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  • प्रधानमंत्री ने ‘भारत माता का एक टुकड़ा’ चीन को दिया: राहुल

    प्रधानमंत्री ने ‘भारत माता का एक टुकड़ा’ चीन को दिया: राहुल

    नयी दिल्ली, 12 फरवरी (भाषा) कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने चीन के साथ सीमा पर गतिरोध को लेकर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (Rajnath singh) की ओर से संसद के दोनों सदनों में दिए गए वक्तव्य की पृष्ठभूमि में शुक्रवार को दावा किया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘भारत माता का एक टुकड़ा’ चीन को दे दिया।

    उन्होंने यह आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री (Prime Minister) चीन के सामने झुक गए और उन्होंने सैनिकों की शहादत के साथ विश्वासघात किया है।

    कांग्रेस नेता ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘कल रक्षा मंत्री ने दोनों सदनों में बयान दिया। कई ऐसी चीजें हैं जिन्हें स्पष्ट करने की जरूरत है। पहली बात यह है कि इस गतिरोध के शुरुआत से ही भारत का यह रुख रहा है कि अप्रैल, 2020 से पहले की यथास्थिति बहाल होनी चाहिए, लेकिन रक्षा मंत्री के बयान से स्पष्ट है कि हम फिंगर 4 से फिंगर 3 तक आ गए।’’

    उन्होंने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री ने भारतीय सीमा चीन को क्यों दी? इसका जवाब प्रधानमंत्री और रक्षा मंत्री को देना है। देपसांग इलाके में चीन हमारी सीमा के अंदर आया है। इस बारे में रक्षा मंत्री ने एक शब्द नहीं बोला।’’

    राहुल गांधी ने दावा किया, ‘‘ सच्चाई यह है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत की पवित्र जमीन चीन को दे दी है….उन्होंने भारत माता एक टुकड़ा चीन को दे दिया है।’’

    गौरतलब है कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बृहस्पतिवार को संसद के दोनों सदनों को बताया कि चीन के साथ पैंगोंग झील के उत्तर एवं दक्षिण किनारों पर सेनाओं के पीछे हटने का समझौता हो गया है और भारत ने इस बातचीत में कुछ भी खोया नहीं है।

    सिंह ने कहा कि पैंगोंग झील क्षेत्र में चीन के साथ सेनाओं के पीछे हटने का जो समझौता हुआ है, उसके अनुसार दोनों पक्ष अग्रिम तैनाती चरणबद्ध, समन्वय और सत्यापन के तरीके से हटाएंगे।

    उन्होंने यह भी बताया कि अब भी पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर तैनाती तथा गश्ती के बारे में ‘‘कुछ लंबित मुद्दे’’ बचे हुए हैं जिन्हें आगे की बातचीत में रखा जाएगा।

    डिसक्लेमर: यह आर्टिकल भाषा पीटीआई न्यूज फीड से सीधे प्रकाशित किया गया है.

  • प्रधानमंत्री मोदी ने भूमि पूजन कर किया नये संसद भवन का शिलान्यास

    प्रधानमंत्री मोदी ने भूमि पूजन कर किया नये संसद भवन का शिलान्यास

    मुख्य बिंदु

    • 971 करोड रुपए लागत
    • 64,500 वर्ग मीटर क्षेत्रफल
    • स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ तक पूरा
    • 4 मंजिला होगा नया संसद भवन
    • 888 सदस्यों के बैठने की व्यवस्था
    • संयुक्त सत्र के दौरान 1224 सदस्यों के बैठने की व्यवस्था
    • राज्य सभा कक्ष में 384 सदस्यों के बैठने की व्यवस्था
    • 5 अगस्त 2019 को भवन के निर्माण का प्रस्ताव हुआ
    • डिजाइन अहमदाबाद के मैसर्स एचसीपी डिजाइन और मैनेजमेंट प्राइवेट लिमिटेड द्वारा
    • निर्माण टाटा प्रोजेक्ट्स लिमिटेड द्वारा
    • नई इमारत सुरक्षा सुविधाओं से लैस
    • लोकसभा मौजूदा आकार से तीन गुना बड़ी
    • भारत की गौरवशाली विरासत और सांस्कृतिक विविधता का समावेश
    Central Vista Project
    Central Vista Project

    नयी दिल्ली, 10 दिसंबर (भाषा) प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बृहस्पतिवार को भूमि पूजन करने के साथ ही नये संसद भवन की आधारशिला रखी। चार मंजिला नये संसद भवन का निर्माण कार्य भारत की स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ तक पूरा कर लिए जाने की संभावना है।

    वैदिक मंत्रोच्चार के बीच भूमि पूजन कार्यक्रम आरंभ हुआ और इसके संपन्न होने के बाद शुभ मुहुर्त में प्रधानमंत्री ने परम्परागत विधि विधान के साथ आधारशिला रखी।

    लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, विभिन्न राजनीतिक दलों के नेता, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह सहित कई केंद्रीय मंत्री, बड़ी संख्या में सांसद और कई देशों के राजदूत इस ऐतिहासिक अवसर के गवाह बने।

