Author: Sunita

  • हिंदी कविता – अंतर्मन

    हिंदी कविता – अंतर्मन

    इस बदलती दुनिया में,
    पल पल होते हैं परिवर्तन.
    देखने में अच्छे लगते,
    पर सच जानता है अंतर्मन.

    परिवर्तनों के साथ जो चलता,
    गिरगिट की तरह रंग बदलता,
    वो ही जीवन में आगे बढ़ पायेगा.
    वरना भीड़ में अकेला रह जाएगा.

    अच्छा जीवन जीने को,
    क्या क्या कर रहा इंसान,
    दो वक्त की रोटी से
    संतुष्ट नहीं वो मेहनती किसान.

    आज के हालात कुछ हैं ऐसे,
    रिश्ते उन्हीं से जिनके पास हैं पैसे
    उन्हीं की होती जग में पूँछ.

    अपने बारे में जब सोचूं,
    खुद को पाती हूँ बहुत पीछे.

    इस रंग बदलती दुनिया में,
    क्या खुद को बदल पाऊँगी,
    गिरगिट बन आगे बढ़ूंगी
    या पीछे रह जाउंगी.

    इसी उलझन में वक्त गंवाकर
    असफल ही न रह जाऊं मैं.

    मेरे अवसर कोई और न चुरा ले,
    हाथ मलती न रह जाऊं मैं.

    ऊपर से दिखने वाले
    अंदर से कुछ और हैं.

    इनके सुन्दर मुखौटे के पीछे
    चेहरा बहुत कठोर है.

    पर मेरा मन एक पंछी बन
    आकाश में उड़ना चाहता है.

    दुनिया की सच्चाई जानकार
    मेरा मन घबराता है.

    लेकिन है अगर आगे बढ़ना,
    होगा मुझे इन सबसे लड़ना.

    अपना आत्म-विश्वास बढाकर
    लक्ष्य को पाने पाना है
    मुझे सफल हो जाना है.

    साभार: सुप्रिया

    रूपायन, अमर उजाला

  • रेसिपी: गर्मी को दें मात घरेलू और भारतीय ड्रिंक्स से

    रेसिपी: गर्मी को दें मात घरेलू और भारतीय ड्रिंक्स से

    चिलचिलाती गर्मी में कोल्ड ड्रिंक्स या डिब्बाबंद जूस पीने से केवल गला ही तर होता है, तन – मन में शीतलता नहीं आती. पर हमारे देसी ड्रिंक्स ऐसे हैं कि एक गिलास से ही पूरे शरीर में तरावट कि लहर दौड़ जाती है.

    चिलचिलाती गर्मी का मौसम किसे अच्छा लगता है, लेकिन इस मौसम के चिल्ड ड्रिंक सबको जरूर ही पसंद होंगे. जी हाँ, आम पना और शिकंजी जैसे देसी ड्रिंक कौन नहीं पीना चाहेगा. ये देसी ड्रिंक्स गर्मी से तो राहत देते ही हैं और सेहत का भी ख्याल रखते हैं. तभी तो गर्मी कि शान माने जाने वाले ये शरबत खास गर्मियों में हर किसी के फेवरिट बन चुके हैं. सच कहें तो तन-मन को तर करने वाले पारम्परिक भारतीय पेय का कोई सानी नहीं है. ये देसी ड्रिंक्स शरीर को शीतल करने के साथ गर्मी से भी बचते हैं. चूँकि ये पेय विभिन्न देसी चीजों से बने होते हैं, इसलिए इनकी अपनी न्यूट्रिशनल वैल्यू होती है और डिब्बाबंद पेय की तरह केमिकल युक्त नहीं होते हैं. पुराने समय में लोग इन्हीं देसी नुस्खों से गर्मी में कूल रहा करते थे. लू या अन्य गर्मीजनित बीमारियों से बचने के लिए लोग कच्चा प्याज, कच्चा आम, नीम्बू और सत्तू आदि को अपने आहार में शामिल कर लिया करते थे. समय के साथ हमारे खानपान की आदते बदली और हमने पैकेट बंद चीजों को अपनाना शुरू कर दिया, लेकिन कुछ पारम्परिक चीजें आज भी हमारी पसंद में शामिल हैं, जैसे गर्मियों के रामबाण कहे जाने वाले ये देसी ड्रिंक्स.

    1. शिकंजी

    सामग्री:

    पानी: 4 गिलास
    नीम्बू: 2
    चीनी: 8 बड़े चम्मच
    काला नमक: आधा चम्मच
    आइस क्यूब: आवश्यकतानुसार

    कैसे बनाये:

    सबसे पहले नीम्बू का रस निकालकर उसमे चीनी मिलाएं और पानी मिलकर मिश्रण को अच्छी तरह घोल ले. स्वादानुसार काला नमक, आइस क्यूब मिलाएं. इसमें आप भुना जीरा पाउडर भी मिला सकते हैं. सर्व करने से पहले पुदीना पत्ता और नीम्बू की गोल स्लाइस डालें.

