Category: शिक्षा और कैरियर

  • 10 ग्रह जहां जाने से पहले आपकी रूह काँप जायेगी

    10 ग्रह जहां जाने से पहले आपकी रूह काँप जायेगी

    अनंत अंतरिक्ष की गहराइयों को जानने की उत्सुकता हर किसी की रहती है. इसके रहस्यों की कई कहानियां आपने पढ़ी और सुनी होंगी. हमारी पृथ्वी से बाहर क्या क्या हो रहा है, जब हमें पता लगता है तो उसे जानने के बारे हमारा मन बेचैन हो उठता है. पृथ्वी के बाहर जीवन है या नहीं, या पृथ्वी जैसे दूसरे ग्रह तक जाने में कितना समय लगेगा. हमारी पृथ्वी का एक साल दूसरे ग्रह के कितने दिन के बराबर होता है… आदि. जब समाचारों में पढ़ते हैं की अमुक ग्रह पृथ्वी से 10 या 20 प्रकाश वर्ष की दूरी पर है जहां पानी हो सकता है, तो सोचने पर मजबूर होना पड़ता है की अगर उस ग्रह पर पानी होगा भी तो कितने साल लगेंगे वहाँ तक पहुंचने में.

    अगर हम अपने सौर मंडल (Solar System) की बात करें तो 9 ग्रहों (Planets) के साथ 200 से भी ज्यादा चन्द्रमा और छुद्र ग्रह (Asteroids) हैं. पृथ्वी को छोड़कर अगर किसी और ग्रह की बात करें तो सब पथरीले और खतरनाक ग्रह (Dangerous Planets) हैं जहां पर रहने की बात तो दूर वहाँ जाने के नाम से ही रूह काँप जायेगी.

    चलिए छोड़िये, अंतरिक्ष तो अनंत है, इसके बारे में जितनी बात की जाए वो कम है.

    आइये बात करते हैं 10 ग्रहों के बारे में और वहां के वातावरण के बारे में. सोचिये अगर हम इन ग्रहों पर पहुँच भी जाएँ तो हमारी क्या दशा होगी..

    1. Venus

    dangerous planets

    वीनस को पृथ्वी का जुड़वाँ कहा गया है लेकिन असलियत में यह पृथ्वी जैसा नहीं है. वीनस का वायुमंडल ग्रीनहाऊस गैसों (Greenhouse gas) से भरा है. इन गैसों की वजह से यह ग्रह नरक के सामान है. पृथ्वी का वायुमंडल सूरज की गर्मी को फैलाता है जबकि वीनस में यह बात उलटी हो जाती है. ग्रीनहाऊस गैसों की वजह से यह बहुत ही गर्म हो जाता है. रूस का अंतरिक्ष यान (Satellite) वीनस के वायुमंडल में नहीं झाँक पाया क्यूंकि सूर्य की रौशनी वहां के वायुमंडल में परावर्तित हो जाती है. लेकिन जब वह यान सतह पर पहुंचा तो केवल 127 मिनट तक ही सिग्नल भेज पाया और गर्मी में पिघल गया. एक ख़ास बात और, वीनस का दिन उसके एक साल से भी ज्यादा लम्बा होता है. यह अपनी धुरी पर 243 पृथ्वी के दिन में एक चक्कर लगता है जबकि सूर्य की परिक्रमा करने में इसे 225 पृथ्वी के दिन लगते हैं.

    यहां पर अगर जीवन की बात करें तो आप यहां की जहरीली हवा में न तो सांस ले पाएंगे और अपने खुद के वजन के दबाव में पीस जाएंगे, फिर भी अगर आप बच गए तो इतने तापमान में आप हवा बन जाएंगे या फिर तेज़ाब की बारिश में घुल जाएंगे. या यूँ कहें की वहाँ पर पिज़्ज़ा बनने में 7 सेकंड लगेंगे लेकिन आप 7 सेकंड तक पिज़्ज़ा खाने लायक नहीं होंगे.

    1. CoRoT-7b

    dangerous planets

    दिन के समय इस ग्रह का तापमान पत्थरों को पिघलकर भाप में बदल देता है.वैज्ञानिकों के अनुसार इस ग्रह पर कोई गैस (भाप, कार्बन डाइऑक्साइड या नाइट्रोजन) नहीं है बल्कि पत्थरों की भाप है. यहां पर बारिश के रूप में पत्थरों की वर्षा होती है जो लावा जैसे गर्म सतह पर गिरती है. अब आप अनुमान लगा सकते हैं की इस ग्रह पर जीवन कैसा होगा.

    1. Pluto

    dangerous planets

    अब प्लूटो को ग्रह की श्रेणी से निकल दिया गया है. यहां का मौसम ठंडा है का मतलब यह नहीं है की सिर्फ बर्फीला है. यहां के मौसम इतना ठंडा है की सभी गैसें जम कर बर्फ बन गयी हैं और यह मौसम यहां के साल भर (पृथ्वी के 248 साल) रहता है. यहां का खुले हुए आसमान से सिर्फ उतनी ही गर्मी मिलती है जितनी की पृथ्वी पर चन्द्रमा से. यहां के -228 डिग्री से -238 डिग्री सेंटीग्रेड के तापमान में आप तुरंत जम जाएंगे.

