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  • मैं मुलायम सिंह यादव – चरखा दांव के खिलाडी की मूवी का टीजर लांच

    मैं मुलायम सिंह यादव – चरखा दांव के खिलाडी की मूवी का टीजर लांच

    जिन्दा कौमें पांच साल तक इन्तजार नहीं करतीं ” मुलायम सिंह यादव के गुरु डॉ. राम मनोहर लोहिया का यह वाक्य उनका जीवन मंत्र बन गया.

    इस मूल मन्त्र के चलते मुलायम सिंह देश के सबसे बड़े राजनीतिक नेताओं में से एक बने.

    मुलायम सिंह यादव, इटावा जिले के एक छोटे से गाँव सैफई में एक किसान के घर पैदा हुए और देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश के सर्वोच्च नेता बनने के लिए मुश्किल परिस्थियों को कैसे अपने अनुकूल बनाया। एक बहुत ही गरीब पृष्ठभूमि से होने के कारण उनके पिता चाहते थे कि वह एक पहलवान बनें, लेकिन उन्हें कुछ बड़ा ही करना था।

    कुश्ती प्रतियोगिता में एक स्थानीय राजनीतिक नेता नाथूराम की नजर इस युवा लड़के पर पड़ी जब उसने अपने से आकर में दोगुने शरीर वाले पहलवानों को पटक दिया.

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    नाथूराम ने इस मजबूत इरादों वाले लड़के को देखा और उसे राजनीति में प्रवेश करने का पहला मौका दिया। नाथूराम ने करहल में एक अंग्रेजी शिक्षक के रूप में नौकरी करने में भी उनकी मदद की लेकिन उनका मुख्य ध्यान राजनीति ही रहा।

    यह उसकी किस्मत है कि उस समय के देश के सबसे प्रभावशाली नेताओं में से एक डॉ. राम मनोहर लोहिया का उन्हें साथ मिला. किसानो, अल्पसंख्यकों और अन्य सामाजिक न्याय के मुद्दों की समानता के प्रति लोहिया के दृढ़ विश्वास ने मुलायम सिंह यादव को काफी प्रभावित किया.

    जिन्होंने उनके बाद के राजनीतिक कैरियर को एक दिशा प्रदान की. लोहिया के जीवन में आने के बाद भारत के पूर्व प्रधान मंत्री चौधरी चरण सिंह, जिनसे उन्होंने राजनीति की बारीकियां सीखीं

    और इसके बाद धीरे – धीरे मुलायम सिंह यादव यूपी की राजनीति में एक बड़ा नाम बन गए, वे चौधरी चरण सिंह के राजनीतिक उत्तराधिकारी भी माने जाते थे. नाथूराम, राम मनोहर लोहिया और चौधरी चरण सिंह 3 ऐसे स्तंभ थे जिन्होंने मुलायम सिंह यादव के राजनीतिक जीवन को तैयार किया और उन्हें आकार दिया.

    एक प्राथमिक विद्यालय में एक अंग्रेजी शिक्षक से लेकर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री तक, यह एक ऐसे व्यक्ति की यात्रा है जो आपातकाल के समय 19 महीने तक जेल में रहा था. यह एक ऐसे व्यक्ति की कहानी है जिसे उस दिन गोली मार दी गई थी जब उसने अपना पहला चुनाव जीता था.

    यह एक ऐसे व्यक्ति की कहानी है जिसने कुश्ती और दिग्गजों के बीच अपना रास्ता खुद बनाया. मुलायम सिंह यादव ने अपने पहलवानी के “चरखा दांव” जब राजनीति में चलाये तो अच्छे – अच्छे राजनीतिज्ञ धराशाही हो गए.

    जब पूंजीवाद और नौकरशाही राजनीति के मुख्य स्तंभ थे, तो उन्होंने आकर राजनितिक परिदृश्य बदला. उन्होंने गरीब पिछड़ों और किसानो की राजनीति शुरू की, और विकास की सड़के और पुलों से गाँवों को जोड़ दिया. यहीं से उन्होंने बड़े राजनीतिक दलों और बड़े नामों के खेल को बदल दिया.

    आलोचनाओं से परे यह एक गरीब किसान पुत्र की प्रेरक कहानी है जो राज्य ही नहीं बल्कि देश के सर्वोच्च नेताओं में शुमार हो गया.

    https://www.youtube.com/watch?v=ElNlKVmnTG0