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  • कौन है दिशा रवि (Disha Ravi) और क्या होता है टूलकिट (Toolkit)

    कौन है दिशा रवि (Disha Ravi) और क्या होता है टूलकिट (Toolkit)

    तीन कृषि कानूनों (Agricultural law) के खिलाफ चल रहे किसानों के प्रदर्शन से जुड़ी ‘टूलकिट’ सोशल मीडिया पर साझा करने के मामले में रविवार को पहली गिरफ्तारी हुई। दिल्ली पुलिस की साइबर सेल ने शनिवार को इसमें संलिप्तता के आरोप में कर्नाटक के बंगलूरू से 21 वर्षीय पर्यावरण कार्यकर्ता दिशा रवि (Disha Ravi) को गिरफ्तार किया है। उसे रविवार को अदालत में पेश करने के बाद 5 दिन की पुलिस हिरासत में भेज दिया गया। उन पर पर्यावरण परिवर्तन कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग (Greta Thunberg) द्वारा साझा की गई टूलकिट (Toolkit) को एडिट करने और बाद में आगे बढ़ाने का आरोप है। अब दिशा की गिरफ्तारी के बाद दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल (Arvind Kejriwal) से लेकर तमाम विपक्षी नेता दिशा की गिरफ्तारी का विरोध कर रहे हैं। जानिए कौन हैं दिशा रवि (Disha Ravi) और सोशल मीडिया (Social media) पर उनकी गिरफ्तारी का विरोध क्यों हो रहा है…

    कौन है दिशा रवि (Disha Ravi)

    नार्थ बंगलुरु के सोलादेवना हल्ली इलाके की रहने वाली व जलवायु कार्यकर्ता (Climate Activist) दिशा ने माउंट कैमेल कॉलेज से बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन स्नातक की डिग्री हासिल की है। इस समय वह गुड माइल्क कंपनी के साथ जुड़ी हुई। पुलिस सूत्रों का कहना है कि गिरफ्तारी के समय वह अपने घर में की काम कर रही थी। दिशा रवि के पिता मैसूर में एक एथलेटिक कोच है। मां एक गृहिणी हैं। दिल्ली पुलिस ने दिशा रवि की गिरफ्तारी को लेकर बंगलुरु पुलिस को जानकारी दी थी।

    Who is Disha Ravi

    टूलकिट में क्या था

    टूलकिट (Tootlkit) में बताया गया था किसान आंदोलन में सोशल मीडिया पर समर्थन कैसे जुटाए जाएं। हैशटैग का इस्तेमाल किस तरह से किया जाए और प्रदर्शन के दौरान क्या किया जाए और क्या नहीं, सब जानकारी इसमें मौजूद थी। तीन फरवरी को एक्टिविस्ट ग्रेटा थनबर्ग ने किसानों का समर्थन करते हुए इस टूल किट को सोशल मीडिया पर शेयर किया था। बाद में इस टूलकिट को सोशल मीडिया ने प्रतिबंधित कर उसे डिलीट कर दिया था।

    Source: Amar Ujala Hindi Dainik

    टूलकिट (Toolkit) में होते हैं विस्तृत सुझाव

    टूलकिट एक तरह का डॉक्यूमेंट होता है जिसमें किसी मुद्दे की जानकारी देने के लिए और उससे जुड़े कदम उठाने के लिए इसमें विस्तृत सुझाव होते हैं। आमतौर पर किसी बड़े अभियान या आंदोलन के दौरान उसमें हिस्सा लेने वाले वॉलंटिअर्स को इसमें दिशा-निर्देश दिए जाते हैं। इसका उद्देश्य खास वर्ग या टार्गेट ऑडियंस को जमीन पर काम करने के लिए गाइडेंस देना होता है।

    Toolkit
    Image By: Plan International

    सोशल जस्टिस या ह्यूमन राइट्स कैंपेनर करते हैं प्रयोग

    आमतौर पर टूलकिट (Toolkit) का प्रयोग सोशल जस्टिस और ह्यूमन राइट्स कैम्पेनर करते हैं। इसके जरिये वो प्रदर्शन का स्थल, प्रदर्शन को लेकर जागरुकता फैलाने और प्रदर्शनकारियों को एकत्रित करने और स्ट्रैटेजी बनाने के लिए करते हैं। जो लोग किसी मुद्दे के बारे में जानना चाहते हैं या उसका हिस्सा बनना चाहते हैं, उन्हें टूलकिट से मदद दी जाती है।

