Category: अंतरिक्ष

  • Moon Village: कैसा होगा चांद पर बना इंसानी घरौंदा? तस्वीरों में दिखा आने वाला कल

    Moon Village: कैसा होगा चांद पर बना इंसानी घरौंदा? तस्वीरों में दिखा आने वाला कल

    Moon Village: चांद पर गांव बसाने के लिए यूरोपियन एजेंसी ने तैयारी शुरू कर दी है। ये घर कैसे होंगे, इसकी झलक ताजा तस्वीरों में दिखाई देती है।

    Moon Village

    किसी जमाने में चांद पर दुनिया बसाने के वादे किए जाते थे और आने वाले सालों में यह हकीकत हो सकती है। कम से कम यूरोपियन स्पेस एजेंसी के एक एक्सपर्ट का तो यही दावा है। हाल ही में Moon Village यानी चांद के गांव की तस्वीरें सामने आई हैं और माना जा रहा है कि आने वाले 10 साल में इसका काम शुरू हो सकता है। ESA अडवाइजर एडेन काउली का कहना है कि वहां बसे ढांचों के लिए चांद की मिट्टी का इस्तेमाल भी किया जा सकता है जो उन्हें -190 डिग्री सेल्सियस के तापमान और रेडिएशन से बचाने के काम आ सकती है।

    कैसे दिखेंगे ये ‘घर’?

    Moon Village

    चार तले की सिलिंडर के आकार की इमारतों की तस्वीरों में निचले क्षेत्र को स्टडी एरिया और मंगल पर मिशन भेजने के लिए लॉन्चपैड के तौर पर इस्तेमाल किया जा सकेगा। ESA के डायरेक्टर जनरल जैन वॉर्नर का कहना है कि उनका मकसद चांद पर स्थायी बेस बनाने का है जिसका इस्तेमाल दुनिया के दूसरे देश भी कर सकेंगे। काउली का कहना है कि अब सवाल यह नहीं है कि ‘क्या’ ऐसा हो पाएगा, बल्कि यह है कि ऐसा कब होगा।

    कैसे बनेंगे ये घर?

    Moon Village

    काउली ने कहा है, ‘ऐसा करना होगा क्योंकि अगर हम चांद, मंगल या उससे आगे किसी जगह को एक्सप्लोर करना चाहते हैं, तो हमें इस टेक्नॉलजी को मास्टर करना होगा।’ वह चांद की मिट्टी का इस्तेमाल एक मीटर चौड़ी दीवार बनाने के लिए करना चाहते हैं जिसके अंदर ऐस्ट्रोनॉट रहेंगे। चांद की यह मिट्टी रोबॉट इकट्ठा करेंगे और इसमें कांच जैसे पार्टिकल होते हैं। 3D प्रिंटर से इन्हें ईंटों में बदला जाएगा जिन्हें सूरज में सूखने के लिए रखा जाएगा।

    Moon Village

    NASA की टीम में शामिल राजाचारी

    वहीं, अमेरिका की स्पेस एजेंसी NASA साल 2024 तक एक महिला और एक पुरुष ऐस्ट्रोनॉट को चांद पर भेजने की तैयारी में है। इस Artemis मिशन के साथ चांद पर जाने वाले दूसरे मिशन्स के लिए एजेंसी ने 18 ऐस्ट्रोनॉट्स के नाम का ऐलान किया है। इनमें से एक भारतीय मूल के राजाचारी भी हैं जिनके पिता हैदराबाद से निकलकर अमेरिका में जाकर बस गए। इस टीम में दूसरे देशों के ऐस्ट्रोनॉट भी शामिल किए जाएंगे।

    Raja Chari

    साभार: नवभारत

  • अमेरिकी अंतरिक्षयान का नाम दिवंगत भारतीय-अमेरिकी अंतरिक्षयात्री कल्पना चावला के नाम पर रखा गया

    अमेरिकी अंतरिक्षयान का नाम दिवंगत भारतीय-अमेरिकी अंतरिक्षयात्री कल्पना चावला के नाम पर रखा गया

    अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष केंद्र के लिए उड़ान भरने वाले एक अमेरिकी व्यावसायिक मालवाहक अंतरिक्षयान का नाम नासा की दिवंगत अंतरिक्ष यात्री कल्पना चावला के नाम पर रखा गया है। मानव अंतरिक्षयान में उनके प्रमुख योगदानों के लिए उन्हें यह सम्मान दिया जा रहा है।

