य बिठा पाएंगे.
    अगर आपका ईश्वर पर विश्वास हैं, तो आप फसल काट पाएंगे.

    इसलिए आप पर निर्भर करता है की आप आज जो बोयेंगे वही बाद में काटेंगे.

  • वरुण प्रुथी का रक्षा बंधन पर दिल को छू लेने वाला विडियो

    वरुण प्रुथी का रक्षा बंधन पर दिल को छू लेने वाला विडियो

    रक्षा बंधन भाई और बहन के प्यार और निष्ठा का त्यौहार होता है इस दिन हर भाई अपनी बहन की रक्षा का वचन देते है।पर असल में वचन का पता तब चलता है जब वही भाई किसी और की बहन को छेड़ते है। असल में भाई वही होते है जो अपनी बहन के साथ साथ दुसरो की भी बहनो की रक्षा करते है।

    वरुण प्रुथी के द्वारा फिल्माया गया ये विडियो एक सत्य घटना पर आधारित है जो एक ऐसे ही भाई की कहानी दिखता है। जिसने दूसरे की बहन को बचाने के लिए अपनी जान दे दी।

    मैं यह यकीन के साथ कह सकता हू की इस विडियो को देखने के बाद आप शर्म से डूब जायेगे।

  • क्या आप प्लास्टिक के नकली चावल खा रहे हैं? इन पांच तरीकों से पता लगाएं

    क्या आप प्लास्टिक के नकली चावल खा रहे हैं? इन पांच तरीकों से पता लगाएं

    हम सब ने फेसबुक और व्हाट्सएप्प पर चीन के नकली प्लास्टिक के चावल बनते हुए देखे होंगे. यह चावल दुनिया भर के बाजारों में एक वायरस की तरह फैल चुका है. अब आप सब ही सोचिये कि यह प्लास्टिक का चावल खाने वालों का क्या हाल होगा. देखने में यह चावल बिलकुल असली चावल की तरह होता है और पकाने के बाद असली चावल की तरह ही मुलायम हो जाता है. यह हाल तब है जब चीन विश्व में सबसे ज्यादा चावल का उत्पादन करता है.

    कैसे बनता है यह नकली चावल:

    एक कोरियन न्यूज़ के अनुसार बहुत सी चीनी कम्पनियाँ नकली चावल बनाने और बेचने के धंधे में लिप्त हैं. यह चावल प्लाटिक और आलू के स्टार्च को मिलकर बनाया जाता है. इसमें उबले हुए चावल का फ्लेवर मिलकर उसे असली चावल कि तरह महक प्रदान की जाती है. इन नकली चावलों को असली चावलों के साथ मिलाकर, असली चावल की कीमत पर बेंचा जाता है.

    देखें प्लास्टिक से चावल कैसे बनते हैं:

    https://www.youtube.com/watch?v=eRlTAbVrXqI

    किसान और ग्रामीण क्षेत्र में रहने वालों को इस तरह की समस्या न के बराबर है क्यूंकि वह अपने खेतों का उत्पादित असली चावल ही खाते हैं. लेकिन शहरों में रहने वालों को इस समस्या से कभी भी दो-चार होना पड़ सकता है.

    अब सबसे बड़ी दिक्कत यह है कि इन नकली प्लास्टिक के चावल को कैसे पहचाना जाए.

    आइये ये सरल से टिप्स आजमाइए और असली और नकली चावल में अंतर कीजिये.

    #1. पानी से पता लगाएं:

    एक गिलास में पानी लीजिये और थोड़े से चावल उसमे डालिये. असली चावल गिलास की तली में बैठ जाएंगे और प्लास्टिक के चावल पानी में तैरते रह जाएंगे.

    #2. आग से पहचान:

    थोड़े से चावलों को माचिस या लाइटर से जलाएं. अगर चावल नकली होंगे तो प्लास्टिक जैसी जलने की बदबू आएगी.

    #3. फफूंदी से पहचान:

    थोड़े से चावल पकाओ और उन्हें एक बोतल में बंद करके दो तीन दिन के लिए रख दो. अगर चावल असली होंगे तो उनमे फफूंदी लग जायेगी और सड़ने की बदबू आएगी, और अगर न तो फफूंदी लगे और न ही चावल सड़ें तो समझ जाइये कि जो चावल आप खरीद कर लाये हैं वो प्लास्टिक के नकली चावल हैं.

    #4. उबालकर पता लगाओ:

    नकली चावल का पता उन्हें उबालकर भी लगाया जा सकता है. अगर चावल प्लास्टिक के हैं तो उबालते समय बर्तन में एक मोटी परत सी बनाएंगे.

    #5. गरम तेल में पकाने से:

    गरम खौलते हुए तेल में प्लास्टिक के चावल डालने से वो पिघल जाएंगे और बर्तन कि तली में एक मोटी परत के रूप में जम जाएंगे.