    फायदे:

    नीम्बू शिकंजी गर्मियों में सबसे ज्यादा पसंद किया जाने वाला ड्रिंक है. यह गर्मियों में शरीर के तापमान को बैलेंस रखता है, इसके अलावा या शरीर को डिटॉक्सीफाई भी करता है.

    न्यूट्रिशनल वैल्यू:

    नीम्बू में भरपूर विटामिन सी पाया जाता है. शिकंजी में कुल मिलकर आपको विटामिन बी, कैल्सियम, मैग्नीशियम और कार्बोहाइड्रेट तत्व प्राप्त होंगे.

    1. तरबूज और पुदीने का जूस

    सामग्री:

    तरबूज: 3 कप
    पुदीना पत्ता: 1 कप
    चीनी: आवश्यक्तानुसार
    काला नमक: 1 चम्मच

    कैसे बनाये:

    तरबूज के टुकड़ों को सारी सामग्री के साथ मिक्स करें और गिलास में डालकर आइस क्यूब और पुदीना पत्ते के साथ सर्व करें

    फायदे:

    तरबूज का जूस गर्मियों में प्यास बुझाने के साथ ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करता है. हाइपर एसिडिटी की समस्या है तो आम पना या शिकंजी की जगह तरबूज का जूस अच्छा रहेगा.

    न्यूट्रिशनल वैल्यू:

    पोटैशियम और बीटा कैरोटीन का प्राकृतिक श्रोत है तरबूज. इसे काले नमक के खाने से हाजमा दुरुस्त रहता है.

    1. आम पना

    सामग्री:

    कच्चे आम(माध्यम आकर):5-6
    चीनी: 3 बड़े चम्मच
    काला नमक: 1 बड़ा चम्मच
    लाल मिर्च पाउडर: 1 छोटा चम्मच
    भुना जीरा पाउडर: 2 चम्मच
    पुदीना पत्ता ( कटा हुआ): 2 चम्मच

    कैसे बनाये:

    कच्चे आम को पानी के साथ 10-15 मिनट तक उबाले. फिर ठंडा होने के बाद आम का छिलका हटाकर गूदा निकाले. कटा पुदीना पत्ता, जीरा पोडर, मिर्च पाउडर, चीनी और नमक सबको एक साथ मिक्स करे. बस हो गया तैयार.

    आम पना को आप एक सप्ताह तक फ्रिज में रख सकते हैं. जब भी इसे सर्व करना हो , लगभग एक गिलास में एक तिहाई हिस्सा आम पना और दो तिहाई हिस्से पानी को मिला कर मिक्स करें और पुदीना पत्तियों के साथ सर्व करें.

    फायदे:

    गर्मियों में लू से बचाता है. इसलिए धुप में निकलने से पहले आम पना जरूर पियें.

    न्यूट्रिशनल वैल्यू:

    इसमें प्रति गिलास कैलोरी ११८ है जो चीनी के अनुसार काम ज्यादा हो सकती है.

    1. पंजाबी लस्सी

    सामग्री:

    ताजा दही: 2 कप
    धनिया पत्ता बारीक कटा: 4 चम्मच
    पुदीना पत्ता बारीक कटा
    सौंफ और जीरा पाउडर: 1-1१ चम्मच
    नमक: स्वादानुसार
    चीनी: आधा छोटा चम्मच

    कैसे बनाये:

    दही को अच्छी तरह फेंटे.फेंटते हुए इसमें जरूरत के हिसाब से ठंडा पानी भी मिला सकते हैं. मगर ध्यान रहे दही ज्यादा पतला न होने पाए. धनिया और पुदीने को छोड़कर साड़ी सामग्री को इस घोल में डालकर अच्छी तरह मिला ले. धनिया और पुदीने की पत्तियों से सजावट करें और सर्व करें.

    फायदे:

    पुदीने से लू, बुखार, जलन व गैस और उलटी की शिकायत दूर हो जाती है. दही शरीर को शीतलता प्रदान करता है.

    1. बेल का जूस

    बेल का शरबत पीने से शरीर का तापमान सामान्य रहता है. बेल के शरबत में दही, आजवाइन, नीम्बू और काला नमक मिलाकर पीने से इसका स्वाद तो बढ़ता ही है, आपका पेट भी साफ़ रहता है.आतिसार, पेचिस के रोगियों के लिए यह काफी फायदेमंद है. यह फैट को भी काम करता है.

    1. सत्तू

    गर्मी में नाश्ते में सत्तू बहुत फायदेमंद है. यह पेट की गर्मी को शांत करता है. हालांकि गाँवों में यह घर-घर में मिल जाता है, पर अब शहरों में बने बनाये पैकेट्स में सत्तू उपलब्ध है. जौ, चना,चावल आदि का सत्तू गर्मियों में पसंद किया जाता है. इसे पानी में मिलकर पियें या फिर आते की तरह गूंदकर खाएं. स्वाद के लिए नमक या शक्कर का इस्तेमाल कर सकते हैं. नमकीन सत्तू को प्याज और आम के अचार के साथ खाने से इसका स्वाद दोगुना हो जाता है.