    कल्पना चावला (Kalpana Chawla)

    अंतरिक्ष में जाने वाली पहली भारतीय महिला थीं।

    अमेरिकी वैश्विक एरोस्पेस एवं रक्षा प्रौद्योगिकी कंपनी, नॉर्थग्रुप ग्रमैन ने घोषणा की कि इसके अगले अंतरिक्षयान सिग्नेस का नाम मिशन विशेषज्ञ की याद में “एस.एस कल्पना चावला” रखा जाएगा जिनकी 2003 में कोलंबिया में अंतरिक्षयान में सवार रहने के दौरान चालक दल के छह सदस्यों के साथ मौत हो गई थी।

    कंपनी ने बुधवार को ट्वीट किया, “आज हम कल्पना चावला का सम्मान कर रहे हैं जिन्होंने भारतीय मूल की पहली महिला अंतरिक्षयात्री के तौर पर नासा में इतिहास बनाया था। मानव अंतरिक्षयान में उनके योगदान का दीर्घकालिक प्रभाव रहेगा।”

    कंपनी ने अपनी वेबसाइट पर कहा, “नॉर्थरोप ग्रमैन एनजी-14 सिग्नस अंतरिक्षयान का नाम पूर्व अंतरिक्षयात्री कल्पना चावला के नाम पर रख गर्व महसूस कर रहा है। यह कंपनी की परंपरा है कि वह प्रत्येक सिग्नस का नाम उस व्यक्ति के नाम पर रखता है जिसने मानवयुक्त अंतरिक्षयान में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है।”

    इसने कहा, “चावला का चयन इतिहास में उनके प्रमुख स्थान को सम्मानित देने के लिए किया गया है जो अंतरिक्ष में जाने वाली पहली भारतीय महिला थीं।”

    डिस्क्लेमर– यह आर्टिकल PTI न्यूज फीड से सीधे प्रकाशित किया गया है.

  • कार्दाशेव स्केल के अनुसार ब्रह्माण्ड में हम किस लेवल की विकसित सभ्यता पर हैं?

    कार्दाशेव स्केल के अनुसार ब्रह्माण्ड में हम किस लेवल की विकसित सभ्यता पर हैं?

    हम सबने अभी तक मानव सभ्यताओं के बारे में पढ़ा है, जैसे पुरापाषाण युग, नवपाषाण युग, ताम्र पाषाण युग, कांस्य युग और सिंधु घाटी सभ्यता आदि आदि… अब इन सभ्यताओं के विकास के क्रम में बांटा गया है  जैसे वो क्या खाते थे, क्या पहनते थे, कैसे रहते थे आदि.. यही मानव के विकास का क्रम था.. मानव विकास में आज हम आधुनिकतम हैं क्यूंकि हम अपने से पिछली पीढ़ी के मुकाबले बहुत सारी खोज कर चुके हैं, रहने-खाने के नए जुगाड़ ढूंढ चुके हैं. मानव चन्द्रमा पर कदम रख चुके हैं और मंगल ग्रह पर पहुंचने की तैयारी है. मानव निर्मित अंतरिक्ष यान सौर मंडल की परिधि को पार कर ब्रह्माण्ड के रहस्यों को खोजने आगे बढ़ चुका है. मानव ने ऊर्जा प्राप्त करने के नए तरीके ढूंढें जैसे पेट्रोलियम, सौर ऊर्जा,पवन ऊर्जा और परमाणु ऊर्जा. ये है मानव के विकास का क्रम. और भविष्य में मानव और कितना विकास करेगा इसके बारे में बहुत सी परिकल्पनाएं हैं.

    लेकिन अगर हम मानव विकास के क्रम को छोड़ सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड में विकास की बात करें तो….. तो इसके लिए हमारे वैज्ञानिकों ने बहुत सारी रिसर्च की. इसमें से एक रिसर्च है वैज्ञानिक कार्दाशेव की. इन्होने सभ्यता को मापने के लिए एक पैमाना तैयार किया है, आइये जानते हैं कार्दाशेव और उनकी थ्योरी के बारे में.

    क्या है कार्दाशेव पैमाना:

    कार्दाशेव स्केल सभ्यता मापने का पैमाना है जो तकनीकी उन्नति के आधार पर है. सोवियत संघ के अंतरिक्ष वैज्ञानिक कार्दाशेव ने 1964 में यह परिकल्पना पेश की जो ऊर्जा के खपत और उत्पादन के आधार पर है. यह स्केल हाइपोथेटिकल (काल्पनिक, Log) है और ब्रह्माण्ड में ऊर्जा की खपत के आधार हमें यह जानकारी प्रदान करती है की हम किस श्रेणी की सभ्यता में जी रहे हैं.

