Category: अजब-गजब

  • मर्डर के इस केस को सुनने के बाद जज भी चक्कर में पड़ गए

    मर्डर के इस केस को सुनने के बाद जज भी चक्कर में पड़ गए

    इस केस के बाद जज भी चक्कर खा गया..

     

    एक रेगिस्तान में जहां पानी का नमो-निशान तक नहीं था, दो बन्दों A और B ने अलग-अलग C का मारने का प्लान बनाया.

     

    A ने C के पानी के गिलास में जहर मिला दिया. B ने बाद में आकर गिलास में नीचे छेद कर दिया.

     

    C प्यास से मर गया. अब बताओ C को किसने मारा?

     

    A की दलील थी की जहर का पानी तीसरे ने पिया ही नहीं.

     

    B का कहना है की उसने जहर से बचाने के लिए गिलास में छेद किया.

     

    वो दोनों ही सही हैं,

     

    लेकिन C तो मर गया. दोषी कौन?

  • देखिये कीट – पतंगों की अजब-गजब दुनिया, प्रकृति आपको कैसे मूर्ख बनाती है?

    देखिये कीट – पतंगों की अजब-गजब दुनिया, प्रकृति आपको कैसे मूर्ख बनाती है?

    इस बार हम लाये हैं आपको मूर्ख बनाने वाले जीव जंतु. इन जीव जंतुओं को देखकर आप खुद अचंभित हो जाएंगे की ये किस प्रकार आपको उल्लू बनाने की ताकत रखते हैं.

    दरअसल ये सिर्फ आपको ही उल्लू नहीं बनाते बल्कि ये अपने दुश्मनों को भी उल्लू बनाते है जिससे ये उनसे अपनी जान बचा सकने में कामयाब हो जाते हैं.

    आइये देखते हैं ये लिस्ट:

    क्या ये गुबरैला/भृंग/मोगरी/Beetle/Ladybug है?

    Insects’ Wonderful World

    न न न , ये एक मकड़ी (Spider) है.

    और ये तो जरूर ही एक मकड़ी (Spider) है?

    Insects’ Wonderful World

    अरे भाई इसकी शक्ल पर मत जाओ, ये एक पतंगा (Moth) है.

    अच्छा ये तो बिलकुल ही उल्लू (Owl) लगता है?

    Insects’ Wonderful World

    आप एक बार फिर धोखा खा गए, ये भी एक पतंगा (Moth) है.

    ये जरूर ही किसी चिड़िया की बीट (Poop) है?

    Insects’ Wonderful World

    हे हे! है न आँखों का धोखा, ये एक मकड़ी (Spider) है.

    एक बार फिर किसी पक्षी की बीट (Poop)?

    Insects’ Wonderful World

    न जी, ये तो एक पतंगा (Moth) है.

    ये तो जरूर ही एक बर्र (Wasp) है?

    Insects’ Wonderful World

    ये है एक बद्धहस्त कीट (Mantis). ये कीट देखने में हर समय प्रार्थना करता हुआ लगता है इसलिए इसे बद्धहस्त कीट कहते हैं.

    ये देखने में तो भंवरा (Wasp) लगता है?

    Insects’ Wonderful World

    बिलकुल नहीं, ये एक पतंगा (Moth) है.

    तो फिर ये जरूर ही भंवरा (Bumblebee) है?

    Insects’ Wonderful World

    आँखों का धोखा, ये एक मक्खी (Fly) है.

    ओह! कितना सुन्दर फूल (Flower).

    Insects’ Wonderful World

    एक बार फिर से नजर मार लो इस फूल पर.

    Insects’ Wonderful World

    फिर से एक बार ये बद्धहस्त कीट (Mantis) है.

    हे भगवान्! सांप (Snake)?

    Insects’ Wonderful World

    खा गए न धोखा, ये एक इल्ली (Caterpillar) है.

    ये है एक पौधा (Plant)?

    Insects’ Wonderful World

    नहीं जी, ये तो एक मकड़ी (Spider) है.

    ये जरूर किसी पेड़ के कटे फटे पत्ते (Leaf/Leaves) हैं.

    Insects’ Wonderful World

    अरे भाई, ये बद्धहस्त कीट (Mantis) आपको ही नहीं बल्कि दुश्मनों को भी मूर्ख बनाने में पूर्णतयः कामयाब है. पत्तों के बीच में इसे पहचानना असंभव सा है.

    सूखे पत्ते (Leaf)?

