Category: धन की बात

  • कर्जदारों को तोहफा: किस्त भुगतान से राहत नहीं चुनने वालों को भी दो करोड़ तक के कर्ज पर ब्याज लाभ

    कर्जदारों को तोहफा: किस्त भुगतान से राहत नहीं चुनने वालों को भी दो करोड़ तक के कर्ज पर ब्याज लाभ

    नयी दिल्ली, 24 अक्टूबर (भाषा) केंद्र सरकार ने कर्जदारों को बड़ी राहत दी है। उन्हें एक तरह से दिवाली का उपहार तोहफा देते हुए उनके दो करोड़ रुपये तक के कर्ज पर ब्याज-राहत देने की शुक्रवार को देर रात घोषणा की। यह राहत इस सीमा के तहत आने वाले सभी कर्जदारों को मिलेगा, चाहे उन्होंने किस्त भुगतान से छह महीने की मोहलत (मोरेटोरियम) का विकल्प चुना हो या नहीं।

    उच्चतम न्यायालय द्वारा ब्याज राहत लागू करने का निर्देश दिये जाने के बाद वित्त मंत्रालय के वित्तीय सेवा विभाग ने इस योजना को लागू करने संबंधी दिशानिर्देश जारी किए।

    इस निर्णय से सरकारी खजाने पर 6,500 करोड़ रुपये का बोझ पड़ने का अनुमान है।

    शीर्ष अदालत ने 14 अक्टूबर को केंद्र को निर्देश दिया था कि वह कोविड-19 महामारी और लॉकडाउन के मद्देनजर रिजर्व बैंक की किस्तों के भुगतान से छूट की योजना के तहत दो करोड़ रुपये तक के कर्ज पर ब्याज माफ करने के बारे में यथाशीघ्र निर्णय ले।

    न्यायालय ने कहा था कि आम लोगों की दिवाली अब सरकार के हाथों में है।

    मंत्रालय के दिशानिर्देशों के अनुसार विनिर्दिष्ट ऋण खातों पर एक मार्च से 31 अगस्त 2020 की अवधि के लिये ब्याज राहत का लाभ दिया जाएगा। इसमें कहा गया, ‘‘जिन कर्जदारों के ऋण खाते की मंजूर सीमा या कुल बकाया राशि 29 फरवरी तक दो करोड़ रुपये से अधिक नहीं थी, वे इस योजना के लाभ के पात्र होंगे।’’

    दिशानिर्देश की शर्तों के अनुसार, 29 फरवरी तक इन खातों का मानक होना अनिवार्य है। मानक खाता उन खाताओं को कहा जाता है, जिन्हें गैर निष्पादित संपत्ति (एनपीए) नहीं घोषित किया गया हो।

    इस योजना के तहत आवास ऋण, शिक्षा ऋण, क्रेडिट कार्ड का बकाया, वाहन ऋण, एमएसएमई ऋण, टिकाऊ उपभोक्ता उत्पाद ऋण और उपभोग ऋण लेने वाले कर्जदारों को लाभ मिलेगा।

    योजना के तहत, कर्ज देने वाले संस्थानों को योजना की अवधि के लिये पात्र कर्जदारों के संबंधित खातों में संचयी ब्याज व साधारण ब्याज के अंतर की राशि जमा करनी होगी। योजना में कहा गया है कि कर्जदार ने रिजर्व बैंक के द्वारा 27 मार्च 2020 को घोषित किस्त भुगतान से छूट योजना का पूर्णत: या अंशत: लाभ ल्रने का विकल्प चुना हो यह नहीं, उसे ब्याज राहत का पात्र माना जायेगा।

    कर्ज राहत योजना का लाभ उन कर्जधारकों को भी मिलेगा, जो नियमित किस्तों का भुगतान करते रहे।

    कर्ज देने वाले संस्थान इस योजना में दी गयी छूट के तहत संबंधित कर्जधारक के खाते में अपनी ओर से धन जमा करने के बाद केंद्र सरकार से उसके बराबर की राशि पाने के लिये दावा करेंगे।

    उच्चतम न्यायालय ने 14 अक्टूबर को मामले की सुनवाई करते हुए कहा था, वह इस बारे में चिंतित है कि कर्जदारों को ब्याज राहत का लाभ किस तरह से दिया जाये। उच्चतम न्यायालय ने तब कहा था कि केंद्र सरकार ने आम लोगों की बदहाल स्थिति का संज्ञान लेते हुए अच्छा निर्णय लिया है। हालांकि शीर्ष न्यायालय ने इस बात पर चिंता व्यक्त की थी कि अब तक इस संबंध में कोई आदेश नहीं जारी किया गया है।