    ये लोग भी करते हैं प्रयोग

    टूलकिट का प्रयोग जर्नलिस्ट, टीचर्स, एकेडमिक्स और बिजनेस हेड्स भी अपने टीम मेंबर्स के लिए करते हैं। इसके जरिये वे लोग टीम के सदस्यों को एकत्रित करने, प्लान बनाने और प्रोजेक्ट के तेजी से एक्जिक्यूशन के लिए करते हैं।

    Greta Thunberg
    Greta Thunberg, Image by: AP News

    बड़े प्रोटेस्ट को लेकर चर्चा में रह चुका है टूलकिट (Toolkit)

    टूलकिट साल 2011 में ऑक्यूपाइ वॉल स्ट्रीट, ब्लैक लाइव्ज मैटर 2020, हॉन्गकॉन्ग प्रोटेस्ट 2019 में काफी चर्चा में रहा था। इसके साथ ही देश में पिछले साल सीएए के खिलाफ प्रोटेस्ट में भी टूलकिट काफी चर्चा में रहा था।

    एंटी CAA प्रदर्शन में वाट्सऐप पर शेयर किया था टूलकिट (Toolkit)

    एंटी CAA के दौरान वाट्सऐप पर टूलकिट (Toolkit) को शेयर किया गया था। इसमें डिजिटल कैंपेन के लिए ट्विटर हैशटैग सुझाने के साथ ही धरनास्थल और प्रदर्शन के दौरान पुलिस द्वारा हिरासत में लिए जाने पर क्या करें, क्या ना करें आदि के बारे में जानकारी दी गई थी। टूलकिट में प्रदर्शनकारियों के लिए खाना, पानी और दवाई उपलब्ध कराने वाले इच्छुक लोगों के लिए भी गाइडेंस दी गई थी।

    Rihanna
    Rihanna, Image by: Billboard

    हॉन्गकॉन्ग प्रोटेस्ट में दी गई थी मास्क, हेलमेट पहने की सलाह

    हॉन्गकॉन्ग में साल 2019 में हुए प्रोटेस्ट के दौरान टूलकिट के जरिये ही प्रदर्शनकारियों को मास्क और हेलमेट पहनने की सलाह दी गई थी। इसका उद्देश्य था कि लोग अपनी पहचान छुपा सकें और हेलमेट की मदद से घायल होने से बच सकें। पिछले साल अमेरिका में ब्लैक लाइव्ज मैटर प्रदर्शन के दौरान एक एनजीओ ने आंदोलनकारियों के खिलाफ गलत जानकारी रोकने के लिए टूलकिट का प्रयोग किया था।

    Source: Navbharat Times

    राजनीतिक पार्टियां भी करती हैं टूलकिट (Toolkit) का इस्तेमाल

    राजनीतिक पार्टियां भी टूलकिट का प्रयोग करती हैं। जब भी किसी पार्टी को किसी मुद्दे पर या फिर चुनाव में जनता से समर्थन की जरूरत पड़ती है तो हैशटैग को प्रमोट किया जाता है. ताकि ट्रेंडिंग हैशटैग की ओर जनता का ध्यान जा सके।
    इसके लिए पार्टियां टूलकिट में पूरा प्रोसेस देती हैं की कब और क्या पोस्ट करना है और कैसे उसे ट्रेंड करना है। इस टूलकिट को पार्टियां स्टेप्स में अपने प्रतिनिधि, सांसद, विधायकों तक भेजती हैं और वहाँ से बूथ लेवल कार्यकर्ताओं तक सारे नियम और प्लान पहुंचा दिए जाते हैं।
    फिर प्लान के अनुसार ट्वीट/हैशटैग/फेक न्यूज़/ की सोशल पोस्ट की बाढ़ आती है और हैशटैग ट्रेंड होने लगते हैं।
    अभी एक – दो वर्ष पहले गलती से एक बड़ी पार्टी के नेता ने भी सोशल प्लान (टूलकिट) ट्विटर पर शेयर कर दी थी और बाद में उसे डिलीट किया गया था।