Category: धर्म-कर्म

  • अयोध्या: सरयू तट पर बहुत कुछ है देखने को

    अयोध्या: सरयू तट पर बहुत कुछ है देखने को

    यूँ तो सभी स्थानों का अपना महत्त्व है फिर भी कुछ स्थानों की कल्पना मात्र से रोमांच उत्पन्न हो जाता है. कुछ स्थान देखने सुनने, में बहुत छोटे होते हैं, परन्तु श्रद्धा,विश्वास और महत्त्व में उतने ही बड़े. सभ्यता और संस्कृति के संगम ये स्थल सुदूर क्षेत्रों में हैं. परन्तु आमजन की पहुँच उतनी भी दूर नहीं, जितने आसमान के तारे. इन स्थानों के ख्याल मात्र से व्यक्ति कल्पना लोक में पहुँच जाता है. जिस प्रकार कल्पना लोक की छवि अद्वितीय होती है, उसी प्रकार इन पवित्र स्थलों का आध्यात्मिक महात्म्य, सभ्यता और संस्कृति स्वच्छ, निर्मल आध्यात्म, महात्म्य, सभ्यता एवं संस्कृति के अनुपम स्वरुप की दास्ताँ आज भी बयां करते प्रतीत होते हैं. आज़ादी के बाद से राम मंदिर(Ram Mandir Ayodhya) और बाबरी मस्जिद(Babri Masjid) के विवाद की वजह से भी अयोध्या(Ayodhya) चर्चा में रही है. सन 1990 में बाबरी मस्जिद विध्वंश के बाद एक बार फिर विवाद बढ़ गया और चुनावों में भी राम मंदिर की गूँज सुनाई पड़ने लगी.

     

    आज बात करते हैं सरयू(Saryu River) तट के आस पास के कुछ प्रमुख स्थानों के बारे में:

     

    फैजाबाद(Faizabad):

    पूर्वांचल का यह क्षेत्र अवधि भाषा का क्षेत्र है. प्राचीन काल में इसका नाम अवध(Awadh) था, मध्य काल में यह जवानो की नगरी बन गयी थी. इस क्षेत्र का प्रमुख आकर्षण अयोध्या(Ayodhya) तहसील है.

     

    अयोध्या(Ayodhya):

    इक्ष्वाकु सूर्यवंशी राजाओं की राजधानी के रूप में प्रसिद्ध अयोध्या का प्राचीन नाम कौशल था. रामायण(Ramayan) में मनु द्वारा स्थापित अयोध्या में श्री राम(Shri Ram) सर्वाधिक प्रसिद्ध राजा हुए, जो भगवान् विष्णु (Lord Vishnu) के अवतार माने जाते हैं. उत्तर-पूर्व में सरयू तट पर स्थित इस क्षेत्र के दर्शनीय स्थल इस प्रकार हैं:

     

    हनुमान गढ़ी(Hanuman Garhi, Ayodhya):

    नगर के मध्य में स्थित है. किलानुमा भवन में हनुमान जी की प्रतिमा स्थापित है. यहीं पर गुफा में रहकर हनुमान जी रामकोट(RamKot) की रक्षा करते थे.

    Ram Janm Bhoomi

    कनक भवन(Kanak Bhawan, Ayodhya):

    यहाँ का वर्तमान मंदिर 1861 में टीकमगढ़ की महारानी वृषभानुकुँवरि द्वारा बनवाया गया है, इसके गर्भगृह में भगवान् राम(Lord Rama) और सीता(Sita) की स्वर्णजणित मूर्तियां हैं. एक जनश्रुति के अनुसार सीता जी के अयोध्या प्रथम आगमन पर कैकेयी द्वारा यह भवन उन्हें दिया गया था.

     

    राम कोट(Ram Kot, Ayodhya):

    अयोध्या के पश्चिम में स्थित प्राचीन पूजा स्थल एवं विवादित क्षेत्र है. विभिन्न लेखों के अनुसार अयोध्या के एक सिरे पर राम कोट और दूसरे पर सरयू नदी थी. राम कोट के 20 द्वार बताये गए हैं. मुख्य द्वार पर हनुमान जी का पहरा रहता था.