    सभ्यता के प्रकार:

    Kardashev Scale: Advance Civilization in Universe

    1. ग्रहीय सभ्यता:

    यह प्रथम प्रकार की सभ्यता है जो अपने ग्रह की हर तरह की ऊर्जा का दोहन करने में सक्षम है. ये अपने ग्रह के सम्पूर्ण प्राकृतिक ऊर्जा श्रोतो को कंट्रोल करते हैं जैसे, ज्वालामुखी, भूकंप, तूफ़ान आदि. ये अपने पडोसी तारे/सूर्य से भी कुछ ऊर्जा ग्रहण करने और संग्रह करने में सक्षम हैं.

    Kardashev Scale: Advance Civilization in Universe

    1. अन्तर्ग्रहीय सभ्यता:

    दूसरे प्रकार की यह सभ्यता अपने सूर्य या तारे की सम्पूर्ण ऊर्जा का उपयोग करने में सक्षम है. ये बहुत बड़े स्ट्रक्चर जैसे Dyson Sphere से अपने सूर्य को घेर कर उसकी सम्पूर्ण ऊर्जा उत्सर्जन का उपयोग कर लेते हैं. यह उसी प्रकार है जैसे हम सौर ऊर्जा का कुछ हिस्सा सोलर प्लेट के जरिये उपयोग में लाते हैं. ये अपने सूर्य की फ्यूज़न एनर्जी की निगरानी करते हैं. इस तरह की सभ्यता बहुत सारे ग्रहों का अधिग्रहण करने में सक्षम है. उनके पास ऊर्जा का इतना भण्डार है की इन्हे निकट भविष्य में ऊर्जा की कमी का कोई खतरा नहीं है. बिलकुल वैसे ही जैसे हमारी पृथ्वी पर पेट्रोलियम और कोयले के निकट भविष्य में ख़त्म होने का खतरा मंडरा रहा है और हमें सौर ऊर्जा और पवन ऊर्जा के दोहन करने के लिए नए तरीकों की खोज करने की जरूरत पड़ रही है.

    उदहारण के लिए हॉलीवुड फिल्म “स्टार वार्स, स्टार ट्रेक की सीरीज” और “मास इफ़ेक्ट” देखें.

    Kardashev Scale: Dyson Sphere

    1. अंतरसौरमण्डलीय सभ्यता:

    तीसरे प्रकार की सभ्यता के लोग एक सौरमंडल से दूसरे सौरमंडल अर्थात अपने आकाश गंगा की यात्रा  कर सकने में सक्षम हैं. ये एक तारे से लेकर दूसरे तारे तक ऊर्जा संग्रहीत करते हैं और दूसरे सौरमंडल के ग्रहों पर अपनी कालोनियां बनाते हैं. ये सिर्फ जीव नहीं होते हैं बल्कि साइबोर्ग (आधे जीव और आधे रोबोट) होते हैं जो सभ्यता के मामले में बहुत ही अत्याधुनिक हैं. उनकी तुलना में अभी हम बहुत ही पिछड़े हैं.

    ये साइबोर्ग अपने जैसे साइबोर्ग बना सकते हैं और एक गैलेक्सी में एक ग्रह से दूसरे ग्रह पर कब्ज़ा करके अपनी कालोनियां बढ़ाते हैं.

    Kardashev Scale: Advance Civilization in Universe

    तीसरे प्रकार से भी उन्नत सभ्यता:

    कार्दाशेव के अनुसार चौथे प्रकार की सभ्यता तीसरे प्रकार की सभ्यता से भी बहुत ज्यादा आधुनिक है इसलिए उन्होंने चौथे प्रकार की सभ्यता के बारे में कुछ नहीं बताया. लेकिन कुछ वैज्ञानिकों जैसे, मिशिओ काकू, रोबर्ट जुबरिन और कार्ल सागन ने चौथे प्रकार की सभ्यता को इस स्केल में जोड़ा है जो इस प्रकार हैं.

    Kardashev Scale: Advance Civilization in Universe

    1. अंतर आकाशगंगीय सभ्यता:

    यह अत्यंत ही उन्नत सभ्यता है और यह अपनी आकाशगंगा की सम्पूर्ण ऊर्जा का उपयोग करते हैं. इतने उन्नत प्रकार के जीव हो सकता है किसी बहुत ही बड़े ब्लैक होल में रहते हों और हो सकता है वो स्पेस -टाइम को कंट्रोल कर सकते हों.