    Insects’ Wonderful World

    बिलकुल नहीं, ये तो एक तितली (Butterfly) है.

    सड़ी हुई लकड़ी लग रही है ये तो..

    Insects’ Wonderful World

    अरे भाई, बद्धहस्त कीट (Mantis) को पहचानना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन भी है.

    ये तो देखने में चींटी (Ant) लग रही है.

    Insects’ Wonderful World

    ये भी आपकी आँखों का धोखा है, दरअसल यह एक टिड्डा (Katydid) है.

    जरा दुबारा इस टिड्डे को देख लो, कहीं पहचानने में भूल न हो जाए.

    Insects’ Wonderful World

    अब पहले ही बता दूँ, ये एक मकड़ी (Spider) है.

    Insects’ Wonderful World

    ये भी एक मकड़ी (Spider) है.

    Insects’ Wonderful World

    बद्धहस्त कीट (Mantis) तो कमाल है.

    Insects’ Wonderful World

    मकड़ी (Spider)?

    Insects’ Wonderful World

    ये तो सुन्दर से पंखों (Wings) के साथ एक मक्खी (Fly) है.

    आया न मजा, जीव जंतुओं की इस विचित्र दुनिया के बारे में अपने सभी साथियों को बताएं और सोशल मीडिया पर शेयर करें.

    Image and Post Source: http://danglingmouse.com/dangling/nature-fools-us/

  • Catch – 22, एक असंभव लेकिन मजाकिया परिस्थिति

    Catch – 22, एक असंभव लेकिन मजाकिया परिस्थिति

    क्या आपने Catch 22 नियम के बारे में सुना है? अगर नहीं तो आइये जानते हैं Catch 22 नियम के बारे में.

    एक ऐसी परिस्थिति जिसका कोई हल नहीं निकलता. इसके नियम इस तरह विरोधाभाषी होते हैं की उनका हल असंभव होता है.

    इसे एक उदहारण से समझते हैं:

    एक लड़के को ट्रैफिक पुलिस वाले ने पकड़ लिया और उससे उसका ड्राइविंग लाइसेंस दिखने को कहा.

    लड़के ने कहा: नहीं है.

    पुलिस: लइसेंस है नहीं या बनवाया ही नहीं?

    लड़का: बनवाया ही नहीं.

    पुलिस: क्यों?

    लड़का: लइसेंस बनवाने तो गया था लेकिन वो वोटर आईडी मांग रहे थे जोकि मेरे पास नहीं थी.

    पुलिस: तो वोटर आईडी बनवा लेनी चाहिए.

    लड़का: वोटर आईडी बनवाने गया था, लेकिन वो राशन कार्ड मांग रहे थे, वो मेरे पास नहीं है.

    पुलिस: तो राशन कार्ड बनवा लो.

    लड़का: राशन कार्ड बनवाने गया था, वो बैंक की पासबुक मांग रहे थे, लेकिन वो भी मेरे पास नहीं है.

    पुलिस: तो इसमें क्या समस्या है, बैंक में अकाउंट खुलवा लो.

    लड़का: बैंक में गया था लेकिन वो ड्राइविंग लइसेंस मांग रहे थे.

    इस उदहारण में कुछ भी गलत नहीं है और इसका कोई भी हल भी नहीं है और यही परिस्थिति Catch – 22 कहलाती है.

    दरअसल Catch – 22 एक उपन्यास है जिसे एक अमेरिकी लेखक जोसफ हेलर ने लिखा था. उन्होंने यह उपन्यास 1953 में लिखना शुरू किया था और 1961 में यह पब्लिश हुआ था. यह उपन्यास बीसवीं सदी के अच्छे उपन्यासों में शामिल है.

    आइये Catch – 22 के कुछ और उदाहरण देखें, ये वास्तविक भी हैं और इन उदाहरणों को पढ़कर आपको हंसी भी आएगी, लेकिन ये गंभीर भी हैं.

    Funny Rule - Catch 22

    1. नौकरी के लिए अनुभव चाहिए

    और

    अनुभव के लिए नौकरी चाहिए.

    है न अद्भुत. अब आप ही बताइये इस परिस्थिति का क्या हल है?

    इस नियम का यही नियम है की अगर नियम मानते हो तो कोई हल नहीं है, और अगर हल निकालने की कोशिश करते हो तो नियम टूट जाता है.

    1. बैंक उसको कभी लोन नहीं देती जिसे इसकी जरूरत है.