    नये संसद भवन का निर्माण 971 करोड रुपए की अनुमानित लागत से 64,500 वर्ग मीटर क्षेत्रफल में किए जाने का प्रस्ताव है।

    New Parliament Inside
    New Parliament Inside

    ज्ञात हो कि नये संसद भवन के निर्माण का प्रस्ताव उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू एवं लोक सभा अध्यक्ष ओम बिरला ने क्रमशः राज्यसभा और लोक सभा में 5 अगस्त 2019 को किया था।

    नये संसद भवन का डिजाइन अहमदाबाद के मैसर्स एचसीपी डिजाइन और मैनेजमेंट प्राइवेट लिमिटेड द्वारा तैयार किया गया है और इसका निर्माण टाटा प्रोजेक्ट्स लिमिटेड द्वारा किया जाएगा।

    Triangular Shaped New Parliament
    Triangular Shaped New Parliament

    नये भवन को सभी आधुनिक दृश्य – श्रव्य संचार सुविधाओं और डाटा नेटवर्क प्रणालियों से सुसज्जित किया जाएगा। यह सुनिश्चित करने के लिए विशेष ध्यान दिया जा रहा है कि निर्माण कार्य के दौरान संसद के सत्रों के आयोजन में कम से कम व्यवधान हो और पर्यावरण संबंधी सभी सुरक्षा उपायों का पालन किया जाये।

    लोकसभा सचिवालय के मुताबिक नए संसद भवन के लोकसभा कक्ष में 888 सदस्यों के बैठने की व्यवस्था होगी, जिसमें संयुक्त सत्र के दौरान 1224 सदस्यों के बैठने की व्यवस्था भी होगी। इसी प्रकार, राज्य सभा कक्ष में 384 सदस्यों के बैठने की व्यवस्था होगी।

    Parliament of India
    Parliament of India

    नए संसद भवन में भारत की गौरवशाली विरासत को भी दर्शाया जाएगा। देश के कोने-कोने से आए दस्तकार और शिल्पकार अपनी कला और योगदान के माध्यम से इस भवन में सांस्कृतिक विविधता का समावेश करेंगे।

    संसद भवन से सटी त्रिकोणीय आकार की नई इमारत सुरक्षा सुविधाओं से लैस होगी। नई लोकसभा मौजूदा आकार से तीन गुना बड़ी होगी और राज्‍यसभा के आकार में भी वृद्धि की गई है।

    Parliament from Above
    Parliament from Above

    नया संसद भवन भारत के लोकतंत्र और भारतवासियों के गौरव का प्रतीक होगा जो न केवल देश के गौरवशाली इतिहास अपितु इसकी एकता और विविधता का भी परिचय देगा।

    डिसक्लेमर: यह आर्टिकल भाषा पीटीआई न्यूज फीड से सीधे प्रकाशित किया गया है.

    Parliament Similar to 64 Yogini Temple
    Parliament Similar to 64 Yogini Temple
  • आज देश भर में कोरोना के खिलाफ एक अनोखा ‘जन आंदोलन’ शुरू करेंगे पीएम मोदी

    आज देश भर में कोरोना के खिलाफ एक अनोखा ‘जन आंदोलन’ शुरू करेंगे पीएम मोदी

    कोरोना के खिलाफ एक अनोखा ‘जन आंदोलन’

    प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आगामी त्योहारों, ठंड के मौसम और अर्थव्यवस्था की स्थिति को ध्यान में रखते हुए और कोरोना के खिलाफ बचाव के सारे उपायों का पालन करते हुए देश को कैसे आगे बढ़ाया जाए, इस बारे में गुरुवार से एक जन आंदोलन की शुरुआत करेंगे। सूचना और प्रसारण मंत्रालय की आरे से जारी एक विज्ञप्ति में कहा गया कि प्रधानमंत्री मोदी एक ट्वीट के जरिए इस अभियान की शुरुआत करेंगे।

    सार्वजनिक स्थानों पर जागरूकता बढ़ाने का अभियान

    केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक के बाद संवाददाताओं को संबोधित करते हुए कहा कि कोरोना से बचाव का एकमात्र हथियार मास्क पहनना, सामाजिक दूरी का पालन करना और हाथ धोना है। उन्होंने कहा कि इसी सिद्धांत का पालन करते हुए सार्वजनिक स्थानों पर इन उपायों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के अभियान को शुरू किया जाएगा। उन्होंने कहा, कोरोना काल में डरने की नहीं, सावधानी की आवश्यकता है। यह संदेश जन जन तक पहुंचाने के लिए जनचेतना की मुहिम चलाई जाएगी। दवा और वैक्सीन के बिना मास्क, दो गज की सुरक्षित दूरी, हाथ धोना ही सुरक्षा कवच हैं।

    ठंड के दिनों में क्या सावधानी बरतें इसकी देंगे जानकारी

    उन्होंने कहा कि जनचेतना की मुहिम के लिए लोगों के संपर्क के सभी ठिकानों पर बैनर पोस्टर लगेंगे। जावड़ेकर ने कहा कि ठंड के दिन आ रहे हैं और ठंड के दिनों में लोगों को सावधानी बरतनी चाहिए और कल से इसके बारे में एक जन आंदोलन शुरू होगा।