    देखें प्लास्टिक के चावल की पहचान कैसे करे:

  • अंग्रेजों से आज़ाद भारत तक निर्माण कार्य

    अंग्रेजों से आज़ाद भारत तक निर्माण कार्य

    हर दूसरे दिन तरह-तरह की ख़बरों के बीच कुछ ख़बरें पुल गिरने और इमारतें गिरने की होती हैं जिनमे कई लोग हताहत हो जाते हैं.

    मुझे समझ नहीं आता है कि पुल गिरते क्यों हैं. कमी कहाँ है और किसमे है? दोष किसे दूँ और शर्म किस पर करूँ

    जहां तक मैं अपने (बात आपकी भी है) बारे में बात करू तो मैंने बहुत सारे पुल बनते हुए देखे हैं और उनमे से कई सारे गिरते हुए भी. कहीं न कहीं, कोई न कोई कमी तो है.

    लेकिन एक बात सोचने वाली है (इस बात पर आप लोग शायद मुझे अंग्रेजों का गुलाम या फिर देशद्रोही कहने लगे पर मुझे कोई हर्ज नहीं है, जो सच है वो सच है. झूठी शान में क्या रखा है.) जो इमारतें या पुल मैंने बनते हुए नहीं देखे हैं (अंग्रेजों के जमाने के ) वो अपनी उम्र गुजरने के सालो बाद भी सीना ताने खड़े हैं और हमारी नयी तकनीकों और उच्च निर्माण सामग्री को मुंह चिढ़ा रहे हैं.

    सोचिये वजह क्या है?

    एक छोटा सा पॉइंट – शायद अंग्रेजों ने सोचा हो कि हमें यहां हमेशा रहना है. उन्होंने सड़कें, पुल, रेलवे और इमारतें बनवाई. उनकी बनवाई इमारतों में आज भी रेलवे स्टेशन, फैक्ट्रियां और सरकारी ऑफिस जैसे दिल्ली की संसद, कनाट प्लेस और बहुत सारे राज्यों की विधान सभाएं चल रही हैं. लेकिन आज़ादी के बाद बनी सैकड़ों इमारतें ध्वस्त हो चुकी हैं, पुल गिरते हैं और बनते हैं.

    पहले सड़क बनती है फिर सीवर और पानी की लाइन डालने के लिए नयी बनी सड़क खोद दी जाती है. क्या भारत के प्लानर और इंजीनियर इतने मुर्ख हैं जो एक काम को सही से प्लान नहीं कर सकते. कर सकते हैं, लेकिन उनका प्लान सड़क बनाने से पहले पैसे बनाने का होता है. पहले घटिया सामग्री की सड़क बनाओ, फिर सीवर लाइन डालने के लिए खोद डालो. लो जी बन गए पैसे.

    आज के राजनेताओं के बैंक खातों में दिन दूनी रात चौगुनी गति से धन बढ़ता है, आय से अधिक , वो भी भारत के नहीं, स्विस बैंक के खातों में. ये किसका पैसा है? हमारा और आपका. जिसे सरकार रोजाना टैक्स बढाकर अपनी कमाई बढाती है और उसे राजनेता और सरकारी अफसर मिल बैठ कर हजम कर जाते है.

    वैसे लोकतंत्र के चार स्तम्भ बताये गए है लेकिन कोई भी अपना काम ईमानदारी से नहीं करता है. नेताओं को आप जानते है, पुलिस की कार्यशैली से आप परिचित होंगे, मीडिया काम खबर की जगह बिकाऊ ख़बरों ने लिया है. न्याय विभाग के हालात ये हैं की गरीब आदमी न्याय की आस लगाए मर जाता है और पैसे वाले बड़े बड़े लोग तारीख दर तारीख केस आगे बढ़ाते हैं या फिर फाइलों को ऊपर से नीचे या नीचे से ऊपर घुमाते हैं. इतने केस न्याय का इन्तजार कर रहे हैं की उनके फाइलों से कमरे भरे पड़े हैं. एक बार कोई फाइल ढेर में नीचे पहुँच गयी तो इन्तजार कीजिये दसियों साल का. या फिर इंतजाम कीजिये पैसों का.

    जिस राष्ट्र का लोकतंत्र ही भ्रष्टाचार में पूरी तरह लिप्त हो, जनता को कोई मतलब ही न हो, उस राष्ट्र का भगवान् ही मालिक है.

    शायद किसी ने ठीक ही कहा है-

    दस हजार, दस लाख मरे,
    पर झंडा ऊंचा रहे हमारा.
    ..
    गांधीजी का नाम बेचकर,
    बतलाओ कब तक खाओगे.

    यम को भी दुर्गन्ध लगेगी,
    नरक भला कैसे जाओगे..

    Image Source: NDTV