    1. Jupiter

    dangerous planets

    जुपिटर ग्रह पर पृथ्वी के आकर से भी बड़े बड़े तूफ़ान आते हैं और 400 मील प्रति घंटे की रफ़्तार से हवाएं चलती हैं, जिसकी वजह से जो बिजली चमकती है वो पृथ्वी पर चमकाने वाली बिजली से 100 गुना ज्यादा ऊर्जायुक्त होती है. यहाँ के महासागर द्रव धातुई हाइड्रोजन से बने हैं जो 25000 मील गहरे हैं. पृथ्वी पर जहाँ हाइड्रोजन गैस रंगहीन और पारदर्शी है वहीँ जुपिटर पर बाहरी वातावरण में तो हाइड्रोजन पृथ्वी की तरह ही है लेकिन जैसे आप नीचे जाते है तो ग्रह के भयंकर दबाव की वजह से हाइड्रोजन द्रव धातु के रूप में परिवर्तित हो जाती है जो बिजली और गर्मी की सुचालक होती है. धातु होने की वजह से यह रौशनी को शीशे की तरह परावर्तित करती है. अगर आप इस ग्रह पर जाते हैं तो आप अपने शरीर के दाब से ही पीस जाएंगे या फिर बिजली गिरने से आप की मौत हो सकती है.

    1. WASP-12b

    dangerous planets

    यह ग्रह अब तक खोजै गया सबसे गर्म ग्रह (Hottest Planets Till Now) है. इसका तापमान लगभग 2200 डिग्री सेल्सियस है और यह ग्रह अपने सूर्य की परिक्रमा सबसे नजदीक से करता है. इस वजह से इसकी सतह का ताप हमारे सूर्य के तापमान से सिर्फ आधा है या लावा के तापमान से दोगुना है. यह अपने सूर्य से सिर्फ 3400000 किलोमीटर दूर है और पृथ्वी के एक दिन में ही पूरी परिक्रमा लगा लेता है. अब यहां जाने की तो सोचना ही मत.

    1. Mars

    dangerous planets

    मार्स (मंगल) ग्रह पर धुल भरे तूफ़ान कभी भी बन सकते हैं और कुछ ही दिनों में पूरे ग्रह को धुल भरी आँधियों से ढक लेते हैं. यहां उठने वाले तूफान हमारे सौर मंडल के सबसे बड़े और खतरनाक तूफानों में से हैं. यहां उठने वाले तूफान पृथ्वी के माउन्ट एवेरेस्ट जितने ऊंचे और रफ़्तार 300 किमी प्रति घंटे तक होती है. अब आप समझ सकते हैं की यहां पर जीवन कितना कठिन हो सकता है.

    1. COROT exo-3b

    dangerous planets

    अब तक खोजे जाने वाले ग्रहों में इस ग्रह का घनत्व सबसे ज्यादा है, और यह एक दूसरे तारे की परिक्रमा करता है. यह आकार में तो जुपिटर (बृहस्पति) जितना ही बड़ा है लेकिन इसका द्रव्यमान जुपिटर का 20 गुना है. इसका घनत्व पारे के घनत्व का दोगुना है. इसके घनत्व से आप अंदाजा लगा सकते हैं की इस ग्रह पर घूमना कितना कठिन है क्यूंकि यहाँ पर हमारा वजन पृथ्वी के मुकाबले 50 गुना ज्यादा होगा. मतलब हम अपने शरीर के वजन से दबकर चूर – चूर हो जाएंगे या यु मान लीजिये की आपके सीने पर एक हाथी जितना वजन हो जाएगा.

    1. 51 Pegasi b

    dangerous planets

    इसे बेलेरोफोन नाम से पुकारते हैं. यह गैस का गुब्बारा ज्यादातर हाइड्रोजन और हीलियम से बना है और आकार में पृथ्वी का 150 गुना है.समस्या यह है की यह अपने तारे के ताप से तप रहा है और इसका तापमान लगभग 1000 डिग्री सेल्सियस है. यह हमारी पृथ्वी के मुकाबले अपने सूरज से 100 गुना ज्यादा नजदीक है. इसके वातावरण के तापमान के अंतर के कारण यहां पर 1000 किमी प्रति घंटे की रफ़्तार से हवाएं चलती हैं और इतनी गर्मी की वजह से यहां पानी की भाप भी नहीं है. लेकि यहां बारिश भी होती है वो भी गर्म लोहे की. जैसे पृथ्वी पर पानी भाप बनकर बादल बनाते हैं और बारिश करते हैं वैसे ही यहां पर लोहा भी भाप बनकर बादल बनाते हैं और पिघले लोहे की बारिश करते हैं. अब अगर यहां जाना हो तो एक अच्छा सा छाता लेकर जरूर जाएँ.

    1. Neptune

    dangerous planets

    नेप्चून ग्रह पर हर समय आंधी और तूफ़ान आते रहते हैं. पृत्वी जितने बड़े चक्रवात 1500 मील प्रति घंटे की रफ़्तार से घूमते हैं. आपको ज्ञात हो की यह स्पीड साउंड बैरियर को तोड़ने की स्पीड से भी दोगुनी है. अब आप इतनी तेज हवाओं में भी खड़े हो सके तो अनोखी बात होगी. और अगर खड़े नहीं रह सके तो इन आँधियों में आप पूरे ग्रह पर भटकते रहेंगे.

    लेकिन आश्चर्य की बात यह है की इतने तेज तूफ़ान और चक्रवात उत्पन्न करने के लिए ऊर्जा कहाँ से आती है. जबकि यह ग्रह सूर्य से बहुत ही अधिक दूरी पर है और आतंरिक गर्मी भी बहुत ही कम है.