    यह एक सजीव उदाहरण है, जब तक आपके पास पैसा है तब तक बैंक वाले लोन और क्रेडिट कार्ड लिए आपके पीछे घूमेंगे, और अगर आपके पास जॉब नहीं है और पैसे की जरूरत है तो न तो आपका लोन अप्रूव होगा और न ही क्रेडिट कार्ड अप्रूव होगा. और अगर पैसे की कमी से कभी लोन या क्रेडिट कार्ड का बिल नहीं भर पाए तो समझ लीजिये बैंक वाले आपसे लोन वसूलने के लिए पीछे ही पड़ जाएंगे.

    अरे भाई अगर पैसे ही होते तो लोन या बिल सही समय पर नहीं चुका देते.

    Funny Rule - Catch 22

    1. इस तीसरे उदहारण में भी कोई गलती नहीं है.

    स्कूल में टीचर छात्र से:-

    टीचर : होम वर्क क्यों नहीं किया ??

    छात्र : सर बिजली नहीं थी।

    टीचर : तो ममोमबत्ती जला लेते।

    छात्र : सर माचिस नहीं थी।

    टीचर : माचिस क्यों नहीं थी?

    छात्र : पूजा घर में रखी थी।

    टीचर : तो वहां से ले आते।

    छात्र : नहाया हुआ नहीं था।

    टीचर : नहाया  क्यों नहीं था ?

    छात्र : पानी नहीं था।

    टीचर : पानी क्यों नहीं था ?

    छात्र : मोटर नहीं चल रही थी।

    टीचर : तो, मोटर क्यों नहीं चल रही थी ?

    छात्र : सर यही तो पहले बताया था की लाइट नहीं थी।

    अब आपको समझ आ गया होगा की ये सिर्फ जोक ही नहीं हैं बल्कि Catch 22 के नियम हैं जो असंभव कंडीशन को फॉलो करते हैं.

    Read More about Catch 22: https://en.wikipedia.org/wiki/Catch-22_(logic)

    https://en.wikipedia.org/wiki/Catch-22

  • पेड़ों से ढकी यह इमारत बनने से पहले ही आकर्षण का केंद्र बनी हुई है

    पेड़ों से ढकी यह इमारत बनने से पहले ही आकर्षण का केंद्र बनी हुई है

    ज्यादातर बनी हुई इमारतें ही लोगो के आकर्षण का केंद्र होती हैं, लेकिन यह अनोखी इमारत बनते हुए भी लोगों के आकर्षण का केंद्र बनी हुई है. यह इमारत चीन के शंघाई शहर में बन रही है और इसकी अनोखी वास्तुकला की वजह से हजारों लोग इसको देखने आ रहे हैं.

    1000 Trees Covered Most Attractive Building

    इस इमारत का नाम ही रखा गया है: 1000 Trees, और इस इमारत की छतों और खम्भों पर पूरे पेड़ उगाये गए हैं जिसकी वजह से यह पूरी इमारत हरी-भरी दिखाई देती है.

    यह बिल्डिंग शंघाई के प्रसिद्ध M50 आर्ट एन्क्लेव के पास बन रही है और इसका काम अपने अंतिम चरण में है. यह बिल्डिंग 15 एकड़ में बनाई जा रही है. इसमें खम्भों को छुपाने के बजाये इन्हें छत पर निकाल कर उसके ऊपर पेड़ लगाए गए हैं.

    1000 Trees Covered Most Attractive Building

    इस इमारत को घर, ऑफिस, होटल और स्कूल के रूप में यूज किया जाएगा.
    16 मंजिला यह इमारत 50 मीटर ऊंची है और इसे अगले वर्ष तक आम जनता के लिए खोल दिया जाएगा.

    1000 Trees Covered Most Attractive Building

    Source & Image Credits:

    https://www.lonelyplanet.com/news/2017/08/18/china-shanghai-1000-trees-complex-m50-art-enclave/

  • बच्चे जिन्हें जंगली जानवरों ने पाला-पोसा

    बच्चे जिन्हें जंगली जानवरों ने पाला-पोसा

    जंगल बुक तो आप सभी ने देखी ही होगी. और “जंगल-जंगल पता चला है, बात चली है. चड्डी पहन कर फूल खिला है……” ये गाना अभी तक लोगों की जुबान पर है.

     

    यह फिल्म एक मोगली नाम के बच्चे पर बनी थी जिसे जंगली भेड़ियों ने पाल पोस कर बड़ा किया था. मोगली भेड़ियों के साथ रह कर भेड़ियों की तरह ही व्यवहार करता था.