     

    साभार: रूपायन, अमर उजाला

  • हिंदी कविता – भविष्य की कल्पना

    हिंदी कविता – भविष्य की कल्पना

    दाने गिनकर दाल मिलेगी,

    गेंहूं की बस छाल मिलेगी.

     

    पानी के इंजेक्शन होंगे,

    घोषित रोज इलेक्शन होंगे.

     

    हलवाई हैरान मिलेंगे,

    बिन चीनी मिष्ठान मिलेंगे.

     

    जलने वाला खेत मिलेगा,

    बस मिट्टी का तेल मिलेगा.

     

    शीशी में पेट्रोल मिलेगा,

    आने वाली पीढ़ी को.

     

    राजनीति में तंत्र मिलेगा,

    गहरा एक षड़यंत्र मिलेगा.

     

    न सुभाष, न गाँधी होंगे,

    खादी के अपराधी होंगे.

     

    जनता गूंगी बहरी होगी,

    बेबस कोर्ट कचहरी होगी.

     

    मानवता की खाल मिलेगी,

    आने वाली पीढ़ी को.

     

    प्यासों की भी रैली होगी,

    गंगा बिलकुल मैली होगी.

     

    घरों घरों में फैक्स मिलेगा,

    साँसों पर भी टैक्स लगेगा.

     

    आने वाली पीढ़ी पर.

     

    साभार: रावेन्द्र कुमार

    Image Source: https://www.youtube.com/watch?v=jpgyD1Hs_sY

  • हिंदी कविता – जलते दिए – शहीदों के लिए

    हिंदी कविता – जलते दिए – शहीदों के लिए

    हम शहीदों की राहों के जलते दिए,

    हमको आंधी भला क्या बुझा पाएगी.

    मौत को हम सुला दें वतन के लिए,

    मौत हमको भला क्या सुला पाएगी.

    हम भी इस बाग़ के खिल रहे फूल हैं,

    जो शहीदों की राहों पर चढ़ते रहे.

    बिजलियों को कदम से कुचलते रहे,

    सर कटाने का हमने लिया है सबब.

    सर झुकाना तो हमने है सीखा नहीं,

    वाह रे हिन्द तेरी दुआ चाहिए.

    है भला कौन हस्ती, मिटा पाएगी जो,

    हम शहीदों की राहों के जलते दिए.

    साभार: ऋषि नारायण

    Image Source: http://indianexpress.com

  • अयोध्या: सरयू तट पर बहुत कुछ है देखने को

    अयोध्या: सरयू तट पर बहुत कुछ है देखने को

    यूँ तो सभी स्थानों का अपना महत्त्व है फिर भी कुछ स्थानों की कल्पना मात्र से रोमांच उत्पन्न हो जाता है. कुछ स्थान देखने सुनने, में बहुत छोटे होते हैं, परन्तु श्रद्धा,विश्वास और महत्त्व में उतने ही बड़े. सभ्यता और संस्कृति के संगम ये स्थल सुदूर क्षेत्रों में हैं. परन्तु आमजन की पहुँच उतनी भी दूर नहीं, जितने आसमान के तारे. इन स्थानों के ख्याल मात्र से व्यक्ति कल्पना लोक में पहुँच जाता है. जिस प्रकार कल्पना लोक की छवि अद्वितीय होती है, उसी प्रकार इन पवित्र स्थलों का आध्यात्मिक महात्म्य, सभ्यता और संस्कृति स्वच्छ, निर्मल आध्यात्म, महात्म्य, सभ्यता एवं संस्कृति के अनुपम स्वरुप की दास्ताँ आज भी बयां करते प्रतीत होते हैं. आज़ादी के बाद से राम मंदिर(Ram Mandir Ayodhya) और बाबरी मस्जिद(Babri Masjid) के विवाद की वजह से भी अयोध्या(Ayodhya) चर्चा में रही है. सन 1990 में बाबरी मस्जिद विध्वंश के बाद एक बार फिर विवाद बढ़ गया और चुनावों में भी राम मंदिर की गूँज सुनाई पड़ने लगी.

     

    आज बात करते हैं सरयू(Saryu River) तट के आस पास के कुछ प्रमुख स्थानों के बारे में:

     

    फैजाबाद(Faizabad):

    पूर्वांचल का यह क्षेत्र अवधि भाषा का क्षेत्र है. प्राचीन काल में इसका नाम अवध(Awadh) था, मध्य काल में यह जवानो की नगरी बन गयी थी. इस क्षेत्र का प्रमुख आकर्षण अयोध्या(Ayodhya) तहसील है.

     

    अयोध्या(Ayodhya):

    इक्ष्वाकु सूर्यवंशी राजाओं की राजधानी के रूप में प्रसिद्ध अयोध्या का प्राचीन नाम कौशल था. रामायण(Ramayan) में मनु द्वारा स्थापित अयोध्या में श्री राम(Shri Ram) सर्वाधिक प्रसिद्ध राजा हुए, जो भगवान् विष्णु (Lord Vishnu) के अवतार माने जाते हैं. उत्तर-पूर्व में सरयू तट पर स्थित इस क्षेत्र के दर्शनीय स्थल इस प्रकार हैं:

     

    हनुमान गढ़ी(Hanuman Garhi, Ayodhya):

    नगर के मध्य में स्थित है. किलानुमा भवन में हनुमान जी की प्रतिमा स्थापित है. यहीं पर गुफा में रहकर हनुमान जी रामकोट(RamKot) की रक्षा करते थे.