    1. इस प्रकार के जीव हमारी सोच से परे हैं. ये बहुत सारी आकाश गंगाओं की सम्पूर्ण ऊर्जा का उपयोग करते हैं और ये इतनी उन्नत सभ्यता के हैं की गैलेक्सी की गति, स्पेस-टाइम आदि को अपने अनुसार प्रभावित कर सकते हैं. इन्हें हम भगवान मान सकते हैं

    हम इस स्केल पर कहाँ हैं:

    इस स्केल पर इतने विकसित सभ्यताएं हैं की उनके आगे हम कहीं नहीं टिकते हैं. अभी हम इस स्केल पर शून्य से भी नीचे हैं. अभी हम अपने सूर्य की पृथ्वी पर आने वाली कुल ऊर्जा का हजारवां हिस्सा भी उपयोग में नहीं ला पा रहे हैं और अभी भी हम पेड़-पौधों और जानवरों की ऊर्जा पर निर्भर हैं. अभी भी हम पृथ्वी के प्राकृतिक ऊर्जा श्रोतों जैसे पेट्रोलियम और कोयले पर निर्भर हैं. हो सकता है अभी हमें प्रथम प्रकार की सभ्यता तक पहुंचने में 100 से 200 साल तक का समय लग जाए ये फिर इससे भी ज्यादा.

  • 10 ग्रह जहां जाने से पहले आपकी रूह काँप जायेगी

    10 ग्रह जहां जाने से पहले आपकी रूह काँप जायेगी

    अनंत अंतरिक्ष की गहराइयों को जानने की उत्सुकता हर किसी की रहती है. इसके रहस्यों की कई कहानियां आपने पढ़ी और सुनी होंगी. हमारी पृथ्वी से बाहर क्या क्या हो रहा है, जब हमें पता लगता है तो उसे जानने के बारे हमारा मन बेचैन हो उठता है. पृथ्वी के बाहर जीवन है या नहीं, या पृथ्वी जैसे दूसरे ग्रह तक जाने में कितना समय लगेगा. हमारी पृथ्वी का एक साल दूसरे ग्रह के कितने दिन के बराबर होता है… आदि. जब समाचारों में पढ़ते हैं की अमुक ग्रह पृथ्वी से 10 या 20 प्रकाश वर्ष की दूरी पर है जहां पानी हो सकता है, तो सोचने पर मजबूर होना पड़ता है की अगर उस ग्रह पर पानी होगा भी तो कितने साल लगेंगे वहाँ तक पहुंचने में.

    अगर हम अपने सौर मंडल (Solar System) की बात करें तो 9 ग्रहों (Planets) के साथ 200 से भी ज्यादा चन्द्रमा और छुद्र ग्रह (Asteroids) हैं. पृथ्वी को छोड़कर अगर किसी और ग्रह की बात करें तो सब पथरीले और खतरनाक ग्रह (Dangerous Planets) हैं जहां पर रहने की बात तो दूर वहाँ जाने के नाम से ही रूह काँप जायेगी.

    चलिए छोड़िये, अंतरिक्ष तो अनंत है, इसके बारे में जितनी बात की जाए वो कम है.

    आइये बात करते हैं 10 ग्रहों के बारे में और वहां के वातावरण के बारे में. सोचिये अगर हम इन ग्रहों पर पहुँच भी जाएँ तो हमारी क्या दशा होगी..

    1. Venus

    dangerous planets

    वीनस को पृथ्वी का जुड़वाँ कहा गया है लेकिन असलियत में यह पृथ्वी जैसा नहीं है. वीनस का वायुमंडल ग्रीनहाऊस गैसों (Greenhouse gas) से भरा है. इन गैसों की वजह से यह ग्रह नरक के सामान है. पृथ्वी का वायुमंडल सूरज की गर्मी को फैलाता है जबकि वीनस में यह बात उलटी हो जाती है. ग्रीनहाऊस गैसों की वजह से यह बहुत ही गर्म हो जाता है. रूस का अंतरिक्ष यान (Satellite) वीनस के वायुमंडल में नहीं झाँक पाया क्यूंकि सूर्य की रौशनी वहां के वायुमंडल में परावर्तित हो जाती है. लेकिन जब वह यान सतह पर पहुंचा तो केवल 127 मिनट तक ही सिग्नल भेज पाया और गर्मी में पिघल गया. एक ख़ास बात और, वीनस का दिन उसके एक साल से भी ज्यादा लम्बा होता है. यह अपनी धुरी पर 243 पृथ्वी के दिन में एक चक्कर लगता है जबकि सूर्य की परिक्रमा करने में इसे 225 पृथ्वी के दिन लगते हैं.