     

    लेकिन यह सिर्फ कहानी नहीं है बल्कि हकीकत में मोगली जैसे इंसान हुए हैं जिन्हें जंगली जानवरो ने पाला पोसा और वे उन जानवरों की तरह ही हरकत करते थे. ये वो बच्चे थे जो बचपन में ही जंगल में खो गए थे या फिर उन्हें जंगली जानवर उठा कर ले गए थे, और उन्हें जंगली जानवरों ने मारकर खाने के बजाय पाला पोसा.

     

    आइये जानते हैं उन इंसानों के बारे में जो जंगली जानवरों के साथ पल कर बड़े हुए…

     

    ओक्साना मलाया, यूक्रेन 1991:

    Feral Children Grown Up with Wild Animals

    फ़ुलर्टन बेटन के अनुसार यूक्रेनियन लड़की ओक्साना 1991 में कुत्तों के साथ रहती हुई पायी गयी. वह 8 साल की थी और करीब 6 साल से कुत्तों के साथ रह रही थी. उसके शराबी माता-पिता ने सर्दी की एक रात में उसको घर के बाहर छोड़ दिया. तीन साल की बच्ची कड़कड़ाती ठण्ड में पास बने कुत्तों के घर में पहुँच गयी और कुत्तों के साथ ही रह कर उसकी जान बच सकी. उस घर में वह मोंगरेल नस्ल के कुत्तों के साथ करीब 6 साल तक रही. 1991 में जब उसे खोजै गया तब वह कुत्तों की तरह चार पैरों पर चलती थी, कुत्तों की तरह ही दांत दिखती और उन्हीं की तरह भौंकती थी.

     

    अब ओक्साना डॉक्टरों की देखरेख में है.

     

    साम देव, भारत, 1972:

    Feral Children Grown Up with Wild Animals

    फ़ुलर्टन बेटन के अनुसार ये कहानियां टार्ज़न की तरह नहीं होती हैं. बच्चों को खाने के लिए जानवरों से लड़ना पड़ता है, और जानवरों से अपनी जिंदगी बचाना भी सीखना पड़ता है. उनके पास ऐसे बच्चों के 15 केस हैं. उनके फोटोग्राफ दिखाते हैं की काम उम्र के बच्चे अगर मानवों से दूर होकर जानवरो के बीच जिन्दा बच जाए तो उनका व्यवहार कैसा हो जाता है.

     

    यह कहानी है शामदेव की जो भारत में मुसाफिरखाना के जंगलों में 1972 में पाया गया था और उसकी उम्र केवल चार वर्ष की रही होगी. वह भेड़ियों के बच्चों के साथ खेलता था. उसकी खाल काली, दांत पैने और नाखून लम्बे हो गए थे. वह अपने चारो हाथ और पैरों से कभी पंजों के बल या फिर कुहनी और घुटनों के बल पर चलता था. वह मुर्गों का शिकार करता और खून पीता था, कभी – कभी मिटटी भी खाता था. वह कभी बोलना सीख नहीं पाया लेकिन इशारों को थोड़ा बहुत समझ पाता था. 1985 में मदर टेरेसा के चैरिटी की देखरेख में उसकी मौत हो गयी.

     

    मरीना चैपमैन, कोलम्बिआ, 1959:

    Feral Children Grown Up with Wild Animals

    मरीना का अपहरण दक्षिण अमेरिका के एक गाँव से 5 साल की उम्र में हो गया था और अपहरणकर्ता उसे जंगल में छोड़ कर चले गए थे. वह करीब पांच साल तक कापूचिन बंदरों के साथ रही जहां से उसे शिकारियों ने उसे छुड़ाया. वह बेर, जड़ें और केले खाती और बंदरों की तरह चार पैरों पर चलती थी. वह बंदरों की तरह ही व्यवहार करती और उनकी नक़ल भी करती थी.

     

    मरीना अब यॉर्कशायर में अपने पति और दो बेटियों के साथ रहती हैं. मरीना की कहानी पर लोगों को अब भी भरोसा नहीं होता है.