    Ram Janm Bhoomi

    कनक भवन(Kanak Bhawan, Ayodhya):

    यहाँ का वर्तमान मंदिर 1861 में टीकमगढ़ की महारानी वृषभानुकुँवरि द्वारा बनवाया गया है, इसके गर्भगृह में भगवान् राम(Lord Rama) और सीता(Sita) की स्वर्णजणित मूर्तियां हैं. एक जनश्रुति के अनुसार सीता जी के अयोध्या प्रथम आगमन पर कैकेयी द्वारा यह भवन उन्हें दिया गया था.

     

    राम कोट(Ram Kot, Ayodhya):

    अयोध्या के पश्चिम में स्थित प्राचीन पूजा स्थल एवं विवादित क्षेत्र है. विभिन्न लेखों के अनुसार अयोध्या के एक सिरे पर राम कोट और दूसरे पर सरयू नदी थी. राम कोट के 20 द्वार बताये गए हैं. मुख्य द्वार पर हनुमान जी का पहरा रहता था.

     

    राम जन्म भूमि(Ram Janmbhoomi, Ayodhya):

    राजा विक्रमादित्य द्वारा खोजा गया वह पवित्र स्थल जहां विद्धमान बाल-रूप श्री राम चंद्र जी के दर्शन हेतु सम्पूर्ण विश्व से श्रद्धालु आते हैं.

    Sita Ram

    मणि पर्वत(Mani Parvat, Ayodhya):

    यह 65 फ़ीट की ऊंचाई का है. हनुमान जी द्वारा संजीवनी बूटी(Sanjeevni Booti) ले जाते समय हिमालय से टूटकर गिरा हुआ खंड है, ऐसा माना जाता है.

     

    बाल्मीकि भवन(Balmiki Bhawan, Ayodhya):

    इस भवन की दीवारों पर सम्पूर्ण रामायण के श्लोक उत्कीर्ण हैं.

     

    नागेश्वर नाथ मंदिर(Nageshwar Nath Mandir, Ayodhya):

    कुश द्वारा बनवाया गया यह मंदिर अयोध्या का मुख्य आराधना स्थल है. एक कथा के अनुसार स्नान करते हुए कुश का बाजूबंद खो गया था, जो एक नागकन्या को मिला, शिव भक्त नागकन्या द्वारा वापस प्राप्त होने पर वहां पर भगवान् शिव के मंदिर का निर्माण कराया गया.

    Shri Ram

    स्वर्ग द्वार(Swarg Dwar, Ayodhya):

    सहस्रधारा से नागेश्वरनाथ मंदिर तक का भू-भाग स्वर्गद्वार के नाम से जाना जाता है.

     

    त्रेता के ठाकुर(Treta ke Thakur or Kaleram Temple, Ayodhya):

    यह मंदिर श्री राम द्वारा किये गए अष्वमेघ यज्ञ के स्थल पर बना है. किले पाषाण से निर्मित मूर्तियां सरयू नदी से खोजकर स्थापित की गयी हैं. इसे कालेराम का मंदिर भी कहते हैं.

     

    तुलसी स्मारक भवन(Tulsi Smarak Bhawan, Ayodhya):

    तुलसीदास की स्मृति में बना यह भवन, रंगमहल, कौशल्य भवन, क्षीरेश्वरनाथ, तुलसी चौरा, सीता रसोई, रत्न सिंहासन आदि का संगम है.

     

    जैन मंदिर(Jain Mandir, Ayodhya):

    जैनियों के पांच तीर्थंकरों की जन्मस्थली है. केसरी सिंह ने 1781 में आदिनाथ का मंदिर, अनंतनाथ का मंदिर, सुमंतनाथ का मंदिर, दिगंबर अखाडा, बड़ी एवं छोटी छावनी, क्रमशः स्वर्गद्वार, गोलाघाट, रामकोट एवं सतसागर के निकट बनवाया था.

     

    सरयू के घाट(Saryu River Ghat, Ayodhya):

    सरयू तट पर राम की पैड़ी(Ram ki Paidi), नया घाट, जानकी घाट(Janki Ghat) एवं बालममिकी घाट(Balmiki Ghat) प्रमुख स्नान घाट हैं.

     

    कुंड:

    सीता कुंड, विभीषण कुंड, सूरज कुंड, ब्रह्म कुंड तथा दन्त धवन कुंड प्रमुख हैं.

    https://youtu.be/mtibajvoPV4

    टीला:

    सुग्रीव टीला, अंगद टीला, नल-नील तथा कुबेर टीला अयोध्या के मुख्य स्थल हैं.