    यहां पर अगर जीवन की बात करें तो आप यहां की जहरीली हवा में न तो सांस ले पाएंगे और अपने खुद के वजन के दबाव में पीस जाएंगे, फिर भी अगर आप बच गए तो इतने तापमान में आप हवा बन जाएंगे या फिर तेज़ाब की बारिश में घुल जाएंगे. या यूँ कहें की वहाँ पर पिज़्ज़ा बनने में 7 सेकंड लगेंगे लेकिन आप 7 सेकंड तक पिज़्ज़ा खाने लायक नहीं होंगे.

    1. CoRoT-7b

    dangerous planets

    दिन के समय इस ग्रह का तापमान पत्थरों को पिघलकर भाप में बदल देता है.वैज्ञानिकों के अनुसार इस ग्रह पर कोई गैस (भाप, कार्बन डाइऑक्साइड या नाइट्रोजन) नहीं है बल्कि पत्थरों की भाप है. यहां पर बारिश के रूप में पत्थरों की वर्षा होती है जो लावा जैसे गर्म सतह पर गिरती है. अब आप अनुमान लगा सकते हैं की इस ग्रह पर जीवन कैसा होगा.

    1. Pluto

    dangerous planets

    अब प्लूटो को ग्रह की श्रेणी से निकल दिया गया है. यहां का मौसम ठंडा है का मतलब यह नहीं है की सिर्फ बर्फीला है. यहां के मौसम इतना ठंडा है की सभी गैसें जम कर बर्फ बन गयी हैं और यह मौसम यहां के साल भर (पृथ्वी के 248 साल) रहता है. यहां का खुले हुए आसमान से सिर्फ उतनी ही गर्मी मिलती है जितनी की पृथ्वी पर चन्द्रमा से. यहां के -228 डिग्री से -238 डिग्री सेंटीग्रेड के तापमान में आप तुरंत जम जाएंगे.

    1. Jupiter

    dangerous planets

    जुपिटर ग्रह पर पृथ्वी के आकर से भी बड़े बड़े तूफ़ान आते हैं और 400 मील प्रति घंटे की रफ़्तार से हवाएं चलती हैं, जिसकी वजह से जो बिजली चमकती है वो पृथ्वी पर चमकाने वाली बिजली से 100 गुना ज्यादा ऊर्जायुक्त होती है. यहाँ के महासागर द्रव धातुई हाइड्रोजन से बने हैं जो 25000 मील गहरे हैं. पृथ्वी पर जहाँ हाइड्रोजन गैस रंगहीन और पारदर्शी है वहीँ जुपिटर पर बाहरी वातावरण में तो हाइड्रोजन पृथ्वी की तरह ही है लेकिन जैसे आप नीचे जाते है तो ग्रह के भयंकर दबाव की वजह से हाइड्रोजन द्रव धातु के रूप में परिवर्तित हो जाती है जो बिजली और गर्मी की सुचालक होती है. धातु होने की वजह से यह रौशनी को शीशे की तरह परावर्तित करती है. अगर आप इस ग्रह पर जाते हैं तो आप अपने शरीर के दाब से ही पीस जाएंगे या फिर बिजली गिरने से आप की मौत हो सकती है.

    1. WASP-12b

    dangerous planets

    यह ग्रह अब तक खोजै गया सबसे गर्म ग्रह (Hottest Planets Till Now) है. इसका तापमान लगभग 2200 डिग्री सेल्सियस है और यह ग्रह अपने सूर्य की परिक्रमा सबसे नजदीक से करता है. इस वजह से इसकी सतह का ताप हमारे सूर्य के तापमान से सिर्फ आधा है या लावा के तापमान से दोगुना है. यह अपने सूर्य से सिर्फ 3400000 किलोमीटर दूर है और पृथ्वी के एक दिन में ही पूरी परिक्रमा लगा लेता है. अब यहां जाने की तो सोचना ही मत.

