Category: शिक्षा और कैरियर

  • कौन है दिशा रवि (Disha Ravi) और क्या होता है टूलकिट (Toolkit)

    कौन है दिशा रवि (Disha Ravi) और क्या होता है टूलकिट (Toolkit)

    तीन कृषि कानूनों (Agricultural law) के खिलाफ चल रहे किसानों के प्रदर्शन से जुड़ी ‘टूलकिट’ सोशल मीडिया पर साझा करने के मामले में रविवार को पहली गिरफ्तारी हुई। दिल्ली पुलिस की साइबर सेल ने शनिवार को इसमें संलिप्तता के आरोप में कर्नाटक के बंगलूरू से 21 वर्षीय पर्यावरण कार्यकर्ता दिशा रवि (Disha Ravi) को गिरफ्तार किया है। उसे रविवार को अदालत में पेश करने के बाद 5 दिन की पुलिस हिरासत में भेज दिया गया। उन पर पर्यावरण परिवर्तन कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग (Greta Thunberg) द्वारा साझा की गई टूलकिट (Toolkit) को एडिट करने और बाद में आगे बढ़ाने का आरोप है। अब दिशा की गिरफ्तारी के बाद दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल (Arvind Kejriwal) से लेकर तमाम विपक्षी नेता दिशा की गिरफ्तारी का विरोध कर रहे हैं। जानिए कौन हैं दिशा रवि (Disha Ravi) और सोशल मीडिया (Social media) पर उनकी गिरफ्तारी का विरोध क्यों हो रहा है…

    कौन है दिशा रवि (Disha Ravi)

    नार्थ बंगलुरु के सोलादेवना हल्ली इलाके की रहने वाली व जलवायु कार्यकर्ता (Climate Activist) दिशा ने माउंट कैमेल कॉलेज से बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन स्नातक की डिग्री हासिल की है। इस समय वह गुड माइल्क कंपनी के साथ जुड़ी हुई। पुलिस सूत्रों का कहना है कि गिरफ्तारी के समय वह अपने घर में की काम कर रही थी। दिशा रवि के पिता मैसूर में एक एथलेटिक कोच है। मां एक गृहिणी हैं। दिल्ली पुलिस ने दिशा रवि की गिरफ्तारी को लेकर बंगलुरु पुलिस को जानकारी दी थी।

    Who is Disha Ravi

    टूलकिट में क्या था

    टूलकिट (Tootlkit) में बताया गया था किसान आंदोलन में सोशल मीडिया पर समर्थन कैसे जुटाए जाएं। हैशटैग का इस्तेमाल किस तरह से किया जाए और प्रदर्शन के दौरान क्या किया जाए और क्या नहीं, सब जानकारी इसमें मौजूद थी। तीन फरवरी को एक्टिविस्ट ग्रेटा थनबर्ग ने किसानों का समर्थन करते हुए इस टूल किट को सोशल मीडिया पर शेयर किया था। बाद में इस टूलकिट को सोशल मीडिया ने प्रतिबंधित कर उसे डिलीट कर दिया था।

    Source: Amar Ujala Hindi Dainik

    टूलकिट (Toolkit) में होते हैं विस्तृत सुझाव

    टूलकिट एक तरह का डॉक्यूमेंट होता है जिसमें किसी मुद्दे की जानकारी देने के लिए और उससे जुड़े कदम उठाने के लिए इसमें विस्तृत सुझाव होते हैं। आमतौर पर किसी बड़े अभियान या आंदोलन के दौरान उसमें हिस्सा लेने वाले वॉलंटिअर्स को इसमें दिशा-निर्देश दिए जाते हैं। इसका उद्देश्य खास वर्ग या टार्गेट ऑडियंस को जमीन पर काम करने के लिए गाइडेंस देना होता है।

    Toolkit
    Image By: Plan International

    सोशल जस्टिस या ह्यूमन राइट्स कैंपेनर करते हैं प्रयोग

    आमतौर पर टूलकिट (Toolkit) का प्रयोग सोशल जस्टिस और ह्यूमन राइट्स कैम्पेनर करते हैं। इसके जरिये वो प्रदर्शन का स्थल, प्रदर्शन को लेकर जागरुकता फैलाने और प्रदर्शनकारियों को एकत्रित करने और स्ट्रैटेजी बनाने के लिए करते हैं। जो लोग किसी मुद्दे के बारे में जानना चाहते हैं या उसका हिस्सा बनना चाहते हैं, उन्हें टूलकिट से मदद दी जाती है।

    ये लोग भी करते हैं प्रयोग

    टूलकिट का प्रयोग जर्नलिस्ट, टीचर्स, एकेडमिक्स और बिजनेस हेड्स भी अपने टीम मेंबर्स के लिए करते हैं। इसके जरिये वे लोग टीम के सदस्यों को एकत्रित करने, प्लान बनाने और प्रोजेक्ट के तेजी से एक्जिक्यूशन के लिए करते हैं।

    Greta Thunberg
    Greta Thunberg, Image by: AP News

    बड़े प्रोटेस्ट को लेकर चर्चा में रह चुका है टूलकिट (Toolkit)

    टूलकिट साल 2011 में ऑक्यूपाइ वॉल स्ट्रीट, ब्लैक लाइव्ज मैटर 2020, हॉन्गकॉन्ग प्रोटेस्ट 2019 में काफी चर्चा में रहा था। इसके साथ ही देश में पिछले साल सीएए के खिलाफ प्रोटेस्ट में भी टूलकिट काफी चर्चा में रहा था।

    एंटी CAA प्रदर्शन में वाट्सऐप पर शेयर किया था टूलकिट (Toolkit)

    एंटी CAA के दौरान वाट्सऐप पर टूलकिट (Toolkit) को शेयर किया गया था। इसमें डिजिटल कैंपेन के लिए ट्विटर हैशटैग सुझाने के साथ ही धरनास्थल और प्रदर्शन के दौरान पुलिस द्वारा हिरासत में लिए जाने पर क्या करें, क्या ना करें आदि के बारे में जानकारी दी गई थी। टूलकिट में प्रदर्शनकारियों के लिए खाना, पानी और दवाई उपलब्ध कराने वाले इच्छुक लोगों के लिए भी गाइडेंस दी गई थी।

    Rihanna
    Rihanna, Image by: Billboard

    हॉन्गकॉन्ग प्रोटेस्ट में दी गई थी मास्क, हेलमेट पहने की सलाह

    हॉन्गकॉन्ग में साल 2019 में हुए प्रोटेस्ट के दौरान टूलकिट के जरिये ही प्रदर्शनकारियों को मास्क और हेलमेट पहनने की सलाह दी गई थी। इसका उद्देश्य था कि लोग अपनी पहचान छुपा सकें और हेलमेट की मदद से घायल होने से बच सकें। पिछले साल अमेरिका में ब्लैक लाइव्ज मैटर प्रदर्शन के दौरान एक एनजीओ ने आंदोलनकारियों के खिलाफ गलत जानकारी रोकने के लिए टूलकिट का प्रयोग किया था।