     

    गुप्तार घाट(Guptar Ghat, Ayodhya):

    सरयू तट का वह प्रसिद्ध घाट जहां पर श्रीराम अपने भाइयों के साथ जल समाधि में लीन हो गए थे.

     

    भरत कुंड(Bharat Kund, Ayodhya):

    अयोध्या के दक्षिण में बसा भरत की तपोस्थली एवं गुफा है. इसे नंदीग्राम(Nandigram, Ayodhya) भी कहते हैं.

     

    विल्वहरी घाट(Vilvhari Ghat, Ayodhya):

    अयोध्या से पूर्व में 8 किमी दूर मुंदडीह गाँव में दशरथ का समाधि स्थल है.

     

    श्रृंगी ऋषि आश्रम(Shringi Rishi Aashram, Ayodhya):

    सरयू किनारे पर बसे इस स्थल पर श्रृंगी मुनि ने राजा दशरथ के लिए पुत्रकामेष्टि यज्ञ का आयोजन किया था.

     

    सूरजकुंड(Surajkund, Ayodhya):

    सूर्यवंशी राजाओं द्वारा सूर्य देवता को श्रद्धांजलि  के रूप में बनवाया था. यह अयोध्या से 3 किमी दूर है.

     

    सी.एम.पी. मंदिर(CMP Temple, Ayodhya):

    फ़ैजाबाद छावनी(Faizabad Cant) में स्थित इस मंदिर में सीता-राम तथा अन्य देवी देवताओं की स्वर्ण जड़ित मूर्तियां हैं.

     

    बहु बेगम का मकबरा(Bahu Beghum ka Makbara, Ayodhya):

    नवाब शुजाउद्दौला की पत्नी के स्मरण में 1816 में यह प्रसिद्ध मकबरा बना.

     

    गुलाबबाड़ी(Gulab Bari, Ayodhya):

    यह मकबरा शुजाउद्दौला की स्मृति में 1775 में बनवाया गया. इस स्मारक में उसके पिता सफदरजंग तथा मान मोती महल की भी कब्रें हैं.

     

    अफीम कोठी(Afim Kothi, Ayodhya):

    यह प्रसिद्ध भवन धरा रोड पर स्थित है. यह भवन शुजाउद्दौला की पत्नी का निवास स्थान था. यहां पर अब नारकोटिक्स विभाग का कार्यालय है.

     

    चौक त्रिपोलिया(Chowk Tripoliya, Ayodhya):

    सफदरजंग द्वारा 1756 में बनवाया गया. वर्तमान में यहां वृहद् द्वारा का निर्माण कराया गया है.

    https://youtu.be/ZeAbCsI4Mkk

    साभार: सौरभ सिंह

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  • बच्चे जिन्हें जंगली जानवरों ने पाला-पोसा

    बच्चे जिन्हें जंगली जानवरों ने पाला-पोसा

    जंगल बुक तो आप सभी ने देखी ही होगी. और “जंगल-जंगल पता चला है, बात चली है. चड्डी पहन कर फूल खिला है……” ये गाना अभी तक लोगों की जुबान पर है.

     

    यह फिल्म एक मोगली नाम के बच्चे पर बनी थी जिसे जंगली भेड़ियों ने पाल पोस कर बड़ा किया था. मोगली भेड़ियों के साथ रह कर भेड़ियों की तरह ही व्यवहार करता था.

     

    लेकिन यह सिर्फ कहानी नहीं है बल्कि हकीकत में मोगली जैसे इंसान हुए हैं जिन्हें जंगली जानवरो ने पाला पोसा और वे उन जानवरों की तरह ही हरकत करते थे. ये वो बच्चे थे जो बचपन में ही जंगल में खो गए थे या फिर उन्हें जंगली जानवर उठा कर ले गए थे, और उन्हें जंगली जानवरों ने मारकर खाने के बजाय पाला पोसा.

     

    आइये जानते हैं उन इंसानों के बारे में जो जंगली जानवरों के साथ पल कर बड़े हुए…

     

    ओक्साना मलाया, यूक्रेन 1991:

    Feral Children Grown Up with Wild Animals

    फ़ुलर्टन बेटन के अनुसार यूक्रेनियन लड़की ओक्साना 1991 में कुत्तों के साथ रहती हुई पायी गयी. वह 8 साल की थी और करीब 6 साल से कुत्तों के साथ रह रही थी. उसके शराबी माता-पिता ने सर्दी की एक रात में उसको घर के बाहर छोड़ दिया. तीन साल की बच्ची कड़कड़ाती ठण्ड में पास बने कुत्तों के घर में पहुँच गयी और कुत्तों के साथ ही रह कर उसकी जान बच सकी. उस घर में वह मोंगरेल नस्ल के कुत्तों के साथ करीब 6 साल तक रही. 1991 में जब उसे खोजै गया तब वह कुत्तों की तरह चार पैरों पर चलती थी, कुत्तों की तरह ही दांत दिखती और उन्हीं की तरह भौंकती थी.

     

    अब ओक्साना डॉक्टरों की देखरेख में है.