     

    दीना शनिचर, भारत, 1867:

    Feral Children Grown Up with Wild Animals

    दीना शनिचर का नाम भी उन बच्चों में शामिल है जो जंगली जानवरों के बीच जिन्दा रहे. उसे कुछ शिकारियों ने बुलंदशहर के जंगलों से बचाया था. शिकारी तब अचंभित रह गए जब उन्होंने एक बच्चे को भेड़ियों के साथ उनकी गुफा की ओर भागते देखा. उन्होंने भेडियो को गोली मार दी और बच्चे को बचाकर ले आये. वह अन्य जानवरों की तरह ही चारो पैरों पर चलता और जमीन से सीधे कच्चा मांस खाता था. वह पहनाये गए कपड़ों को फाड़ डालता था और कभी बोलना नहीं सीख पाया. लेकिन वह तंबाकू खाना सीख गया था. उसकी मौत सन 1895 में हुई थी.

     

    तेंदुआ लड़का, भारत, 1912:

    Feral Children Grown Up with Wild Animals

    इसे शिकारियों ने भारत में आसाम की उत्तरी कछार की पहाड़ियों (अब दीमा हसाओ ) से 1912 में खोजा था. इसे मादा तेंदुए उठाकर ले गयी थी. वह अपने चारों पैरों पर तेजी के साथ दौड़ता था. वह अन्य तेंदुओं की तरह हर किसी से लड़ता था जो उसकी तरफ जाने की कोशिश करते थे. इस बच्चे ने बोलना सीख लिया था लेकिन उसकी आँखों की रौशनी एक ऑपरेशन में जाती रही थी.

     

    नग छेदी, भारत, 2012:

    Feral Children Grown Up with Wild Animals

    नग छेदी के केस एकदम ताज़ा है. यह बात मिजोरम के बर्मा (म्यांमार) से लगे हुए बॉर्डर के पास की है जब यह लड़की जब केवल 4 साल की थी तब वह खेलते हुए जंगल में खो गयी थी. 38 साल तक उसका कुछ पता नहीं चला उसके माता पिता ने भी उसको मरा हुआ समझ लिया था. लेकिन कभी कभार जंगलों में एक नंगी लड़की के घूमने की बात आने लगी थी तो अन्य लोग तो इसे एक गप्प समझते थे, लेकिन इसके माँ-बाप को वह अपनी ही लड़की लगती थी. इसलिए उन्होंने खोजबीन फिर शुरू कर दी. लेकिन वह लड़की कभी उनके सामने नहीं पड़ी. लेकिन सन 2012 में लोगों को पता चला की बर्मा में बॉर्डर के पास के गाँव में एक जंगली लड़की पकड़ी गयी है. तब उसके माँ बाप उसे देखने गए और जन्म चिन्हों से उसे पहचान लिया और उसे घर लेकर आये. अब वह 42 साल की है और कुछ शब्द बोलना जानती है और अब वह गाँव में सबके साथ खेलती है.

     

    कमला और अमला, भारत, 1920:

    Feral Children Grown Up with Wild Animals

    ये दोनों लड़कियां भेड़ियों द्वारा पाली गयी थी. ये कच्चा मांस खाती थी, चारो पैरों पर चलती थी और रात में भेड़ियों की तरह चिल्लाती थी. जोसफ अमृतो लाल सिंह ने इन दोनों लड़कियों को बंगाल में एक जंगल के पास के एक गाँव से छुड़ाया था और उसे मिदनापुर के अनाथाश्रम में लेकर आये. अमला जो उनमे से छोटी थी उसकी मौत 1921 में हुई जबकि कमला की मौत 1929 में हुई. कमला ने अमला की मौत के बाद सीधा खड़ा होना और कुछ शब्दों को सीख लिया था.

     

    साभार: Julia Fullerton-Batten

    http://www.bbc.com/culture/story/20151012-feral-the-children-raised-by-wolves

    https://www.scoopwhoop.com/indian-children-raised-by-animals

    http://www.dailymail.co.uk/news/article-2201134/Missing-Indian-girl-disappeared-40-years-ago-returns-home-living-Myanmar-jungle-decades.html

    https://en.wikipedia.org/wiki/Amala_and_Kamala

    http://www.huffingtonpost.in/entry/julia-fullerton-batten-feral-children_us_56098e95e4b0dd85030893a9

    https://www.smashinglists.com/10-feral-human-children-raised-by-animals/

    https://www.theguardian.com/science/2013/apr/13/marina-chapman-monkeys

  • हमारे देश में हुनर की कमी नहीं है, बस सरकारें सहयोग नहीं करती हैं

    हमारे देश में हुनर की कमी नहीं है, बस सरकारें सहयोग नहीं करती हैं

    हुनर की बात करें तो क्या हमारे देश में हुनर की कमी है? हम ओलम्पिक जैसी प्रतियोगिताओं में क्यों पदक के लिए पलकें बिछाये रहते हैं? जबकि होनहार रोजी रोटी के चक्कर में सडकों पर अपना हुनर दिखाने को मजबूर हैं.