    1. Mars

    dangerous planets

    मार्स (मंगल) ग्रह पर धुल भरे तूफ़ान कभी भी बन सकते हैं और कुछ ही दिनों में पूरे ग्रह को धुल भरी आँधियों से ढक लेते हैं. यहां उठने वाले तूफान हमारे सौर मंडल के सबसे बड़े और खतरनाक तूफानों में से हैं. यहां उठने वाले तूफान पृथ्वी के माउन्ट एवेरेस्ट जितने ऊंचे और रफ़्तार 300 किमी प्रति घंटे तक होती है. अब आप समझ सकते हैं की यहां पर जीवन कितना कठिन हो सकता है.

    1. COROT exo-3b

    dangerous planets

    अब तक खोजे जाने वाले ग्रहों में इस ग्रह का घनत्व सबसे ज्यादा है, और यह एक दूसरे तारे की परिक्रमा करता है. यह आकार में तो जुपिटर (बृहस्पति) जितना ही बड़ा है लेकिन इसका द्रव्यमान जुपिटर का 20 गुना है. इसका घनत्व पारे के घनत्व का दोगुना है. इसके घनत्व से आप अंदाजा लगा सकते हैं की इस ग्रह पर घूमना कितना कठिन है क्यूंकि यहाँ पर हमारा वजन पृथ्वी के मुकाबले 50 गुना ज्यादा होगा. मतलब हम अपने शरीर के वजन से दबकर चूर – चूर हो जाएंगे या यु मान लीजिये की आपके सीने पर एक हाथी जितना वजन हो जाएगा.

    1. 51 Pegasi b

    dangerous planets

    इसे बेलेरोफोन नाम से पुकारते हैं. यह गैस का गुब्बारा ज्यादातर हाइड्रोजन और हीलियम से बना है और आकार में पृथ्वी का 150 गुना है.समस्या यह है की यह अपने तारे के ताप से तप रहा है और इसका तापमान लगभग 1000 डिग्री सेल्सियस है. यह हमारी पृथ्वी के मुकाबले अपने सूरज से 100 गुना ज्यादा नजदीक है. इसके वातावरण के तापमान के अंतर के कारण यहां पर 1000 किमी प्रति घंटे की रफ़्तार से हवाएं चलती हैं और इतनी गर्मी की वजह से यहां पानी की भाप भी नहीं है. लेकि यहां बारिश भी होती है वो भी गर्म लोहे की. जैसे पृथ्वी पर पानी भाप बनकर बादल बनाते हैं और बारिश करते हैं वैसे ही यहां पर लोहा भी भाप बनकर बादल बनाते हैं और पिघले लोहे की बारिश करते हैं. अब अगर यहां जाना हो तो एक अच्छा सा छाता लेकर जरूर जाएँ.

    1. Neptune

    dangerous planets

    नेप्चून ग्रह पर हर समय आंधी और तूफ़ान आते रहते हैं. पृत्वी जितने बड़े चक्रवात 1500 मील प्रति घंटे की रफ़्तार से घूमते हैं. आपको ज्ञात हो की यह स्पीड साउंड बैरियर को तोड़ने की स्पीड से भी दोगुनी है. अब आप इतनी तेज हवाओं में भी खड़े हो सके तो अनोखी बात होगी. और अगर खड़े नहीं रह सके तो इन आँधियों में आप पूरे ग्रह पर भटकते रहेंगे.

    लेकिन आश्चर्य की बात यह है की इतने तेज तूफ़ान और चक्रवात उत्पन्न करने के लिए ऊर्जा कहाँ से आती है. जबकि यह ग्रह सूर्य से बहुत ही अधिक दूरी पर है और आतंरिक गर्मी भी बहुत ही कम है.

    1. Carbon Planet

    dangerous planets

    आपको तो पता ही होगा की अपनी पृथ्वी पर ऑक्सीजन की अधिकता और कार्बन का अनुपात बना हुआ है जो जीवन का जरूरी आधार है. जबकि हमारी आकाशगंगा के केंद्र में कार्बन की बहुतायत है जिससे ग्रह बनने की प्रक्रिया पृथ्वी बनने के अनुरूप नहीं है. इन कार्बन ग्रहों पर सुबह का आकाश एकदम साफ़ और नीला होता है. जबकि धरातल पर कच्चे तेल और तारकोल के समुद्र दिखाई देंगे. जबकि बारिश के रूप में आसमान से पेट्रोल और डीज़ल जैसी बरसात होती है. चलो एक अच्छी बात ये है की कार्बन से बने होने की वजह से यहाँ हीरों की भरमार है. अब अगर तारकोल और पेट्रोल में नहाने की इच्छा हो तो यहां जरूर जाइये.