    1. Carbon Planet

    dangerous planets

    आपको तो पता ही होगा की अपनी पृथ्वी पर ऑक्सीजन की अधिकता और कार्बन का अनुपात बना हुआ है जो जीवन का जरूरी आधार है. जबकि हमारी आकाशगंगा के केंद्र में कार्बन की बहुतायत है जिससे ग्रह बनने की प्रक्रिया पृथ्वी बनने के अनुरूप नहीं है. इन कार्बन ग्रहों पर सुबह का आकाश एकदम साफ़ और नीला होता है. जबकि धरातल पर कच्चे तेल और तारकोल के समुद्र दिखाई देंगे. जबकि बारिश के रूप में आसमान से पेट्रोल और डीज़ल जैसी बरसात होती है. चलो एक अच्छी बात ये है की कार्बन से बने होने की वजह से यहाँ हीरों की भरमार है. अब अगर तारकोल और पेट्रोल में नहाने की इच्छा हो तो यहां जरूर जाइये.

    नोट: यहां दी गयी इमेज और जानकारी पठनीय बनाने हेतु वैज्ञानिक दृष्टिकोण से थोड़ी भिन्न हो सकती है. सटीक जानकारी के लिए आप https://en.wikipedia.org की सहायता ले सकते हैं.

    Img Source: http://listverse.com/2013/05/14/10-terrifying-planets-you-dont-want-to-visit/

    Featured img: http://hdwallpaperfx.com

  • कैलिफ़ोर्निया ने पानी शुद्ध करने के लिए आविष्कार किया अनोखा यन्त्र

    कैलिफ़ोर्निया ने पानी शुद्ध करने के लिए आविष्कार किया अनोखा यन्त्र

    कैलिफ़ोर्निया ने पानी शुद्ध करने के लिए सौर ऊर्जा से चलने वाला नया यन्त्र आविष्कार किया है, ये यन्त्र सौर उर्जा के मदद से इलेक्ट्रोमैग्नेटिक फिल्टेरेशन प्रोसेस से पानी को शुद्ध करेगा

    द पाइप (The Pipe) नामक ये यन्त्र सालाना 4.5 बिलियन लीटर्स पानी शुद्ध करने के साथ साथ 10000 Mwh की ऊर्जा भी उत्पन्न करेगा जिससे कैलिफ़ोर्निया में पानी की होने वाला कमी की पूर्ति की जा सकेगी और साथ ही साथ उत्पन्न हुए ऊर्जा का भी उपयोग किया जा सकेगा

    Solar Powered Water Filtrations Pipe

    इस यन्त्र की मदद से कैलिफ़ोर्निया सरकार पानी की होने वाला कमी को दूर कर सकेगी और लोगो को शुद्ध पानी मुहैया करा पायेगीकैनेडियन इंजीनियरिंग फर्म ‘अब्दोलज़ीज़  खलीली एंड एसोसिएट्स ने इस पाइप का डिजाईन तैयार किया है, जिसको सैंटा मोनिका शहर में होने वाले लैंड आर्ट जनरेटर इनिशिएटिव नाम के एक डिजाईन कम्पटीशन में सबमिट भी कर दिया गया है

    Solar Powered Water Filtrations Pipe

    खलीली  के इंजीनीयरस के अनुसार ये यन्त्र एक साल में 10,000 MWh ऊर्जा उत्पन्न करेगा और साथ ही 4.5 बिलियन लीटर्स पीने का पानी भी तैयार करेगाइस यन्त्र से पाई निकलने वाले पाइप को सीधे शहर के मुख्य वाटर पाइप से जोड़ा जायेगा, जो सीधे लोगो के घरो तक पहुचाया जायेगा, इस पानी को फ़िल्टर करके पीने के काम में लाया जा सकेगा

    https://www.youtube.com/watch?v=kk86bsayzEQ

  • क्या आप प्लास्टिक के नकली चावल खा रहे हैं? इन पांच तरीकों से पता लगाएं

    क्या आप प्लास्टिक के नकली चावल खा रहे हैं? इन पांच तरीकों से पता लगाएं

    हम सब ने फेसबुक और व्हाट्सएप्प पर चीन के नकली प्लास्टिक के चावल बनते हुए देखे होंगे. यह चावल दुनिया भर के बाजारों में एक वायरस की तरह फैल चुका है. अब आप सब ही सोचिये कि यह प्लास्टिक का चावल खाने वालों का क्या हाल होगा. देखने में यह चावल बिलकुल असली चावल की तरह होता है और पकाने के बाद असली चावल की तरह ही मुलायम हो जाता है. यह हाल तब है जब चीन विश्व में सबसे ज्यादा चावल का उत्पादन करता है.

    कैसे बनता है यह नकली चावल:

    एक कोरियन न्यूज़ के अनुसार बहुत सी चीनी कम्पनियाँ नकली चावल बनाने और बेचने के धंधे में लिप्त हैं. यह चावल प्लाटिक और आलू के स्टार्च को मिलकर बनाया जाता है. इसमें उबले हुए चावल का फ्लेवर मिलकर उसे असली चावल कि तरह महक प्रदान की जाती है. इन नकली चावलों को असली चावलों के साथ मिलाकर, असली चावल की कीमत पर बेंचा जाता है.

    देखें प्लास्टिक से चावल कैसे बनते हैं:

    https://www.youtube.com/watch?v=eRlTAbVrXqI

    किसान और ग्रामीण क्षेत्र में रहने वालों को इस तरह की समस्या न के बराबर है क्यूंकि वह अपने खेतों का उत्पादित असली चावल ही खाते हैं. लेकिन शहरों में रहने वालों को इस समस्या से कभी भी दो-चार होना पड़ सकता है.