     

    राम जन्म भूमि(Ram Janmbhoomi, Ayodhya):

    राजा विक्रमादित्य द्वारा खोजा गया वह पवित्र स्थल जहां विद्धमान बाल-रूप श्री राम चंद्र जी के दर्शन हेतु सम्पूर्ण विश्व से श्रद्धालु आते हैं.

    Sita Ram

    मणि पर्वत(Mani Parvat, Ayodhya):

    यह 65 फ़ीट की ऊंचाई का है. हनुमान जी द्वारा संजीवनी बूटी(Sanjeevni Booti) ले जाते समय हिमालय से टूटकर गिरा हुआ खंड है, ऐसा माना जाता है.

     

    बाल्मीकि भवन(Balmiki Bhawan, Ayodhya):

    इस भवन की दीवारों पर सम्पूर्ण रामायण के श्लोक उत्कीर्ण हैं.

     

    नागेश्वर नाथ मंदिर(Nageshwar Nath Mandir, Ayodhya):

    कुश द्वारा बनवाया गया यह मंदिर अयोध्या का मुख्य आराधना स्थल है. एक कथा के अनुसार स्नान करते हुए कुश का बाजूबंद खो गया था, जो एक नागकन्या को मिला, शिव भक्त नागकन्या द्वारा वापस प्राप्त होने पर वहां पर भगवान् शिव के मंदिर का निर्माण कराया गया.

    Shri Ram

    स्वर्ग द्वार(Swarg Dwar, Ayodhya):

    सहस्रधारा से नागेश्वरनाथ मंदिर तक का भू-भाग स्वर्गद्वार के नाम से जाना जाता है.

     

    त्रेता के ठाकुर(Treta ke Thakur or Kaleram Temple, Ayodhya):

    यह मंदिर श्री राम द्वारा किये गए अष्वमेघ यज्ञ के स्थल पर बना है. किले पाषाण से निर्मित मूर्तियां सरयू नदी से खोजकर स्थापित की गयी हैं. इसे कालेराम का मंदिर भी कहते हैं.

     

    तुलसी स्मारक भवन(Tulsi Smarak Bhawan, Ayodhya):

    तुलसीदास की स्मृति में बना यह भवन, रंगमहल, कौशल्य भवन, क्षीरेश्वरनाथ, तुलसी चौरा, सीता रसोई, रत्न सिंहासन आदि का संगम है.

     

    जैन मंदिर(Jain Mandir, Ayodhya):

    जैनियों के पांच तीर्थंकरों की जन्मस्थली है. केसरी सिंह ने 1781 में आदिनाथ का मंदिर, अनंतनाथ का मंदिर, सुमंतनाथ का मंदिर, दिगंबर अखाडा, बड़ी एवं छोटी छावनी, क्रमशः स्वर्गद्वार, गोलाघाट, रामकोट एवं सतसागर के निकट बनवाया था.

     

    सरयू के घाट(Saryu River Ghat, Ayodhya):

    सरयू तट पर राम की पैड़ी(Ram ki Paidi), नया घाट, जानकी घाट(Janki Ghat) एवं बालममिकी घाट(Balmiki Ghat) प्रमुख स्नान घाट हैं.

     

    कुंड:

    सीता कुंड, विभीषण कुंड, सूरज कुंड, ब्रह्म कुंड तथा दन्त धवन कुंड प्रमुख हैं.

    https://youtu.be/mtibajvoPV4

    टीला:

    सुग्रीव टीला, अंगद टीला, नल-नील तथा कुबेर टीला अयोध्या के मुख्य स्थल हैं.

     

    गुप्तार घाट(Guptar Ghat, Ayodhya):

    सरयू तट का वह प्रसिद्ध घाट जहां पर श्रीराम अपने भाइयों के साथ जल समाधि में लीन हो गए थे.

     

    भरत कुंड(Bharat Kund, Ayodhya):

    अयोध्या के दक्षिण में बसा भरत की तपोस्थली एवं गुफा है. इसे नंदीग्राम(Nandigram, Ayodhya) भी कहते हैं.

     

    विल्वहरी घाट(Vilvhari Ghat, Ayodhya):

    अयोध्या से पूर्व में 8 किमी दूर मुंदडीह गाँव में दशरथ का समाधि स्थल है.

     

    श्रृंगी ऋषि आश्रम(Shringi Rishi Aashram, Ayodhya):

    सरयू किनारे पर बसे इस स्थल पर श्रृंगी मुनि ने राजा दशरथ के लिए पुत्रकामेष्टि यज्ञ का आयोजन किया था.