    Source: Navbharat Times

    राजनीतिक पार्टियां भी करती हैं टूलकिट (Toolkit) का इस्तेमाल

    राजनीतिक पार्टियां भी टूलकिट का प्रयोग करती हैं। जब भी किसी पार्टी को किसी मुद्दे पर या फिर चुनाव में जनता से समर्थन की जरूरत पड़ती है तो हैशटैग को प्रमोट किया जाता है. ताकि ट्रेंडिंग हैशटैग की ओर जनता का ध्यान जा सके।
    इसके लिए पार्टियां टूलकिट में पूरा प्रोसेस देती हैं की कब और क्या पोस्ट करना है और कैसे उसे ट्रेंड करना है। इस टूलकिट को पार्टियां स्टेप्स में अपने प्रतिनिधि, सांसद, विधायकों तक भेजती हैं और वहाँ से बूथ लेवल कार्यकर्ताओं तक सारे नियम और प्लान पहुंचा दिए जाते हैं।
    फिर प्लान के अनुसार ट्वीट/हैशटैग/फेक न्यूज़/ की सोशल पोस्ट की बाढ़ आती है और हैशटैग ट्रेंड होने लगते हैं।
    अभी एक – दो वर्ष पहले गलती से एक बड़ी पार्टी के नेता ने भी सोशल प्लान (टूलकिट) ट्विटर पर शेयर कर दी थी और बाद में उसे डिलीट किया गया था।

  • प्रधानमंत्री मोदी ने भूमि पूजन कर किया नये संसद भवन का शिलान्यास

    प्रधानमंत्री मोदी ने भूमि पूजन कर किया नये संसद भवन का शिलान्यास

    मुख्य बिंदु

    • 971 करोड रुपए लागत
    • 64,500 वर्ग मीटर क्षेत्रफल
    • स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ तक पूरा
    • 4 मंजिला होगा नया संसद भवन
    • 888 सदस्यों के बैठने की व्यवस्था
    • संयुक्त सत्र के दौरान 1224 सदस्यों के बैठने की व्यवस्था
    • राज्य सभा कक्ष में 384 सदस्यों के बैठने की व्यवस्था
    • 5 अगस्त 2019 को भवन के निर्माण का प्रस्ताव हुआ
    • डिजाइन अहमदाबाद के मैसर्स एचसीपी डिजाइन और मैनेजमेंट प्राइवेट लिमिटेड द्वारा
    • निर्माण टाटा प्रोजेक्ट्स लिमिटेड द्वारा
    • नई इमारत सुरक्षा सुविधाओं से लैस
    • लोकसभा मौजूदा आकार से तीन गुना बड़ी
    • भारत की गौरवशाली विरासत और सांस्कृतिक विविधता का समावेश
    Central Vista Project
    Central Vista Project

    नयी दिल्ली, 10 दिसंबर (भाषा) प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बृहस्पतिवार को भूमि पूजन करने के साथ ही नये संसद भवन की आधारशिला रखी। चार मंजिला नये संसद भवन का निर्माण कार्य भारत की स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ तक पूरा कर लिए जाने की संभावना है।

    वैदिक मंत्रोच्चार के बीच भूमि पूजन कार्यक्रम आरंभ हुआ और इसके संपन्न होने के बाद शुभ मुहुर्त में प्रधानमंत्री ने परम्परागत विधि विधान के साथ आधारशिला रखी।

    लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, विभिन्न राजनीतिक दलों के नेता, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह सहित कई केंद्रीय मंत्री, बड़ी संख्या में सांसद और कई देशों के राजदूत इस ऐतिहासिक अवसर के गवाह बने।

    नये संसद भवन का निर्माण 971 करोड रुपए की अनुमानित लागत से 64,500 वर्ग मीटर क्षेत्रफल में किए जाने का प्रस्ताव है।

    New Parliament Inside
    New Parliament Inside

    ज्ञात हो कि नये संसद भवन के निर्माण का प्रस्ताव उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू एवं लोक सभा अध्यक्ष ओम बिरला ने क्रमशः राज्यसभा और लोक सभा में 5 अगस्त 2019 को किया था।

    नये संसद भवन का डिजाइन अहमदाबाद के मैसर्स एचसीपी डिजाइन और मैनेजमेंट प्राइवेट लिमिटेड द्वारा तैयार किया गया है और इसका निर्माण टाटा प्रोजेक्ट्स लिमिटेड द्वारा किया जाएगा।

    Triangular Shaped New Parliament
    Triangular Shaped New Parliament

    नये भवन को सभी आधुनिक दृश्य – श्रव्य संचार सुविधाओं और डाटा नेटवर्क प्रणालियों से सुसज्जित किया जाएगा। यह सुनिश्चित करने के लिए विशेष ध्यान दिया जा रहा है कि निर्माण कार्य के दौरान संसद के सत्रों के आयोजन में कम से कम व्यवधान हो और पर्यावरण संबंधी सभी सुरक्षा उपायों का पालन किया जाये।

    लोकसभा सचिवालय के मुताबिक नए संसद भवन के लोकसभा कक्ष में 888 सदस्यों के बैठने की व्यवस्था होगी, जिसमें संयुक्त सत्र के दौरान 1224 सदस्यों के बैठने की व्यवस्था भी होगी। इसी प्रकार, राज्य सभा कक्ष में 384 सदस्यों के बैठने की व्यवस्था होगी।

    Parliament of India
    Parliament of India

    नए संसद भवन में भारत की गौरवशाली विरासत को भी दर्शाया जाएगा। देश के कोने-कोने से आए दस्तकार और शिल्पकार अपनी कला और योगदान के माध्यम से इस भवन में सांस्कृतिक विविधता का समावेश करेंगे।

    संसद भवन से सटी त्रिकोणीय आकार की नई इमारत सुरक्षा सुविधाओं से लैस होगी। नई लोकसभा मौजूदा आकार से तीन गुना बड़ी होगी और राज्‍यसभा के आकार में भी वृद्धि की गई है।

    Parliament from Above
    Parliament from Above

    नया संसद भवन भारत के लोकतंत्र और भारतवासियों के गौरव का प्रतीक होगा जो न केवल देश के गौरवशाली इतिहास अपितु इसकी एकता और विविधता का भी परिचय देगा।

    डिसक्लेमर: यह आर्टिकल भाषा पीटीआई न्यूज फीड से सीधे प्रकाशित किया गया है.

    Parliament Similar to 64 Yogini Temple
    Parliament Similar to 64 Yogini Temple
  • जनरल नॉलेज अपडेट: माउंट एवरेस्ट की नई ऊंचाई 8848.86 मीटर, नेपाल, चीन ने किया ऐलान

    जनरल नॉलेज अपडेट: माउंट एवरेस्ट की नई ऊंचाई 8848.86 मीटर, नेपाल, चीन ने किया ऐलान

    काठमांडू, आठ दिसंबर (भाषा) नेपाल और चीन ने विश्व की सबसे ऊंची पर्वत चोटी माउंट एवरेस्ट की संशोधित ऊंचाई मंगलवार को संयुक्त रूप से जारी की जो 8848.86 मीटर बताई गई है।

    नेपाल सरकार ने एवरेस्ट की सटीक ऊंचाई मापने का निर्णय किया था । एवरेस्ट की ऊंचाई को लेकर पिछले कुछ सालों से बहस हो रही थी और ऐसा माना जा रहा था कि वर्ष 2015 में आए विनाशकारी भूकंप के साथ ही कई अन्य कारणों से संभवत: चोटी की ऊंचाई में बदलाव आया है।

    विदेश मंत्री प्रदीप ग्यावली ने कहा कि नेपाल ने एवरेस्ट की ऊंचाई 8848. 86 मीटर मापी है।

    नई ऊंचाई, पिछली बार मापी गई ऊंचाई से 86 सेंटीमीटर अधिक है।

    भारत सर्वेक्षण द्वारा 1954 में किए गए मापन के अनुसार माउंट एवरेस्ट की ऊंचाई 8,848 मीटर है।

    डिसक्लेमर: टाइटल को छोड़कर यह आर्टिकल भाषा पीटीआई न्यूज फीड से सीधे प्रकाशित किया गया है.

