Author: Surendra Rajput

  • यहाँ मैं अजनबी हूँ

    यहाँ मैं अजनबी हूँ

    किससे करूँ शिकवा शिकायत ,

    किससे करूँ यारी दोस्ती ,

    किससे करूँ नफरत दुश्मनी ,

    यहाँ मैं अजनबी हूँ .

    बेगाना शहर है ,

    अनजान डगर है ,

    सब अजनबी हैं ,

    ये मेरा , वो मेरा ,

    सब कुछ है मेरा ही मेरा ,

    बस यही सियासत है ,

    जो कुछ देखो

    सब कुछ ले लो ,

    कोई नहीं है अपना पराया ,

    यहाँ मैं अजनबी हूँ .

    सब मतलबपरस्त हैं ,

    दोस्ती मतलब की ,

    दुश्मनी मतलब की ,

    प्यार भी मतलब का ,

    सब मतलबी हैं ,

    मतलब निकल गया ,

    तो क्या तेरा क्या मेरा ,

    छोडो सब कुछ है मेरा ,

    भुला दिए सब रिश्ते नाते ,

    भुला दिए सब आते जाते ,

    यहाँ मैं अजनबी हूँ ,

    बस ,

    यहाँ मैं अजनबी हूँ ………….

    सुरेन्द्र मोहन सिंह

  • मैं अभी रास्ते में हूँ

    मैं अभी रास्ते में हूँ

    मंजिलों के हाल पूंछो,

    अभी तो रास्ते में हूँ .

    मंजिलें हैं अभी बहुत दूर ,

    अभी तो वक्त लगेगा .

    जब मंजिलें आएँगी,

    हाल खुद बयान होंगे.

    अभी से कोई हाल पूंछो

    अभी तो रास्ते में हूँ.

    ………………..

    ………………..

    कहीं गिर ना जाऊं ,

    इसलिए अभी,

    मंजिलों के हाल पूंछो,

    अभी तो रास्ते में हूँ……..

    (कहानी अभी अधूरी है)

    –  सुरेन्द्र मोहन सिंह

  • पहला प्यार – एक छोटी सी कविता

    पहला प्यार – एक छोटी सी कविता

    पहला प्यार होता है ,

    ईश्वर का दिया हुआ मौका ,

    तन मन की बहार की,

    निर्मल वयार का सुगन्धित झोंका ,

    पहला प्यार,

    सरलता है, सहजता है ,

    संस्कृति है, तमीज है,

    वह भी कोई भूलने की चीज है।

  • बस नहीं अपना

    बस नहीं अपना

    इक खुशनुमा लम्हा आकर गुजर गया

    क्या हुआ कुछ दूर साथ चले ,

    क्या हुआ चलकर विछड़ गए

    सोचो एक खूबसूरत मोड़ दे सके

    वरना याद आते उम्र भर

    पर अभी क्या

    याद तो आते अभी भी

    आंखों को नम कर जाते अभी भी

    सोचता हू , इतनी पुरानी बात

    कैसे याद आती है

    क्यूँ याद आती है

    पर यादों पर तो बस नहीं अपना .

    सोचता हू सपनों में भी जाते हो

    कैसे आते हो

    क्यूँ आते हो

    पर सपनो पर तो बस नही अपना

    बरसों से नहीं देखा आपको

    पर लगता है हर पल देखा है तुमको

    पर क्या करूं

    यादों पर तो बस नहीं अपना

    बात करता हूँ तो जुबान पे नाम आपका

    क्यूँ आता है

    कैसे आता है

    पर क्या करूं

    बातों पर अब बस नहीं अपना

    जब जब भुलाया आपको , आप ही आप नजर आए

    क्या करूं अब

    कैसे करूं अब

    अब तो अपने आप पर भी बस नहीं अपना

    –  सुरेन्द्र मोहन सिंह

  • सावधान – कैमरे कहीं भी हो सकते हैं

    सावधान – कैमरे कहीं भी हो सकते हैं

    आजकल कैमरों का बड़ा जोर है. बड़े से लेकर छोटे कैमरे कहीं भी मिल जाते हैं. पहले सिर्फ नेगेटिव या रील वाले ही कैमरे होते थे पर अब तो डिजिटल कैमरों ने दुनिया ही बदल दी. मोबाइल में कैमरा, कहीं भी निकल और चालू हो गए, फोटो खींचने में या फिर वीडियो बनाने में.

