Category: हिंदी साहित्य

  • दिखावा: जिन्दगी जीने को तरसती रही, लोग जन्म दिन मनाते रहे

    दिखावा: जिन्दगी जीने को तरसती रही, लोग जन्म दिन मनाते रहे

    आज की इस दौड़-भाग वाली जिंदगी में लोग हँसते – मुस्कराते दिखाई पड़ते हैं लेकिन हकीकत में अंदर से टूटे हुए होते हैं. बड़े शहरों की जिंदगी शायद कुछ ऐसी ही है.

    मौत हर दिन –
    पास सरकती रही,
    हम जन्म दिन मनाते रहे,
    जिन्दगी जीने को तरसती रही.
    दिखावे से लिपी -पुती,
    धोखे से रंगी -पुती,
    पातळ में –
    आकाश खोजती जिन्दगी,
    अन्धकार को
    समझ प्रकाश
    दौड़ती रही,
    अपने को ही छलती रही, जो मिला था
    उसे तो भूलती रही
    और नित नया पाने को
    तरसती रही, भागती रही
    अंधी दौड़ में फंसती रही,
    मौत पास सरकती रही
    जिन्दगी जीने को तरसती रही.

    साभार: अज्ञात

  • मेरे सब्र का न ले इम्तिहान, मेरी खामोशियों को सदा न दे

    मेरे सब्र का न ले इम्तिहान, मेरी खामोशियों को सदा न दे

    किसी को प्यार करना और उसे हमेशा के लिए पा सकना जिंदगी की सबसे खूबसूरत घटना है…

    लेकिन किसी को बेइंतिहा प्यार करना और उसे खो देना, यह जिंदगी की दूसरी ऐसी घटना है जो हमारी जिंदगी का अहम हिस्सा होती है…

    आखिर खोने से पहले बहुत कुछ जो हमने पाया होता है, उसे हमसे कोई छीन नहीं सकता.

     

    मेरे सब्र का न ले इम्तिहान, मेरी खामोशियों को सदा न दे।
    तेरे बगैर जी न सके, उसे जिन्दगी की दुआ न दे।

    Hindi Poem and Shayari - Mere Sabr ka Na Le Imtihaan

    तू अजीज दिल-ओ-नजर से है, तू करीब रग-ऐ-नजर से है।
    मेरे जिस्म-ओ-जान का ये फासला, कहीं वक्त और बढ़ा न दे।

    तुझे भूल के भी भुला न सकूं, तुझे चाह के भी पा न सकूं।
    मेरी हसरतों को शुमार कर, मेरी चाहतों का सिला न दे।

    जरा देख चाँद की पत्तियों ने, बिखर-बिखर तमाम शब्।
    तेरा नाम लिखा है रेत पर, कोई लहर आके मिटा न दे।

    नए दौर के नए ख्वाब हैं, नए मौसमो के गुलाब हैं।
    ये मोहब्बतों के चिराग है, उन्हें नफरतों की हवा न दे।

    Hindi Poem and Shayari - Mere Sabr ka Na Le Imtihaan

    मैं उदासियों न सजा सकूं, कभी जिस्म-ओ-जान के नजर पर।
    न दिए जले मेरी आँख में, मुझे इतनी सख्त सजा न दे।

    मो. हासिम सिद्दीकी द्वारा भेजी गयी

  • मेरी प्रार्थना – मैं ईश्वर से क्या मांगता हूँ

    मेरी प्रार्थना – मैं ईश्वर से क्या मांगता हूँ

    मेरे देव,

     

    मुझे संकटों से बचाओ, यह प्रार्थना करने मैं तुम्हारे द्वार नहीं आया. मैं तो वह शक्ति मांगने आया हूँ, जो संकटों में संघर्ष कर खिलती है.

     

    मैं जीवन के दुखों से भयभीत हो, उनसे रक्षा करने की प्रार्थना करने नहीं, उन दुखों का सामना करने का साहस मांगने आया हूँ.

     

    मैं मंझधार से हाँथ पकड़ कर निकालने की प्रार्थना करने नहीं, उसी में तैरते रहने का उत्साह मांगने आया हूँ.

     

    तुमने मुझे काँटों पर चलने की प्रेरणा दी, गिरने पर उठ चलने का सहारा दिया. मुझे सदा अपनी छाया दी, तभी तो मैं तुझसे यह वरदान मांगने आया हूँ की कोई मुझे विष पिलाये, तब भी मैं उसे अमृत पिला सकूँ.