    नोट: यहां दी गयी इमेज और जानकारी पठनीय बनाने हेतु वैज्ञानिक दृष्टिकोण से थोड़ी भिन्न हो सकती है. सटीक जानकारी के लिए आप https://en.wikipedia.org की सहायता ले सकते हैं.

    Img Source: http://listverse.com/2013/05/14/10-terrifying-planets-you-dont-want-to-visit/

    Featured img: http://hdwallpaperfx.com

  • अंतरिक्ष विज्ञानियों को मिले पृथ्वी के 7 भाई बहन, जीवन की संभावना!

    अंतरिक्ष विज्ञानियों को मिले पृथ्वी के 7 भाई बहन, जीवन की संभावना!

    अपनी पृथ्वी से 40 प्रकाश वर्ष दूर पृथ्वी के जैसे ही 7 ग्रह मिले हैं. वैज्ञानिकों को पूरी सम्भावना है की वहां पर जीवन और पृथ्वी जैसा वातावरण हो सकता है.

     

    नासा के खगोल वैज्ञानिकों ने एक छोटे और डूबते हुए तारे के चारो ओर परिक्रमा करते हुए सात ग्रह ढूंढ निकाले हैं. ये ग्रह पृथ्वी से मात्र 40 प्रकाश वर्ष की दूरी पर हैं. नेचर मैगजीन में इसकी जानकारी प्रकाशित की गयी है.

    सम्भावना व्यक्त की गयी है की इन ग्रहों पर पानी और वातावरण हो सकता है, और वहाँ पर जीवन की भी सम्भावना है. ये सारे ग्रह लगभग पृथ्वी के आकर के हैं.

     

    ये एक्सोप्लैनिट्स की संरचना काफी उलझी हुई है और इनकी जमीन पथरीली  होने की सम्भावना है, और इनमे से कुछ ग्रहों पर समुद्र भी हो सकते हैं. ये ग्रह एक मरते हुए छोटे तारे TRAPPIST-1 की परिक्रमा कर रहे हैं.

    यह केवल शुरुआत है और इन ग्रहों की और ज्यादा जानकारी जुटाने में कई दशक भी लग सकते हैं. और अगर वहाँ पर जीवन के प्रमाण मिल भी गए तो हमको वहाँ पहुँचने में कई लाख या हजारों साल लग जाएंगे.

     

    गूगल ने भी इस आज अपने डूडल को स्पेस  की इसी थीम पर बनाया है.

    7 Planets Similar to Earth Found in Space at 40 Light Years Distance

    सबसे ख़ास बात यह है की आज से पहले कभी भी पृथ्वी के आकार के इतने ग्रह एक तारे का चक्कर लगाते हुए नहीं मिले. ये ग्रह गैस के गोले न होकर धातुई चट्टानें के बने हो सकते हैं और कुछ पर समुद्र हो सकते हैं. यहां का तापमान जीवन के अनुकूल माना जा रहा है. अब केवल वहां के वातावरण की जानकारी प्राप्त करनी है जिसमे वहाँ पर कौन कौन सी गैसें हैं तथा ऑक्सीजन अगर है तो कितनी मात्रा में है.

     

    इन ग्रहों पर सूर्य, हमारी पृथ्वी के सूर्य से करीब 10 गुना तक बड़ा दिखाई देगा. इंफ्रारेड की अधिकता की वजह से आँखों की देखने की छमता पृथ्वी से बिलकुल ही अलग होगी तथा वहाँ के रंगों और पृथ्वी के रंगों में भी अंतर हो सकता है.

     

    वैज्ञानिकों ने 1992 से अब तक लगभग 3500 ग्रह खोजे है जो 2600 से अधिक सूर्यों की परिक्रमा करते हैं.

    प्रकाश वर्ष क्या है:

    जिन लोगों ने विज्ञानं का अध्ययन किया होगा उनको प्रकाश वर्ष के बारे में जानकारी होगी. लेकिन यदि आप प्रकाश वर्ष के बारे में नहीं जानते है तो आइये हम आपको बताते हैं.

    7 Planets Similar to Earth Found in Space at 40 Light Years Distance

    प्रकाश वर्ष सुनने में सुनने में समय के सामान लगता है, लेकिन यह बहुत बड़ी दूरियां नापने की यूनिट है.