  • किसान विधेयक क्या है? क्या है सरकार का दावा और क्यों हो रहा है विरोध?

    किसान विधेयक क्या है? क्या है सरकार का दावा और क्यों हो रहा है विरोध?

    मोदी सरकार ने लोकसभा में तीन कृषि विधेयकों (Agriculture Ordinance Bill 2020) को पारित किया जिसको लेकर किसान दिल्ली में धरना प्रदर्शन (Farmers Protest) कर रहे हैं। बात यहाँ तक बढ़ चुकी है कि बीजेपी के साथ गठबंधन वाली पार्टियां भी इसका विरोध कर रही हैं। सरकार पर किसान विरोधी होने का आरोप लग रहा है। मौजूदा सत्तारूढ़ गठबंधन की वरिष्ठ मंत्री हरसिमरत कौर बादल (Harsimrat Kaur Resigns) ने इनके विरोध में इस्तीफा दे दिया। किसान सड़कों पर उतरकर इन विधेयकों का विरोध कर रहे हैं। ऐसे में तीनों विधेयक क्या हैं और इसका विरोध (Oppose of Farmers Bills) क्यों किया जा रहा है इसे समझने की कोशिश करते हैं।

    Agriculture Ordinance Bill 2020

    1. कृषक उत्पाद व्यापार एवं वाणिज्य (संवर्धन एवं सरलीकरण) विधेयक 2020 (The Farmers’ Produce Trade and Commerce (Promotion and Facilitation) Bill, 2020):

    प्रस्तावित कानून का उद्देश्य किसानों को अपने उत्पाद नोटिफाइड ऐग्रिकल्चर प्रोड्यूस मार्केटिंग कमेटी (APMC) यानी तय मंडियों से बाहर बेचने की छूट देना है। इसका लक्ष्य किसानों को उनकी उपज के लिये प्रतिस्पर्धी वैकल्पिक व्यापार माध्यमों से लाभकारी मूल्य उपलब्ध कराना है। इस कानून के तहत किसानों से उनकी उपज की बिक्री पर कोई सेस या फीस नहीं ली जाएगी।

    फायदा

    यह किसानों के लिये नये विकल्प उपलब्ध करायेगा। उनकी उपज बेचने पर आने वाली लागत को कम करेगा, उन्हें बेहतर मूल्य दिलाने में मदद करेगा। इससे जहां ज्यादा उत्पादन हुआ है उन क्षेत्र के किसान कमी वाले दूसरे प्रदेशों में अपनी कृषि उपज बेचकर बेहतर दाम प्राप्त कर सकेंगे।

    विरोध

    यदि किसान अपनी उपज को पंजीकृत कृषि उपज मंडी समिति (APMC/Registered Agricultural Produce Market Committee) के बाहर बेचते हैं, तो राज्यों को राजस्व का नुकसान होगा क्योंकि वे ‘मंडी शुल्क’ प्राप्त नहीं कर पायेंगे। यदि पूरा कृषि व्यापार मंडियों से बाहर चला जाता है, तो कमीशन एजेंट बेहाल होंगे। लेकिन, इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है, किसानों और विपक्षी दलों को यह डर है कि इससे अंततः न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) आधारित खरीद प्रणाली का अंत हो सकता है और निजी कंपनियों द्वारा शोषण बढ़ सकता है।

    Agriculture Ordinance Bill 2020

    2. किसान अनुबंध विधेयक 2020

    मूल्य आश्वासन और कृषि सेवाओं पर किसान (सशक्तिकरण एवं संरक्षण) अनुबंध विधेयक 2020 (The Farmers (Empowerment and Protection) Agreement of Price Assurance and Farm Services Bill, 2020): इस प्रस्तावित कानून के तहत किसानों को उनके होने वाले कृषि उत्पादों को पहले से तय दाम पर बेचने के लिये कृषि व्यवसायी फर्मों, प्रोसेसर, थोक विक्रेताओं, निर्यातकों या बड़े खुदरा विक्रेताओं के साथ अनुबंध करने का अधिकार मिलेगा।

    Agriculture Ordinance Bill 2020

    लाभ

    इससे किसान का अपनी फसल को लेकर जो जोखिम रहता है वह उसके उस खरीदार की तरफ जायेगा जिसके साथ उसने अनुबंध किया है। उन्हें आधुनिक तकनीक और बेहतर इनपुट तक पहुंच देने के अलावा, यह विपणन लागत को कम करके किसान की आय को बढ़ावा देता है।

    विरोध

    किसान संगठनों और विपक्षी दलों का कहना है कि इस कानून को भारतीय खाद्य व कृषि व्यवसाय पर हावी होने की इच्छा रखने वाले बड़े उद्योगपतियों के अनुरूप बनाया गया है। यह किसानों की मोल-तोल करने की शक्ति को कमजोर करेगा। इसके अलावा, बड़ी निजी कंपनियों, निर्यातकों, थोक विक्रेताओं और प्रोसेसर को इससे कृषि क्षेत्र में बढ़त मिल सकती है।

    Agriculture Ordinance Bill 2020

    3. असेंशियल कमोडिटी बिल 2020

    आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक 2020 (Essential Commodities (Amendment) Bill 2020): यह प्रस्तावित कानून आवश्यक वस्तुओं की सूची से अनाज, दाल, तिलहन, प्याज और आलू जैसी कृषि उपज को युद्ध, अकाल, असाधारण मूल्य वृद्धि व प्राकृतिक आपदा जैसी ‘असाधारण परिस्थितियों’ को छोड़कर सामान्य परिस्थितियों में हटाने का प्रस्ताव करता है तथा इस तरह की वस्तुओं पर लागू भंडार की सीमा भी समाप्त हो जायेगी।

    Agriculture Ordinance Bill 2020

    लाभ

    इसका उद्देश्य कृषि क्षेत्र में निजी निवेश / एफडीआई को आकर्षित करने के साथ-साथ मूल्य स्थिरता लाना है।

    विरोध

    इससे बड़ी कंपनियों को इन कृषि जिंसों के भंडारण की छूट मिल जायेगी, जिससे वे किसानों पर अपनी मर्जी थोप सकेंगे।

    सरकार का पक्ष

    कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा है कि किसानों के लिये फसलों के न्यमनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की व्यवस्था जारी रहेगी। इसके अलावा, प्रस्तावित कानून राज्यों के कृषि उपज विपणन समिति (एपीएमसी) कानूनों का अतिक्रमण नहीं करता है। ये विधेयक यह सुनिश्चित करने के लिये हैं कि किसानों को मंडियों के नियमों के अधीन हुए बिना उनकी उपज के लिये बेहतर मूल्य मिले। उन्होंने कहा कि इन विधेयकों से यह सुनिश्चित होगा कि किसानों को उनकी उपज का बेहतर दाम मिले, इससे प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी और निजी निवेश के साथ ही कृषि क्षेत्र में अवसंरचना का विकास होगा और रोजगार के अवसर पैदा होंगे।

    Agriculture Ordinance Bill 2020

    इन्‍हीं शंकाओं को दूर करने के लिए नरेंद्र मोदी सरकार ने अखबारों में विज्ञापन देकर स्थिति साफ करने की कोशिश की थी। छह बड़े बिंदुओं पर सरकार ने ‘झूठ’ और ‘सच’ को सामने रखा था।

     

    न्‍यूनतम समर्थन मूल्‍य का क्‍या होगा?