     

    पेन कैमरा और बटन कैमरों ने तो भ्रष्टाचार (रिश्वत) को बहुत ही जोखिम भरा बन दिया. रिश्वत लेते समय ध्यान नहीं दिया तो पेन कैमरा पूरी वीडियो बना लेगा और यूट्यूब पे आपकी इज्जत की धज्जियाँ उड़ा देगा.

     

    सीसीटीवी कैमरों ने तो कार और बाइक चोरों की नाक में दम कर रखा है. बाइक चुराते समय आसपास आते जाते लोगों को तो देख लिया लेकिन कैमरों पर ध्यान नहीं दिया. नतीजा, फेसबुक और यूट्यूब पर आपकी चोरी के तरीके पर पुलिस रिसर्च कर रही होगी.

     

    लेकिन सबसे खतरनाक है MMS, लड़कियां गलती करते वक्त ध्यान नहीं देती हैं. बॉयफ्रेंड चालाकी से MMS, बना लेते हैं. फिर ब्लूटूथ से MMS एक मोबाईल से दूसरे मोबाईल तक होते हुए इंटरनेट तक जा पहुँचता है. फिर शुरू होता है खूनी खेल. इज्जत जाने के डर से माँ -बाप और लड़की फांसी लगाते हैं.

  • हिन्दुस्तान की हालत का अंदाज़ा लगाओ

    हिन्दुस्तान की हालत का अंदाज़ा लगाओ

    अपनी मातृ भाषा की किस तरह धज्जियाँ उड़ाते हैं ये सरकारी नोटिस बोर्ड. क्या आपने गौर किया है इस तरह के नोटिस बोर्ड पर?

    एक हमारा देश ही ऐसा है जहां पर सबसे ज्यादा कानून की धज्जियाँ उड़ाने वाले सरकारी और राजनीतिक लोग होते हैं. भ्रष्टाचार का पैसा नीचे से लेकर ऊपर तक बटता है और भ्रष्टाचार को खोलने वाला सबूत जुटा पाने के कारण खुद ही परेशान होता है. उसके पीछे सारी सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग भ्रष्ट राजनीतिज्ञ करने लगते हैं.

    अगर कोई पुलिस वाला किसी छुटभैये की बात भी नहीं मानता है तो वो या तो ट्रांसफर कर दिया जाता है या फिर सस्पेंड कर दिया जाता है.

    धन्य है मेरा देश जहां पर गुंडे और बाहुबली गुंडागर्दी के बल पर चुनाव जीतते हैं और देश के लिए संसद में बैठकर कानून बनाते हैं.

    सरकारी संस्थाओं की हालत ऐसी है की बिना कुछ लिए दिए कोई काम नहीं होता है. अगर कोई शिकायत करता है तो रिश्वत लेने वाले को नहीं बल्कि मजबूरी में देने वाले को गिरफ्तार कर लिया जाता है.

  • फूल ऐसे ही सुन्दर नहीं होते हैं

    फूल ऐसे ही सुन्दर नहीं होते हैं

    फूल कैसे भी हों सुंदरता तो होती है. और सुंदरता सभी को भाती है. सोचिये, अगर इस धरती पर पेड़ पौधे नहीं होते तो ये धरती कैसी लगती. पेड़ पौधे होंगे तभी फल फूल भी होंगे. तो आइये इस धरती को हरा भरा और खूबसूरत बनाएं.

    Flowers are Beautiful Flowers are Beautiful

  • लाल किला – दिल्ली का मुख्य पर्यटन स्थल

    लाल किला – दिल्ली का मुख्य पर्यटन स्थल

    लाल किले का बारे में हम सबने सुना होगा, ये लाल रंग की विशाल ईमारत पुरानी दिल्ली में स्थित है जो युनेस्को विश्व धरोहर स्थल में शामिल है.

     

    लाल किला दिल्ली का मुख्य पर्यटन स्थल है, और देश के प्रधानमंत्री 15 अगस्त को यहीं से देश को सम्बोधित करते हैं.