     

    सूरजकुंड(Surajkund, Ayodhya):

    सूर्यवंशी राजाओं द्वारा सूर्य देवता को श्रद्धांजलि  के रूप में बनवाया था. यह अयोध्या से 3 किमी दूर है.

     

    सी.एम.पी. मंदिर(CMP Temple, Ayodhya):

    फ़ैजाबाद छावनी(Faizabad Cant) में स्थित इस मंदिर में सीता-राम तथा अन्य देवी देवताओं की स्वर्ण जड़ित मूर्तियां हैं.

     

    बहु बेगम का मकबरा(Bahu Beghum ka Makbara, Ayodhya):

    नवाब शुजाउद्दौला की पत्नी के स्मरण में 1816 में यह प्रसिद्ध मकबरा बना.

     

    गुलाबबाड़ी(Gulab Bari, Ayodhya):

    यह मकबरा शुजाउद्दौला की स्मृति में 1775 में बनवाया गया. इस स्मारक में उसके पिता सफदरजंग तथा मान मोती महल की भी कब्रें हैं.

     

    अफीम कोठी(Afim Kothi, Ayodhya):

    यह प्रसिद्ध भवन धरा रोड पर स्थित है. यह भवन शुजाउद्दौला की पत्नी का निवास स्थान था. यहां पर अब नारकोटिक्स विभाग का कार्यालय है.

     

    चौक त्रिपोलिया(Chowk Tripoliya, Ayodhya):

    सफदरजंग द्वारा 1756 में बनवाया गया. वर्तमान में यहां वृहद् द्वारा का निर्माण कराया गया है.

    https://youtu.be/ZeAbCsI4Mkk

    साभार: सौरभ सिंह

    Images: http://indiatoday.intoday.in

      http://www.keyword-suggestions.com

      http://freelargeimages.blogspot.in

      http://festivalsdaywallpapers.com

  • राधा कृष्ण की धरती के बारे में कुछ अनजानी बातें – गोवर्धन परिक्रमा

    राधा कृष्ण की धरती के बारे में कुछ अनजानी बातें – गोवर्धन परिक्रमा

    गोवर्धन पर्वत का हिन्दू धर्म में बहुत ही अधिक महत्त्व है. इसकी परिक्रमा करने से सभी मुरादें पूरी हो जाती हैं. 21 किलोमीटर की गोवर्धन परिक्रमा (Govardhan Parikrama) को लोग नंगे पाँव पूरा करते हैं तो कुछ लोग लोट – लोट कर इसकी परिक्रमा लगाते हैं. यहां परिक्रमा लगाने का कोई नियत समय नहीं है. लोग साल के 365 दिन यहां परिक्रमा लगाते हैं लेकिन हर महीने की पूर्णमासी को यहाँ बेशुमार भीड़ होती है.

    Govardhan Mathura Parikrama
    Govardhan Mathura Parikrama

    कहा जाता है की गोवर्धन पर्वत (Govardhan Parvat) तिल तिल करके घट रहा है. पांच हजार साल पहले यह पर्वत 30 हजार मीटर ऊंचा हुआ करता था लेकिन अब इसकी ऊँचाई केवल 30 मीटर ही रह गयी है.

    Govardhan Mathura Parikrama
    Govardhan Mathura Parikrama

    यहां आने वाले लोग गिरिराज जी (Giriraj Ji) के मंदिर में साक्षी गोपाल जी के दर्शन करके अपनी यात्रा शुरू करते हैं.

    Govardhan Mathura Parikrama
    Jai Gurudev Temple Mathura

    श्रीराधा-गोविंद मंदिर (Shri Radha Govind Mandir): इस मंदिर का निर्माण श्रीकृष्ण जी के पोते ने करवाया था. यहीं पर गोविन्द कुंड भी है.

    चूतड़ टेका (Chutar Teka):

    Govardhan Mathura Parikrama
    Govardhan Mathura Parikrama

    परिक्रमा मार्ग पर अनेकों कुंड हैं जहां पर श्री कृष्ण (Shri Krishna) ने लीलाएं की थी. राधा कुंड (Radha Kund), श्याम कुंड (Shyam Kund), मानसी गंगा (Mansi Ganga) और कुसुम सरोवर (Kusum Sarovar) आदि मुख्य कुंड हैं.