    https://www.youtube.com/watch?v=Bfs6ZJIMalw



  • कबाड़ और बेकार पड़े स्मार्टफोन की कीमत जानकार आप रह जाएंगे दंग

    कबाड़ और बेकार पड़े स्मार्टफोन की कीमत जानकार आप रह जाएंगे दंग

    आजकल सभी लोग स्मार्टफोन के दीवाने हैं. जब भी कोई नया स्मार्टफोन मार्केट में आता है तो उसकी खूबियां देखकर सभी का मन उसे खरीदने का होता है.

     

    लेकिन अगर आपका फोन खराब हो गया है तो उसकी कोई कीमत न समझते हुए उसे या तो कबाड़ में फेंक देते हैं या फिर किसी कबाड़ी को दे देते हैं.

     

    लेकिन शायद आप नहीं जानते होंगे की ये बेकार पड़े स्मार्टफोन भी कीमती होते होते हैं. इनकी कीमत के बारे आप सुनेंगे तो दंग रह जाएंगे क्योंकि इन स्मार्टफोन को बनाने में बहुत सारी धातुएं प्रयोग होती हैं. इन फोन को बनाने में सोना, चांदी तो प्रयोग होते ही हैं साथ ही एपल आईफोन बनाने में प्लेटिनम का भी प्रयोग होता है.

     

    अब तो आप समझ ही गए होंगे की आपके बेकार पड़े स्मार्टफोन भी अच्छी खासी कीमत रखते हैं. और इन फ़ोन को रिसायकिल करके इन धातुओं को निकाल लिया जाता है.

     

    आइये जाने कितना क्या निकलता है स्मार्टफोन खराब होने के बाद:

    Value of Your Old and Scrap Smartphones

    अगर10 लाख स्मार्टफोन को रिसायकिल किया जाए तो:

    16 टन ताँबा,

    350 किलो चांदी,

    34 किलो सोना,

    15 किलो पैलेडियम, निकलता है.

     

    एक एपल आईफोन में देखें क्या क्या निकलता है:

    सोना: 0.034 ग्राम,

    चांदी: 0.34 ग्राम,

    पैलेडियम: 0.015 ग्राम,

    प्लेटिनम: 0.001 ग्राम,

    एल्युमिनियम: 25 ग्राम,

    ताँबा: 15 ग्राम.

     

    देखें वर्ष 2014 में इलेक्ट्रॉनिक कबाड़ से कितना पैसा कमाया गया:

    प्लास्टिक: 901 अरब रुपये,

    ताँबा: 776 अरब रुपये,

    सोना: 762 अरब रुपये,

    लोहा और स्टील: 659 अरब रुपये,

    अल्युमिनियम: 234 अरब रुपये,

    पैलेडियम: 132 अरब रुपये,

    चांदी: 44 अरब रुपये,

     

    ये कमाई तब है जबकि केवल 10% स्मार्टफोन रिसायकिल हो रहे हैं.

     

    क्या आप जानते हैं: 2014 में इलेक्ट्रॉनिक कबाड़ से जो सोना निकला था वो दुनिया के कुल सोने के उत्पादन का 11% था.

     

    Source: http://navbharattimes.indiatimes.com/other/infographics/tech/why-mining-mobile-phones-for-precious-metals-makes-sense/articleshow/54933301.cms

  • लॉकहीड SR-71 ब्लैकबर्ड – अमेरिकन एयर फ़ोर्स का यह जहाज आपके दिमाग की बत्ती गुल कर देगा

    लॉकहीड SR-71 ब्लैकबर्ड – अमेरिकन एयर फ़ोर्स का यह जहाज आपके दिमाग की बत्ती गुल कर देगा

    जो जहाज हम आज सपने में देखते हैं, अमेरिकन एयर फ़ोर्स उस जहाज को आज से 17-18 साल पहले रिटायर कर चुका है. अमेरिका इतने विकसित जहाज को सन 1964 में बना चुका था जब हमारे देश के पास अँधेरे में उड़ने वाले जहाज भी नहीं थे. इस जहाज की स्पीड के बारे में सुन कर आपकी आँखें चौड़ी हो जाएंगी. आइये इस जहाज की कुछ खासियतें आपको बताते हैं.