    Red Fort Delhi - Travel Destination India

    लाल किला लाल पत्थरों द्वारा निर्मित है, जो 2.42 किलोमीटर के क्षेत्र में फैला हुआ है.

     

    लाल किला मुगल बादशाह शाहजहाँ द्वारा सन 1639 में बनवाया गया था. लाल किला दिल्ली में यमुना नदी के किनारे पर स्थित है, इसके चारो ओर गहरी खाई है जिसे यमुना के पानी से भरा जाता था.

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    कुछ इतिहासकार इसे लाल कोट कहते है और बताते हैं की इसे अंतिम क्षत्रिय राजा पृथ्वी राज चौहान ने बनवाया था.

     

    1857 का प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के बाद अंग्रेजों ने लाल किले को सैनिक छावनी में तब्दील कर दिया था, और स्वतंत्रता के बाद भी 2003 तक लाल किले के कई भाग सेना के कब्जे में रहे थे.

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    लाल किले की वास्तुकला अपने आप में अनोखी है जो फ़ारसी, यूरोपीय एवं भारतीय वास्तुकला का सम्मिश्रण है.

     

    लाल किले में दो विशालकाय द्वार हैं जिन्हे दिल्ली गेट और लाहोर गेट के नाम से जाना जाता है.

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    संगीतकारों के लिए इसमें एक नक्कारखाना भी बना हुआ है.

     

    दीवान-ए-आम, जो आम लोगों से मुलाकात के लिए बनवाया गया था, इसमें एक सिंहासन का छज्जा है जो खुले मैदान की तरफ है.

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    मुमताज महल, जो की महिलाओं का कक्ष था, में अब संग्रहालय बना दिया गया है, रंग महल की नक्काशी देखने लायक है.

     

    खास महल खास लोगों के लिए बनाए गए थे जिसमे राजा का शयन कक्ष है.

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    दीवान-ए-खास, राजा के मंत्रिमंडल एवं निजी सभाओं के लिए है. इसकी वास्तुकला देखने लायक है, इसमें खम्भों पर पेट्रा ड्यूरा का बहुत सुन्दर काम किया गया है. यहीं पर विख्यात मयूर सिंहासन स्थित था जिसे लुटेरा नादिरशाह लूट कर ईरान ले गया था.

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    रंगीन पत्थरों से जड़ित, संगमरमर का बना हुआ राजसी स्नानागार जिसे हमाम कहा जाता था, देख सकते हैं.

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    मोती मस्जिद को औरंगजेब ने 1659 में अपनी निजी मस्जिद के रूप में बनवाया था.

     

    हयात बख्श बाग, बहुत ही सुन्दर उद्यान, जिसे हिंदी में जीवनदायी बगीचा भी कह सकते हैं.

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    लाल किले के अंदर ही स्वतंत्रता संग्राम और वॉर मेमोरियल म्यूजियम हैं जिनमे आप भारतीय स्वतंत्रता संग्राम से जुडी वस्तुएं देख सकते हैं.

     

    लाल किला में सोमवार को छोड़कर किसी भी दिन सुबह 8 बजे से शाम 6 बजे तक जा सकते हैं. सोमवार को दिल्ली के अनेक पर्यटन स्थलों की तरह लाल किला भी बंद रहता है.

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    लाल किला नेताजी सुभाष मार्ग पर स्थित है, यहां आप बस, या रेल द्वारा पुरानी दिल्ली स्टेशन या फिर मेट्रो द्वारा चांदनी चौक स्टेशन से भी पहुँच सकते हैं.

     

    भारतियों के टिकट केवल 35 रुपये की है जबकि विदेशियों के लिए 500 रुपये की. फोटो खींचने की कोई पाबंदी नहीं है जबकि वीडियो बनाने के लिए 25 रुपये शुल्क है.

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    शाम को 6 बजे के बाद “संगीत एवं लाइट शो” होता है जिसका शुल्क अलग से वयस्कों के लिए 80 रुपये और बच्चों के लिए 30 रुपये है.
    दिल्ली के बारे में और जानकारी यहां से प्राप्त करे: http://www.delhitourism.gov.in/delhitourism/tourist_place/red_fort.jsp