    अब सबसे बड़ी दिक्कत यह है कि इन नकली प्लास्टिक के चावल को कैसे पहचाना जाए.

    आइये ये सरल से टिप्स आजमाइए और असली और नकली चावल में अंतर कीजिये.

    #1. पानी से पता लगाएं:

    एक गिलास में पानी लीजिये और थोड़े से चावल उसमे डालिये. असली चावल गिलास की तली में बैठ जाएंगे और प्लास्टिक के चावल पानी में तैरते रह जाएंगे.

    #2. आग से पहचान:

    थोड़े से चावलों को माचिस या लाइटर से जलाएं. अगर चावल नकली होंगे तो प्लास्टिक जैसी जलने की बदबू आएगी.

    #3. फफूंदी से पहचान:

    थोड़े से चावल पकाओ और उन्हें एक बोतल में बंद करके दो तीन दिन के लिए रख दो. अगर चावल असली होंगे तो उनमे फफूंदी लग जायेगी और सड़ने की बदबू आएगी, और अगर न तो फफूंदी लगे और न ही चावल सड़ें तो समझ जाइये कि जो चावल आप खरीद कर लाये हैं वो प्लास्टिक के नकली चावल हैं.

    #4. उबालकर पता लगाओ:

    नकली चावल का पता उन्हें उबालकर भी लगाया जा सकता है. अगर चावल प्लास्टिक के हैं तो उबालते समय बर्तन में एक मोटी परत सी बनाएंगे.

    #5. गरम तेल में पकाने से:

    गरम खौलते हुए तेल में प्लास्टिक के चावल डालने से वो पिघल जाएंगे और बर्तन कि तली में एक मोटी परत के रूप में जम जाएंगे.

    देखें प्लास्टिक के चावल की पहचान कैसे करे:

  • श्री कृष्ण और कर्ण संवाद – जीवन का सार

    श्री कृष्ण और कर्ण संवाद – जीवन का सार

    महाभारत के बारे में कौन नहीं जानता, यह युद्ध धर्म की रक्षा हेतु पांडवों और कौरवों के बीच लड़ा गया. कुरुक्षेत्र में लड़ा गया यह धर्म युद्ध असीम जन-धन हानि के लिए विख्यात है साथ ही इस युद्ध से गीता जैसा  महाग्रन्थ मिला जो जीवन के गूढ़ रहस्यों से हमें अवगत कराता है. कहा गया है की गीता में जीवन के हर सवाल का जवाब है.

    महाभारत की बात करें तो इसका हर चरित्र और उनका जीवन हमें कुछ न कुछ सीख देते हैं. इस युद्ध को   मुख्यतः पांडव और कौरवों के नजरिये से देखा गया है, लेकिन इस पूरी महाभारत में का एक किरदार की हमेशा अनदेखी हुई है, वो है कर्ण.

    कर्ण को हमेशा ही दुर्योधन के समर्थक के रूप में देखा गया, लेकिन अगर इसे मित्रता के रूप में देखें तो हमेशा ही कर्ण सबसे आगे दिखाई देता है. कर्ण को जब सबने दुत्कार दिया, चाहे वो कर्ण की माँ कुंती हो या गुरु द्रोणाचार्य हों, तब दुर्योधन ने मित्रता निभाई. उस मित्रता का बदला कर्ण ने महाभारत  में दुर्योधन के पक्ष में युद्ध लड़कर और अपनी जान देकर निभाया.

    कर्ण का चरित्र अपने आप में वीरता की मिसाल है और हमें कई सीख देता है.

    महाभारत युद्ध में श्री कृष्ण और कर्ण के बीच हुए संवाद की बात करें तो यह भी जीवन का गूढ़ ज्ञान है और जीवन के कई सवालों का हल मिलता है.

    आइये देखें श्री कृष्ण और कर्ण के बीच हुए संवाद के मुख्य अंश:

    कर्ण:

    हे कृष्ण, जन्म लेते ही मेरी माँ ने मुझे छोड़ दिया, गरीब घर में होते हुए भी मैं शूरवीर पैदा हुआ तो इसमें मेरा क्या दोष है? गुरु द्रोणाचार्य ने पांडवों और कौरवों को शिक्षा दी लेकिन मुझे शिक्षा नहीं दी क्यूंकि मैं क्षत्रिय नहीं था.

    मैंने परशुराम से शिक्षा ली, लेकिन यह जानने के पश्चात् की मैं क्षत्रिय नहीं हूँ, मुझे सब शिक्षा भूल जाने का श्राप दिया.

    द्रौपदी के स्वयंवर में मेरा सिर्फ इसलिए अपमान हुआ क्यूंकि मैं क्षत्रिय नहीं था. मेरी माता ने भी सिर्फ अपने पांच पुत्रों की रक्षा करने के लिए यह सत्य बताया की मैं उनका पुत्र हूँ.

    जो कुछ आज मैं हूँ वो सब दुर्योधन की देन है. तो फिर मैं उसके पक्ष में युद्ध करके भी क्यों गलत हूँ.

    श्री कृष्ण का उत्तर:

    हे कुंती पुत्र कर्ण, हाँ तुम्हारे साथ बहुत बुरा हुआ. लेकिन मेरी कहानी तुमसे कुछ ज्यादा अलग नहीं है. मेरा जन्म कारागार में हुआ और जन्म के तुरंत बाद ही माँ बाप से बिछड़ गया. मेरी मृत्यु जन्म से पहले ही तय कर दी गयी.