    झूठ: किसान बिल असल में किसानों को न्‍यूनतम समर्थन मूल्‍य न देने की साजिश है।
    सच: किसान बिल का न्‍यूनतम समर्थन मूल्‍य से कोई लेना-देना नहीं है। एमएसपी दिया जा रहा है और भविष्‍य में दिया जाता रहेगा।

    Agriculture Ordinance Bill 2020

    मंडियों का क्‍या होगा?

    झूठ: अब मंडियां खत्‍म हो जाएंगी।
    सच: मंडी सिस्‍टम जैसा है, वैसा ही रहेगा।

    Agriculture Ordinance Bill 2020

    किसान विरोधी है बिल?

    झूठ: किसानों के खिलाफ है किसान बिल।

    सच: किसान बिल से किसानों को आजादी मिलती है। अब किसान अपनी फसल किसी को भी, कहीं भी बेच सकते हैं। इससे ‘वन नेशन वन मार्केट’ स्‍थापित होगा। बड़ी फूड प्रोसेसिंग कंपनियों के साथ पार्टनरशिप करके किसान ज्‍यादा मुनाफा कमा सकेंगे।

    Agriculture Ordinance Bill 2020

    बड़ी कंपनियां शोषण करेंगी?

    झूठ: कॉन्‍ट्रैक्‍ट के नाम पर बड़ी कंपनियां किसानों का शोषण करेंगी।
    सच: समझौते से किसानों को पहले से तय दाम मिलेंगे लेकिन किसान को उसके हितों के खिलाफ नहीं बांधा जा सकता है। किसान उस समझौते से कभी भी हटने के लिए स्‍वतंत्र होगा, इसलिए लिए उससे कोई पेनाल्‍टी नहीं ली जाएगी।

    Agriculture Ordinance Bill 2020

    छिन जाएगी किसानों की जमीन?

    झूठ: किसानों की जमीन पूंजीपतियों को दी जाएगी।
    सच: बिल में साफ कहा गया है कि किसानों की जमीन की बिक्री, लीज और गिरवी रखना पूरी तरह प्रतिबंधित है। समझौता फसलों का होगा, जमीन का नहीं।

    Agriculture Ordinance Bill 2020

    किसानों को नुकसान है?

    झूठ: किसान बिल से बड़े कॉर्पोरेट को फायदा है, किसानों को नुकसान है।
    सच: कई राज्‍यों में बड़े कॉर्पोरेशंस के साथ मिलकर किसान गन्‍ना, चाय और कॉफी जैसी फसल उगा रहे हैं। अब छोटे किसानों को ज्‍यादा फायदा मिलेगा और उन्‍हें तकनीक और पक्‍के मुनाफे का भरोसा मिलेगा।

    Agriculture Ordinance Bill 2020

    किसान बिल की हकीकत

    लेकिन हकीकत में सभी किसानों को न्‍यूनतम समर्थन मूल्‍य नहीं मिल पा रहा है. सरकारी मंडियों में आढ़ती अनाज नहीं खरीद रहे हैं. उन्होंने अपनी आढतें मंडी के बाहर लगनी शुरू कर दी हैं. आढ़तियों का तर्क है की अगर वे न्‍यूनतम समर्थन मूल्‍य पर अनाज खरीदेंगे तो वो बेचेंगे कहाँ. उनका कहना है की उन्हें इस रेट पर खरीददार नहीं मिल रहे हैं. किसान अपनी फसल का स्टॉक नहीं कर सकते हैं क्योंकि उन्हें अगली फसल के लिए भी तयारी करनी है.

    Agriculture Ordinance Bill 2020

    विरोध कर रहे किसानों की ये है मांगें

    • आंदोलनकारी किसान संगठन तीनों कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग कर रहे हैं।
    • किसानों का कहना है कि ये तीनों बिल कृषि का निजीकरण करेंगे। इनसे बड़े कॉरपोरेट घरानों को ज्यादा फायदा होगा।
    • किसानों को लिखित में आश्वासन दिया जाए कि एमएसपी और कन्वेंशनल फूड ग्रेन ​खरीद सिस्टम खत्म नहीं होगा। इसके लिए चाहे तो सरकार अलग से एक विधेयक लेकर आ जाए।
    • किसान संगठन बिजली बिल 2020 को लेकर विरोध कर रहे हैं। सरकार बिजली वितरण प्रणाली का निजीकरण कर रही है, जिससे किसानों को सब्सिडी पर या फ्री बिजली सप्लाई की सुविधा खत्म हो जाएगी।
    • खेती का अवशेष जलाने पर किसान को 5 साल की जेल और 1 करोड़ रुपए तक का जुर्माना हो सकता है। किसान इसे प्रावधान को भी खत्म करने की मांग कर रहे हैं।
    • पंजाब में पराली जलाने वाले किसानों को सिर्फ जुर्माना लगाकार गिरफ्तार किए गए किसानों को रिहा किया जाए।

    Agriculture Ordinance Bill 2020

    साभार: नवभारत टाइम्स

  • PUBG Mobile Game के शौक़ीन बच्चे ने माँ – बाप को कर दिया कंगाल, उड़ाए 16 लाख रुपये

    PUBG Mobile Game के शौक़ीन बच्चे ने माँ – बाप को कर दिया कंगाल, उड़ाए 16 लाख रुपये

    PUBG Mobile Game

    PUBG Mobile के आदी बनने के चक्कर में बच्चे क्या-क्या कर डालते हैं, इसका एक उदाहरण पंजाब में सामने आया है। पब्जी खेलने के आदी एक बच्चे ने अपने मां-बाप के अकाउंट से 16 लाख रुपये उड़ा डाले।

    उड़ाए 16 लाख

    PUBG Mobile गेम का क्रेज अभी भी बरकरार है। PUBG गेम को लेकर ऐसी ही चौंकाने वाली घटना सामने आई है। पंजाब में एक टीनएजर ने इस पॉप्युलर गेम को खेलने के दौरान इन-ऐप पर्चेजेस और अपग्रेडिंग के लिए 16 लाख रुपये खर्च कर डाले। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, 17 साल के एक टीनएजर के पास तीन बैंक अकाउंट का ऐक्सिस था।

    PUBG Mobile गेम के आदी बन चुके इस लड़के ने ऐप में पैसे खर्च करने के लिए इन अकाउंट्स का इस्तेमाल किया।

