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  • योनो को अलग इकाई बनाने पर विचार कर रहा स्टेट बैंक: एसबीआई चेयरमैन रजनीश कुमार

    योनो को अलग इकाई बनाने पर विचार कर रहा स्टेट बैंक: एसबीआई चेयरमैन रजनीश कुमार

    मुंबई, छह अक्ट्रबर (भाषा) देश का सबसे बड़ा बैंक भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई – SBI) अपने डिजिटल प्लेटफार्म (Digital Platform) योनो को अलग इकाई बनाने के बारे में सक्रियता के साथ विचार कर रहा है। बैंक के चेयरमैन रजनीश कुमार ने यह कहा है।

    योनो (YONO) यानी ‘यू आनली नीड वन ऐप’ स्टेट बैंक की एकीकृत बैंकिंग पलेटफार्म है।

    कुमार ने सोमवार शाम एक सालाना बैंकिंग और वित्त सम्मेलन — सिबोस 2020 में कहा, ‘‘हम अपने सभी भागीदारों के साथ इस बारे में (योनो को अलग अनुषंगी बनाने) विचार विमर्श कर रहे हैं।’’ सम्मेलन का आयोजन सोसायटी फॉर वर्ल्डवाइड इंटरबैंक फाइनेंसियल टेलीकम्युनिकेशंस (स्विफ्ट) ने किया।

    कुमार ने कहा कि योनो के अलग इकाई बन जाने के बाद स्टेट बैंक उसका इस्तेमाल करने वालों में एक होगा। उन्होंने कहा, हालांकि बातचीत अभी शुरुआती दौर में है, मूल्यांकन का काम अभी लंबित है।

    रजनीश कुमार ने हाल में कहा था कि योनो का मूल्यांकन 40 अरब डालर के आसपास हो सकता है।

    कुमार ने स्पष्ट किया, ‘‘मैंने जो बयान दिया (योनो के मूल्यांकन पर) वह इस पर आधारित है कि जब मैं सभी स्टार्टअप (Startup) के मूल्य पर गौर करता हूं और उसकी तुलना करता हूं तो ऐसे में निश्चित रूप से योनो का मूल्यांकन 40 अरब डालर से कम नहीं होना चाहिये। फिलहाल इस समय हमने इसके मूल्यांकन की कोई पहल नहीं की है, मेरा मानना है कि यह संभावना है।’’

    योनो को तीन साल पहले शुरू किया गया था। इसके 2.60 करोड़ पंजीकृत उपयोगकर्ता हैं। इसमें रोजना 55 लाख लॉगइन होते हैं और 4,000 से अधिक व्यक्तिगत रिण आवंटन और 16 हजार के करीब योनो कृषि एग्री गोल्ड लोन दिये जाते हैं।

    कुमार ने यह भी कहा कि स्टेट बैंक खुदरा भुगतान के लिये एक नई समग्र इकाई व्यवस्था के तहत अलग डिजिटल भुगतान कंपनी स्थापित करने पर भी विचार कर रहा है।

    रिजर्व बैंक ने इस साल अगस्त में एक अखिल भारतीय खुदरा भुगतान इकाई की अनुमति के लिये नियम कायदे जारी की थी। इसके लिये रिजर्व बैंक के पास आवेदन जमा कराने की अंतिम तिथि 26 फरवरी 2021 है।

    वर्तमान में देश में नेशनल पेमेंट्स कापोर्रेशन आफ इंडिया (एनपीसीआई – NPCI) एकमात्र खुदरा भुगतान इकाई है।

    साभार: भाषा

  • चालू वित्त वर्ष में कर्मचारियों के वेतन में हुई मात्र 3.6 प्रतिशत की वृद्धि : सर्वे

    चालू वित्त वर्ष में कर्मचारियों के वेतन में हुई मात्र 3.6 प्रतिशत की वृद्धि : सर्वे

    कोरोना वायरस महामारी के बीच कंपनियों ने चालू वित्त वर्ष 2020-21 में अपने कर्मचारियों को औसतन 3.6 प्रतिशत की वेतनवृद्धि दी है। पिछले वित्त वर्ष में कर्मचारियों का वेतन औसतन 8.6 प्रतिशत बढ़ा था।

    प्रमुख परामर्शक कंपनी डेलॉयट टच तोहमात्सु इंडिया एलएलपी के एक सर्वे में यह तथ्य सामने आया है। सर्वे के अनुसार चालू वित्त वर्ष में कर्मचारियों की वेतनवृद्धि में दो चीजों ‘समय’ और कोविड-19 के प्रभाव ने सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