    तुम कम से कम धनुष वाण और घोड़े और रथ के साथ खेलते हुए बड़े हुए, लेकिन मैं गाय, बछड़े, गोबर और झोपडी में बड़ा हुआ. चलना सीखने से पहले ही मुझ पर कई प्राणघातक हमले हुए. कभी पूतना तो कभी बकासुर…

    मैं सोलहवें साल में गुरु संदीपनी के पास शिक्षा लेने जा पाया. लेकिन हमेशा ही लोगों को यह लगता था की मैं उनके कष्ट हरने के लिए पैदा हुआ हूँ.  तुमने कम से कम अपने प्रेम को पा लिया और उस कन्या से विवाह किया जिसे तुम प्रेम करते थे. लेकिन मैं अपने प्रेम को विवाह में नहीं बदल पाया. और तो और  मुझे उन सब गोपियों से विवाह करना पड़ा जो मुझसे प्रेम करती थी या जिन्हें मैंने राक्षसों से मुक्त कराया.

    इतना सब कुछ होने के बावजूद तुम शूरवीर कहलाये जबकि मुझे भगोड़ा कहा गया.

    इस महाभारत के युद्ध में अगर दुर्योधन जीता तो तुम्हें इसका बड़ा श्रेय मिलेगा लेकिन अगर पांडव युद्ध जीते भी तो मुझे क्या मिलेगा. सिर्फ यही की इतने विनाश का कारण मैं हूँ.

    इसलिए हे कर्ण! हर किसी का जीवन हमेशा चुनौतियों भरा होता है. हर किसी के जीवन में कहीं न कहीं अन्याय होता है. न सिर्फ दुर्योधन बल्कि युधिष्ठिर के साथ भी अन्याय हुआ है. किन्तु सही क्या है ये तुम्हारे अंतर्मन को हमेशा पता होता है. इसलिए हे कर्ण अपने जीवन में हुए अन्याय की शिकायत करना बंद करो और खुद का विवेचन करो. तुम अगर सिर्फ जीवन में अपने साथ हुए अन्याय की वजह से अधर्म के रास्ते पर चलोगे तो यह सिर्फ तुम्हें विनाश की तरफ ले जाएगा.

    अधर्म का मार्ग केवल और केवल विनाश की तरफ जाता है.

  • क्या जानते हैं आप कानपुर का धार्मिक इतिहास

    क्या जानते हैं आप कानपुर का धार्मिक इतिहास

    वैदिक, पौराणिक और धार्मिक आस्था तथा ऐतिहासिकता को समेटे कानपूर आर्य सभ्यता का प्राचीन केंद्र रहा है. कानपूर जनपद का भू-भाग पुण्यतोया गंगा – यमुना के दोआब भाग में स्थित है. कानपूर के इस भू-भाग में पौराणिक काल के बहुत से ऋषि मुनियों का प्रवास और जन्म स्थान की मान्यता भी है. जनपद में गंगा का प्रवेश आकिन ग्राम से होता है. आकिन ग्राम में सप्त ऋषि प्रधान अंगिरा का आश्रम होने की मान्यता है. ब्रह्मा के मानस पुत्र अंगिरा तपस्या से अग्नि के सामान तेजवान थे. श्री कृष्ण ने पाशुपत योग की प्राप्ति महृषि अंगिरा से ही किया था. अंगिरा को चौथे द्वापर का व्यास भी कहा गया है. इसी तरह गंगा किनारे सैबसू ग्राम में कश्यप पुत्र विभाण्डक के पुत्र श्रृंगी का आश्रम है. श्रृंगी एक कर्मनिष्ठ ब्राह्मण थे. अंगदेश में अकाल होने पर राजा रोमपाद को सुझाव दिया गया की ब्रह्मचारी श्रृंगी के अंगदेश आने पर अकाल समाप्त हो सकता है. रोमपाद ने प्रयास कर उन्हें बुलाया जिससे वर्षा हुई. राजा ने अपनी पालित पुत्री का विवाह श्रृंगी से कर दिया तथा श्रृंगी ने राजा दशरथ के पुत्र्येष्टि यज्ञ को पूरा कराया. गंगा के सुरम्य तट पर बिठूर में बाल्मीकि का आश्रम है. भगवान् राम की पत्नी सीता ने यहीं प्रवास किया था, लव कुश का जन्म भी यहीं हुआ था तथा रामायण महाकाव्य की रचना भी यहीं हुई थी.

    दैत्य राज बलि की राजधानी ‘मूसानगर’ में शुक्राचार्य का स्थान माना जाता है. भगवान वामन के तीन पग भूमि दान में बाधा बनने पर उनकी आँख जाती रही. यहां पर शुक्राचार्य की पुत्री देवयानी के नाम पर सरोवर भी विद्धमान है. देवयानी का विवाह ययाति के साथ हुआ, जिनकी राजधानी जाजमऊ में थी.

    सेंगुर नदी के तट पर निगोही ग्राम में तपस्वी और क्रोधमूर्ति दुर्वासा ऋषि का आश्रम है. उन्होंने भक्त अंबरीश को शाप तथा दुष्यन्तपत्नी शकुंतला को शाप दिया था. इसी तरह ग्राम “परसौरा” भगवान परशुराम और “चिंता निवादा” उनके पिता जमदग्नि ऋषि का आश्रम माना जाता है. भृगु पुत्र ऋचीक और गाधिपुत्री सत्यवती से जमदग्नि ऋषि का जन्म हुआ. भगवान् परशुराम को विष्णु का अवतार माना जाता है. “नार” ग्राम नारदाश्रम के नाम से प्रसिद्ध है. नारद पूर्व में दासी पुत्र थे.