    सर्दियों में कोरोना से कैसे बचें

    उन्होंने कहा, लोगों के संपर्क के सभी ठिकानों पर बैनर, पोस्टर और स्टीकर लगेंगे। चाहे हो हवाई अड्डा हो या बस अड्डा। ऑटो रिक्शा हो या मेट्रो या फिर पेट्रोल पंप। स्कूल-कॉलेज, आंगनबाड़ी हो बाजार या फिर पुलिस स्टेशन। जहां भी लोग काम के लिए जाते हैं, ऐसे सभी जगह स्थानों पर एक जन चेतना की मुहिम चलेगी।

    देश में कोरोना के 67 लाख से अधिक मामले

    बता दें कि भारत में कोविड-19 के मरीजों की संख्या बुधवार को 72,049 नये मामलों के साथ 67.57 लाख हो गई जबकि अभी तक 57 लाख 44 हजार 693 लोग संक्रमण मुक्त हो चुके हैं। इससे ठीक होने की राष्ट्रीय औसत दर 85.02 फीसदी हो गई है।

    Source: Navbharat Times

  • पिछले चार महीनों में गईं करीब दो करोड़ नौकरियां, अब अर्थव्यवस्था का सच नहीं छुप नहीं सकता: राहुल

    पिछले चार महीनों में गईं करीब दो करोड़ नौकरियां, अब अर्थव्यवस्था का सच नहीं छुप नहीं सकता: राहुल

    नयी दिल्ली, 19 अगस्त (भाषा) कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने बुधवार को एक खबर का हवाला देते हुए दावा किया कि पिछले चार महीनों में करीब दो करोड़ लोगों की नौकरियां चली गईं और अब ‘अर्थव्यवस्था के सर्वनाश’ का सत्य देश से नहीं छिप सकता।

    उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘पिछले चार महीनों में क़रीब दो करोड़ लोगों ने नौकरियां गंवाईं हैं। दो करोड़ परिवारों का भविष्य अंधकार में है। फेसबुक पर झूठी खबरें और नफ़रत फैलाने से बेरोज़गारी और अर्थव्यवस्था के सर्वनाश का सत्य देश से नहीं छुप सकता।’’

    कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने इसी विषय पर दावा किया, ‘‘अब सच्चाई जग ज़ाहिर है। केवल अप्रैल-जुलाई 2020 में 1.90 करोड़ नौकरीपेशा लोगों की नौकरी गई। अकेले जुलाई माह में 50 लाख नौकरी गई। खेती और निर्माण क्षेत्र में 41 लाख लोगों की नौकरी गई। भाजपा ने देश की रोज़ी-रोटी पर ग्रहण लगाया।’’

    राहुल गांधी और सुरजेवाला ने जिस खबर का हवाला दिया उसके मुताबिक, कोरोना वायरस महामारी के बीच अप्रैल से अब तक 1.89 करोड़ लोगों को अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ा है। ‘सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकॉनामी’ (सीएमआईई) के आंकड़ों में यह बात सामने आई है।

    इसमें कहा गया है कि पिछले महीने यानी जुलाई में लगभग 50 लाख लोगों ने नौकरी गंवाई है।

    डिस्क्लेमर– यह आर्टिकल PTI न्यूज फीड से सीधे प्रकाशित किया गया है.

  • विश्व कल्याण के लिए ‘‘आत्मनिर्भर भारत’’ जरूरी: मोदी, 74वें स्वतंत्रता दिवस के मौके पर

    विश्व कल्याण के लिए ‘‘आत्मनिर्भर भारत’’ जरूरी: मोदी, 74वें स्वतंत्रता दिवस के मौके पर

    नयी दिल्ली, 15 अगस्त (भाषा)

    प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 74वें स्वतंत्रता दिवस के मौके पर भारत को ‘आत्मनिर्भर’ बनाने पर जोर दिया और इसके लिए एक व्यापक रूपरेखा प्रस्तुत करते हुए कई घोषणाएं भी कीं।

    ‘‘आत्मनिर्भर भारत’’ को विश्व कल्याण के लिए भी जरूरी बताते हुए उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस महामारी भी इस संकल्प से देश को नहीं डिगा सकती है।

    ऐतिहासिक लाल किले की प्राचीर से अपने सातवें स्वतंत्रता दिवस संबोधन में मोदी ने कहा कि भारत की संप्रभुता का सम्मान सर्वोपरि है और जिसने भी इस पर आंख उठाई, देश व देश की सेना ने उसे उसकी ही भाषा में जवाब दिया।

    प्रधानमंत्री ने ‘मेक इन इंडिया’ के साथ ‘मेक फॉर वर्ल्ड’ (Make for World) का नारा दिया और ‘‘राष्ट्रीय डिजिटल स्वास्थ्य अभियान’’ की घोषणा की।

    पारम्परिक कुर्ता-पायजामा और माथे पर साफा पहने प्रधानमंत्री ने 86 मिनट के अपने संबोधन में कहा कि आत्मनिर्भर भारत का मतलब सिर्फ आयात कम करना ही नहीं, अपनी क्षमता, अपनी रचनात्मकता, अपने कौशल को बढ़ाना भी है।