     

    साम देव, भारत, 1972:

    Feral Children Grown Up with Wild Animals

    फ़ुलर्टन बेटन के अनुसार ये कहानियां टार्ज़न की तरह नहीं होती हैं. बच्चों को खाने के लिए जानवरों से लड़ना पड़ता है, और जानवरों से अपनी जिंदगी बचाना भी सीखना पड़ता है. उनके पास ऐसे बच्चों के 15 केस हैं. उनके फोटोग्राफ दिखाते हैं की काम उम्र के बच्चे अगर मानवों से दूर होकर जानवरो के बीच जिन्दा बच जाए तो उनका व्यवहार कैसा हो जाता है.

     

    यह कहानी है शामदेव की जो भारत में मुसाफिरखाना के जंगलों में 1972 में पाया गया था और उसकी उम्र केवल चार वर्ष की रही होगी. वह भेड़ियों के बच्चों के साथ खेलता था. उसकी खाल काली, दांत पैने और नाखून लम्बे हो गए थे. वह अपने चारो हाथ और पैरों से कभी पंजों के बल या फिर कुहनी और घुटनों के बल पर चलता था. वह मुर्गों का शिकार करता और खून पीता था, कभी – कभी मिटटी भी खाता था. वह कभी बोलना सीख नहीं पाया लेकिन इशारों को थोड़ा बहुत समझ पाता था. 1985 में मदर टेरेसा के चैरिटी की देखरेख में उसकी मौत हो गयी.

     

    मरीना चैपमैन, कोलम्बिआ, 1959:

    Feral Children Grown Up with Wild Animals

    मरीना का अपहरण दक्षिण अमेरिका के एक गाँव से 5 साल की उम्र में हो गया था और अपहरणकर्ता उसे जंगल में छोड़ कर चले गए थे. वह करीब पांच साल तक कापूचिन बंदरों के साथ रही जहां से उसे शिकारियों ने उसे छुड़ाया. वह बेर, जड़ें और केले खाती और बंदरों की तरह चार पैरों पर चलती थी. वह बंदरों की तरह ही व्यवहार करती और उनकी नक़ल भी करती थी.

     

    मरीना अब यॉर्कशायर में अपने पति और दो बेटियों के साथ रहती हैं. मरीना की कहानी पर लोगों को अब भी भरोसा नहीं होता है.

     

    दीना शनिचर, भारत, 1867:

    Feral Children Grown Up with Wild Animals

    दीना शनिचर का नाम भी उन बच्चों में शामिल है जो जंगली जानवरों के बीच जिन्दा रहे. उसे कुछ शिकारियों ने बुलंदशहर के जंगलों से बचाया था. शिकारी तब अचंभित रह गए जब उन्होंने एक बच्चे को भेड़ियों के साथ उनकी गुफा की ओर भागते देखा. उन्होंने भेडियो को गोली मार दी और बच्चे को बचाकर ले आये. वह अन्य जानवरों की तरह ही चारो पैरों पर चलता और जमीन से सीधे कच्चा मांस खाता था. वह पहनाये गए कपड़ों को फाड़ डालता था और कभी बोलना नहीं सीख पाया. लेकिन वह तंबाकू खाना सीख गया था. उसकी मौत सन 1895 में हुई थी.

     

    तेंदुआ लड़का, भारत, 1912:

    Feral Children Grown Up with Wild Animals

    इसे शिकारियों ने भारत में आसाम की उत्तरी कछार की पहाड़ियों (अब दीमा हसाओ ) से 1912 में खोजा था. इसे मादा तेंदुए उठाकर ले गयी थी. वह अपने चारों पैरों पर तेजी के साथ दौड़ता था. वह अन्य तेंदुओं की तरह हर किसी से लड़ता था जो उसकी तरफ जाने की कोशिश करते थे. इस बच्चे ने बोलना सीख लिया था लेकिन उसकी आँखों की रौशनी एक ऑपरेशन में जाती रही थी.

     

    नग छेदी, भारत, 2012:

    Feral Children Grown Up with Wild Animals

    नग छेदी के केस एकदम ताज़ा है. यह बात मिजोरम के बर्मा (म्यांमार) से लगे हुए बॉर्डर के पास की है जब यह लड़की जब केवल 4 साल की थी तब वह खेलते हुए जंगल में खो गयी थी. 38 साल तक उसका कुछ पता नहीं चला उसके माता पिता ने भी उसको मरा हुआ समझ लिया था. लेकिन कभी कभार जंगलों में एक नंगी लड़की के घूमने की बात आने लगी थी तो अन्य लोग तो इसे एक गप्प समझते थे, लेकिन इसके माँ-बाप को वह अपनी ही लड़की लगती थी. इसलिए उन्होंने खोजबीन फिर शुरू कर दी. लेकिन वह लड़की कभी उनके सामने नहीं पड़ी. लेकिन सन 2012 में लोगों को पता चला की बर्मा में बॉर्डर के पास के गाँव में एक जंगली लड़की पकड़ी गयी है. तब उसके माँ बाप उसे देखने गए और जन्म चिन्हों से उसे पहचान लिया और उसे घर लेकर आये. अब वह 42 साल की है और कुछ शब्द बोलना जानती है और अब वह गाँव में सबके साथ खेलती है.