    महाभारत कालीन द्रोणपुत्र चिरंजीवी अश्वत्थामा का जन्मस्थान शिवराजपुर के पास ककयपुर में खेरेश्वर में है. मान्यता है की सप्त चिरंजीवियों में से अश्वत्थामा आज भी खेरेश्वर महादेव का प्रातः अभिषेक करते हैं. भक्तराज ध्रुव की राजधानी बहिर्ष्मतीपूरी बिठूर में मानी जाती है. बालिपुत्र बाणासुर की राजधानी “बनीपारा” में है. वहां पर बना ऊषाबुर्ज आज भी उनकी पुत्री का स्मरण दिलाता है. ययाति से जाजमऊ और माता-पिता के भक्त श्रवण कुमार के नाम से “सरवन खेड़ा” प्रसिद्ध है. आज भी यह पौराणिक धार्मिक तीर्थ आध्यात्मिक पर्यटन की ओर लोगों को आकर्षित करते हैं. इनसभी तीर्थ स्थलों के विकास पर शासन को अवश्य ध्यान देना चाहिए.
    साभार: सचिन तिवारी

  • हमारे देश का पासपोर्ट कितना ताकतवर है, जानिये किन किन देशों में बिना वीजा यात्रा कर सकते हैं

    हमारे देश का पासपोर्ट कितना ताकतवर है, जानिये किन किन देशों में बिना वीजा यात्रा कर सकते हैं

    पासपोर्ट की ताकत:

    अमेरिका और इंग्लैण्ड के पासपोर्ट पर वहाँ के लोग बिना वीजा के 150 से अधिक देशों की यात्रा कर सकते हैं. यही पासपोर्ट की ताकत है की आप अपने देश के पासपोर्ट पर कितने देशों में बिना वीजा के जा सकते हैं, या फिर आपके उस देश में पहुँचने पर तुरंत वीजा मिल जाता है. इन देशों में जाने के लिए आपको पहले से वीजा बनवाने के लिए लाइन में लगने की जरूरत नहीं है.

     

     

    सबसे ताकतवर देश:

    जर्मनी 158

    स्वीडन 158

    इंग्लैण्ड 157

    इटली 156

    सिंगापुर 155

    अमेरिका 155

    जापान 154

    मलेशिया 151

    ऑस्ट्रेलिया 151

    ताइवान 120

    रूस 104

    चीन 55

    भारत 49

    नेपाल 40

    श्रीलंका 39

    बांग्लादेश 37

    पाकिस्तान 27

    अफगानिस्तान 24

     

    देखें अपने देश के पासपोर्ट की ताकत:

    भारतीय पासपोर्ट धारक 49 देशों की यात्रा बिना वीजा के कर सकता है, या फिर उस देश में पहुँचने पर तुरंत वीजा बन सकता है जबकि पाकिस्तान 27 देश, चीन 45 देश व बांग्लादेश के लोग केवल 37 देशों की यात्रा कर सकते हैं.

     

     

     

    देखें हम किस किस देश में बिना वीजा के घूम सकते हैं:

    1. भूटान
    2. हॉन्गकॉन्ग
    3. भारत
    4. साउथ कोरिया
    5. मकाउ
    6. नेपाल
    7. अंटार्टिका
    8. सैशेल्स

    9 . फैरो  मकदूनिया

    1. स्वालबार्ड
    2. डॉमिनिका
    3. ग्रेनेडा
    4. हैती
    5. जमैका
    6. मोन्टसेर्रट
    7. St. Kitts & Nevis
    8. St. Vincent & Grenadines
    9. त्रिनिदाद  और टोबैगो
    10. Turks & Caicos Islands
    11. ब्रिटिश वर्जिन इसलैंड्स
    12. अल साल्वाडोर
    13. इक्वेडोर
    14. कुक आइलैंड
    15. फिजी
    16. माइक्रोनेशिया
    17. निउए
    18. सामोआ
    19. वानातू
    20. कंबोडिया
    21. इंडोनेशिया
    22. लाओस
    23. थाईलैंड
    24. तिमोर लेस्ते
    25. इराक  (बसरा)
    26. जॉर्डन
    27. Comoros Is.
    28. मालदीव्स
    29. मॉरिशस
    30. केप वेर्डे
    31. दजिबॉती
    32. इथियोपिया
    33. गैम्बिया
    34. Guinea-Bissau
    35. केन्या
    36. मेडागास्कर
    37. मोजांबिक
    38. Sao Tome & Principe
    39. तंज़ानिया
    40. टोगो
    41. यूगांडा
    42. जॉर्जिया
    43. ताजीकिस्तान
    44. St. Lucia
    45. निकारागुआ
    46. बोलीविया
    47. गुयाना
    48. नॉरू
    49. पलाउ
    50. टवालू

     

    साभार (डाटा और फोटो):

    http://www.indiatimes.com/news/india/ever-wondered-how-many-countries-the-indian-passport-will-let-you-travel-to-without-a-visa-244943.html

    https://www.passportindex.org/byRank.php

  • लॉकहीड SR-71 ब्लैकबर्ड – अमेरिकन एयर फ़ोर्स का यह जहाज आपके दिमाग की बत्ती गुल कर देगा

    लॉकहीड SR-71 ब्लैकबर्ड – अमेरिकन एयर फ़ोर्स का यह जहाज आपके दिमाग की बत्ती गुल कर देगा

    जो जहाज हम आज सपने में देखते हैं, अमेरिकन एयर फ़ोर्स उस जहाज को आज से 17-18 साल पहले रिटायर कर चुका है. अमेरिका इतने विकसित जहाज को सन 1964 में बना चुका था जब हमारे देश के पास अँधेरे में उड़ने वाले जहाज भी नहीं थे. इस जहाज की स्पीड के बारे में सुन कर आपकी आँखें चौड़ी हो जाएंगी. आइये इस जहाज की कुछ खासियतें आपको बताते हैं.