    सोमवार को जारी इस सर्वे में कहा गया है, ‘‘जिन संगठनों ने मार्च, 2020 में लॉकडाउन शुरू होने से पहले वेतनवृद्धि के बारे में फैसला कर लिया था, उन्होंने अन्य कंपनियों की तुलना में अपने कर्मचारियों को अधिक वेतनवृद्धि दी है। वहीं बड़ी संख्या में कंपनियों का मानना है कि कोविड-19 की वजह से 2020-21 में उनकी आमदनी में 20 प्रतिशत से अधिक की गिरावट आएगी। ऐसी कंपनियों ने अपने कर्मचारियों को कमोबेश कम वेतनवृद्धि दी है।’’

    कोविड-19 के प्रसार को रोकने के लिए 25 मार्च को देश में राष्ट्रव्यापी बंद लागू किया गया था। मई के अंत में हालांकि अंकुशों में ढील दी गई। लेकिन कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों की वजह से कुछ राज्यों में अंकुश जारी रहे। इससे आर्थिक गतिविधियां बुरी तरह प्रभावित हुईं।

    वर्ष 2020 का दूसरे चरण का श्रमबल और वेतनवृद्धि सर्वे जून, 2020 में शुरू किया गया। इसमें 350 कंपनियों ने भाग लिया।

    सर्वे के अनुसार, ‘‘10 में से सिर्फ चार कंपनियों ने 2020 में कर्मचारियों को वेतनवृद्धि दी है। 33 प्रतिशत कंपनियों ने कर्मचारियों के वेतन में कोई बढ़ोतरी नहीं करने का फैसला किया है। वहीं अन्य कंपनियों ने अभी इस पर फैसला नहीं किया है। इस हिसाब से 2020 में औसत वेतनवृद्धि 3.6 प्रतिशत बैठती है, जो पिछले साल से आधी से भी कम है। पिछले साल कंपनियों ने अपने कर्मचारियों को 8.6 प्रतिशत की वेतनवृद्धि दी थी।’’

    सर्वे में कहा गया है कि वेतनवृद्धि का यह आंकड़ा दशकों में सबसे कम है। डेलॉयट ने कहा है कि यदि सर्वे में सिर्फ उन संगठनों को लिया जाए, जिन्होंने अपने कर्मचारियों का वेतन बढ़ाया है, तो औसत वेतनवृद्धि 7.5 प्रतिशत बैठती है। चालू वित्त वर्ष में ऐसी कंपनियों की संख्या 10 प्रतिशत से भी कम है जिन्होंने अपने कर्मचारियों को 10 प्रतिशत से अधिक की वेतनवृद्धि दी है।

    डिस्क्लेमर– यह आर्टिकल PTI न्यूज फीड से सीधे प्रकाशित किया गया है.

  • क्या कोई समय चुरा सकता है? आइये देखते हैं, कैसे करते हैं लोग समय की चोरी

    क्या कोई समय चुरा सकता है? आइये देखते हैं, कैसे करते हैं लोग समय की चोरी

    आपने लोगों को टाइम पास करते सुना होगा, समय काटते, समय बर्बाद करते सुना होगा लेकिन क्या आपने कभी सुना है की लोग समय की चोरी भी करते हैं.

     

    हाँ जी आपने सही सुना, बहुत सारे लोग करते हैं समय की चोरी. हो सकता है आप में से भी कुछ लोग समय चुराते हों.

     

    आइये देखते हैं कैसे….

     

    क्या कभी आप सरकारी ऑफिस में गए हैं? वहाँ पर कितने कर्मचारी अपना काम करते दिखते हैं, या फिर अपनी कुर्सी पर मिलते हैं? समझ लीजिये जो काम नहीं कर रहा है वह समय की चोरी कर रहा है.

     

    सरकार उनको 8 या 9 घंटे काम करने की तनख्वाह देती है लेकिन क्या वो अपना काम ईमानदारी से करते हैं?

     

    यह हाल सिर्फ सरकारी ऑफिसों का ही नहीं है बल्कि प्राइवेट सेक्टर में भी लोग जम कर समय चुराते हैं.