    टीनएजर ने अपने माता-पिता को बताया था कि वह अपनी पढ़ाई के लिए मोबाइल को देर तक इस्तेमाल कर रहा है जबकि इसकी जगह वह घंटो तक PUBG Mobile खेलने में समय बिताता था। इन-ऐप पर्चेजेस के अलावा गेम खेलने के दौरान वह अपने टीममेट्स के लिए भी अपग्रेड खरीद रहा था। द ट्रिब्यून की एक रिपोर्ट में यह खुलासा किया गया।

    PUBG Mobile Game

    सारे मेसेज कर देता था डिलीट

    पैसों के खर्च होने की जानकारी तब मिली जब लड़के के मां-बाप ने बैंक अकाउंट देखा और पाया कि करीब 16 लाख रुपये खर्च हो चुके हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, टीनएजर अपनी मां के फोन को PUBG Mobile खेलने के लिए इस्तेमाल करता था। बैंक ट्रांजैक्शन के पूरे होने के बाद अपनी मां के डिवाइस से सारे मेसेज डिलीट कर देता था। लड़के के पिता के मुताबिक, उन्होंने अपने बेटे के भविष्य और मेडिकल जरूरतों के लिए यह पैसा बचाया था।

    PUBG Mobile Game

    पुलिस ने किया मदद करने से मना

    टीनएजर के पिता एक सरकारी कर्मचारी हैं और जिस समय उनके बेटे ने PUBG Mobile गेम में पैसे उड़ाए, उनकी पोस्टिंग कहीं और थी। खबरों के मुताबिक, लड़के ने एक अकाउंट से दूसरे अकाउंट में पैसे ट्रांसफर करने भी किए ताकि उसे कोई पकड़ ना सके। पुलिस ने लड़के के माता-पिता को किसी तरह की मदद देने से इनकार कर दिया क्योंकि उनके बेटे ने गेम पर जानबूझकर पैसे खर्च किए थे।

    Source: Navbharat Times

  • वास्तु शाष्त्र: इस दिशा में रसोईघर कभी नहीं बनाना चाहीये अन्यथा घर में बीमारियों का वास हो जाता है

    वास्तु शाष्त्र: इस दिशा में रसोईघर कभी नहीं बनाना चाहीये अन्यथा घर में बीमारियों का वास हो जाता है

    रसोईघर की सही दिशा

    वास्तु में अग्नि को दक्षिण-पूर्व दिशा का देवता माना गया है, जिसके साथ शुक्र गृह का सम्बन्ध है. यही वजह है कि दक्षिण-पूर्व दिशा में बनाये गए रसोईघर को वास्तु सम्मत माना जाता है.

    एक गृहणी का अधिकतर समय रसोई में बीतता है. ऐसे में यदि यह जगह स्वच्छ और आरामदायक होने के साथ-साथ वास्तु सम्मत भी हो, तो गृहणी के साथ-साथ पूरे परिवार का स्वास्थ्य भी अच्छा रहता है. वास्तु में अग्नि को दक्षिण-पूर्व दिशा का देवता माना गया है, जिसके साथ शुक्र गृह का सम्बन्ध है. यही वजह है कि दक्षिण-पूर्व दिशा में बनाये गए रसोईघर को बेहतर माना जाता है.

    रसोईघर को क्यों वास्तु के अनुसार बनाना चाहिए

    इसका एक कारण यह भी है कि यहां पर सूर्य कि किरणे भरपूर मात्रा में पहुँचती हैं जिससे किचन कीटाणु रहित हो जाती है. वास्तु के अनुसार किचन के लिए उत्तर-पूर्व, मध्य-पूर्व, मध्य-पश्चिम, दक्षिण-पश्चिम दिशा को अच्छा नहीं माना जाता है.

    किचन कि दिशा से लेकर गैस चूल्हे और सामान स्टोर करने के स्थान आदि बातों को ध्यान में रखकर हम आसानी से किचन को वासतानुसार बना सकते हैं. इससे घर में लोगों का स्वास्थ्य ठीक रहेगा और खुशहाली बरकरार रहेगी.

    किचेन को वास्तु के अनुसार कैसे करें

    • गैस चूल्हा दक्षिण-पूर्व दिशा कि तरफ रखें, ताकि खाना बनाते समय मुख पूर्व कि तरफ हो. ऐसा करना परिवार के सदस्यों कि सेहत के लिए अच्छा रहता है. यदि खाना बनाने वाले का मुख खाना बनाते समय पश्चिम कि ओर होता है तो यह उसके स्वास्थ्य के लिए अच्छा नहीं होता है. इसी तरह मुख दक्षिण कि तरफ होना हानि का कारण हो सकता है. किचन का दरवाजा उत्तर, पूर्व या उत्तर-पूर्व दिशा में बनवाएं.
    • उदय होते सूर्य कि किरणों का स्पर्श आपके घर के जल भण्डार को, इसके लिए पीने के पानी का बर्तन, घड़ा, फ़िल्टर आदि उत्तर-पूर्व में रखें.
    • अनाज, डालें व मसालों के डिब्बों कि अलमारी दक्षिण-पश्चिम कि दीवार के साथ बनाई जा सकती है.
    • बर्तन दोने के सिंक उत्तर में या उत्तर-पूर्व में लगाएं.
    • इलेक्ट्रिक वायरिंग के लिए दक्षिण-पूर्व कि दीवार उपयुक्त है. रसोई में प्लेटफॉर्म के ऊपर दो-तीन प्लग भी लगवाएं, जहाँ आसानी से ओवन, हीटर, मिक्सी आदि को रखा जा सके. उत्तर-पूर्व दिशा में इलेक्ट्रिक सामान न रखें.
    • हवा के आगमन के लिए खिड़की व रोशनदान कि व्यवस्था पूर्व व पश्चिम में करें. एग्जास्ट फैन पूर्व कि दीवार पर दक्षिण पूर्व में लगवाएं.
    • यदि रसोई में फ्रिज रखना है, तो जहां तक संभव हो फ्रिज को पश्चिम दिशा में रखें.
    • डाइनिंग टेबल रखना है तो उसे उत्तर-पश्चिम में रखें. खाना खाते समय घर के सदस्यों का मुख पूर्व या उत्तर की ओर होना चाहिए.
    • रसोईघर के साथ या उसके एकदम ऊपर बाथरूम व शौचालय नहीं होना चाहिए.
    • रसोईघर में कभी दवाइयां न रखें अन्यथा वो नियमित इस्तेमाल की वस्तु बन जाएंगी.

    साभार: नरेश सिंघल (अमर उजाला)

  • कोरोना: सोशल डिस्टेंसिंग क्या है और क्यों है ज़रूरी? ये हैं लक्षण और बचाव

    कोरोना: सोशल डिस्टेंसिंग क्या है और क्यों है ज़रूरी? ये हैं लक्षण और बचाव

    स्वास्थ्य मंत्रालय ने कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के मकसद से सोशल डिस्टेंसिंग को लेकर एडवाइज़री जारी की है.

    सोशल डिस्टेंसिंग का मतलब होता है एक-दूसरे से दूर रहना ताकि संक्रमण के ख़तरे को कम किया जा सके.

    क्यों ज़रूरी है सोशल डिस्टेंसिंग?

    जब कोरोना वायरस से संक्रमित कोई व्यक्ति खांसता या छींकता है तो उसके थूक के बेहद बारीक कण हवा में फैलते हैं. इन कणों में कोरोना वायरस के विषाणु होते हैं.

