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  • चलो पकौड़ा बेचा जाए

    चलो पकौड़ा बेचा जाए

    आजकल पकौड़े की बड़ी धूम है. पकौड़ा बेचना कम से कम बेरोजगारी से तो अच्छा ही है. वैसे भी खाना खिलाना पुण्य का काम है. कमाई में भी ठीक ठाक है. पढ़ लिखकर बेरोजगारी से बिना पढ़े कम इन्वेस्टमेंट में अच्छी कमाई कर सकते हैं.

    मोदीजी के इस बयान के बहुत बड़े मायने हैं. एक तो बेरोजगारी की समस्या से मुक्ति, लोगों की भूख मिटेगी, लोग दूसरों की नौकरी करने के बजाय अपना रोजगार खड़ा कर सकेंगे.

    मोदीजी चाय बेचकर प्रधानमंत्री बन सकते हैं तो हो सकता है कोई पकोड़ा बेचने वाला सांसद विधायक बन जाए. इसलिए चाय नहीं तो पकोड़ा तो बेच ही सकते हैं.

    दुनिया ऐसे उदाहरणों से भरी पड़ी है जिसमे चाय पकोड़े, पूड़ी सब्जी, नमकीन और मिठाइयां बेचने वाले लोगों का सैकड़ों करोड़ का बिजनेस है.

    MDH वाले दद्दा को कौन नहीं जानता, इनकी शुरुआत ऐसे ही छोटी सी दूकान से हुई. निरमा पाउडर वाले करसन भाई कभी साइकिल पर अपना पाउडर बेचते थे. हल्दीराम की कभी छोटी सी मिठाई और नमकीन की दूकान थी.

    लेकिन लेकिन लेकिन….

    जब मैं अपने गाँव और कसबे के चाट- पकौड़े वालों, समोसे वालों और चाय बेचने वालों को देखता हूँ तो लगता है पूरे जीवन में उन्होंने कभी नए कपडे नहीं पहने होंगे. और ये सच भी है, पकौड़े बेचकर जैसे तैसे घर का खर्चा चलता है, बच्चे सरकारी प्राइमरी स्कूलों में पढ़ते हैं जहां ने फीस का झंझट और न ही किताबों का (सब कुछ सरकार देती है), साथ ही पढाई का भी ज्यादा झंझट नहीं क्यूंकि सुबह सुबह बच्चे और घर की औरतें पकौड़े बनाने का सामान तैयार करते हैं.

    फिर इसके बाद भी पुलिस वाले, कमेटी, नगर पालिका वाले और लोकल के गुंडे मवाली या तो फ्री में खा जाते हैं या फिर जो कुछ कमाया उसमे से अपना हिस्सा मांगने आ पहुँचते हैं.

    खैर जो भी हो हमारे नेता ने कहा है तो अच्छे के लिए ही कहा होगा.

    लगे हाथ व्हाट्सएप्प पर वायरल ये कविता भी पढ़ लीजिये:

    चलौ पकौड़ा बेंचा जाय

    चलौ पकौड़ा बेंचा जाय ।

    पढै लिखै कै कौन जरूरत

    रोजगार कै सुन्दर सूरत

    दुइ सौ रोज कमावा जाय ।

    दिन भर मौज मनावा जाय

    कुछौ नही अब सोंचा जाय

    चलौ पकौड़ा बेंचा जाय ।।

       लिखब पढब कै एसी तैसी

       छोलबै घास चरऊबै भैसी

       फीस फास कै संकट नाही

       इस्कूलन कै झंझट नाही

       कोऊ कहूँ न गेंछा जाय

       चलौ पकौड़ा बेंचा जाय ।।

    चाय बेंचि कै पीएम बनिहौ

    पक्का भवा न डीएम बनिहौ

    अनपढ रहिहौ मजे मा रहिहौ

    ठेलिया लइकै घर घर घुमिहौ

    नीक उपाय है सोंचा जाय

    चलौ पकौड़ा बेंचा जाय ।।

         रोजगार कै नया तरीका

         कितना सुंदर भव्य सलीका

         का मतलब है डिगरी डिगरा

         फर्जिन है युह सारा रगरा

         काहे मूड़ खपावा जाय

         चलौ पकौड़ा बेंचा जाय ।।

    मन कै बात सुना खुब भैवा

    उनकै बात गुना खुब भैवा

    आजै सच्ची राह देखाइन

    रोजगार कै अर्थ बताइन

    ठेला आऊ लगवा जाय

    चलौ पकौड़ा बेंचा जाय ।।

    Image Source: https://thewire.in

    Poem Source: Whatsapp