     

    लोग कैसे कैसे तरीके आजमाते हैं समय चुराने के लिए:

     

    1. लंच टाइम या ब्रेक को लम्बा खींचना: अगर कोई कर्मचारी रोज-रोज लंच टाइम ख़त्म होने के बाद भी सीट पर नहीं मिलता है तो समझ लीजिये वो समय चुरा रहा है. सरकारी स्कूल हों या सरकारी ऑफिस, शायद ही कोई समय चोरी न करता हो.

     

    1. दूसरे कर्मचारी की उपस्थिति लगाना: इसे अंग्रेजी में Buddy Punching कहते हैं. अगर कोई कर्मचारी देरी से आता है तो दूसरा सहयोगी उसकी उपस्थिति लगा देता है. यह भी समय चोरी का उपाय है. इस तरह की समय चोरी को कम करने के लिए प्राइवेट सेक्टर जहां सीसीटीवी कैमरा और फिंगर प्रिंट सेंसर का उपयोग करने लगे हैं वहीँ सरकारी ऑफिसों में भी इस तरह की इलेक्ट्रॉनिक मशीनो का उपयोग शुरू हो गया है. लेकिन सरकारी ऑफिस में अगर ये मशीन अगर एक बार खराब हुई तो उसे ठीक होने में भी कई साल लग सकते हैं. क्यूंकि मशीन ठीक करने वाले भी तो समय चुराते हैं.

     

    1. कंपनी के डाटा/इंटरनेट को दूसरे कामों में खर्च करना: आजकल सोशल मीडिया का दौर है और हर कोई फेसबुक और व्हाट्सएप्प चला रहा है. लेकिन इन निजी कामों को भी लोग कंपनी के इंटरनेट से ही करते हैं, और साथ ही कंपनी जिस काम के लिए उन्हें सैलरी दे रही है उस काम के बजाय फेसबुक चलाते हैं. इस तरह की समय चोरी कम करने के लिए कंपनी आजकल कर्मचारियों के कम्प्यूटर पर सोशल साइट्स को ब्लॉक कर रही हैं.

     

    1. ऑफिस में गप्पे मारना: अगर कोई कर्मचारी ऑफिस के समय में गप्पे मार रहा है तो इसका सीधा मतलब है वह दोगुना समय चोरी कर रहा है, अपना तो कर ही रहा है साथ ही एक और कर्मचारी को अपने साथ गप्प मारकर समय चोरी करवा रहा है. इस तरह का माहौल दूसरे कर्मचारियों की एकाग्रता भंग करता है जो काम कर रहे होते हैं.

     

    1. टाइम कार्ड भूलना या खो जाना: समय चोरी रोकने के लिए टाइम कार्ड का इस्तेमाल आजकल चलन में है. लेकिन कुछ घाघ लोग इसकी भी काट निकाल लेते हैं. वह हर दूसरे दिन “टाइम कार्ड घर भूल आया” या “टाइम कार्ड खो गया” जैसे बहाने बनाते हैं.

     

    1. काम को समय पर पूरा न करना: अगर किसी कर्मचारी के सामने फाइलों का ढेर लगा है तो इसका मतलब सिर्फ यह नहीं है की वह बहुत काम करता है, इसका एक मतलब ये भी हो सकता है कि वो बिलकुल काम न करता हो. या फिर समय चोरी कर आज के काम को कल पर छोड़ता हो और कुछ समय पश्चात् न किया कुआ काम उसके मेज पर फाइलों के ढेर के रूप में दिखाई देने लगता है.

     

    1. मीटिंग के बहाने समय चुराना: बेमतलब की मीटिंग को लम्बा खींचकर भी समय चोरी करते हैं लोग.

    Time Theft

    1. ऑफिस के समय को निजी कामों में खर्च करना: अगर इमरजेंसी को छोड़ दे तो भी लोग ऑफिस टाइम में लोग खूब फ़ोन पर बाते करते हैं या फिर अपना निजी काम करते हैं. प्राइवेट ऑफिसों में तो कई जगह फ़ोन को ऑफिस के गेट पर ही जमा करवा लिया जाता है.

     

    1. उस कर्मचारी की सहायता करना जिसे सहायता कि जरूरत न हो: किसी काम को अगर एक कर्मचारी कर रहा है और जानबूझ कर दूसरा कर्मचारी उस काम में पहले कर्मचारी कि सहायता कर रहा है तो इसका साफ़ मतलब है कि वो भी समय चोरी कर रहा है.

     

    Source: http://rmagazine.com/time-theft-10-ways-employees-stretch-time-at-work/

    Image Source: komiclogic.com, mynbc5.com