  • हिंदी कविता – भविष्य की कल्पना

    हिंदी कविता – भविष्य की कल्पना

    दाने गिनकर दाल मिलेगी,

    गेंहूं की बस छाल मिलेगी.

     

    पानी के इंजेक्शन होंगे,

    घोषित रोज इलेक्शन होंगे.

     

    हलवाई हैरान मिलेंगे,

    बिन चीनी मिष्ठान मिलेंगे.

     

    जलने वाला खेत मिलेगा,

    बस मिट्टी का तेल मिलेगा.

     

    शीशी में पेट्रोल मिलेगा,

    आने वाली पीढ़ी को.

     

    राजनीति में तंत्र मिलेगा,

    गहरा एक षड़यंत्र मिलेगा.

     

    न सुभाष, न गाँधी होंगे,

    खादी के अपराधी होंगे.

     

    जनता गूंगी बहरी होगी,

    बेबस कोर्ट कचहरी होगी.

     

    मानवता की खाल मिलेगी,

    आने वाली पीढ़ी को.

     

    प्यासों की भी रैली होगी,

    गंगा बिलकुल मैली होगी.

     

    घरों घरों में फैक्स मिलेगा,

    साँसों पर भी टैक्स लगेगा.

     

    आने वाली पीढ़ी पर.

     

    साभार: रावेन्द्र कुमार

    Image Source: https://www.youtube.com/watch?v=jpgyD1Hs_sY

  • हिंदी कविता – जलते दिए – शहीदों के लिए

    हिंदी कविता – जलते दिए – शहीदों के लिए

    हम शहीदों की राहों के जलते दिए,

    हमको आंधी भला क्या बुझा पाएगी.

    मौत को हम सुला दें वतन के लिए,

    मौत हमको भला क्या सुला पाएगी.

    हम भी इस बाग़ के खिल रहे फूल हैं,

    जो शहीदों की राहों पर चढ़ते रहे.

    बिजलियों को कदम से कुचलते रहे,

    सर कटाने का हमने लिया है सबब.

    सर झुकाना तो हमने है सीखा नहीं,

    वाह रे हिन्द तेरी दुआ चाहिए.

    है भला कौन हस्ती, मिटा पाएगी जो,

    हम शहीदों की राहों के जलते दिए.

    साभार: ऋषि नारायण

    Image Source: http://indianexpress.com

  • हिंदी कविता – चाहत

    हिंदी कविता – चाहत

    छू लो उन गहराइयों को जिनसे तुम्हें मोहब्बत है,

    छू लो उन ऊंचाइयों को जिनकी तुम्हें चाहत है.

    पा लो उन सच्चाइयों को जिनकी तुमको हसरत है.

     

    मन में एक विचार करो, मन तुम्हारा अपना है,

    तन से तुम वो कार्य करो, तन तुम्हारा अपना है,

    तन, मन, धन से जुट जाओ, दृढ संकल्प तुम्हारा हो.

     

    पा लो तुम उस मंजिल को, जिसकी तुम्हें तमन्ना है,

    छू लो उन गहराइयों को जिनसे तुम्हें मोहब्बत है.

     

    अड़चन कितनी भी आये, कभी न डेग से तुमको हिलना,

    गिर के उठना उठ के गिरना, यही तुम्हारा मकसद हो,

    ठोकर खाकर के संभलना, यही तुम्हारा जीवन हो.

     

    पा लो अपने ध्येय को जिसकी तुमको ख्वाहिश है,

    छू लो उन गहराइयों को जिनसे तुम्हें मोहब्बत है,

    छू लो उन ऊंचाइयों को जिनकी तुम्हें चाहत है.

    पा लो उन सच्चाइयों को जिनकी तुमको हसरत है.
    साभार: रोली गुप्ता

  • हिंदी कविता – सुख-दुःख

    हिंदी कविता – सुख-दुःख

    सुख दुःख तो ईश्वर का चक्रव्यूह है.

    यह मनुष्य के लिए गणित का एक प्रकार से आव्यूह है.

     

    यदि ये चक्र एक बार मनुष्य से टूट जाए.

    तो वही इस संसार का अभिमन्यु कहलाये.

     

    हे ईश्वर! आपने इतने दुःख क्यों बनाये.