     

    लॉकहीड SR-71 ब्लैकबर्ड नाम है इस जहाज का. यह जहाज अमेरिकी एयर फ़ोर्स में 1964 से 1998 तक रहा. इस तरह के सिर्फ 32 जहाज थे जिनमे 12 एक्सीडेंट में नष्ट हुए थे नोट करने वाली बात ये है की इनमे से एक भी जहाज दुश्मन नष्ट नहीं कर पाया.

    Blackbird Spy Plane of US Air Force

    इस प्लेन को मैक 3 से भी तेज उड़ने के लिए बनाया गया था. यह स्टील्थ टाइप का पहला जहाज था जो राडार को धोखा दे सकता था. इसे डार्क ब्लू या लगभग काले रंग में रंगा गया था ताकि ये रात में भी आसमान में दिखाई न दे, और यही कारण था की इसका नाम ब्लैकबर्ड पड़ा. इसकी खासियत इसकी तेज रफ़्तार और बहुत ही अधिक ऊँचाई पर उड़ना था जिसकी वजह से इसे ट्रैक कर पाना नामुमकिन था.

     

    इसे बनाने में ज्यादातर टाइटेनियम का प्रयोग किया था, इसके शीशे 2 इंच मोटे क़्वार्टज़ के बनाये गए थे. क्योंकि इसकी अत्यधिक स्पीड की वजह से इसकी विंडस्क्रीन का टेम्परेचर 360 डिग्री सेल्सियस तक पहुँच जाता था.

     

    इसके पायलट के लिए स्पेशल मास्क होता था क्योंकि जो मास्क साधारण फाइटर प्लेन के पायलट के लिए  काम में लाये जाते थे वो केवल 13000 मीटर तक ही काम करते है. लेकिन यह प्लेन 24000 मीटर की ऊँचाई पर उड़ता है जहां हवा का प्रेशर और ऑक्सीजन बहुत ही कम हो जाते हैं. इसके लिए आतंरिक दबाव वाले सूट उपयोग में लाये जाते है जिसमे ऑक्सीजन की कमी होने पर ऑनबोर्ड ऑक्सीजन की सप्लाई करके सूट का दबाव नार्मल किया जाता है. इसके पायलट का सूट अंतरिक्ष यात्रियों के लेवल का था.

    Blackbird Spy Plane of US Air Force

    इस प्लेन की पहली फ्लाइट 22 दिसंबर 1964 में हुई थी. इस प्लेन का सर्वाधिक ऊँचाई पर उड़ने का रिकार्ड 25,929.03 मीटर का है जबकि स्पीड के मामले में भी इसका रिकार्ड 3,529.56 किलोमीटर प्रति घंटे(सन 1976) का है.

     

    खासियत:

     

    यह अब तक का दुनिया का सबसे तेज उड़ने वाला प्लेन है.

     

    25 साल के इतिहास में इसपर 4000 मिसाइल छोड़ी गयी लेकिन इसके अत्याधुनिक सिस्टम जो मिसाइल की स्पीड के हिसाब से प्लेन की स्पीड को बढ़ा देता था की वजह से 25 साल में इस जहाज को कोई भी मिसाइल छू तक नहीं पायी है.

     

    इतने तेज स्पीड में उड़ने के बावजूद इसके कॉकपिट में इतनी शांति रहती थी की आप पिन गिरने की आवाज भी सुन सकते थे.

     

    यह दुश्मन के राडार सिग्नल और कम्युनिकेशन सिस्टम को डिस्टर्ब कर सकता था.

     

    इसका नेविगेशन सिस्टम (R2-D2) इतना जबरदस्त था की दोपहर में जमीन पे खड़े हुए भी यह 61 तारों को देख सकता था.

     

    इस जहाज को बनाने के लिए काफी मात्रा में टाइटेनियम की जरूरत थी. लेकिन टाइटेनियम का सबसे बड़ा सप्लायर सोवियत संघ (अब रूस) था जो अमेरिका का सबसे बड़ा दुश्मन भी था. इसलिए CIA ने दुनिया भर में फर्जी कम्पनियाँ बनाकर सोवियत संघ से पर्याप्त मात्रा में टाइटेनियम खरीद लिया. एक तरह से ये सब अवैध और स्मगलिंग की श्रेणी में आता है.