    उन्होंने कहा कि सिर्फ कुछ महीने पहले तक एन-95 मास्क, पीपीई किट, वेंटिलेटर ये सब विदेशों से मंगवाये जाते थे लेकिन आज इन सभी में भारत न सिर्फ अपनी जरूरतें खुद पूरी कर रहा है, बल्कि दूसरे देशों की मदद के लिए भी आगे आया है।

    उन्होंने कहा कि पिछले साल भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) ने अब तक के सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं।

    उन्होंने कहा, ‘‘भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश में 18 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। आज दुनिया की बहुत बड़ी-बड़ी कंपनियां भारत का रुख कर रही हैं। हमें ‘मेक इन इंडिया’ के साथ-साथ ‘मेक फॉर वर्ल्ड’ के मंत्र को लेकर आगे बढ़ना है।’’

    प्रधानमंत्री ने कहा कि कोरोना वायरस महामारी के बीच भारतीयों ने आत्म-निर्भर होने का संकल्प लिया है और यह केवल शब्द नहीं बल्कि सभी लोगों के लिए मंत्र है।

    उन्होंने कहा कि आखिर भारत कब तक कच्चे माल का निर्यात करेगा और तैयार उत्पादों का आयात करेगा, भारत को आत्म-निर्भर होना होगा।

    उन्होंने कहा कि भारत की विश्व अर्थव्यवस्था में जो हिस्सेदारी है, वह बढ़नी चाहिए और इसके लिये हमें आत्म-निर्भर होना होगा।

    उन्होंने कहा, ‘‘जब हम आर्थिक वृद्धि और विकास पर ध्यान केंद्रित करें तो मानवता इस प्रक्रिया में केंद्रीय भूमिका में होनी चाहिए।’’

    प्रधानमंत्री ने इस मौके पर कहा कि हमारा मन पूरी तरह से ‘वोकल फॉर लोकल’ (Vocal for Local) (स्थानीय उत्पादों पर जोर देने वाला) होना चाहिए।

    प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर लद्दाख में चीन के साथ सीमा पर चल रहे तनाव की ओर इशारा करते हुए कहा कि भारत की संप्रभुता का सम्मान सर्वोपरि है और जिसने भी इस पर आंख उठाई, देश व देश की सेना ने उसे उसकी ही भाषा में जवाब दिया।

    मोदी ने चीन का नाम लिए बगैर कहा कि संप्रभुता के सम्मान के लिए देश व उसके जवान क्या कर सकते हैं, यह दुनिया ने लद्दाख में हाल ही में देखा।

    उन्होंने कहा, ‘‘नियंत्रण रेखा (एलओसी LOC) से लेकर वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी LAC) तक देश की संप्रभुता पर जिस किसी ने आंख उठाई है, देश ने, देश की सेना ने उसे उसी की भाषा में जवाब दिया है।’’

    मोदी ने कहा, ‘‘भारत की संप्रभुता का सम्मान हमारे लिए सर्वोच्च है। इस संकल्प के लिए हमारे वीर जवान क्या कर सकते हैं, देश क्या कर सकता है, ये लद्दाख में दुनिया ने देखा है।’’

    प्रधानमंत्री ने गलवान घाटी में चीन के सैनिकों के साथ हुई झड़प में शहीद जवानों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि आतंकवाद हो या विस्तारवाद, भारत आज इनका डटकर मुकाबला कर रहा है।

    पिछले दिनों संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के अस्थाई सदस्य के रूप में भारत को 192 में से 184 देशों के मिले समर्थन का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि यह दर्शाता है कि आज दुनिया का भारत पर विश्वास और मजबूत हुआ है।

    उन्होंने कहा, ‘‘विश्व के 192 में से 184 देशों का भारत को समर्थन मिलना हर हिंदुस्तानी के लिए गर्व की बात है। विश्व में कैसे हमने अपनी पहुंच बनाई है यह उसका उदाहरण है। यह तभी संभव होता है जब भारत खुद मजबूत हो, भारत सशक्त हो, भारत सुरक्षित हो।’’

    मोदी ने कहा कि हमारे पड़ोसी देशों के साथ चाहे वे हमसे जमीन से जुड़े हों या समंदर से, हम अपने संबंधों को और विश्वास के साथ जोड़ रहे हैं।

    उन्होंने कहा, ‘‘भारत का लगातार प्रयास है कि अपने पड़ोसी देशों के साथ अपने सदियों पुराने सांस्कृतिक, आर्थिक और सामाजिक रिश्तों को और गहराई दे।’’

    उन्होंने दक्षिण एशिया के देशों का आह्वान करते हुए कहा कि पूरे क्षेत्र में जितनी शांति होगी, जितना सौहार्द्र होगा, वह मानवता के काम आएगा।

    उन्होंने कहा, ‘‘पूरी दुनिया का हित इसमें समाहित है।’’