     

    कमला और अमला, भारत, 1920:

    Feral Children Grown Up with Wild Animals

    ये दोनों लड़कियां भेड़ियों द्वारा पाली गयी थी. ये कच्चा मांस खाती थी, चारो पैरों पर चलती थी और रात में भेड़ियों की तरह चिल्लाती थी. जोसफ अमृतो लाल सिंह ने इन दोनों लड़कियों को बंगाल में एक जंगल के पास के एक गाँव से छुड़ाया था और उसे मिदनापुर के अनाथाश्रम में लेकर आये. अमला जो उनमे से छोटी थी उसकी मौत 1921 में हुई जबकि कमला की मौत 1929 में हुई. कमला ने अमला की मौत के बाद सीधा खड़ा होना और कुछ शब्दों को सीख लिया था.

     

    साभार: Julia Fullerton-Batten

    http://www.bbc.com/culture/story/20151012-feral-the-children-raised-by-wolves

    https://www.scoopwhoop.com/indian-children-raised-by-animals

    http://www.dailymail.co.uk/news/article-2201134/Missing-Indian-girl-disappeared-40-years-ago-returns-home-living-Myanmar-jungle-decades.html

    https://en.wikipedia.org/wiki/Amala_and_Kamala

    http://www.huffingtonpost.in/entry/julia-fullerton-batten-feral-children_us_56098e95e4b0dd85030893a9

    https://www.smashinglists.com/10-feral-human-children-raised-by-animals/

    https://www.theguardian.com/science/2013/apr/13/marina-chapman-monkeys

  • हिंदी कविता – चाहत

    हिंदी कविता – चाहत

    छू लो उन गहराइयों को जिनसे तुम्हें मोहब्बत है,

    छू लो उन ऊंचाइयों को जिनकी तुम्हें चाहत है.

    पा लो उन सच्चाइयों को जिनकी तुमको हसरत है.

     

    मन में एक विचार करो, मन तुम्हारा अपना है,

    तन से तुम वो कार्य करो, तन तुम्हारा अपना है,

    तन, मन, धन से जुट जाओ, दृढ संकल्प तुम्हारा हो.

     

    पा लो तुम उस मंजिल को, जिसकी तुम्हें तमन्ना है,

    छू लो उन गहराइयों को जिनसे तुम्हें मोहब्बत है.

     

    अड़चन कितनी भी आये, कभी न डेग से तुमको हिलना,

    गिर के उठना उठ के गिरना, यही तुम्हारा मकसद हो,

    ठोकर खाकर के संभलना, यही तुम्हारा जीवन हो.

     

    पा लो अपने ध्येय को जिसकी तुमको ख्वाहिश है,

    छू लो उन गहराइयों को जिनसे तुम्हें मोहब्बत है,

    छू लो उन ऊंचाइयों को जिनकी तुम्हें चाहत है.

    पा लो उन सच्चाइयों को जिनकी तुमको हसरत है.
    साभार: रोली गुप्ता

  • उत्तर प्रदेश में महिलाओं के पैर छूकर सपा प्रत्याशी के लिए वोट मांग रही है रूसी महिला

    उत्तर प्रदेश में महिलाओं के पैर छूकर सपा प्रत्याशी के लिए वोट मांग रही है रूसी महिला

    यह कोई अचम्भा नहीं बल्कि हकीकत है. हम बात कर रहे हैं उत्तर प्रदेश के औरैया जिले के बिधूना विधान सभा के प्रत्याशी दिनेश वर्मा की. आपको शायद ही पता हो कि उनकी पत्नी एलिसा रूसी हैं. एलिसा को भारतीय पहनावे में देखकर महिलाएं उनकी तरफ आकर्षित हुए बिना रह नहीं पाती हैं. अपने मायके से हजारों किलोमीटर दूर रूस से बिलकुल अलग गाँव के माहौल में रच बस गयी और घर का कामकाज संभाल रही हैं. एलिसा सामान्य दिनों में भी साडी में ही दिखती हैं और भारतीय परम्परा के अनुसार ही बड़े बुजुर्गों के सामने सिर पर पल्लू रहता है. एलिसा शुरुआत से भारतीय संस्कृति से प्रभावित थी जिससे उन्हें एक छोटे से गाँव में भी रहने में परेशानी नहीं हुई. परेशानी थी केवल भाषा की, वो भी एलिशा ने हिंदी  को खूब अच्छी तरह से सीख कर दूर कर ली.  

    Russian Woman Asking for Vote for SP Candidate Dinesh Verma in UP

    दिनेश वर्मा आज किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं. इन्हें अखिलेश यादव ने अपने मौसा प्रमोद गुप्ता की टिकट काट कर सपा प्रत्याशी चुना है. प्रमोद गुप्ता इस समय बिधूना के निवर्तमान विधायक हैं. जबकि दिनेश वर्मा उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के मित्र और ६ बार बिधूना से विधायक और पूर्व विधानसभा अध्यक्ष स्व. धनीराम वर्मा के पुत्र हैं.