    Blackbird Spy Plane of US Air Force

    इस प्लेन के खड़े होने पर इसका फ्यूल लीक होता रहता था क्योंकि इसे इसी तरह बनाया गया था. लेकिन इस फ्यूल को सीधे आग से भी आग नहीं लगती थी. इसमें सिर्फ उड़ान भरने का ही फ्यूल होता था, टैंक में फ्यूल उड़ान के दौरान ही भरा जाता था क्योंकि खड़े होने पर इसके बॉडी पैनल ठन्डे होने की वजह से ढीले हो जाते थे. इसी वजह से इसका फ्यूल खड़े होने पर लीक होता रहता था.

     

    इस प्लेन का क्रू मेंबर बनने के लिए आपकी उम्र 25-40 के बीच, शादीशुदा और अपने इमोशन पर कंट्रोल होना चाहिए.

     

    इस प्लेन में हवा में ही फ्यूल भरने की सुविधा थी.

     

    इसके टायर भी साधारण नहीं थे. अल्युमिनियम मिक्स टायर भी केवल 20 बार ही लैंड कर सकते थे जबकि स्पीड कम करने के लिए पैराशूट का भी प्रयोग होता था.

     

    पोलाराइड कैमरा के फाउंडर इस जहाज के डिजाइन के इंचार्ज थे. वो इसलिए क्योंकि ब्लैकबर्ड एक जासूसी विमान था और वो फोटोग्राफी के बारे में बहुत कुछ जानते थे.

     

    इस प्लेन की टेस्टिंग रहस्यमयी Area-51 में हुई थी.

     

    यह प्लेन एक घंटे में 20000 किलोग्राम से ज्यादा फ्यूल जला देता था, हर 90 मिनट में इसे दोबारा भरना पड़ता था. लेकिन मैक 2 की स्पीड (सुपरसोनिक स्पीड) के बाद इसकी छमता बढ़ जाती थी. इसके पीछे “रैमजेट इफेक्ट” का नियम था जिसमे सुपरसोनिक स्पीड में हवा और फ्यूल दोनों कंप्रेस हो जाते हैं.

     

    Images and Resources:

    https://en.wikipedia.org/wiki/Lockheed_SR-71_Blackbird

    www.cnn.com

    www.Iliketowastemytime.com

    www.sbnation.com

    https://www.thrillist.com/cars/facts-history-and-trivia-about-the-fastest-plane-in-the-world-the-supersonic-lockheed-martin-sr71-blackbird-spy-plane

    http://sploid.gizmodo.com/rare-photos-of-the-sr-71-blackbird-show-its-amazing-his-1670184930

    http://www.historyinorbit.com/15-fascinating-facts-about-the-sr-71-blackbird-the-fastest-plane-on-earth/

  • बेशकीमती बकरा, इसकी गर्दन पर लिखा है अल्लाह

    बेशकीमती बकरा, इसकी गर्दन पर लिखा है अल्लाह

    शायद आपको इस खबर को पढ़ के यकीन नहीं होगा पर यह कोई वहम या अफवाह नहीं है. इस बकरे के गर्दन के पास आप देखेगे तो उर्दू के शब्दो में मुहम्मद लिखा दिखाई पड़ेगा. इस करिश्माई बकरे का जन्म उत्तर प्रदेश के औरैया जिले में बसे एक छोटे से गांव रखवारिया में हुआ है.

    इस बकरे को देखने के लिए आस पास व दूर दराज से लोग आ रहे हैं. इस बकरे को खरीदने के लिए भी बहुत सारे लोग यहां पहुँच रहे हैं और मुंहमांगी कीमत देने को तैयार हैं.

    इस बकरे के मालिक का कहना है की हमारे घर में अल्लाह ने जन्म लिया है और वो इस बकरे को बेचना नहीं चाहते.

  • इस लडके के करतब देखोगे तो दंग रह जाओगे

    इस लडके के करतब देखोगे तो दंग रह जाओगे

    इस समय यूट्यूब पर इस वीडियो ने धूम मचा रखी है. जो भी इसे देखता है वो अपने दातो तले ऊँगली दबा लेता है.

     

    यकीन मानिये जब आप इसे देखेगे तो आप के भी रौंगटे खड़े हो जायेगे. James Kingston नाम का यह लड़का दुनिया की सबसे ऊचीं इमारतों से सेल्फ़ी लेता है और उसकी चोटी पर खड़ा होकर करतब करता है.

     

    देखिये इन विडियो में:

    https://www.youtube.com/watch?v=oE8uytQ0W10


    https://www.youtube.com/watch?v=UQ8jkZQxyjA