    मेक इन इंडिया’ (Make in India) के साथ ‘मेक फॉर वर्ल्ड’ (Make for World) (विश्व के लिए विनिर्माण) का नारा जोड़ते हुए मोदी ने भारत को आर्थिक नीतियों में सुधार और बुनियादी ढांचे के विकास के साथ विश्व आपूर्ति श्रृंखला में विनिर्माण के एक प्रमुख केंद्र के रूप में प्रस्तुत करने का संकल्प पेश किया।

    उन्होंने कहा कि भारत अपनी 130 करोड़ जनता के समर्थन के साथ ‘मेक फॉर वर्ल्ड’ की दिशा में प्रगति करने का सामर्थ्य रखता है।

    ‘‘आत्मनिर्भरता’’ को कोरोना वायरस महामारी से मिली सबसे बड़ी सीख करार देते हुए प्रधानमंत्री ने ‘‘राष्ट्रीय डिजिटल स्वास्थ्य अभियान’’ की घोषणा की और कहा कि इससे देश के स्वास्थ्य क्षेत्र में नई क्रांति आएगी और तकनीक के माध्यम से लोगों की परेशानियां कम होंगी।

    उन्होंने कहा कि आज से देश में एक और बहुत बड़ा अभियान शुरू होने जा रहा है और यह है ‘‘नेशनल डिजिटल हेल्थ मिशन’’।

    उन्होंने कहा, ‘‘नेशनल डिजिटल हेल्थ मिशन, भारत के स्वास्थ्य क्षेत्र में नई क्रांति लेकर आएगा। तकनीक के माध्यम से लोगों की परेशानियां कम होंगी।’’

    देश के सर्वांगीण अवसरंचना विकास के लिए ‘‘राष्ट्रीय इंफ्रास्ट्रक्चर पाइपलाइन परियोजना’’ में 100 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा खर्च किए जाने का एलान करते हुए उन्होंने बताया कि इसके लिए लगभग सात हजार परियोजनाओं को चिह्नित भी किया जा चुका है।

    उन्होंने कहा कि भारत को आधुनिकता की तरफ तेज गति से ले जाने के लिए, देश के सर्वांगीण अवसंरचना विकास को एक नई दिशा देने की जरूरत है।

    कोरोना वायरस के खिलाफ चल रही जंग का विस्तार से जिक्र करते हुए मोदी ने विश्वास व्यक्त किया कि 130 करोड़ देशवासियों की संकल्प शक्ति से भारत यह जंग जीतेगा।

    प्रधानमंत्री ने कोरोना योद्धाओं, स्वतंत्रता के आंदोलन में कुर्बानी देने वाले सभी सेनानियों और देश की रक्षा में शहादत देने वाले जवानों को भी याद किया और उन्हें नमन किया।

    इससे पहले लाल किले पहुंचने पर प्रधानमंत्री ने तिरंगा झंडा फहराया और देशवासियों को स्वतंत्रता दिवस की बधाई दी। उन्होंने राजघाट जाकर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की समाधि पर श्रद्धाजंलि अर्पित की।

    डिस्क्लेमर– यह आर्टिकल PTI न्यूज फीड से सीधे प्रकाशित किया गया है.

  • लोकसभा चुनाव एग्जिट पोल 2019 – दिख रहा है मोदी का दम

    लोकसभा चुनाव एग्जिट पोल 2019 – दिख रहा है मोदी का दम

    लोकसभा (Parliament) का मतदान ख़त्म हो चुका है. अब 23 मई तक एग्जिट पोल (Exit Polls) की धूम रहेगी. असल रिजल्ट आएंगे 23 मई तक, हो सकता है एग्जिट पोल के अनुसार या कुछ चौकाने वाले. अभी तक के सर्वे के अनुसार भाजपा (BJP) पूर्ण बहुमत में दिखाई दे रही है.

     

    एग्जिट पोल के नतीजे सिर्फ कयास भर हैं क्यूंकि कई बार एग्जिट पोल के आंकड़े मैच किये हैं तो कई बार ये आंकड़े असल रिजल्ट के आस पास भी नहीं फटक पाए हैं.

     

    लेकिन ये सिर्फ एग्जिट पोल के सर्वे हैं और सभी पार्टियां अपनी-अपनी जीत के दावे कर रहीं है. प्रधानमंत्री पद के सबसे मजबूत प्रत्याशी जहां नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) हैं वहीँ राहुल गाँधी (Rahul Gandhi) के साथ – साथ मायावती (Mayawati) और ममता बनर्जी (Mamta Banerjee) भी अपने दावे कर रहीं हैं. अब किसको कितनी सीटें मिलेगी वो तो 23 मई को ही पता चलेगा.

     

    तब तक एक नजर डालते हैं एग्जिट पोल के आंकड़ों पर.

     

    कुल सीटें: 543

    चुनाव हुए: 542

     

     

    लोकसभा चुनाव एग्जिट पोल 2019
    BJP+ Cong+ Mahagathbandhan Others
    Poll of Polls 304 118 0 120
    Times Now VMR 306 132 20 84
    C-Voter 287 128 40 87
    ABP-Nielsen 277 130 0 135
    Axis My India – India Today 353 94 13 82
    India TV – CNX 300 120 28 94
    Jan Ki Baat 305 124 0 113
    SMS Exit Poll 250 120 60 112
    NEWS-X Neta 242 165 0 136
  • मोदी की मेहनत पर पानी: इनके पास 4.7 करोड़ रुपये के नए नोट कहाँ से आये?