    इंसान जो इन दुखों को सह ही न पाए.

    अगर ये सारे दुःख आपकी कृपा से गुम हो जाएँ.

    तो प्रत्येक मनुष्य कितने सारे सुख पाए.
    साभार: चांदनी निषाद

  • हिंदी कविता – दो पत्तों की कहानी

    हिंदी कविता – दो पत्तों की कहानी

    दो पत्तों की है मर्म कथा

    जो एक डाल से बिछड़ गए |

    विपरीत दिशाओं में जाकर

    जाने कैसे वे भटक गए |

    थे तड़प रहे, सूखें न कहीं |

     

    हर डगर मोड़ पर पूछ रहे

    देखा तुमने क्या पात कहीं

    खोया मेरी ही तरह कहीं

    मेरे जैसा तड़प रहा |

     

    आशा में तिल तिल डूब रहा

    आशा में जीवन खोज रहा |

    देखो झीलें, थी हरी हरी

    मैं, तुम जैसी थी प्रशन्न |

     

    पर आंधी ने कर दिया अलग

    हूँ आज निपट निर्धन विपणन |

     

    हम सचमुच कितने भटक गए

    इस दुनिया में हम बिखर गए |

    आस्तित्व मिटा, खो गए कहीं

    या फिर दोनों संग मर गए |

     

    एक साथ खुश थे दो पत्ते

    साथ-साथ खिलकर मुस्काये

    फल को ढके हुए निज तन से

    रखे थे हम उसे छिपाये ||

     

    पर अब तोड़ उसे भी कोई

    अलग करेगा उस डाली से |

    अब सम्बन्ध न रह जाएगा

    फल का उपवन के माली से ||

     

    छोटा सा संसार हमारा

    उजड़ गया,अब यही चाह है |

    खोजूं जग में फिर साथी को

    साहस की बस, यही राह है ||

     

    झील, समुद्रों और हवाओं

    मुझे गोद में बिठा घुमाओ |

    मैं पत्ती हूँ, मनुज नहीं हूँ,

    मेरा खोया मित्र मिलाओ |

    हंसना, रोना मुझे न आता,

    पर मुझमे भी भाव वही हैं |

    नहीं अकेली रह सकती मैं

    वह जीने का चाव नहीं है |

    अरे पर्वतों, उस पत्ते को

    तुम ही कहीं सहारा दे दो |

    मिट जाए न अतीत हमारा

    तुम ही कहीं किनारा दे दो |

    चलते – चलते ताकि पत्तियां

    सूख गयी तप कर, मुरझा कर |

    एक शिला देखी, आशा से

    चिपक गयी उससे फिर जाकर |

    किन्तु अलग थी, सोच रही थीं,

    बिछड़ा हुआ मित्र मिल जाए |

    सबने बहुत पुकारा उसको |

    उस तक पहुँच नहीं स्वर पाए |

    तभी एक आंधी आई,जो

    उदा ले गयी उसे छुपाये |

    दो पत्तों की यही कहानी

    जो फिर कभी नहीं मिल पाए |
    साभार: नीतू सविता

  • अनमोल वचन

    अनमोल वचन

    उड़ने में बुराई नहीं है, आप भी उड़ें |
    लेकिन उतना ही जहाँ से जमीन साफ़ दिखाई देती हो ||


    Quotes in Hindi

    इत्र से कपड़ों का महकाना कोई बड़ी बात नहीं है |
    मज़ा तो तब है जब आपके किरदार से खुशबू आए ||


    Quotes in Hindi
    अगर इश्क करना हैं तो जज्बातो को एहमियत देना सीखो |
    चेहरे से शुरु हुई मोहब्बत अक्सर बिस्तर पर खत्म हो जाती हैं ||


    Quotes in Hindi
    स्वार्थी मित्रों से बड़ा कोई
    और शत्रु नहीं होता है।


    Quotes in Hindi
    अपनों को हमेशा अपना होने का अहसास दिलाओ वरना |
    वक़्त आपके अपनों को आपके बिना जीना सिखा देगा ||


    Quotes in Hindi
    पहले खुद से कहो की तुम क्या बनोगे,
    फिर वो करो जो तुम्हे करना है.


    Quotes in Hindi
    रात भर गहरी नींद आना इतना आसान नहीं,
    उसके लिए दिन भर “ईमानदारी” से जीना पड़ता हैं.