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  • कैलास मानसरोवर के इन 7 रहस्यों को कोई जान नहीं पाया, कौन बजाता है यहां मृदंग

    कैलास मानसरोवर के इन 7 रहस्यों को कोई जान नहीं पाया, कौन बजाता है यहां मृदंग

    दुनिया के सबसे ऊंचे शिवधाम कैलास मानसरोवर (Kailash Mansarovar) की यात्रा इन दिनों कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी कर रहे हैं और इन्होंने अपनी इस यात्रा को लेकर ट्वीट किया है और बताया है कि कैलास आने का सौभाग्य उसे ही मिलता है जिसे कैलास बुलाते हैं। राहुल गांधी ने यहां स्थित मानसरोवर झील के बारे में लिखा है कि; मानसरोवर झील का पानी बेहद शांत, स्थिर और कोमल है। यह झील सबकुछ देती है और कुछ नहीं लेती। इसे कोई भी ग्रहण कर सकता है। यहां कोई घृणा नहीं है। इसलिए भारत में इस जल को पूजा जाता है। आइए जानें पुराणों में कैलास मानसरोवर झील के बारे में क्या कहा गया है और क्यों लोग जान जोखिम में डालकर यहां यात्रा करने आते हैं।

    Kailash Mansarovar Yatra

    पर्वतारोहियों ने दुनिया की सबसे ऊंची छोटी, माउन्ट एवरेस्ट को फतह कर लिया लेकिन आज तक कोई भी पर्वतारोही कैलाश पर्वत पर नहीं चढ़ सका है। ऐसी बहुत सी अनोखी बाते हैं कैलाश के बारे में:

     

    मृदंग की आती है आवाजें:

    Kailash Mansarovar Yatra

    कहा जाता है कि गर्मी के दिनों में जब मानसरोवर की बर्फ पिघलती है तो एक प्रकार की आवाज लगातार सुनाई देती है। श्रद्धालुओं का मानना है कि यह आवाज मृदंग की ध्वनि जैसी होती है। मान्यता यह भी है कि कोई व्यक्ति मानसरोवर में एक बार डुबकी लगा ले तो वह ‘रुद्रलोक’ को प्राप्त होता है।

     

    शक्तिपीठ के होते हैं दर्शन:

    Kailash Mansarovar Yatra

    इस स्थान की गिनती देवी के 51 शक्ति पीठों में भी होती है। माना जाता है कि देवी सती का दांया हाथ इसी स्थान पर गिरा था, जिससे यह झील तैयार हुई। इसलिए यहां एक पाषाण शिला को उसका रूप मानकर पूजा जाता है।

    Kailash Mansarovar Yatra

    ॐ की आवाज देती है सुनाई:

     

    मान्यता है कि मानसरोवर झील और राक्षस झील, ये दोनों झीलें सौर और चंद्र बल को प्रदर्शित करती हैं, जिसका संबंध सकारात्मक और नकारात्मक ऊर्जा से है। जब आप इन्हें दक्षिण की तरफ से देखेंगे तो एक स्वास्तिक चिह्न बना हुआ दिखेगा। इस अलौकिक जगह पर प्रकाश तरंगों और ध्वनि तरंगों का समागम होता है, जो ‘ॐ’ जैसा सुनाई देता है।

    Kailash Mansarovar Yatra

    इसे महसूस कर सकते हैं:

     

    आपमानसरोवर में बहुत-सी खास बातें आपके आसपास होती रहती हैं, जिन्हें आप केवल महसूस कर सकते हैं। झील लगभग 320 किलोमीटर के क्षेत्र में फैली हुई है। इस झील के आस-पास सुबह के 2:30 से 3:45 बजे के बीच कई तरह की अलौकिक क्रियाओं को केवल महसूस किया जा सकता है, देखा नहीं जा सकता।

    Kailash Mansarovar Yatra

    गंगा में जाता है इसका पानी:

    Kailash Mansarovar Yatra

    मान्यता है कि इस सरोवर का जल आंतरिक स्रोतों के माध्यम से गंगा और ब्रह्मपुत्र नदी में जाता है। पुराणों के अनुसार, शंकर भगवान द्वारा प्रकट किए गए जल के वेग से जो झील बनी, उसी का नाम मानसरोवर हुआ था।

    Kailash Mansarovar Yatra

    क्षीर सागर से है इसका संबंध:

    Kailash Mansarovar Yatra

    मानसरोवर पहाड़ों से आते हुए रास्ते में एक झील है, पुराणों में इस झील का जिक्र ‘क्षीर सागर’ से किया गया है। क्षीर सागर कैलाश से 40 किमी की दूरी पर है। धार्मिक आस्था है कि विष्णु और माता लक्ष्मी इसी में शेष शैय्या पर विराजते हैं।

     

    Source: https://navbharattimes.indiatimes.com/astro/dharam-karam/religion-and-spiritualism/kailash-mansarovar-start-from-june-8-know-7-interesting-fact-of-mansarovar-yatra-30288/6/