    मोदी की मेहनत पर पानी: इनके पास 4.7 करोड़ रुपये के नए नोट कहाँ से आये?

    जहां तक दावों का सवाल है तो प्रधानमंत्री मोदी और वित्त मंत्री जेटली दोनों ने नोट बंदी की स्कीम भ्रष्टाचार, काले धन और आतंकवाद पर चोट करने के लिए की थी. इसमें सबसे ज्यादा सपोर्ट भी आम जनता ने किया था. और सबसे ज्यादा कष्ट भी आम जनता ही झेल रही है.

     

    पहले बैंकों के बाहर आम जनता पुराने नोट जमा कराने और नोट बदलने के लिए लाइन में लगी रही फिर अपने ही पैसे को बैंकों और एटीएम से दो-दो और चार-चार हजार करके निकालने के लिए अभी तक लाइन में लगी है.

     

    रिजर्व बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल ने तो यहां तक कहा है की पैसे की कोई कमी नहीं है और बैंक से 24000 प्रति सप्ताह और एटीएम से 5000 प्रति सप्ताह कैश निकाल सकते हैं.

     

    लेकिन सच्चाई सभी को मालूम है, ज्यादातर एटीएम में पैसा ही नहीं डाला जा रहा है, कुछ जगहों पर 2000 के नोट मिलने शुरू हुए हैं, 500 के नोट सिर्फ कुछ गिने चुने एटीएम से मिल रहे हैं. बैंकों की हालात तो और भी बदतर है. सीमित कैश और भारी भीड़ के चलते बहुत कम बैंक ही अपने ग्राहकों को प्रति सप्ताह 24000 रुपये दे पा रहे हैं. ज्यादातर बैंक अधिक से अधिक लोगों को सहूलियत पहुंचाने के लिए 4000 या 6000 रुपये प्रति दिन दे रहे हैं.

     

    ऐसे में आतंकवादियों के पास से आये दिन नए नोटों की गड्डियां मिलना व्यवस्था पर प्रश्नचिन्ह लगाता है. रोज पुराने नोटों से ज्यादा नए नोटों की खेप पकडे जाने की खबरे सुनने में आ रही हैं.

     

    ताजा मामले में बेंगलुरु में दो लोगों के पास से करीब पांच करोड़ के नए नोट बरामद हुए हैं. इनकम टैक्स वालों में एक इंजिनियर और एक ठेकेदार को 4.7 करोड़ के नए नोटों और 30 लाख के पुराने नोटों के साथ गिरफ्तार किया है. यह अब तक की सबसे ज्यादा नए नोटों के रकम की बरामदगी है. इससे पहले निजामुद्दीन स्टेशन, दिल्ली से एक कार से 27 लाख के नए नोट बरामद हो चुके हैं. इसी तरह पंचकूला हरियाणा से 8 लाख के नए नोट बरामद हो चुके हैं.

     

    अब सवाल यह उठता है की इतनी मात्रा में नए नोट बैंको से बाहर कैसे आये. लोग एक-एक पाई को मोहताज हो रहे हैं और बैंककर्मियों की मिलीभगत से भ्रष्टाचारी अपने काले धन को सफ़ेद करने में कामयाब हो रहे हैं.

     

    फोटो साभार: http://indianexpress.com/

  • काला धन पर सर्जीकल स्ट्राइक: 1000 और 500 के नोट आज रात से बंद

    काला धन पर सर्जीकल स्ट्राइक: 1000 और 500 के नोट आज रात से बंद

    प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी आज देश को संबोधित कर रहे हैं. उन्होंने काला धन रखने वालों पर प्रहार करते हुए आज रात से ही 1000 और 500 के नोट बंद करने का एलान किया है. 30 दिसंबर तक पुराने नोट बैंकों में बदले जाएंगे और इसके बाद पहचान पत्र दिखा कर 31 मार्च 2017७ तक ये पुराने नोट बदल सकेंगे.

     

    प्रधानमंत्री के इस कदम के दूरगामी प्रभाव देखे जा रहे हैं. देश में जो काला धन और नकली नोटों को बंद करने के लिए इससे अच्छा उपाय हो भी नहीं सकता था. रिजर्व बैंक और प्रधानमंत्री के इस कदम की किसी को कानो कान भनक तक नहीं लगी.

    New 2000 Note

    प्रधानमंत्री ने कहा की अब हम भृष्टाचार में 100वें स्थान से 76वें स्थान पर पहुँच पाए हैं.

     

    10 नवम्बर से नए 500 और 2000 के नोट जारी कर दिए जाएंगे.

     

    रिजर्व बैंक के नए गवर्नर उर्जित पटेल ने कहा है की नकली नोटों से सिर्फ आम जनता को परेशानी झेलनी पड़ती है. जनता असली और नकली नोटों में फर्क नहीं कर पाती है और उन्हें इसका नुकसान उठाना पड़ता है. उन्होंने यह भी कहा की इससे किसी की सुरक्षा में किसी भी प्रकार की सेंध नहीं लगाईं गयी है.