    Govardhan Mathura Parikrama
    Govardhan Mathura Parikrama

    राधा कुंड: इस कुंड को राधारानी ने अपने कंगन से खोदकर बनाया था. इस कुंड में स्नान करने से गौहत्या का पाप धुल जाता है.

    Govardhan Mathura Parikrama
    Govardhan Mathura Parikrama

    श्याम कुंड: कहा जाता है श्रीकृष्ण ने गौहत्या का पाप दोने के लिए अपनी छड़ी से यह कुंड बनाया था.

    Govardhan Mathura Parikrama
    Govardhan Mathura Parikrama

    श्रीकृष्ण पर गौहत्या का पाप: श्रीकृष्ण को मारने के लिए कंस ने अरिष्ठासुर नाम के एक असुर को भेजा था. उस समय बाल कृष्ण गाय चराने गए हुए थे तो उस असुर ने बैल का रूप धरके गायों के झुण्ड में शामिल हो गया. लेकिन श्रीकृष्ण ने उसे पहचान लिया और उसका वध कर दिया. लेकिन वह असुर चूँकि बैल के रूप में था तो श्रीकृष्ण पर गौहत्या का पाप लगा. इसके बाद श्रीकृष्ण राधारानी से मिले और उनको छू लिया. तो राधारानी भी इस पाप की भागिदार हो गयीं.

    Govardhan Mathura Parikrama
    Govardhan Mathura Parikrama

    इस गौहत्या के पाप को दूर करने के लिए राधारानी ने अपने कड़े से राधा कुंड और श्रीकृष्ण ने अपनी छड़ी से श्याम कुंड का निर्माण किया. कहा जाता है इन दोनों कुंड में स्नान करने से सभी तीर्थों का पुण्य मिलता है, क्योंकि इन दोनों कुंड में सभी तीर्थ विराजमान हैं.

    Govardhan Mathura Parikrama
    Govardhan Mathura Parikrama

    मानसी गंगा: पहले इसका विस्तार 6 किलोमीटर में था पर अब यह सिमटकर थोड़ी सी रह गयी है. कहा जाता है गोवर्धन के अभिषेक के लिए इतने गंगाजल को लाने की समस्या के चलते श्रीकृष्ण ने गंगा को ही गोवर्धन पर्वत पर उतार लिया था. इसलिए इसका नाम मानसी गंगा पड़ा.

    Govardhan Mathura Parikrama
    Govardhan Mathura Parikrama

    गोवर्धन पर्वत का निर्माण: क्या आपको पता है की गोवर्धन पर्वत का निर्माण कैसे हुआ? अगर नहीं तो हम आपको बताते हैं.

    Govardhan Mathura Parikrama
    Govardhan Mathura Parikrama

    यह कहानी श्री राम (Shri Ram) के समय की है. जब श्री राम सीता माँ को खोजते हुए समुद्र के किनारे पहुंचे तो वहाँ पर पल बनाने के लिए पत्थरों की जरूरत पड़ी. अतः हनुमान जी द्रोणगिरि पर्वत के पास गए. लेकिन द्रोणगिरि ने अपने वृद्धावस्था के बारे में बताया और अपने पुत्र गिरिराजजी या गोवर्धन पर्वत और रत्नागिरी पर्वत को साथ ले जाने के लिए कहा. हनुमान जी गिरिराज पर्वत को समुद्र के किनारे ले जाने के लिए निकल पड़े लेकिन रास्ते में उन्हें सूचना मिली की निर्माण कार्य पूरा हो गया है और अब पत्थरों की आवश्यकता नहीं है तो श्री हनुमान जी ने गिरिराज जी को गोवर्धन में स्थापित कर दिया.

    Govardhan Mathura Parikrama
    Govardhan Mathura Parikrama

    लेकिन तब गिरिराजजी ने हनुमान से अपनी भगवान् श्रीराम से मिलने की इच्छा के बारे में बताया तो हनुमान जी ने कहा की द्वापर युग में भगवान् श्रीकृष्ण के रूप में आकर उनसे मिलेंगे.