    न्यायमूर्ति अशोक भूषण की अगुवाई वाली पीठ ने कहा था, ‘‘कुछ ठोस किये जाने की जरूरत है। जितना जल्दी संभव हो सके, दो करोड़ रुपये तक के कर्जदारों को ब्याज से राहत देने की योजना का क्रियान्वयन किया जाना चाहिये।’’

    उच्चतम न्यायालय ने मामले की सुनवाई की अगली तारीख दो नवंबर तय करते हुए बैंकों तथा केंद्र सरकार का पक्ष रख रहे वकीलों से कहा था, ‘लोगों की दिवाली अब आपके हाथों में है।’

    डिसक्लेमर: यह आर्टिकल भाषा – पीटीआई न्यूज फीड से सीधे प्रकाशित किया गया है.

  • रिजर्व बैंक ने 2019-20 में 2,000 के नए नोट नहीं छापे : वार्षिक रिपोर्ट

    रिजर्व बैंक ने 2019-20 में 2,000 के नए नोट नहीं छापे : वार्षिक रिपोर्ट

    भारतीय रिजर्व बैंक ने 2019-20 में 2,000 रुपये के नए नोटों की छपाई नहीं की। इस दौरान 2,000 के नोटों का प्रसार कम हुआ है। रिजर्व बैंक की 2019-20 की वार्षिक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है।

    रिपोर्ट के अनुसार मार्च, 2018 के अंत तक चलन में मौजूद 2,000 के नोटों की संख्या 33,632 लाख थी, जो मार्च, 2019 के अंत तक घटकर 32,910 लाख पर आ गई। मार्च, 2020 के अंत तक चलन में मौजूद 2,000 के नोटों की संख्या और घटकर 27,398 लाख पर आ गई।

    रिपोर्ट के अनुसार, प्रचलन में कुल मुद्राओं में 2,000 के नोट का हिस्सा मार्च, 2020 के अंत तक घटकर 2.4 प्रतिशत रह गया। यह मार्च, 2019 के अंत तक तीन प्रतिशत तथा मार्च, 2018 के अंत तक 3.3 प्रतिशत था।

    मूल्य के हिसाब से भी 2,000 के नोटों की हिस्सेदारी घटी है। आंकड़ों के अनुसार मार्च, 2020 तक चलन में मौजूद कुल नोटों के मूल्य में 2,000 के नोट का हिस्सा घटकर 22.6 प्रतिशत रह गया। यह मार्च, 2019 के अंत तक 31.2 प्रतिशत और मार्च, 2018 के अंत तक 37.3 प्रतिशत था।

    रिपोर्ट के अनुसार, 2018 से तीन साल के दौरान 500 और 200 रुपये के नोटों के प्रसार में उल्लेखनीय इजाफा हुआ है। मूल्य और मात्रा दोनों के हिसाब से 500 और 200 रुपये के नोट का प्रसार बढ़ा है।

    रिपोर्ट में कहा गया है कि 2019-20 में 2,000 के करेंसी नोट की छपाई के लिए कोई ऑर्डर नहीं दिया गया। भारतीय रिजर्व बैंक नोट मुद्रण प्राइवेट लि. (बीआरबीएनएमपीएल) तथा सिक्योरिटी प्रिटिंग एंड मिंटिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लि. (एसपीएमसीआईएल) की ओर 2,000 के नोट की कोई नई आपूर्ति नहीं की गई। 2019-20 में बैंक नोटों के लिए ऑर्डर एक साल पहले की तुलना में 13.1 प्रतिशत कम थे।

    रिपोर्ट कहती है कि 2019-20 में बैंक नोटों की आपूर्ति भी इससे पिछले साल की तुलना में 23.3 प्रतिशत कम रही। इसकी मुख्य वजह कोविड-19 महामारी और उसके चलते लागू लॉकडाउन है।

    रिजर्व बैंक ने कहा कि 2019-20 में 500 के 1,463 करोड़ नोटों की छपाई का ऑर्डर दिया गया। इसमें से 1,200 करोड़ नोटों की आपूर्ति हुई। वहीं 2018-19 में 1,169 करोड़ नोटों की छपाई के ऑर्डर पर 1,147 करोड़ नोटों की आपूर्ति की गई।

    रिपोर्ट में कहा गया है कि 2019-20 में बीआरबीएनएमपीएल तथा एसपीएमसीआईएल को 100 के 330 करोड़ नोटों की छपाई का ऑर्डर दिया गया। इसी तरह 50 के 240 करोड़ नोटों, 200 के 205 करोड़ नोटों, 10 के 147 करोड़ नोटों और 20 के 125 करोड़ नोटों की छपाई का ऑर्डर दिया गया। इनमें से ज्यादातर की आपूर्ति वित्त वर्ष के दौरान की गई।