    Surgical Strike on Black Money: Notes of 1000 and 500 are Closed from Today Midnight

    भ्रष्टाचार की बीमारी को कुछ वर्ग विशेष के लोगों ने अपने स्वार्थ के लिए फैला रखा है: पीएम मोदी

    सीमा पार के हमारे शत्रु जाली नोटों के जरिये अपना धंधा भारत में चलाते हैं और यह सालों से चल रहा है जो हमारे देश की इकोनॉमी के लिए अत्यंत घातक है.

     

    भृष्टाचार और काला धन देश के लिए नासूर बन गया है. प्रधानमंत्री के इस कदम से काला धन रखने वालों और चुनाव में काला धन खर्च करने वालों में खलबली मच गयी है.

     

    9 औऱ 10 नवंबर को कुछ एटीएम बंद रहेंगे। शुरु में कुछ दिनों तक 2000 रुपये से अधिक की राशि नहीं निकाली जा सकेगी: पीएम मोदी

    New 500 Note

    किसी भी बैंक या पोस्ट ऑफिस से पुराने 1000 और 500 के नोट बदले जा सकेंगे. 11 नवम्बर को आधी रात तक ये नोट पेट्रोल पम्प और सीएनजी स्टेशनों पर चलाये जा सकेंगे.

     

    11 नवम्बर तक ही रेलवे स्टेशनों, बस स्टैंड और हवाई अड्डों पर इन नोटों का संचालन होगा.

     

    100 रुपये, 50 रुपये, 20 रुपये, 10 रुपये, 5 रुपये, 2 रुपये और 1 रूपया का नोट और सभी सिक्के नियमित हैं और लेन देन के लिए उपयोग हो सकते हैं

     

    एडिटर के विचार:

     

    इस सर्जिकल स्ट्राइक का किस पर कितना असर होगा? आम जनता को कितनी परेशानी होगी? जहां तक मेरा मानना है, आम जनता को केवल 2-4 दिन तक परेशानी उठानी पड़ सकती है. क्योंकि साधारणतयः सामान्य लोग घरों में 2-4 हजार रुपये ही घरों में रखते हैं. अगर उनके पास छुट्टे रुपये नहीं हैं तो उन्हें परेशानी का सामना करना पड़ सकता है. इमरजेंसी में भी परेशानी उठानी पड़ सकती है. लेकिन सबसे ज्यादा परेशानी तो उन लोगों को होने वाली है जिनके पास भारी मात्रा में बड़े नोट घर में रखे हुए हैं. इनमे नेता, छोटे और बड़े बिजनेसमैन शामिल हैं. अगर वह इनकम टैक्स नहीं देते हैं तो उनके लिए बड़ी परेशानी पैदा होने वाली है.

     

    सभी जानते हैं की चुनावों में बड़ी मात्रा में काला धन जो की बड़े नोटों के रूप में होता है, का अवैध रूप से वोट खरीदने में प्रयोग होता है. अब उत्तर प्रदेश में चुनाव होने वाले हैं तो इस सर्जिकल स्ट्राइक का असर राजनीतिक पार्टियों पर गंभीर रूप से पड़ने वाला है.

     

    बड़े बिल्डर और प्रोपर्टी डीलर भी इस घोषणा से सदमे में आ सकते हैं. क्योंकि प्रोपर्टी का ज्यादातर कारोबार कैश के रूप में बड़े नोटों से ही होता है.

  • विकास किसका, देश या सांप्रदायिकता का? गन्दी राजनीति के उदाहरण

    विकास किसका, देश या सांप्रदायिकता का? गन्दी राजनीति के उदाहरण

    “मंदिर-मस्जिद दाढ़ी चोटीकाट रहे बोटी-बोटी

    बांट रहे हैं हम बच्चों कोछीन रहे हैं सबकी रोटी।।”

    भारत विश्व में अकेला ऐसा धर्मनिरपेक्ष देश हैजहां सभी धर्मों का सम्मान और महत्व है। धर्मनिरपेक्ष शब्द संविधान के 1976 में हुए 42वें संशोधन अधिनियम द्वारा प्रस्तावना में जोड़ा गया। यह संशोधन सभी धर्मों की समानता और धार्मिक सहिष्णुता सुनिश्चित करता है। भारत में हर व्यक्ति को अपने पसन्द के किसी भी धर्म की उपासनापालन और प्रचार करने का अधिकार है। ऐसे तमाम धार्मिक अधिकार दिए गए हैंलेकिन कहीं न कहीं धार्मिक अधिकारों का हनन  भी हुआ हैजिसे हम सांप्रदायिकता का नाम भी दे सकते हैं।

    देश के 1947 में विभाजन पर भड़के दंगों ने कई लाख लोगों के घरों का उजाड़ दिया। लोगों ने इसे अपनी नीयती मानकर मन को समझा लिया क्योंकि देश भारत-पाकिस्तान के रूप में बंट गया था। फिर से आपसी भाइचारे की नींव डलने लगी थी, देश विकास की ओर अग्रसर होने को तैयार था, लेकिन कहते हैं न कि जख्म कभी न कभी तो हरे हो ही जाते हैं, बस उनको कुरेदने वाले शख्स चाहिए।