    कोरोना कैसे फैलता है?

    संक्रमित व्यक्ति के नज़दीक जाने पर ये विषाणुयुक्त कण सांस के रास्ते आपके शरीर में प्रवेश कर सकते हैं. अगर आप किसी ऐसी जगह को छूते हैं, जहां ये कण गिरे हैं और फिर उसके बाद उसी हाथ से अपनी आंख, नाक या मुंह को छूते हैं तो ये कण आपके शरीर में पहुंचते हैं.

    ऐसे में खांसते और छींकते वक्त टिश्यू का इस्तेमाल करना, बिना हाथ धोए अपने चेहरे को न छूना और संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से बचना इस वायरस को फैलने से रोकने के लिए बेहद महत्वपूर्ण हैं.

    कोरोना से कैसे बचें?

    इसी कारण कोरोना से बचने के लिए लोगों को एक जगह पर अधिक लोग इकट्ठा न होने देने, एक दूसरे से दूरी बनाए रख कर बात करने या फिर हाथ न मिलाने के लिए कहा जा रहा है.

    भारत सरकार द्वारा जारी सोशल डिसटेंसिंग एडवायज़री के अनुसार जहां-जहां अधिक लोगों के एक दूसरे के संपर्क में आने की संभावना है उस पर सरकार ने प्रतिबंध लगा दिए हैं.



    • सभी शैक्षणिक संस्थानों (स्कूल, विश्वविद्यालय आदि), जिम, म्यूज़ियम, सामाजिक और सांस्कृतिक केंद्रों, स्विमिंग पूल और थिएटरों को बंद रखने की सलाह दी है. छात्रों को घरों में रहने की सलाह दी गई और उन्हें ऑनलाइन पढ़ाई करने को कहा गया है.
    • सरकार ने कहा है कि परीक्षाओं को स्थगित करने की संभावना पर विचार किया जा सकता है. फिलहाल चल रही परीक्षाएं ये सुनिश्चित करके करवाई जाएं कि छात्रों के बीच कम से कम एक मीटर की दूरी हो.
    • प्राइवेट क्षेत्र के संस्थान से कहा गया है कि हो सके तो अपने कर्मचारियों से घर से काम करवाएं.
    • संभव हो तो मिटिंग वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के ज़रिए करने पर ज़ोर दिया गया है. बहुत ज़रूरी ना हो तो बड़ी बैठकों को स्थगित करने या उनमें लोगों की संख्या को कम करने की बात की गई है.
    • रेस्त्रां को सलाह दी गई है कि वो हैंडवॉश प्रोटोकॉल का पालन करवाएं और जिन जगहों को लोग बार-बार छूते हैं उन्हें ठीक से साफ करते रहें. टेबल के बीच में कम से कम एक मीटर की दूरी रखें.
    • जो शादियां पहले से तय हैं, उनमें कम लोगों को बुलाया जाए और सभी तरह के गैर-ज़रूरी सामाजिक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों को स्थगित कर दिया जाए.
    • एक दूसरे से हाथ मिलाने और गले लगने से बचना चाहिए.
    • किसी भी तरह की गैर – ज़रूरी यात्रा ना करें और बस, ट्रेन, हवाई जहाज़ में यात्रा करते वक्त लोगों से दूरी बनाए रखना ज़रूरी है.
    • कमर्शियल एक्टिविटीज़ में लगे लोग ग्राहकों के साथ एक मीटर की दूरी बनाए रखें. साथ ही प्रशासन बाज़ारों में भीड़ कम करने के लिए कदम उठाएं.
    • सभी अस्पतालों को कोविड-19 से जुड़े ज़रूरी प्रोटोकॉल का पालन करना चाहिए. साथ ही परिवार, दोस्तों, बच्चों को अस्पताल में मरीज़ों के पास जाने न दें.
    • ऑनलाइन ऑडरिंग सर्विस में काम करने वालों को ख़ास तौर पर अपनी सुरक्षा का ध्यान रखना चाहिए.



    कोरोना वायरस से पीड़ित होने के ये हैं लक्षण और बचाव

    कोरोना वायरस कोविड 19 क्या है और यह कैसे फैलता है? इससे बचने के लिए आप नियमित रूप से और अपने हाथ साबुन और पानी से अच्छे से धोएं.

    कोरोनो वायरस संक्रमण के लक्षण क्या हैं?

    इंसान के शरीर में पहुंचने के बाद कोरोना वायरस उसके फेफड़ों में संक्रमण करता है. इस कारण सबसे पहले बुख़ार, उसके बाद सूखी खांसी आती है. बाद में सांस लेने में समस्या हो सकती है.

    वायरस के संक्रमण के लक्षण दिखना शुरू होने में औसतन पाँच दिन लगते हैं. हालांकि वैज्ञानिकों का कहना है कि कुछ लोगों में इसके लक्षण बहुत बाद में भी देखने को मिल सकते हैं.

    लक्षण कितने दिन में दिखते हैं?

    विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार वायरस के शरीर में पहुंचने और लक्षण दिखने के बीच 14 दिनों तक का समय हो सकता है. हालांकि कुछ शोधकर्ता मानते हैं कि ये समय 24 दिनों तक का भी हो सकता है.

    कोरोना वायरस उन लोगों के शरीर से अधिक फैलता है जिनमें इसके संक्रमण के लक्षण दिखाई देते हैं. लेकिन कई जानकार मानते हैं कि व्यक्ति को बीमार करने से पहले भी ये वायरस फैल सकता है.

    बीमारी के शुरुआती लक्षण सर्दी और फ्लू जैसे ही होते हैं जिससे कोई आसानी से भ्रमित हो सकता है.


    कितना घातक है कोरोना वायरस?

    कोरोना वायरस के संक्रमण के आँकड़ों की तुलना में मरने वालों की संख्या को देखा जाए तो ये बेहद कम हैं. हालांकि इन आंकड़ों पर पूरी तरह भरोसा नहीं किया जा सकता, लेकिन आंकड़ों की मानें तो संक्रमण होने पर मृत्यु की दर केवल एक से दो फ़ीसदी हो सकती है.

    फ़िलहाल कई देशों में इससे संक्रमित हज़ारों लोगों का इलाज चल रहा है और मरने वालों का आँकड़ा बढ़ भी सकता है.

    कोरोना के आंकड़े

    56,000 संक्रमित लोगों के बारे में एकत्र की गई जानकारी आधारित विश्व स्वास्थ्य संगठन का एक अध्ययन बताता है कि –

    6 फ़ीसदी लोग इस वायरस के कारण गंभीर रूप से बीमार हुए. इनमें फेफड़े फेल होना, सेप्टिक शॉक, ऑर्गन फेल होना और मौत का जोखिम था.
    14 फ़ीसदी लोगों में संक्रमण के गंभीर लक्षण देखे गए. इनमें सांस लेने में दिक्क़त और जल्दी-जल्दी सांस लेने जैसी समस्या हुई.
    80 फ़ीसदी लोगों में संक्रमण के मामूली लक्षण देखे गए, जैसे बुखार और खांसी. कइयों में इसके कारण निमोनिया भी देखा गया.

    कोरोना से किसको है ज्यादा खतरा?