    रिपोर्ट में बताया गया है कि 2019-20 में बैंकिंग क्षेत्र में पकड़े गए जाली नोटों (एफआईसीएन) में से 4.6 प्रतिशत रिजर्व बैंक के स्तर पर पकड़े गए। वहीं 95.4 प्रतिशत जाली नोटों का पता अन्य बैंकों के स्तर पर चला। कुल मिलाकर 2,96,695 जाली नोट पकड़े गए।

    यदि इससे पिछले वित्त वर्ष से तुलना की जाए, तो 10 के जाली नोटों में 144.6 प्रतिशत, 50 के जाली नोटों में 28.7 प्रतिशत, 200 के जाली नोटों में 151.2 प्रतिशत तथा 500 (महात्मा गांधी-नई श्रृंखला) के जाली नोटों में 37.5 प्रतिशत का इजाफा हुआ।

    वहीं 20 के जाली नोटो में 37.7 प्रतिशत, 100 के जाली नोटो में 23.7 प्रतिशत तथा 2,000 के जाली नोटों में 22.1 प्रतिशत की कमी आई। बीते वित्त वर्ष में 2,000 के 17,020 जाली नोट पकड़े गए। यह आंकड़ा 2018-19 में 21,847 का रहा था।

    डिस्क्लेमर– यह आर्टिकल PTI न्यूज फीड से सीधे प्रकाशित किया गया है.

  • चालू वित्त वर्ष में कर्मचारियों के वेतन में हुई मात्र 3.6 प्रतिशत की वृद्धि : सर्वे

    चालू वित्त वर्ष में कर्मचारियों के वेतन में हुई मात्र 3.6 प्रतिशत की वृद्धि : सर्वे

    कोरोना वायरस महामारी के बीच कंपनियों ने चालू वित्त वर्ष 2020-21 में अपने कर्मचारियों को औसतन 3.6 प्रतिशत की वेतनवृद्धि दी है। पिछले वित्त वर्ष में कर्मचारियों का वेतन औसतन 8.6 प्रतिशत बढ़ा था।

    प्रमुख परामर्शक कंपनी डेलॉयट टच तोहमात्सु इंडिया एलएलपी के एक सर्वे में यह तथ्य सामने आया है। सर्वे के अनुसार चालू वित्त वर्ष में कर्मचारियों की वेतनवृद्धि में दो चीजों ‘समय’ और कोविड-19 के प्रभाव ने सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

    सोमवार को जारी इस सर्वे में कहा गया है, ‘‘जिन संगठनों ने मार्च, 2020 में लॉकडाउन शुरू होने से पहले वेतनवृद्धि के बारे में फैसला कर लिया था, उन्होंने अन्य कंपनियों की तुलना में अपने कर्मचारियों को अधिक वेतनवृद्धि दी है। वहीं बड़ी संख्या में कंपनियों का मानना है कि कोविड-19 की वजह से 2020-21 में उनकी आमदनी में 20 प्रतिशत से अधिक की गिरावट आएगी। ऐसी कंपनियों ने अपने कर्मचारियों को कमोबेश कम वेतनवृद्धि दी है।’’

    कोविड-19 के प्रसार को रोकने के लिए 25 मार्च को देश में राष्ट्रव्यापी बंद लागू किया गया था। मई के अंत में हालांकि अंकुशों में ढील दी गई। लेकिन कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों की वजह से कुछ राज्यों में अंकुश जारी रहे। इससे आर्थिक गतिविधियां बुरी तरह प्रभावित हुईं।

    वर्ष 2020 का दूसरे चरण का श्रमबल और वेतनवृद्धि सर्वे जून, 2020 में शुरू किया गया। इसमें 350 कंपनियों ने भाग लिया।

    सर्वे के अनुसार, ‘‘10 में से सिर्फ चार कंपनियों ने 2020 में कर्मचारियों को वेतनवृद्धि दी है। 33 प्रतिशत कंपनियों ने कर्मचारियों के वेतन में कोई बढ़ोतरी नहीं करने का फैसला किया है। वहीं अन्य कंपनियों ने अभी इस पर फैसला नहीं किया है। इस हिसाब से 2020 में औसत वेतनवृद्धि 3.6 प्रतिशत बैठती है, जो पिछले साल से आधी से भी कम है। पिछले साल कंपनियों ने अपने कर्मचारियों को 8.6 प्रतिशत की वेतनवृद्धि दी थी।’’