    1 प्रकाश वर्ष = 1 वर्ष में प्रकाश के द्वारा चली गयी दूरी

    1 सेकंड में प्रकाश द्वारा चली गयी दूरी = 3 लाख किलोमीटर प्रति सेकंड  

     

    अब आप समझ सकते हैं की अगर आप 3 लाख किलोमीटर प्रति सेकंड की स्पीड से चलते हैं तो आपको उन ग्रहों तक पहुँचने में 40 साल लग जाएंगे.

    7 Planets Similar to Earth Found in Space at 40 Light Years Distance

    और पढ़ें:  

    http://navbharattimes.indiatimes.com/nasa-discovers-earthlike-seven-new-plantes-20-major-points/listshow/57305141.cms

    http://edition.cnn.com/2017/02/22/world/new-exoplanets-discovery-nasa/

    https://www.theguardian.com/science/2017/feb/22/thrilling-discovery-of-seven-earth-sized-planets-discovered-orbiting-trappist-1-star

     

    फोटो क्रेडिट:

    http://www.telegraph.co.uk

    http://www.dw.com

    http://www.telegraph.co.uk

  • ISRO ने किया एक रॉकेट से रिकॉर्डतोड़ 104 उपग्रहों का प्रक्षेपण – दुनिया हैरान

    ISRO ने किया एक रॉकेट से रिकॉर्डतोड़ 104 उपग्रहों का प्रक्षेपण – दुनिया हैरान

    भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ISRO ने बुधवार को एक नयी उपलब्धि हासिल करके पूरी दुनिया में तहलका मचा दिया. भारत ने PSLV-C37 रॉकेट के जरिये एक बार में 104 उपग्रह लांच किये और यह संख्या अब तक की सबसे अधिक है. इससे पहले का रिकार्ड रूस के नाम है. रूस ने 2014 में एक राकेट से 37 उपग्रह लांच किये थे. बताते चलें कि इन 104  सैटेलाइट में 96 अमेरिका के थे. इस तरह अमेरिका ने भी भारत कि टेक्नोलॉजी का लोहा मान लिया है. यह सैटेलाइट लांच श्रीहरिकोटा केंद्र से किया गया है.

     

    यह सैटेलाइट लांच 17000 मील प्रति घंटे कि रफ़्तार से किया गया और हर कुछ सेकण्ड्स में उपग्रहों को उनकी कक्षा में स्थापित किया गया. यह मिशन बहुत ही खतरा भरा था क्योंकि इतने सारे उपग्रहों को बहुत तेजी के साथ उनकी कक्षा में स्थापित करना रिस्की था और अगर ये उपग्रह गलत कक्षा में स्थापित हो जाते तो उनके दूसरे उपग्रहों के साथ टकराने की सम्भावना भी हो सकती थी.

     

    Image Source: space.com

  • दुनिया भौचक रह गयी जब भारत ने पहला ‘मेड इन इंडिया’ स्पेस शटल लॉन्च किया

    दुनिया भौचक रह गयी जब भारत ने पहला ‘मेड इन इंडिया’ स्पेस शटल लॉन्च किया

    आज दुनिया उस समय आश्चर्यचकित रह गयी जब भारत ने स्वनिर्मित दोबारा इस्तेमाल हो सकने वाले स्पेस शटल को लांच किया. RLV-TD (रियुजेबल लांच व्हीकल – टेक्नोलॉजी डेमोंस्ट्रेटर) पूरी तरह इसरो द्वारा निर्मित है जिसे आंध्र प्रदेश के श्री हरिकोटा से लांच किया गया है.

     

    यह स्पेश शटल 9 मीटर लम्बा और 11 टन वजनी है, और यह अंतरिक्ष में सैटेलाइट को पहुंचाकर वापस आ सकता है. दोबारा अंतरिक्ष में जा सकने की योग्यता की वजह से सैटेलाइट को ले जाने में खर्च को कम किया जा सकता है जिससे इसरो के पास दूसरे रिसर्च के लिए बजट की कमी नहीं पड़ेगी. इसमें सिर्फ स्पेश शटल का मेंटिनेंस करना पड़ेगा, जबकि दूसरे अमेरिका जैसे बड़े देश इस तरह के दोबारा जा सकने वाले आइडिया को ख़ारिज कर चुके हैं.

     

    यह स्पेस शटल डेल्टा पंखों से युक्त है जो अब तक सबसे नया है. अगर स्पेस शटल की यह टेक्नोलॉजी सफल होती है तो खर्चे को 10 गुना तक कम किया जा सकता है.