    देश में आजादी के बाद से लेकर अब तक न जाने कितनी बार देश के किसी न किसी हिस्से में किसी न किसी कारण से दंगे हुए हैं। आखिर क्यों होते है दंगेइसका जवाब हमें पुराने बीते सालों में हुए दंगों से मिलता है। देश में पहला सांप्रदायिक दंगा 1961 में मध्य प्रदेश के जबलपुर शहर में हुआ। उसके बाद से आज तक दंगों की झड़ी सी लग गयी-बात चाहे 1969 में गुजरात दंगों की हो, 1984 में सिख विरोधी हिंसा की हो, 1987 में मेरठ के दंगों की हो,1989 में भागलपुर दंगों की हो, 2002 में गुजरात दंगों की हो, 2008 में कंधमाल की हिंसा हो या हाल ही में असम की होजिसमें सात दिनों में जारी हिंसा में करीब दो लाख लोगों ने घर छोड़ा या मुजफ्फरनगर दंगों की होजो लड़की के साथ छेड़छाड़ के मुद्दे से शुरू हुआ और दंगों के रूप में सामने आया। हाल ही में गोहत्या के मामले पर विवाद शुरू हो गया है। जिसे लेकर दो समुदाय फिर से आमने-सामने हैं। इसकी शुरूआत मुंबई में भाजपा-शिवसेना गठबंधन सरकार की ओर से गोश्त की बिक्री पर प्रतिबन्ध लगाने से हुई। जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट ने 1932 के रनबीर पैनल कोड के गोमांस प्रतिबन्धित कानून को कड़ाई से लागू करने के निर्देश दिए हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट के इस फैसले पर दो महीने तक के लिए रोक लगा दी है।

    विकास का एजेंडा हमें 2014 के लोकसभा चुनाव से देखने को मिल रहा हैवहीं दूसरी ओर देश में तनाव बढ़ता जा रहा है।  ‘मेक इन इंडियाÓ,’डिजिटल इंडियाÓ के नारों ने जो जोर विकास के एजेंडे पर दिया थाइस मुद्दे ने इसे पीछे छोड़ दिया है। राजनेता लोगों की संवेदनाओं से खेलकर अपना वोट बैंक तैयार करने में लगे हैं। इसे तब और ज्यादा तूल दियाजब ग्रेटर नोएडा के दादरी के बिसाहड़ा गांव के व्यक्ति इकलाख की गोमांस रखने और खाने की अफवाह के कारण पीट-पीट कर हत्या कर दी गई। उसके पुत्र को भी घायल कर दिया। जहां नेता राजनैतिक करियर संवारने के लिए भड़काऊ भाषण दे रहे हैं। वहीं कुछ मुस्लिम नेताओं ने इस विवाद को शांति से खत्म करने की कोशिश और गोकशी पर कानून बनाने के लिए भी सरकार से अपील की है।

    राष्ट्र्रपति प्रणब मुखर्जी,प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से लेकर पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंहऔर कई नेताओं ने इस हत्या की निंदा की है और सहिष्णुता और सौहार्द की मीठी बोली को देश का गौरव बता भाइचारे का संदेश दिया है। पूर्व जस्टिस मार्कण्डेय काटजू सहित साहित्यकारों ने भी अपनी भावना प्रकट की है।

    कई साहित्यकारों ने इस घटना के विरोध में खुद को दिए गए पुरस्कारों को लौटा दिया है। परंतु देश के मीडिया ने इस विवाद को जरूरत से ज्यादा तूल देना शुरु कर दिया हैजो उनकी टीआरपी के लिए सुखद हो सकता है। लेकिन देश के लिए दु:खद बात है। अंतर्राष्ट्रीय मीडिया ने भी इस हत्या की कड़ी निंदा की है और सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर भी इस मुद्दे ने जोर पकड़ा हुआ है। यूपीए-की सरकार ने दंगा निरोधक कानून को साल 2011 में अन्तिम रूप दे दिया था। इस विधेयक के मसौदे के अध्ययन से यह स्पष्ट हुआ कि देश में सांप्रदायिक हिंसा पर नियन्त्रण पाने का एक महत्वपूर्णगंभीर व प्रभावी प्रयास होगा। विधेयक राष्ट्रीय एकता और सांप्रदायिक सौहार्द को मजबूत करने की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा। यह अभी राज्यसभा में लम्बित है। सभी देश और खुद का विकास चाहते हैंलेकिन अफवाहों से खेलते देश का नहींजहां ये नारा दिया जाए-

    “लगाया था जो उसने पेड़ कभी, अब वह फल देने लगा, मुबारक हो हिन्दुस्तान में, अफवाह के नाम पे कत्ल होने लगा”

    अब यह निर्णय देश की जनता के साथ ही लोकतंत्र के भावी नेताओं के लिए भी जरूरी हो गया है- विकास किसकादेश या सांप्रदायिकता का?

    लेखक: वैशाली पाराशर