    सर्वे में कहा गया है कि वेतनवृद्धि का यह आंकड़ा दशकों में सबसे कम है। डेलॉयट ने कहा है कि यदि सर्वे में सिर्फ उन संगठनों को लिया जाए, जिन्होंने अपने कर्मचारियों का वेतन बढ़ाया है, तो औसत वेतनवृद्धि 7.5 प्रतिशत बैठती है। चालू वित्त वर्ष में ऐसी कंपनियों की संख्या 10 प्रतिशत से भी कम है जिन्होंने अपने कर्मचारियों को 10 प्रतिशत से अधिक की वेतनवृद्धि दी है।

    डिस्क्लेमर– यह आर्टिकल PTI न्यूज फीड से सीधे प्रकाशित किया गया है.

  • घर में अक्सर महिलाओं से हो जाती हैं पैसे से जुड़ी ये 7 गलतियां

    घर में अक्सर महिलाओं से हो जाती हैं पैसे से जुड़ी ये 7 गलतियां

    अक्सर महिलाओं की ये समस्या होती है कि घर का खर्च ज्यादा हो रहा है और पैसों से जुड़ी बचत नहीं हो पा रही है। यहां निवेश (Investment) और बचत (Savings) की नहीं खर्च की बात हो रही है। घरों में आजकल की व्यस्त लाइफस्टाइल कुछ ऐसी हो गई है कि लोगों को ये समझ ही नहीं आता कि उनका इतना खर्च आखिर कैसे बढ़ गया है। ये सब कुछ पैसे से जुड़ी कुछ गलतियों के कारण होता है।
    Wealth Aware कंपनी की संस्थापक और एमडी तन्वी केजरीवाल गोयल हमें एक्सपर्ट फाइनेंशियल सलाह दे रही हैं। तन्वी जी के अनुसार अक्सर लोग पैसे से जुड़ी ये 7 गलतियां कर बैठते हैं। इसकी वजह से घर का बजट बनाने में भी मुश्किल होती है।

    1. पैसे के बारे में बात नहीं करना-

    आम तौर पर यही देखा जाता है कि पति और पत्नी एक दूसरे से इसके बारे में बात नहीं करते। पत्नी घर संभाल रही हो या फिर बाहर काम कर रही हो तो भी इसके बारे में बातें नहीं की जातीं। बच्चे अगर पढ़ने की उम्र में हैं या टीनएज हो गए हैं तो उन्हें भी अक्सर घर पर ये नहीं बताया जाता है कि निवेश और बचत की जरूरत क्या है। हफ्ते में कम से कम एक बार सभी को बैठकर घर और पैसे के खर्च से जुड़ी बातें करनी चाहिए। इससे वो खर्च भी सामने आ जाता है जिसका शायद अंदाजा भी नहीं होता। ये घर का बजट बनाने में भी मददगार साबित हो सकता है।

    2. पहले खर्च फिर जो बचा वो निवेश-

    हमारी भारतीय संस्कृति में एक आम कहावत है कि , ‘जितनी चादर है उतना ही पैर पसारो’। ये बहुत अच्छा कथन है, लेकिन इसे हमें थोड़ा सा बदलना होगा क्योंकि हम हमेशा जितना खर्च है उतना कर लो और उसके बाद जो बचा वो बचत। इससे समस्या ये होती है कि जरूरत से अधिक खर्च भी हो जाता है और बचत कम रह जाती है। इसे थोड़ा सा बदलने की जरूरत है और कमाई के बाद एक निश्चित बचत और उसके बाद जितना बचा उसे खर्च करना चाहिए। ये बजट आसानी से बन सकता है कि महीने में कितनी बचत की जा सकती है।

    Read: What is Credit Score?

    3. बचत और निवेश का अंतर न समझना-

    मान लीजिए आप हर महीने की आय में से कुछ पैसे बचा लेते हैं, लेकिन क्या इन पैसों को बचाने से सिर्फ काम हो जाता है? जी नहीं, बचत और निवेश में काफी अंतर है जिसे समझने की जरूरत है। पैसे ड्रॉअर में पड़े रहें या फिर वो बैंक के सेविंग्स अकाउंट में रखा है तो उससे हमारे भविष्य के लिए कोई फायदा हो रहा है? बिलकुल नहीं। तन्वी जी का कहना है कि उनके पास बहुत से लोग आते हैं और वो यहीं मात खा जाते हैं। उन्हें निवेश इस बारे में सोचकर करना चाहिए कि भविष्य में ये कितना रिटर्न देगा।