    Russian Woman Asking for Vote for SP Candidate Dinesh Verma in UP

    अब जब दिनेश वर्मा घर-घर जाकर वोट मांग रहे हैं तो उनकी पत्नी भला कैसे पीछे रहतीं. एलिसा भी घर-घर जाकर महिलाओं के पैर छूकर वोट मांग रही हैं. एक विदेशी महिला को देखकर महिलाओं का हुज़ूम उन्हें देखने उमड़ पड़ता है. लोगों को तब और भी अचम्भा होता है जब एलिसा फर्राटेदार हिंदी बोलती हैं.

    Russian Woman Asking for Vote for SP Candidate Dinesh Verma in UP

    कैसे बनी एक रूसी लड़की हिन्दू घर की बहू:

    Russian Woman Asking for Vote for SP Candidate Dinesh Verma in UP

    आपको शायद ही पता हो कि दिनेश वर्मा रूस से मेडिकल के डिग्रीधारक हैं. पढ़ाई के दौरान ही इनकी मुलाक़ात एलिसा से हुई और एलिसा भारतीय संस्कृति की मुरीद हो गयीं. बाद में दोनों ने भारत आकर हिन्दू रीति रिवाजों से शादी कर ली.

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    साभार: http://www.amarujala.com/uttar-pradesh/kanpur/russian-wifes-wacky-style

  • हिंदी कविता – सुख-दुःख

    हिंदी कविता – सुख-दुःख

    सुख दुःख तो ईश्वर का चक्रव्यूह है.

    यह मनुष्य के लिए गणित का एक प्रकार से आव्यूह है.

     

    यदि ये चक्र एक बार मनुष्य से टूट जाए.

    तो वही इस संसार का अभिमन्यु कहलाये.

     

    हे ईश्वर! आपने इतने दुःख क्यों बनाये.

    इंसान जो इन दुखों को सह ही न पाए.

    अगर ये सारे दुःख आपकी कृपा से गुम हो जाएँ.

    तो प्रत्येक मनुष्य कितने सारे सुख पाए.
    साभार: चांदनी निषाद

  • हिंदी कविता – दो पत्तों की कहानी

    हिंदी कविता – दो पत्तों की कहानी

    दो पत्तों की है मर्म कथा

    जो एक डाल से बिछड़ गए |

    विपरीत दिशाओं में जाकर

    जाने कैसे वे भटक गए |

    थे तड़प रहे, सूखें न कहीं |

     

    हर डगर मोड़ पर पूछ रहे

    देखा तुमने क्या पात कहीं

    खोया मेरी ही तरह कहीं

    मेरे जैसा तड़प रहा |

     

    आशा में तिल तिल डूब रहा

    आशा में जीवन खोज रहा |

    देखो झीलें, थी हरी हरी

    मैं, तुम जैसी थी प्रशन्न |

     

    पर आंधी ने कर दिया अलग

    हूँ आज निपट निर्धन विपणन |

     

    हम सचमुच कितने भटक गए

    इस दुनिया में हम बिखर गए |

    आस्तित्व मिटा, खो गए कहीं

    या फिर दोनों संग मर गए |

     

    एक साथ खुश थे दो पत्ते

    साथ-साथ खिलकर मुस्काये

    फल को ढके हुए निज तन से

    रखे थे हम उसे छिपाये ||

     

    पर अब तोड़ उसे भी कोई

    अलग करेगा उस डाली से |

    अब सम्बन्ध न रह जाएगा

    फल का उपवन के माली से ||

     

    छोटा सा संसार हमारा

    उजड़ गया,अब यही चाह है |

    खोजूं जग में फिर साथी को

    साहस की बस, यही राह है ||

     

    झील, समुद्रों और हवाओं

    मुझे गोद में बिठा घुमाओ |

    मैं पत्ती हूँ, मनुज नहीं हूँ,

    मेरा खोया मित्र मिलाओ |

    हंसना, रोना मुझे न आता,

    पर मुझमे भी भाव वही हैं |

    नहीं अकेली रह सकती मैं

    वह जीने का चाव नहीं है |

    अरे पर्वतों, उस पत्ते को

    तुम ही कहीं सहारा दे दो |

    मिट जाए न अतीत हमारा

    तुम ही कहीं किनारा दे दो |

    चलते – चलते ताकि पत्तियां

    सूख गयी तप कर, मुरझा कर |

    एक शिला देखी, आशा से

    चिपक गयी उससे फिर जाकर |

    किन्तु अलग थी, सोच रही थीं,

    बिछड़ा हुआ मित्र मिल जाए |

    सबने बहुत पुकारा उसको |

    उस तक पहुँच नहीं स्वर पाए |

    तभी एक आंधी आई,जो

    उदा ले गयी उसे छुपाये |

    दो पत्तों की यही कहानी

    जो फिर कभी नहीं मिल पाए |
    साभार: नीतू सविता