     

    लॉकहीड SR-71 ब्लैकबर्ड नाम है इस जहाज का. यह जहाज अमेरिकी एयर फ़ोर्स में 1964 से 1998 तक रहा. इस तरह के सिर्फ 32 जहाज थे जिनमे 12 एक्सीडेंट में नष्ट हुए थे नोट करने वाली बात ये है की इनमे से एक भी जहाज दुश्मन नष्ट नहीं कर पाया.

    Blackbird Spy Plane of US Air Force

    इस प्लेन को मैक 3 से भी तेज उड़ने के लिए बनाया गया था. यह स्टील्थ टाइप का पहला जहाज था जो राडार को धोखा दे सकता था. इसे डार्क ब्लू या लगभग काले रंग में रंगा गया था ताकि ये रात में भी आसमान में दिखाई न दे, और यही कारण था की इसका नाम ब्लैकबर्ड पड़ा. इसकी खासियत इसकी तेज रफ़्तार और बहुत ही अधिक ऊँचाई पर उड़ना था जिसकी वजह से इसे ट्रैक कर पाना नामुमकिन था.

     

    इसे बनाने में ज्यादातर टाइटेनियम का प्रयोग किया था, इसके शीशे 2 इंच मोटे क़्वार्टज़ के बनाये गए थे. क्योंकि इसकी अत्यधिक स्पीड की वजह से इसकी विंडस्क्रीन का टेम्परेचर 360 डिग्री सेल्सियस तक पहुँच जाता था.

     

    इसके पायलट के लिए स्पेशल मास्क होता था क्योंकि जो मास्क साधारण फाइटर प्लेन के पायलट के लिए  काम में लाये जाते थे वो केवल 13000 मीटर तक ही काम करते है. लेकिन यह प्लेन 24000 मीटर की ऊँचाई पर उड़ता है जहां हवा का प्रेशर और ऑक्सीजन बहुत ही कम हो जाते हैं. इसके लिए आतंरिक दबाव वाले सूट उपयोग में लाये जाते है जिसमे ऑक्सीजन की कमी होने पर ऑनबोर्ड ऑक्सीजन की सप्लाई करके सूट का दबाव नार्मल किया जाता है. इसके पायलट का सूट अंतरिक्ष यात्रियों के लेवल का था.

    Blackbird Spy Plane of US Air Force

    इस प्लेन की पहली फ्लाइट 22 दिसंबर 1964 में हुई थी. इस प्लेन का सर्वाधिक ऊँचाई पर उड़ने का रिकार्ड 25,929.03 मीटर का है जबकि स्पीड के मामले में भी इसका रिकार्ड 3,529.56 किलोमीटर प्रति घंटे(सन 1976) का है.

     

    खासियत:

     

    यह अब तक का दुनिया का सबसे तेज उड़ने वाला प्लेन है.

     

    25 साल के इतिहास में इसपर 4000 मिसाइल छोड़ी गयी लेकिन इसके अत्याधुनिक सिस्टम जो मिसाइल की स्पीड के हिसाब से प्लेन की स्पीड को बढ़ा देता था की वजह से 25 साल में इस जहाज को कोई भी मिसाइल छू तक नहीं पायी है.

     

    इतने तेज स्पीड में उड़ने के बावजूद इसके कॉकपिट में इतनी शांति रहती थी की आप पिन गिरने की आवाज भी सुन सकते थे.

     

    यह दुश्मन के राडार सिग्नल और कम्युनिकेशन सिस्टम को डिस्टर्ब कर सकता था.

     

    इसका नेविगेशन सिस्टम (R2-D2) इतना जबरदस्त था की दोपहर में जमीन पे खड़े हुए भी यह 61 तारों को देख सकता था.

     

    इस जहाज को बनाने के लिए काफी मात्रा में टाइटेनियम की जरूरत थी. लेकिन टाइटेनियम का सबसे बड़ा सप्लायर सोवियत संघ (अब रूस) था जो अमेरिका का सबसे बड़ा दुश्मन भी था. इसलिए CIA ने दुनिया भर में फर्जी कम्पनियाँ बनाकर सोवियत संघ से पर्याप्त मात्रा में टाइटेनियम खरीद लिया. एक तरह से ये सब अवैध और स्मगलिंग की श्रेणी में आता है.

    Blackbird Spy Plane of US Air Force

    इस प्लेन के खड़े होने पर इसका फ्यूल लीक होता रहता था क्योंकि इसे इसी तरह बनाया गया था. लेकिन इस फ्यूल को सीधे आग से भी आग नहीं लगती थी. इसमें सिर्फ उड़ान भरने का ही फ्यूल होता था, टैंक में फ्यूल उड़ान के दौरान ही भरा जाता था क्योंकि खड़े होने पर इसके बॉडी पैनल ठन्डे होने की वजह से ढीले हो जाते थे. इसी वजह से इसका फ्यूल खड़े होने पर लीक होता रहता था.