    4. अपनी बचत और निवेश को ऑटोमैटिक मोड पर नहीं डालना-

    बैंक की RD या FD जिसका ऑटोमैटिक पैसा कटता है वो ज्यादा सही है। भले ही बचत और निवेश का कोई भी मोड हो पैसा ऑटोमैटिक हर महीने कटना चाहिए। कारण ये है कि अगर बचत हर वक्त नहीं होगी तो हम उस कमाई को खर्च करने के लिए उत्सुक रहेंगे। अकाउंट में या जेब में ज्यादा पैसा होने का मतलब है कि उसे खर्च करने का लालच भी बढ़ जाएगा। अगर सैलरी आते ही एक अच्छे फाइनेंशियल एक्सपर्ट की मदद से पैसे निवेश कर देंगे तो हमारा भविष्य सुरक्षित होगा।

    5. अपने पैसे को अलग-अलग जगह न निवेश करना-

    पैसा है आपके पास तो क्या हर बार वो एक ही तरह से निवेश किया जाएगा? कई लोग सिर्फ FD बनाते रहते हैं, कुछ को पोस्ट ऑफिस की NSC अच्छी लगती है, लेकिन इसका सीधा सा मतलब ये होता है कि पैसे के साथ कोई एक्सपेरिमेंट नहीं किया जाता। कारण ये है कि अगर एक ही तरह से पैसा निवेश होगा तो खतरे की स्थिति में एक ही साथ उसके खर्च होने या फिर डूब जाने की गुंजाइश भी होती है।

    6. फाइनेंशियल भाषा से डरना और इसके कारण रिस्क न लेना-

    इंसान का दिमाग जो चीज़ समझ नहीं पाता वो उससे हमेशा डरता रहता है और ये बहुत आम घटना है कि लोग खुद को फाइनेंशियल भाषा सिखा नहीं पाते। ऐसे में उन्हें जानकारी न के बराबर रहती है। होता ये है कि ऐसी स्थिति में निवेश के समय हम बहुत ज्यादा सोच विचार में लग जाते हैं और कई बार डर के कारण रिस्क नहीं ले पाते। इससे बाद में नुकसान होने की गुंजाइश है।

    7. कर्ज को न समझना-

    बहुत से लोगों के पास होम लोन होता है, कार का लोन होता है, क्रेडिट कार्ड से खर्च होता है। अर्थव्यवस्था में कर्ज की दरें लगातार बढ़ती और घटती रहती है। ऐसे में हमारे कर्ज पर भी असर पड़ता है। किसी भी तरह के लोन को हमेशा फाइनेंशियल एक्सपर्ट से हर साल रिव्यू करवाना चाहिए। क्या पता ब्याज की दर इससे कम हो सके। इसी तरह से क्रेडिट कार्ड सबसे महंगा तरीका है ऐसे में कई बार वो बहुत महंगा पड़ जाता है। कोशिश करें कि हर वक्त क्रेडिट कार्ड निकालने से बचें।

    Source: https://www.msn.com/hi-in/money/topstories/expert-advice-घर-में-अक्सर-महिलाओं-से-हो-जाती-हैं-पैसे-से-जुड़ी-ये-7-गलतियां/ar-AAG66OA?ocid=en-exp

  • Credit Score: What it is?

    Credit Score: What it is?

    Once you are out of your college, you start your career with a full time job in a big company and a great salary. To celebrate this you go out with your friends and enjoy. Then you test-drive your favorite car in your favorite color. This will be your first new car you ever owned. You will be so excited to buy this one but suddenly the dealer tells you that you cannot buy this car because you have bad credit score. You didn’t maintain your credit score. This can happen to you as well.

    But don’t worry, I’ll tell what to do and how to maintain your credit score. The credit report is provided by three major credit reporting agencies-Equifax, Experian and TransUnion. A lender may request reports from one or all the three of them. The lender decides to lend you money only after analyzing your credit reports. The credit report is actually a factual record of the payment history and a critical indicator of your creditworthiness.

    If you are not clear about your financial history it may come back to haunt you any time. your credit report can show all your credit history right from your credit cards ran up to their limits to your delayed or irregular payment of the loan installments. All these activities reflect your creditworthiness and affect your credit score badly.

    Different credit reporting agency has given different name to the credit score issued by them. Equifax call it Beacon Score, Experian call it a FICO score or Fair Issac and TransUnion call it Empirica. The credit score is calculated using a mathematical formula that uses your credit history. The scoring system does not vary due to factors like age, race, employment, residence, marital status, religion, sex, national origin, or income. Credit scores generally fluctuate, so it depends on you to take improve or maintain a good credit score.