    कोरोना वायरस संक्रमण के कारण बूढ़ों और पहले से ही सांस की बीमारी (अस्थमा) से परेशान लोगों, मधुमेह और हृदय रोग जैसी परेशानियों का सामना करने वालों के गंभीर रूप से बीमार होने की आशंका अधिक होती है.

    कोरोना वायरस का इलाज इस बात पर आधारित होता है कि मरीज़ के शरीर को सांस लेने में मदद की जाए और शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाया जाए ताकि व्यक्ति का शरीर ख़ुद वायरस से लड़ने में सक्षम हो जाए.

    क्या कोरोना की वैक्सीन बन गयी है?

    कोरोना वायरस का टीका बनाने का काम अभी चल रहा है.

    अगर आप किसी संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आते हैं तो आपको कुछ दिनों के लिए ख़ुद को दूसरों से दूर रहने की सलाह दी जा सकती है.

    पब्लिक हेल्थ इंग्लैंड ने कहा है कि जिन्हें लगता है कि वो संक्रमित हैं वो डॉक्टर, फार्मेसी या अस्पताल जाने से बचें और अपने इलाक़े में मौजूद स्वास्थ्य कर्मी से फ़ोन पर या ऑनलाइन जानकारी लें.

    विदेश से लौटने वाले क्या करें?

    जो लोग दूसरे देशों की यात्रा कर के यूके लौटे हैं उन्हें सलाह दी गई है कि वो कुछ दिनों के लिए ख़ुद को दूसरों से अलग कर लें.

    दूसरे देशों ने भी इस वायरस से बचने के लिए अपने अपने देशों में स्कूल कॉलेज बंद करने और सर्वजनिक सभाएं रद्द करने जैसे क़दम उठाएं हैं.

    विश्व स्वास्थ्य संगठन

    विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी लोगों के लिए एहतियात बरतने के तरीक़ों के बारे में जानकारी जारी की है.

    संक्रमण के लक्षण दिखने पर व्यक्ति को अपने स्थानीय स्वास्थ्य सेवा अधिकारी या कर्मचारी से संपर्क करना चाहिए. जो लोग बीते दिनों कोरोना वायरस संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आए हैं उनकी जांच की जाएगी.

    अस्पताल पहुंचने वाले सभी मरीज़ जिनमें फ्लू (सर्दी ज़ुकाम और सांस लेने में तकलीफ) के लक्षण हैं, स्वास्थ्य सेवा अधिकारी उनका परीक्षण करेंगे.

    परीक्षण के नतीजे आने तक आपको इंतज़ार करने और दूसरों से खुद को दूर रखने के लिए कहा जाएगा.


    कितनी तेज़ी से फैल रहा है कोरोना वायरस?

    रोज़ दुनिया भर में कोरोना वायरस के सैंकड़ों मामले सामने आ रहे हैं. लेकिन ये भी माना जा रहा है कि अब भी कई मामले स्वास्थ्य एजेंसियों की नज़र से बच गए होंगे.

    विश्व स्वास्थ्य संगठन के ताज़ा आंकड़ों के अनुसार दुनिया के 123 देशों में अब तक कोरोना वायरस के संक्रमण के 596,350 मामलों की पुष्टि हो चुकी है. इसके कारण अब तक 27,343 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है.

    इस वायरस के संक्रमण के सबसे अधिक मामले चीन, इटली, ईरान और कोरिया में सामने आए हैं.

    Source: https://www.bbc.com/hindi/international-51863689
    https://www.bbc.com/hindi/india-51955829

  • दवाई की पत्ती पर लाल लकीर का क्या मतलब होता है? बिना डॉक्टर की सलाह के लाल लकीर वाली दवाई की पत्ती से दवाइयां न खायें

    दवाई की पत्ती पर लाल लकीर का क्या मतलब होता है? बिना डॉक्टर की सलाह के लाल लकीर वाली दवाई की पत्ती से दवाइयां न खायें

    अक्सर यह कहा जाता है कि दवाइयां बिना डॉक्टर के सलाह के नहीं लेनी चाहिए. अगर आप बीमार हैं या फिर आपको कोई सेहत से जुड़ी दिक्कत है तो तुरंत डॉक्टर को दिखाएं और उन्हीं कि बताई हुई दवाइयों का सेवन करें. बावजूद इस चेतावनी के कई मरीज या उनके परिजन टीवी या सोशल मीडिया पर विज्ञापन देख बिना डॉक्टर की सलाह के मनमानी दवाइयां ले लेते हैं, जिससे आगे चलकर घातक परिणाम हो सकते हैं. लोगों की इसी आदत को देखते हुए स्वास्थ्य मंत्रालय (Ministry of Health) ने अपने ट्विटर हैंडल पर एक पोस्ट की है, जिसमें बताया गया है कि किन दवाइयों को बिना डॉक्टर की सलाह के नहीं खाना चाहिए.

    इस पोस्ट में बताया गया है ‘ज़िम्मेदार बनें और बिना डॉक्टर की सलाह के लाल लकीर वाली दवाई की पत्ती से दवाइयां न खायें. आप ज़िम्मेदार, तो दवाई असरदार.

    वहीं, पोस्ट में डाली गई तस्वीर पर लिखा हुआ है ‘क्या आप जानते हैं? जिन दवाइयों की पत्ती पर लाल लकीर होती है उन्हें डॉक्टर की सलाह के बिना कभी नहीं लेना चाहिए. कुछ दवाइयों जैसे कि एंटीबायोटिक्स की पत्ती पर एक खड़ी लाल लकीर होती है. इसका अर्थ यह होता है कि इन दवाइयों को केवल डॉक्टर की सलाह के अनुसार ही लेना चाहिए. हमेशा डॉक्टर द्वारा बताई गई दवाई का पूरा कोर्स लें.’

    साथ ही आपको बता दें कि लाल लकीर वाली दवाइयों को मेडिकल स्टोर वाले भी बिना डॉक्टर की रिसिप्ट या रसीद के बेच नहीं सकते.

    तो आप अगली बार लाल लकीर वाली दवाइयों को बिना डॉक्टर के सलाह के ना लें. साथ ही, दूसरों को इस बात की जानकारी देकर जागरूक करें.

    Source: https://khabar.ndtv.com/news/lifestyle/medicine-with-red-line-on-the-strip-should-never-be-consumed-without-doctor-prescription-2120766

  • सूरत एयरपोर्ट पर हर दिन 150 बार करनी पड़ती है फायरिंग, जानिए इसकी वजह

    सूरत एयरपोर्ट पर हर दिन 150 बार करनी पड़ती है फायरिंग, जानिए इसकी वजह

    सूरत एयरपोर्ट अथॉरिटी (Airport Authority) ने बताया कि सूरत एयरपोर्ट (Surat Airport) के आसपास एरिया में कई झींगा तालाब हैं. जिसकी वजह से विमानों (Flight) के टेक ऑफ और लैंडिंग के दौरान हादसे का खतरा बना रहता है.