     

    इस प्लेन का क्रू मेंबर बनने के लिए आपकी उम्र 25-40 के बीच, शादीशुदा और अपने इमोशन पर कंट्रोल होना चाहिए.

     

    इस प्लेन में हवा में ही फ्यूल भरने की सुविधा थी.

     

    इसके टायर भी साधारण नहीं थे. अल्युमिनियम मिक्स टायर भी केवल 20 बार ही लैंड कर सकते थे जबकि स्पीड कम करने के लिए पैराशूट का भी प्रयोग होता था.

     

    पोलाराइड कैमरा के फाउंडर इस जहाज के डिजाइन के इंचार्ज थे. वो इसलिए क्योंकि ब्लैकबर्ड एक जासूसी विमान था और वो फोटोग्राफी के बारे में बहुत कुछ जानते थे.

     

    इस प्लेन की टेस्टिंग रहस्यमयी Area-51 में हुई थी.

     

    यह प्लेन एक घंटे में 20000 किलोग्राम से ज्यादा फ्यूल जला देता था, हर 90 मिनट में इसे दोबारा भरना पड़ता था. लेकिन मैक 2 की स्पीड (सुपरसोनिक स्पीड) के बाद इसकी छमता बढ़ जाती थी. इसके पीछे “रैमजेट इफेक्ट” का नियम था जिसमे सुपरसोनिक स्पीड में हवा और फ्यूल दोनों कंप्रेस हो जाते हैं.

     

    Images and Resources:

    https://en.wikipedia.org/wiki/Lockheed_SR-71_Blackbird

    www.cnn.com

    www.Iliketowastemytime.com

    www.sbnation.com

    https://www.thrillist.com/cars/facts-history-and-trivia-about-the-fastest-plane-in-the-world-the-supersonic-lockheed-martin-sr71-blackbird-spy-plane

    http://sploid.gizmodo.com/rare-photos-of-the-sr-71-blackbird-show-its-amazing-his-1670184930

    http://www.historyinorbit.com/15-fascinating-facts-about-the-sr-71-blackbird-the-fastest-plane-on-earth/

  • टीना डाबी: सिविल सेवा टॉपर – क्या वास्तव में वो अयोग्य है?

    टीना डाबी: सिविल सेवा टॉपर – क्या वास्तव में वो अयोग्य है?

    ये तो मैं भी कहता हूँ आरक्षण हटाओ, लेकिन जिन्हे आज़ादी के पहले से लेकर और बाद तक मंदिरों में जाने, कुए से पानी भरने तक से रोक गया, उन्हें भी मुख्य धारा में आने का अधिकार है.

     

    दलितों और पिछड़ों को मुख्य धारा में लाने के लिया हमारे संविधान में आरक्षण का विधान किया गया है जिसका फायदा उन्हें मिला भी. लेकिन अब स्थित ये है की जो दलित और पिछड़े मुख्य धारा में आ गए हैं वही सबसे ज्यादा आरक्षण का फायदा उठते हैं. और जिन्हें अभी तक आरक्षण का फायदा नहीं मिला वो अब भी गरीबी में जी रहे हैं.

     

    लेकिन जो अभी तक गरीब हैं उन्हें आरक्षण जरूर मिलना चाहिए. लेकिन वो ऐसे गरीब नहीं होने चाहिए जिनकी सालाना आय ६ लाख रुपये हो.

     

    एक तरफ २०-२५ रुपये रोजाना कमाने वाला गरीबी रेखा पार कर अमीरी की श्रेणी में आ जाता है और दूसरी तरफ गुजरात में ५० हजार रुपये तक महीना कमाने वाले गरीब बनकर आरक्षण पाते हैं.

     

    अब बात करते हैं टीना डॉबी और अंकित की जिनका मेसेज सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है की अंकित के ज्यादा नंबर होते हुए भी वो फेल हो गया और टीना के काम नंबर होते हुए भी वो आरक्षण के सहारे पास हो गयी.

     

    आपको बता दें कि टीना डॉबी पहली दलित हैं जो 22 साल की उम्र में सिविल सेवा में टॉपर बनी हैं.

    Tina Dabi - Civil Services Topper, Really or Not

    हाँ ये सत्य है की प्री एग्जाम में टीना ने आरक्षण का सहारा लिया, और ये उसका हक़ है जो संविधान ने उसे दिया है. लेकिन सिविल सेवा के मेन (मुख्य) पेपर में टीना ने कोई आरक्षण नहीं लिया और जनरल कैटेगरी में परीक्षा दी है. मुख्य परीक्षा में टीना को २०२५ में से १०६३ नंबर मिले हैं. जबकि दूसरे नंबर पर अतहर आमिर हैं जिन्हें १०१८ नंबर मिले हैं. तीसरे नंबर पर जसमीत सिंह हैं जिन्हें १०१४ नंबर मिले हैं. पहली और दूसरी रैंक में ४५ अंकों का फासला है जो की बहुत बड़ा है.

     

    इसलिए ये कहना सरासर गलत है की टीना ने अयोग्य होते हुए भी सिविल सेवा में टॉप किया है.
    और भी पढ़ें: http://abpnews.abplive.in/india-news/viral-sach-truth-of-viral-message-on-tina-dabis-success-2-382185/