    Govardhan Mathura Parikrama
    Govardhan Mathura Parikrama

    चूतड़ टेका (Chutad Teka): गिरिराजजी को गोवर्धन में स्थापित करने के बाद हनुमान जी ने यहीं पर आराम किया था तो इस स्थान का नाम चूतड़ टेका पड गया. लेकिन एक और कथा के अनुसार जब श्रीकृष्ण ने इंद्र के क्रोध को गोवर्धन पर्वत उठाकर शांत किया था तो इसके बाद वो चूतड़ टेका पर ही बैठे थे.

    Govardhan Mathura Parikrama
    Govardhan Mathura Parikrama
    Govardhan Mathura Parikrama
    Govardhan Mathura Parikrama
    Govardhan Mathura Parikrama
    Govardhan Mathura Parikrama
    Govardhan Mathura Parikrama
    Govardhan Mathura Parikrama
    Govardhan Mathura Parikrama
    Govardhan Mathura Parikrama

    गूगल मैप में देखें:

  • दुनिया की सबसे खूबसूरत इमारत, इसे नहीं देखा तो कुछ नहीं देखा: नासिर अल मुल्क मस्जिद

    दुनिया की सबसे खूबसूरत इमारत, इसे नहीं देखा तो कुछ नहीं देखा: नासिर अल मुल्क मस्जिद

    आपने आज तक बहुत सारी खूबसूरत इमारतें देखी होंगी, शिल्पकला से परिपूर्ण मंदिर, गुप्त काल की गुफाओं में की गयी नक्काशी या फिर सुन्दर चित्रकारी, लेकिन आपने शायद ही ऐसी कारीगरी देखी होगी. यहां की कारीगरी देखकर आप भी इसके मुरीद हो जाएंगे.

    Beautiful buildings

    दुनिया की बहुत सारी इमारतें बेहतरीन कारीगरी, चित्रकारी और वास्तुशिल्प के लिए के लिए मशहूर हैं. इनमे से ऐसी ही एक इमारत ‘नासिर अल-मुल्क’ मस्जिद है जो बाहर से एक साधारण मस्जिद की तरह ही दिखाई देती है, लेकिन जब उगते सूरज की किरणें इस मस्जिद पर पड़ती हैं तो इसकी खूबसूरती में चार चाँद लग जाते हैं . इसकी खूबसूरती को देखने के लिए दुनिया भर के पर्यटक खिंचे चले आते हैं.

    Beautiful buildings

    इसकी खूबसूरती के नज़ारे को शब्दों में बयां करना मुमकिन ही नहीं है, मस्जिद की भव्यता और खूबसूरती को केवल देख कर ही महसूस किया जा सकता है। यहां पर आकर आपको ऐसा लगेगा जैसे आप किसी और दुनिया (स्वर्ग) में  ही आ गए हों.

    Beautiful buildings

    इस मस्जिद के सामने वाले हिस्से में रंगीन काचों की जड़ाई का काम हुआ है, इसलिए जब उगते हुए सूर्य की किरणें इन काचो से छनकर अंदर मस्जिद के फर्श पर बिछे पर्शियन कालीन पर पड़ती है तो मस्जिद के अंदर रंगों का सागर उमड़ आता है. लेकिन यह नजारा केवल सुबह के समय ही रहता है जब रौशनी मस्जिद के सामने से आती है.

    Beautiful buildings

    इस मस्जिद को ‘गुलाबी मस्जिद’ भी कहा जाता है क्योंकि इस मस्जिद की दीवारों, गुम्बदों, और छतों पर रंगीन चित्रकारी में गुलाबी रंग का कुछ ज्यादा ही उपयोग किया गया है, और यही गुलाबी रंग इसकी खूबसूरती को और बढ़ा देता है.

    Beautiful buildings

    नासिर अल मुल्क मस्जिद ईरान के शिराज प्रांत में है। इस मस्जिद का निर्माण ईरान के शासक ‘मिर्जा हसन अली नासिर अल मुल्क’ ने किया था। मिर्जा यहां के कजर वंश के राजा थे। यह मस्जिद सन् 1876 से 1888 के बीच में बनी थी। मस्जिद का डिज़ाइन मोहम्मद हसन-ए-मिमार और मोहम्मद रज़ा काशी ने बनाया था।

    Beautiful buildings

    गूगल मैप में देखें:

    फोटो साभार: http://www.amazingplaces.com/news/when-sunlight-hits-this-mosque-it-is-just-breathtaking.html, www.thegoldenscope.com