    सूरत. गुजरात (Gujarat) के सूरत एयरपोर्ट (Surat Airport) के आसपास झींगा तालाबों के होने की वजह से विमानों (Flight) को बर्ड (bird) हिट का खतरा बना रहता है. यहां हजारों की संख्या में पक्षी आ जाते हैं. जिसकी वजह से कोई बड़ा हादसा हो सकता है. एयरपोर्ट अथॉरिटी (Airport Authority) अब इन बर्ड हिट से बचने के लिए जोन गन्स (Gun) का इस्तेमाल कर रही है. विमानों के टेक ऑफ और लैंडिंग के पहले हर बार जोन गन्स से फायरिंग की जाती है. इससे पक्षी उड़ जाते हैं. हर दिन इस तरह करीब 150 बार फायरिंग की जाती है.

    150 Times Bombs Firing before Take Off and Landing of Aircraft at Surat Airport
    Image Credits: The Straits Times

    एयरपोर्ट अथॉरिटी (Airport Authority) ने बताया कि सूरत एयरपोर्ट (Surat Airport) के आसपास एरिया में कई झींगा तालाब हैं. जिसकी वजह से भारी संख्या में पक्षी एयर स्पेस में मंडराते रहते हैं. इससे विमानों के टेक ऑफ और लैंडिंग के दौरान हादसे का खतरा बना रहता है. उन्होंने कहा कि एयरपोर्ट के पास झींगा तालाब एक मुसीबत हैं. हमने इस बारे में कई बार एन्वायरमेंटल मीटिंग के दौरान कलेक्टर से चर्चा की थी, उन्हें इस समस्या से अवगत कराया गया है.

    एक दिन में की जाती है 150 बार फायरिंग
    उन्होंने बताया कि विमानों की लैंडिंग के दौरान उस दिशा में फायरिंग की जाती है जहां ज्यादा पक्षी दिखते हैं. इसके अलावा हर मिनट पर फायरिंग की जाती है. सुबह 6 बजे से लेकर 11.30 बजे तक करीब 80 बार फायरिंग की जाती है. वहीं, दोपहर 3 बजे से शाम 7.30 बजे तक 60 से 70 बार फायरिंग होती है. उसके बाद जब रात होने लगती है तो बर्ड हिट का खतरा कम हो जाता है.

    150 Times Bombs Firing before Take Off and Landing of Aircraft at Surat Airport
    Image Credits: The Telegraph

    रनवे के दोनों तरफ लगाई 5 गन्स
    सूरत एयरपोर्ट पर मई 2017 के बाद से उड़ानों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है. इससे बर्ड हिट का खतरा ज्यादा रहता है. इससे निजात पाने के लिए जोन गन्स का इस्तेमाल किया जाता है. एयरपोर्ट के दोनों तरफ 5 गन लगाई गई हैं. इसके अलावा वाइब्रेटर का भी इस्तेमाल किया जाता है. एयरपोर्ट अथॉरिटी ने इसके लिए एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी की मदद मांगी थी. इसका उद्देश्य एयरपोर्ट परिसर में बढ़ रही घास पर रोक लगाना है और उनमें पनपने वाले कीटों को खत्म करना था.

    गन्स पर हर साल खर्च होते हैं 2 लाख
    सूरत एयरपोर्ट पर लगी इन पांचों जोन गन्स की कीमत 4 लाख रुपये है. इनमें एक गन इक्विपमेंट की कीमत 80 हजार रुपये है. इन्हें सिलेंडर लगाकर चलाया जाता है. एक सिलेंडर 20 दिन चलता है. इस काम में हर महीने 7 हजार रुपये का खर्च आता है. मेंटनेंस भी जोड़ लिया जाए तो एक गन पर हर महीने 10 हजार रुपये से ज्यादा का खर्च आता है.

    Source: https://hindi.news18.com/news/nation/150-times-bombs-firing-before-take-off-landing-of-aircraft-at-surat-airport-nodrk-2517169.html

  • दुनिया की पहली रोबोट नागरिक सोफिया भारत आई, बोली- मेरे अंदर भी भावनाएं हैं

    दुनिया की पहली रोबोट नागरिक सोफिया भारत आई, बोली- मेरे अंदर भी भावनाएं हैं

    इंदौरः इंदौर की एमराल्ड इंटरनेशनल स्कूल में चल रही 51 वीं राउंड स्क्वेयर इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस में शुक्रवार को विश्व की पहली रोबोट नागरिक सोफिया के साथ बातचीत का एक सेशन रखा गया था. फिल्म मेकर उत्तरा सिंह ने सोफिया से विश्व के प्रमुख मुद्दों पर बातचीत की. सोफिया से पूछा गया की क्या वो क्लाइमेट चेंज को लेकर जागरूक हैं, तो सोफिया का कहना था कि वह ना सिर्फ इस मुद्दे पर जागरूक है बल्कि वो विश्व में जहां भी जाती है लोगों को जागरूक करने का प्रयास करती है. सोफिया के अनुसार वह क्लाइमेट चेंज को लेकर सोशल मीडिया से भी जानकारी लेती रहती है.

    Sophia First Humanoid Robot Citizen in India

    सोफिया से पूछा गया की क्या वो क्लाइमेट चेंज को लेकर जागरूक हैं, तो सोफिया का कहना था कि वह ना सिर्फ इस मुद्दे पर जागरूक है बल्कि वो विश्व में जहां भी जाती है लोगों को जागरूक करने का प्रयास करती है.

     

    क्लाइमेट चेंज पर सोफिया ने कहा कि विश्व के सभी देशों की सरकारों को अपनी नीति और आइडियाज में दोनों में बदलाव लाने की आवश्यकता है. इंदौर में चल रही राउंड स्क्वेयर इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस में रोबोट सोफिया के साथ एक सेशन रखा गया था, जिसमें फिल्म मेकर उत्तरा सिंह ने सोफिया से दुनिया में चल रहे प्रमुख मुद्दों पर बात की और सोफिया ने बड़ी ही संजीदगी के साथ इन सभी सवालों के जवाब भी दिए.

     

    वीडियो देखें:

    https://www.youtube.com/watch?v=el1Me3YF99w

     

    जब उत्तरा सिंह ने सोफिया से पूछा कि क्या उनमें फीलिंग्स हैं, तो सोफिया नाराज हो गई और उत्तरा से कहा की आप मेरी फिलिंग को हर्ट कर रही हैं. मेरी अंदर भी भावनाएं हैं. सोफिया से पूछा गया कि क्लाइमेंट चेंज के लिए सरकारों को अपनी नीति या आइडियाज में से किसे बदलना चाहिए तो सोफिया का कहना था की सरकारों को दोनों में बदलाव की आवश्यकता है क्योंकि दोनों ही एक दूसरे पर प्रभाव डालते है.

     

    वीडियो देखें:

     

    सोफिया से जब कहा गया की भारतीय लोग डांस काफी पसंद करते हैं, तो सोफिया ने बोला कि डांस तो मुझे भी पसंद है, लेकिन रोबोटिक. कॉन्फ्रेंस में अलग-अलग देशों से आए बच्चों ने भी सोफिया से कई सवाल किए, जिसके सोफिया ने जवाब दिए. कॉन्फ्रेंस के इस सेशन का छात्रों के साथ उनके शिक्षकों ने भी खूब आनंद लिया.

     

    ये वीडियो भी देखें:

     

    Source: https://zeenews.india.com/hindi/india/madhya-pradesh-chhattisgarh/sofia-worlds-first-robotic-citizen-arrived-in-indore-and-attended-international-conference-said-i-also-have-feelings/581484